RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
तभी मेने मन बना लिया था, कि मे अपनी गुड़िया से माफी माँगूंगी, शायद वो मुझे माफ़ कर्दे, लेकिन सारे दिन तूने मेरी तरफ देखा तक नही तो मे दर्द से तड़प उठी,
मुझसे रहा नही गया, और मे तेरे पास चली आई, अब तो मुझे माफ़ कर्दे मेरी गुड़िया…!
मम्मी की बातें सुनकर मेरी रुलाई फुट पड़ी, और मे एक बार फिर मम्मी के सीने से लग कर रो पड़ी…!
फिर मम्मी ने मुझे अलग करके प्यार से मेरे गाल को सहलाते हुए कहा – लेकिन बेटा ये ग़लत फ़हमी पैदा ही नही होती, अगर हम माँ-बेटी अपनी बातें एक दूसरे से कह सुन पाते…
अब मे चाहती हूँ, कि जो भी तेरे मन में हो वो मुझे खुलकर बता दिया कर, जिससे मे तुझे ग़लत और सही का फ़र्क बता सकूँ…!
वैसे तूने अंकुश को अपना भाई मानकर अच्छा किया है, वो लड़का सही मैने में एक भाई की तरह तेरी रक्षा कर सकता है..,
ये जमाना बहुत जालिम है बेटा, कदम-कदम पर झूठ और फरेब से ये दुनिया भरी पड़ी है,
वैसे मुझे अपनी बेटी पर पूरा भरोसा है, लेकिन फिर भी, तू किसी ऐसे वैसे लड़के के चक्कर में मत पड़ना, जो झूठे प्यार के वादे करके लड़कियों को बहला फुसलाकर उन्हें इस्तेमाल करते हैं, ब्लॅकमेल करके उन्हें चूस्ते रहते हैं,
बेटा मे तुझे इसलिए ये सब बता रही हूँ, कि इस उमर में इंसान के कदम बहक ही जाते हैं, जिसे हम प्यार समझते हैं, वो छनिक मात्र शरीर की ज़रूरत होती है,
मे ये नही कहती कि ये ज़रूरत पूरी ना हो, इस उमर में सभी करते हैं लेकिन किसी ऐसे हाथों में ना पड़ना कि वो इसका ग़लत फ़ायदा उठाए,
अंकुश एक ऐसा लड़का है, जो हज़ारों में तो क्या लाखों में एक है, भरोसेमंद है, ऐसा आदमी ढूँढने से भी नही मिलता है…जो हमें नसीब से मिला है…
तेरी ऐसी कोई ज़रूरत हो तो तू खुलकर उसे बता देना.., तू समझ रही है ना बेटी मे क्या कहना चाहती हूँ,
मे मूह फाडे मम्मी की बातें सुन रही थी, मे मम्मी की बातों का मतलव समझ रही थी, सच कहूँ तो जो इस उमर के हिसाब से इंसान की चाहत होती है, वो उन्होने बयान करदी थी..
शायद वो उनके अपने अनुभव रहे होंगे, या क्या पता उन्होने ये सब भोगा हो, लेकिन जो भी हो, ये एक ऐसी सच्चाई थी जिससे दो-चार होते-होते मे भी बची थी,
मे भी एक लड़के से अट्रॅक्ट हुई थी, लेकिन समय रहते उसकी सच्चाई मेरे सामने आ गयी और मेने उससे अपने संबंध ख़तम कर लिए…
मम्मी की बातों का मेरे उपर बहुत गहरा असर हुआ, और मन के किसी कोने में आपकी केरिंग छवि, एक मर्द की छवि में बदलने लगी, जो एक लड़की को उसके लड़की होने के एहसास से अवगत करा सकता है…
मे अवाक खुशी की बातें सुन रहा था, जब वो रुकी तो मेने पुछा – तुम्हारे उस लड़के से संबंध कहाँ तक पहुँचे थे..?
खुशी – बस मिलने मिलाने तक, लेकिन वो मुझे पाने के लिए हर संभव प्रयास में था, मे भी चाहती थी, कि हम शरीरक तौर पर एक हो जायें, बस एक उचित मौके की तलाश में थे…
लेकिन तभी मेरी एक सहेली ने उसकी सच्चाई बता दी, कि इसके कई और लड़कियों से भी संबंध हैं, और ये उन्हें ब्लॅकमेल कर रहा है…!
उसके बाद मेने उससे मिलना छोड़ दिया, चिढ़कर उसने उन गुण्डों का सहारा लिया जिनको आपने सबक सिखाया था…!
मे – क्या वो लड़का तुम्हारे कॉलेज में ही पढ़ता है…?
