RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
वो गुंडा एक मरमान्तक चीख के साथ एक पल के लिए फडफडाया और फिर शांत पड़ गया…
मोहिनी ने अपना खजर उसके सीने से बाहर खींचा और एक धक्का देकर उसे पीछे को धकेल दिया…..!
उधर प्राची श्वेता & कंपनी. को छोड़ने पहले हेमा के घर पहुँची, उसे ड्रॉप करके श्वेता को उसके घर छोड़ा, इसी में उसे काफ़ी वक़्त लग गया…,
उसके बंगले से निकलते ही उसने अपने पति को फोन लगाया, किस्मेत से लाइन मिल गयी.., उसको अपनी पोज़िशन बता कर वो रोड पर आकर खड़ी हो गयी…
10 मिनिट में ही कृष्णा ने उसे वहाँ से पिक किया और उसके बताए लोकेशन पर गाड़ी आँधी तूफान की तरह फार्म हाउस की तरफ दौड़ा दी…
अभी वो फार्म हाउस से कुछ ही दूरी पर थे, तभी उन्हें गोली की आवाज़ सुनाई दी, जिसने उन दोनो की धड़कनें बढ़ा दी,
किसी अनिष्ट की आशंका में प्राची के हाथ प्रार्थना करने के अंदाज में जुड़ गये, कृष्णा ने जबड़े कसते हुए गाड़ी की स्पीड और बढ़ा दी…!
उधर खून से सना खंजर हाथ में लिए मोहिनी किसी चन्डी सी नज़र आ रही थी,
ढीले-ढाले कुर्ता और पुरानी सी जीन्स, सिर के बालों को स्वाफी में लपेटे नकली मूँछो में भले ही उसका हुलिया बदल गया हो,
लेकिन उसके अंदर का ममता मयि दिल इतना कठोर भी हो सकता है कि किसी की जान भी ले सके, इसका उसे खुद भी विश्वास नही हो पा रहा था…!
लेकिन अपने बेटे जैसे लाड़ले देवर की जान बचाने के लिए उसने ये कदम भी उठा लिया था.., और वो आनेवाले किसी भी तरह के संकट से दो-दो हाथ करने का फ़ैसला कर चुकी थी.!
वो उसे संभाले हुए फिरसे आगे बढ़ने लगी, लेकिन गोली के धमाके की आवाज़ सुनकर भानु और उसके तीन साथी बुरी तरह चोंक गये…!
वो बेतहासा आवाज़ की दिशा में भागे…!
मोहिनी किसी शेरनी की तरह अंकुश को संभाले गार्डन के अंधेरे हिस्से में बढ़ी चली जा रही थी, कि तभी एक तरफ से भानु की आवाज़ सुनकर वो ठिठक गयी…!
सामने हाथ में गन लिए भानु उन दोनो को निशाने पर लेकर गरजा…कॉन हो तुम, वहीं रुक जाओ वरना गोली मार दूँगा…!
फिर जैसे ही उसकी नज़र पास में पड़े अपने एक साथी की लाश पर पड़ी, ये देख कर उसका भेजा घूम गया, उसके सोचने समझने की शक्ति जबाब दे गयी और आव ना देखा ताव, उसने ट्रिग्गर दवा दिया…!
मोहिनी फ़ौरन पलट गयी और उसने अंकुश के आगे आकर अपने बदन से छुपा कर खुद उसकी ढाल बन गयी…!
भानु की गन से निकली गोली सीधी मोहिनी की पीठ में समा गयी, उसे अपनी पीठ में गरम लावा सा धस्ता महसूस हुआ…!
उनके मुँह से एक मरमान्तक चीख उबल पड़ी….लल्लाआअ…..आहह… दर्द से उसकी पीठ अंदर चली गयी, सिर आसमान की तरफ उठ गया…और वो अंकुश की बाहों में झूल गयी…!
एक ग्रामीण से दिखने वाले युवक के मुँह से औरत की आवाज़ सुनकर भानु और उसके साथी बुरी तरह से चोंक पड़े,
उधर अंकुश के कानों में जब अपनी भाभी की चीख पड़ी, और लल्लाआ… शब्द सुनाई दिया तो उसकी चेतना वापस लौटने लगी, उसने अपनी शक्ति समेटकर मोहिनी भाभी के शरीर को अपनी बाहों में संभाल लिया…!
