Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
06-02-2019, 01:48 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
मेने करने वाली बात जान बूझकर जोड़ी, मे देखना चाहता था, कि अब वो आगे क्या कहती हैं…!

वो अपने होठ काटते हुए बोली – मुझे सब पता है, तुम जान बूझकर ये सब कह रहे हो, जबकि तुम्हें सब पता है जो भी सुबह में हुआ…!

मेने उनका हाथ अपने हाथों लेकर उसे सहलाते हुए कहा – देखिए आंटी जी, आप इस छोटी सी बात के लिए अपना दिल मत दुखाइए, जिस कंडीशन में आपने मुझे पाया…

उस कंडीशन में आपकी जगह कोई और भी होता तो वो भी ये सब करने पर मजबूर हो जाता,

अगर आपकी जगह मे होता और आप ऐसी हालत में सो रही होती तो शायद मे भी अपने आप पर काबू नही कर पाता,

फिर आप तो इतने दिनो से अंकल जी से दूर हो चुकी हैं, स्वाभाविक है कि ये सब देखकर कंट्रोल हट गया होगा…!

वो अपना बचाव करते हुए बोली – फिर भी मुझे रिश्तो की मर्यादा नही छोड़नी चाहिए थी, मुझे ये नही भूलना चाहिए था कि तुम प्राची के देवर हो…

ये कहकर वो मेरे कंधे से अपना सिर टिका कर सुबकने लगी…!

मे उनको सांत्वना देते हुए उनकी पीठ सहलाने लगा….!



मे उनकी पीठ पर हाथ फेर रहा था, अचानक मेरी उंगलियाँ उनकी ब्रा की स्ट्रीप पर अटक गयी, मेने थोड़ा सा उसपर दबाब डाला, मेरे हल्के से दबाब डालने से ही आंटी सिहर उठी…!

मुझे भी उत्तेजना का एहसास हुआ.., वो मेरी तरफ देखने लगी, मेने वहाँ से अपना हाथ नीचे ले जाते हुए कहा – आप इस तरह से अपने आपको दोषी मत मानिए,

ये स्वाभिवक तौर पर एक स्त्री-पुरुष के बीच का आकर्षण मात्र था, जो किसी भी राइज़ के बंधनों से बहुत परे है…

और सच बात तो ये है, कि इस आकर्षण के आगे मेने कितने ही रिश्ते धराशायी होते देखे हैं,

आंटी ने मेरी आँखों में झाँककर देखा, वो मेरे और नज़दीक खिसकते हुए बोली – तुम शायद सही कह रहे हो, मे भी उस वक़्त अपने बीच के रिस्ते को बिल्कुल भूल गयी थी..!

और लाख रोकने के बाद भी मेरा हाथ तुम्हारे वहाँ पहुँच गया…!

आंटी अब धीरे-2 रिश्तों के बंधन से हट’ते हुए मेरी तरफ आकर्षित होती जा रही थी, मेरी बातों ने उन्हें उस बंधन से ढीला पड़ने पर मजबूर कर दिया, जिसकी वो कुछ देर पहले जकड़न सी महसूस कर रही थी…

धीरे-धीरे वो मेरे साथ चिपकती जा रही थी, उनके 34 के सुडौल और मुलायम बूब्स मेरे बाजू से सटने लगे थे…

मेने अपना हाथ उनकी पीठ पर नीचे ले जाकर उनके नितंब पर रख दिया, और उसे धीरे से सहला कर पुछा – वैसे आपका हाथ कहाँ तक पहुँच गया था….?

मेरे हाथ को अपने नितंब पर पाकर उनके सिथिल पड़ चुके बदन में फिरसे झन झनाहट पैदा होने लगी थी शायद, इसलिए उनका चेहरा लाल होता जा रहा था,

मेरे चहरे पर नज़र गढ़ा कर वो बोली – तुम्हें नही पता…?