खुशी – नही, 12थ तक मेरे साथ था, लेकिन अब वो किसी दूसरे कॉलेज से इंजीनियरिंग कर रहा है, लेकिन उन लड़कों ने ही ये बात मुझे बताई, और ये भी कहा – कि अब वो तुम्हारे सामने कभी नही पड़ेगा…
मेने खुशी के अनारों को सहला कर कहा – तो तुम अभी तक वर्जिन ही हो..?
खुशी अपने चेहरे पर एक कामुक सी हँसी लाकर बोली – तो आपको क्या लगा कि मे ऐसे ही किसी को भी अपना ये खजाना यौंही ही लूटा……
इससे पहले की वो अपना वाक्य पूरा करती, मेने अपने होठ, उसके होठों पर चिपका दिए…..!
मेने खुशी को स्मूच करते हुए एक हाथ उसकी चुचि पर ले जाकर उसे मसल दिया.., और दूसरे हाथ से उसकी मुनिया को शॉर्ट के उपर से सहलाया…!
खुशी की आँखों में गुलाबी डोरे तैरने लगे…, उसने घूमकर मेरी तरफ मूह कर लिया और अपने आमों को मेरे सीने से रगड़ने लगी…!
खुशी मेरी गोद में मेरे दोनो तरफ को टाँगें फैलाकर बैठी थी, मेने उसके चेहरे को दोनो हथेलियों में लेकर पुछा – तो अपनी वर्जिनिटी खोने के लिए रेडी हो…!
वो – हां ! क्योंकि मुझे आपसे ज़्यादा केरिंग पार्ट्नर और नही मिल सकता..,
मेने उसके मोटे-मोटे कुल्हों को मसल्ते हुए कहा – सोच लो, तकलीफ़ होगी तुम्हें…
वो अपने होठों पर कामुक सी मुस्कान लाकर बोली – झेल लूँगी, लेकिन उसके बाद जो खुशी मिलेगी, वो ज़्यादा मायने रखती है मेरे लिए…!
मे – जैसी तुम्हारी मर्ज़ी, इतना कहकर मेने उसके टॉप को निकाल दिया…! बिना ब्रा के उसका मदमाता यौवन छल-छलाकर बाहर आगया…!
उसके 34 के बूब, एकदम सीधे तने हुए, लेशमात्र भी लटकन नही, जिनके शिखर पर एक-एक किस्मिश के दाने जैसे निपल… आअहह… क्या मस्त थे वो…
देखकर मेरा जी मचल उठा, और मेने उसके निपल को अपनी जीभ से चाट लिया…
आआहह….सस्स्सिईईई….ऊओह…और चाटो इन्हें….बहुत अच्छा लगता है मुझे…खुशी ने मादकता भरी आवाज़ में कहा….
आअहह…खुशी, तुम्हारी ये चुचियाँ वाकई ग़ज़ब की हैं, ये कहकर मेने एक को अपने मूह में भर लिया, और दूसरी को हाथ में लेकर ज़ोर्से मसल दिया…
आअहह…भैयाअ….धीरे..से म्मस्सालू…कहकर खुशी अपनी गान्ड को मेरे लंड के उभार पर रगड़ने लगी…!
खुशी ने मेरी शर्ट के बटन खोलकर उसे मेरे बदन से अलग कर दिया, और मेरे सीने के बालों को सहला कर मेरे निपल को जीभ से चाट लिया…
मेरे मूह से आहह… निकल गयी…, खुशी मेरे कशरति बदन पर हाथ फेर्कर बोली – क्या बॉडी बनाई है आपने, साले गुण्डों की क्या बिसात जो टक्कर ले पाते…
मेने उसके अनारों को मसल्ते हुए कहा – तू अब अपनी खैर मना…
वो मेरी जीन्स खोलकर उसे नीचे सरकाते हुए बोली – मुझे कोन्सि आपसे फाइट करनी है जो अपनी खैर मनाऊ…!
अच्छा देखते हैं, ये कहकर मेने उसे बेड पर धकेल दिया, और उसका शॉर्ट निकालते हुए बोला – अब जो फाइट होने वाली है वो उन गुण्डों से ज़्यादा ख़तरनाक होगी…!
खुशी की छोटी सी पैंटी, उसकी मोटी-मोटी, मक्खन जैसी चिकनी जांघों के बीच ठीक से चमक भी नही रही थी, मेने उसकी जांघों को सहलाते हुए उन्हें एक दूसरे से जुदा किया…
उसकी पैंटी थोड़ी सी गीली लग रही थी, मेने उसकी पैंटी के गीले भाग को जीभ लगा कर चाट लिया…!
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