Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
06-02-2019, 01:04 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
हम ये बातें कर ही रहे थे… कि तभी वहाँ नेहा आ गयी.. उसने अपने मम्मी-दादी को गुड मॉर्निंग कहा, फिर मुझे गुड मॉर्निंग कह कर मेरा हाल चाल पूछा…

प्रोफ़ेसर – बेटी ये अंकुश शर्मा है, मेरा सेकेंड एअर का बहुत होनहार स्टूडेंट… देखो एश्वर ने क्या संयोग रचा.. कि इसे वहाँ तुम्हारी मदद के लिए भेज दिया…

इसकी जगह कोई और होता तो शायद वो वहाँ रुकता ही नही…हमें इसका एहसानमंद होना चाहिए…

मे – सर ! ये कह कर आप मुझे शर्मिंदा कर रहे हैं… मे नही जानता था, कि ये आपकी बेटी हैं…

बस मेरे जमीर ने कहा.. कि मुझे इनकी मदद करनी चाहिए.. सो वहाँ रुक गया…और जो बन पड़ा वो किया…

नेहा – नही ! तुमने जिस साहस और दिलेरी से उन गुण्डों का सामना किया, ये हर किसी के बस की बात नही थी… थॅंक यू वेरी मच अंकुश..! मे तुम्हारा ये एहसान जिंदगी भर नही भूलूंगी..

मे – आप भूल रही हैं नेहा जी, थॅंक यू तो मुझे कहना चाहिए आपको, कि आपकी दिलेरी और सूझ-बुझ के कारण आज मे यहाँ जिंदा बैठा हूँ…

प्रोफेसर और उनकी पत्नी यानी नेहा की मम्मी किनकर्तव्यविमूढ़ से हम दोनो की बातें सुन रहे थे… तो मेने उन्हें सारा वाकीया डीटेल में बता दिया…

वो दोनो अपनी बेटी को प्रशंसा भरी नज़रों से देख रहे थे… फिर वो बोले – चलो अच्छा हुआ कि तुम दोनो ने ही मिलकर एक दूसरे की मदद की…

लेकिन बेटे.. ये बात भी अपनी जगह बहुत मायने रखती है कि, तुमने जो एक अंजान लड़की के लिए किया है, आज के जमाने में कोई किसी के लिए अपनी जान जोखिम में नही डालता…!

इन्ही बातों के दौरान हम सबने नाश्ता किया… नेहा की मम्मी किसी एनजीओ के लिए काम करती थी, कुछ देर बाद वो दोनो अपने-अपने काम पर निकल गये….!

मेने भी अपने हॉस्टिल जाने के लिए नेहा से कहा, तो वो मुझे घुड़कते हुए बोली…

बिल्कुल नही… तुम कहीं नही जाओगे… जब तक कि पूरी तरह से ठीक नही हो जाते..इट्स आन ऑर्डर… और ये कह कर वो मुस्कराने लगी…

मे – लेकिन मी लॉर्ड ! मेरे कपड़े तो देखो.. खून से सने हुए हैं.. फ्रेश भी होना है.. तो जाना तो पड़ेगा ही ना…

वो ऑर्डर देते हुए बोली – कोई ज़रूरत नही, अपने रूम की चावी दो मुझे.. मे अभी तुम्हारे कपड़े मँगावती हूँ तुम्हारे रूम से…

मेने हथियार डालते हुए.. अपनी जेब से उसे चावी निकाल कर दी, और अपना रूम नंबर. बताया…

उसने फ़ौरन अपने नौकर को भेज कर मेरे कपड़े मंगवा दिए.. फिर मे वहीं फ्रेश हुआ, जिसमें नेहा ने भी मेरी मदद की,

मुझे फ्रेश करते समय, नहाने के दौरान मेरी कसरती बॉडी को देखकर वो बिना इंप्रेस हुए नही रह पाई…

फिर नेहा ने मुझे दवा दी… और बैठ कर एक दूसरे से गप्पें लगाने लगे…

मुझे नेहा और प्रोफेसर ने एक हफ्ते अपने घर पर ही रखा… इन दिनो में नेहा हर संभव मेरी हर ज़रूरत का ख्याल रखती थी,

यहाँ तक कि शुरू के, एक दो दिन तो उसने अपने हाथों से मुझे फ्रेश होने में मेरी मदद की…

उसके मुलायम हाथों का स्पर्श अपने नंगे बदन पर पाकर में सिहर उठता, और शायद वो भी उत्तेजित होने लगती…..,

कंधे को सेफ रख कर वो मुझे नहलाती भी… उसके बदन की खुसबु, और स्पर्श से मेरी उत्तेजना बढ़ने लगती..

नहाने के दौरान कुछ पानी उसके कपड़ों को भी गीला कर देता, जिससे उसके कपड़े बदन से चिपक जाते, और उसके बदन के कटाव झलकने लगते..

जिसे देखकर मे और ज़्यादा उत्तेजित होने लगता था, और इकलौते अंडरवेर में मेरा लंड तंबू बनके खड़ा हो जाता.. जिसे वो बड़े गौर से निहारती रहती….