भानु और उसके साथी अभी मामले को समझने की कोशिश कर ही रहे थे, इससे पहले कि वो उनपर और हमला कर पाते, तभी आँधी तूफान की तरह एसएसपी की गाड़ी एक झटके के साथ वहाँ आकर रुकी…!
गाड़ी ठीक से खड़ी भी नही हो पाई थी क़ि उस’से पहले ही प्राची झपट कर बाहर आई और आनन-फानन में उसने अपनी गन का मुँह उन गुण्डों पर खोल दिया, पलक झपकते ही भानु के दो गुंडे शहीद हो गये…!
इतने में भानु को मौका मिल गया और अंधेरे का फ़ायदा उठाकर वो और उसका एक साथी पीछे की दीवार फांदकर भाग निकलने में कामयाब हो गये……!
कृष्णा उनका पीछा करने वाले थे कि प्राची ने रोक दिया, दोनो ने मिलकर फ़ौरन भाभी और अंकुश को गाड़ी में डाला, और उसे हॉस्पिटल की तरफ दौड़ा दिया….!
समय रहते मेडिकल हेल्प मिलने से मोहिनी भाभी की गोली निकाल दी गयी, अब वो ख़तरे से बाहर थी…!
वाकी के परिवार के लोग भी खबर सुनकर हॉस्पिटल में आ चुके थे, फिलहाल प्राची के अलावा, वाकी किसी को ये नही बताया कि अंकुश को चार दिन तक स्क्शुअल्ली टारचर किया गया था…!
फार्म हाउस से हॉस्पिटल के रास्ते में ही अंकुश ने प्राची को इशारा कर दिया था, कि वो किसी के सामने श्वेता का नाम ना ले…!
पोलीस की जगह जगह तलाशी के बाद भी भानु का कहीं पता नही चला, भाभी के होश में आते ही, प्राची ने उनको भी इशारों इशारों में समझा दिया…!
पोलीस समेत वाकी सबको यही बताया गया, कि उसे भानु ने रंजिश के चलते उसे किडनॅप किया था, और चार दिन से उसे ड्रग्स दे-देकर टॉर्क्चर कर रहा था…!
इससे पहले कि वो उसे तडपा-तडपा कर मारता, भाभी और प्राची ने उसे ढूँढ निकाला, और समय रहते मोहिनी भाभी ने अपनी जान पर खेलकर उसे बचा लिया…!
डॉक्टर. वीना के हॉस्पिटल में दोनो को एक स्पेशल रूम में रखा गया था, अंकुश को पूरे 48 घंटों तक नींद में ही रखा था, जिससे उसके अंदर के ड्रग्स का असर पूरी तरह ख़तम हो जाए…!
साथ ही साथ उसके बदन में जो कमज़ोरी थी, वो ग्लूकोस की बॉटल और खून के ज़रिए पूरी की जा रही थी…!
निशा और प्राची पूरे समय उन दोनो के पास ही रही, भाभी को होश तो आ चुका था, लेकिन उनका जख्म ताज़ा और गहरा होने की वजह से उन्हें भी बेहोश ही रखा था…!
आज तीन दिन के बाद, दोनो को एक साथ ही होश में लाया गया था, अब मे पूरी तरह अपने आप को तरो ताज़ा महसूस कर रहा था, मेरे होश में आते ही निशा ने मुझे सहारा देकर बिठाया…!
उसकी आँखों में पानी देख कर मेरी भी आँखें नम हो गयी…!