मेने अंजान बने रहते हुए कहा – नही मुझे तो नही पता, मे तो सो रहा था, बताइए ना आंटी कहाँ पहुँच गया था आपका हाथ…!

एक शर्मीली सी मुस्कान उनके होठों पर आ गयी, नज़र झुका कर बोली – तुम्हें सब पता है, कि मेरा हाथ तुम्हारे शॉर्ट के अंदर था, और मेने तुम्हारे उसको पकड़ा हुआ था…

मेने उनकी जाँघ को सहलाते हुए कहा – उसको..?, ओह्ह्ह…अच्छा ! तो फिर बाहर क्यों निकाल लिया था…?
वो नज़र झुकाए हुए ही बोली – तुम्हें जागते देखकर मे घबरा गयी थी…,

मेने उनकी कमर में हाथ डालकर उन्हें अपने से और सटा लिया और गाउन के उपर से ही उनकी कमर सहलाते हुए कहा – वैसे कैसा लगा आपको मेरा वो….?

उन्होने मुस्कुरा मेरे कंधे को दबाते हुए कहा – हाए राम…अंकुश बाबू, आप तो बड़े चालू निकले, अपनी चिकनी चुपड़ी बातों में मुझे फँसा ही लिया…!

अपनी माँ समान बड़े भाई की सास को पटाते हुए शर्म भी नही आ रही तुम्हें…हां !

क्या बात है आंटीजी, सारा दोष मेरे सिर मढ़ दिया आपने.., फिर उनके चिकने सपाट पेट को सहलाते हुए बोला –

वैसे सच कहूँ तो आप हो ही इतनी मासूम, कुँवारी लड़कियों के जैसा आपका कसा हुआ बदन किसी को भी आकर्षित कर सकता है.., आपके साथ काम करने वाले मर्द कैसे रोक पाते होंगे अपने आपको…?

वो मेरी जाँघ सहलाते हुए बोली – इतनी भी सुंदर नही हूँ मे, अब इस उमर में कों फँसाएगा मुझ बूढ़ी औरत को…,

वो आगे बोली - वैसे वहाँ मे बस अपने काम से काम रखती हूँ, कभी-कभार कोई मनचला कुछ कॉमेंट्स पास करता भी है तो उसे एक कान से सुनकर दूसरे से निकाल देती हूँ..,

मेने उनकी कमर में हाथ डाला और खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया, फिर उनकी चुचियों को धीरे से सहलाते हुए कहा – तो फिर मेरी बात को दूसरे कान से क्यों नही निकाला आपने…?

चुचियों पर हाथ लगते ही वो सिसक पड़ी, और अपनी मादक आवाज़ में बोली – सुबह की वो घटना सारे दिन मेरे दिमाग़ में घूमती रही, काम करने में मन ही नही लगा…,

एक मन कहता कि जो भी हुआ वो ग़लत है, दूसरे ही पल तुम्हारा वो याद आते ही सब कुछ भूल जाती, इसी उधेड़बुन के चलते मे जल्दी काम छोड़कर घर चली आई…!

आंटी की चुचि सहलाते हुए ही मेने पुछा – तो आख़िर में आपके मन ने क्या फ़ैसला किया ?

उन्होने अपनी कसी हुई गदर मखमली गान्ड मेरे लंड पर रगड़े हुए कहा – तुमने मुझे अपनी गोद में बिठा रखा है, हाथ मेरी चुचियों पर चल रहे हैं और मुझसे पुच्छ रहे हो कि मेने क्या फ़ैसला किया…

ये कहकर वो खिल-खिलाकर हँसने लगी, फिर मेरे गाल को चूमकर बोली – वाकाई में बहुत शैतान हो तुम और प्यारे भी..,

मे भी उनकी बात सुनकर मुस्करा उठा और उनकी चुचियों को एक बार ज़ोर्से मसल दिया…,
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RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस - by sexstories - 06-02-2019, 01:48 PM
Nise story - by Ram kumar - 01-07-2020, 11:26 PM

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