जब मेरी नज़र उसकी नज़रों से टकराती.. तो वो शर्म से अपनी नज़र वहाँ से हटा लेती… और मन ही मन मुस्करा उठती…

मेरी हाइट उससे कुछ ज़्यादा ही थी, तो जब वो तौलिए से मेरे सर को सुखाती, तो उसे अपने हाथ ऊपर करने पड़ते, जिससे उसके मुलायम बूब्स मेरे शरीर से टच हो जाते…,

वो भी शायद उत्तेजित हो जाती थी, जिस कारण से मेरा सर रगड़ने के बहाने अपने बूब्स मेरे बदन के साथ रगड़ देती…

कभी कभी मेरा खड़ा लंड उसकी कमर पर टच हो जाता, तो वो अपने पंजों पर उचक कर उसे अपनी मुनिया पर फील करने की कोशिश करती…

मे जान बूझकर और अपनी गर्दन अकडा देता, तो उसे और ज़्यादा उचकना पड़ता, जिससे मेरा पप्पू उसकी मुनिया के साथ और ज़्यादा खिलवाड़ करने लगता, वो धीरे से सिसक पड़ती..

ऐसी ही प्यार भरी छेड़-छाड़ और खट्टी-मीठी यादों के चलते मेरा एक हफ़्ता उनके घर पर कब निकल गया मुझे पता ही नही चला..

आख़िर कार मे बिल्कुल ठीक होकर एक दिन अपने हॉस्टिल वापस लौट गया….!

अभी मे अपने अतीत के पन्ने पलटने में खोया हुआ कुछ और आगे बढ़ता, कि तभी मुझे भानु की याद आ गयी,…ओये तेरी का !!…

साला में तो भूल ही गया था उसको..., मेने तुरंत अपनी घड़ी . पर नज़र डाली…

यहाँ बैठे बैठे मुझे दो घंटे हो चुके थे, … मे वहाँ से फटाफट भागा और खंडहर मे पहुँचते ही उस कमरे का दरवाजा खोला…

भानु जाग चुका था, और ज़मीन पर बैठा गुस्से में भुन्भुना रहा था…

मुझे देखते ही वो भड़क उठा.., झटके से खड़ा होकर मेरी तरफ लपका, और तेज आवाज़ में गुर्राते हुए बोला – तो तू मुझे यहाँ लाया है हरामजादे…!

अपना बदला लेना चाहता है ना… ? चल मार डाल मुझे.. ,ले-ले अपना बदला..

मेने उसके कंधे पकड़ कर एकदम शांत लहजे में कहा – भानु भैया… शांत हो जाओ…, और ज़रा ठंडे दिमाग़ से सोचो,

मुझे तुम्हें मार कर ही बदला लेना होता तो यहाँ लाने की ज़रूरत ही क्या थी, और क्यों तुम्हें होश में आने देता…

जब चाहता, तुम्हारा गेम बजा सकता था…क्यों कुछ ग़लत कह रहा हूँ मे .. ?

वो सोचने लगा, मेरी बात भी सही थी… फिर क्या वजह है, जो मे उसे यहाँ उठा लाया था, यही सब सोचने लगा वो, जब किसी नतीजे पर नही पहुँच पाया तो आख़िर में पुच्छने लगा…

तो इस तरह यहाँ क्यों लेकर आए हो मुझे…?

मे – देखो भानु भैया..! तुम्हारे पिताजी ने मेरे घर आकर तुम्हारे कुकार्मों की एक बार माफी माँगी थी,… और अश्वाशन दिया था कि आइन्दा ऐसा कुछ भी तुम हमारे साथ नही करोगे…

और भविष्य में दोनो परिवारों के बीच संबंध अच्छे रहें, इसकी भरसक कोशिश करते रहेंगे…

बावजूद इसके तुमने वो घिनोना काम कर दिया.. जो किसी भी डिस्कनारी में माफी के लायक नही है, ऊपर से तुमने मुझे मारने के लिए गुंडे भी भेजे..

फिर भी मेने सोचा कि चलो कोई बात नही, अपने इलाक़े के ज़मींदार की इज़्ज़त का सवाल है, अब उन्हें कोई तकलीफ़ है, तो आपस में मिल बैठ कर सुलटा लेते हैं….!

मुझे ये भी पता था कि तुम सीधी तरह से मेरे साथ बात करने वाले थे नही, तो इसलिए तुम्हें यहाँ इस तरह लाना पड़ा…!

अब इसमें तुम्हें कोई तकलीफ़ हुई हो तो माफ़ करना…

वैसे जिस तरह से मुझे तुम्हारे खानदान की इज़्ज़त की फिकर है, क्या उसी तरह तुम्हें भी अपने परिवार की मान –मर्यादा की फिकर है..?

वो एकदम तैश में आते हुए बोला – मे किसी की जान भी ले सकता हूँ, अगर मेरे परिवार की इज़्ज़त पर आँच भी आई तो…

मेने आगे कहा – बहुत अच्छी बात कही तुमने ! सुनकर खुशी हुई.. कि तुम्हें अपनी मान-मर्यादा का इतना ख़याल है…

लेकिन भाई मेरे दूसरे की इज़्ज़त का ज़रा भी ख़याल नही किया तुमने…! क्या दूसरों की कोई इज़्ज़त नही होती..?

वो घमंड के साथ अकड़ कर बोला – हुन्न्ह… ऐसे छोटे-मोटे लोगों की भी कोई इज़्ज़त होती है…, जो तुम उसकी हमारे खानदान से तुलना करने लगे…

मे – तो तुम्हारा कहने का मतलब है, कि तुम्हारी इज़्ज़त, इज़्ज़त है, दूसरे की कोई इज़्ज़त नही…!
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RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस - by sexstories - 06-02-2019, 01:04 PM
Nise story - by Ram kumar - 01-07-2020, 11:26 PM

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