फिर मेने प्यार से उसके गाल पर हाथ फिराया, उसके चेहरे को अपनी तरफ झुकाकर उसका माथा चूम कर बोला – अब मे ठीक हूँ, इन दो शेरनियों ने मेरी मौत को भी मात दे दी…
प्राची भी मेरे पास आ गयी, तो मेने उसके माथे को भी चूमकर उसे थॅंक्स कहा तो वो बोली – थॅंक्स किसलिए भैया, ये तो मेरी तरफ से गुरु दक्षिणा थी,
ये सब तो आप ही की देन है, वरना मे किस लायक थी, ये कहते कहते उसकी आवाज़ भर्रा गयी, मेने उसका हाथ अपने हाथ में लेकर सहलाया, और प्यार से डाँटते हुए कहा-
बस इसके आगे अब और नही…, वरना गुरुजी नाराज़ हो जाएँगे, मेरी इस बात से उन दोनो के चेहरे पर मुस्कान आ गयी, जिसे मे देखना चाहता था…
फिर मेने निशा को गेट बंद करने का इशारा किया, और खुद अपने बेड से उतर कर भाभी के पास जाकर बैठ गया, जो अभी भी आँखें बंद किए सो रही थी…
मेने भाभी का हाथ अपने हाथ में ले लिया और उनके माथे पर चुंबन लेकर उनके सिर के बालों को सहलाया…!
मेरे हाथ का स्पर्श पाकर उन्होने अपनी आँखें खोल दी, मेरे चेहरे पर नज़र पड़ते ही उनके सूखे होठों पर मुस्कान आ गयी, और कमजोर आवाज़ में पुछा –
अब कैसे हो लल्ला…? मेने एक बार फिर उनके माथे पर चूमकर कहा – आपके होते हुए आपके लाड़ले को भला कुछ हो सकता है,
ये सुनकर उनकी आँखें नम हो गयी, पलकों की कोरों से पानी की दो बूँद बिस्तर पर टपक पड़ी…!
फिर उन्होने धीरे से कहा – अपनी भाभी के सूखे होठों को तर नही करोगे लल्ला…?
मेने उनके कान के पास अपना मुँह ले जाकर कहा – यहाँ प्राची भी है भाभी..!
भाभी – मुझे पता है, वो मेरी सबसे छोटी बेहन है, जो हम सबकी गुरु है, उससे शरमाने की ज़रूरत नही है…!
मे – फिर भी उसे तो ये सब पता नही होगा ना कि हमारा संबंध कैसा है..?
भाभी – अच्छा रूको, फिर उन्होने प्राची को पुकारा, वो झट से उनके पास आकर दूसरे तरफ बैठ गयी…
मेने लल्ला जी को अपने सूखे होठ तर करने को कहा, तो ये कहते हैं कि प्राची से पुछो, तुम्हें कोई एतराज तो नही…?
प्राची भाभी की बात सुनकर एकदम गड़बड़ा गयी, फिर कुछ सोच कर बोली – तो मे पिला देती आपको पानी, उन्हें क्यों परेशान करती हैं…!
भाभी मुस्कुरा कर बोली – अरे बाबली, पानी से भी कहीं होठ तर होते हैं..? अपने लल्ला के पास एक स्पेशल रसायन है, जिससे बहुत अच्छे से तर कर देते हैं ये, कभी तुम भी कराकर देखना…!
चलो लल्ला, अब झिझक छोड़ो, ये हमारे देवर भाभी के बीच की बात है, इसमें बेचारी छुटकी को क्यों घसीटते हो…
हमारी बातों से जहाँ प्राची अंजानों की तरह देख रही थी, वहीं निशा मंद-मंद मुस्कुराए जा रही थी…!
फिर मेने जैसे ही झुक कर भाभी के लवो को चूमा, प्राची फटी-फटी आँखों से हमें देखने लगी, जब उसने पलट कर निशा की तरफ देखा तो उसे मुस्कुराते हुए पाकर वो और ज़्यादा हैरान रह गयी…!
एक बार थोड़ा चूमकर मे सीधे बैठ गया, तो भाभी अपने होठों पर जीभ फिरा कर बोली – लल्ला जी कुछ मज़ा नही आया, थोड़ा अच्छे से करो ना…!
मेने मुस्कराते हुए भाभी को फिर से किस किया, और इस बार जो किस हुआ, वो लगभग इश्क फिल्म का जूही और आमिर के किस से मिलता जुलता सा था, हम दोनो की साँसें फूल गयी,
जब एक दूसरे से अलग हुए तो लंबी-लंबी साँसें भर रहे थे, प्राची के तो होश ही उड़े हुए थे, वो इस सोच में थी कि आख़िर ये देवर भाभी का किस तरह का रिश्ता है…!
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