Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
06-02-2019, 01:55 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
भाभी के साथ हुई छेड़-छाड़ की वजह से मेरा लंड पाजामा में बुरी तरह से फुसकार रहा था…!

घर से निकलते हुए मेने जैसे तैसे अपने खड़े लंड को त्राउजर में अड्जस्ट किया वरना वो खूँटे की तरह तना हुआ सामने से दिखाई दे रहा था…,

मानो अंबेडकर की प्रतिमा हाथ आगे करके रास्ता बता रही हो….!

चाची के दरवाजे को मेने हल्का सा पुश किया तो वो खुलता चला गया,

इस टाइम वंश और चाचा तो स्कूल में ही होने चाहिए, आँगन में जाकर मे अभी चाची को आवाज़ देने ही वाला था, कि तभी वो अपने सोने के कमरे से बाहर आती हुई दिखी…!

शायद नहाने की तैयारी थी, सो मात्र एक कसे हुए ब्लाउस और पेटिकोट में चाची का कामुकता से भरपूर बदन इन दो कपड़ों में देखकर मेरे पहले से तने हुए लंड ने और ज़्यादा बग़ावत करदी,

जहाँ मेने उसे जबदस्ती ठूंस-थान्स कर अड्जस्ट किया था, वो वहाँ से निकल्कर खूँटे की तरह फिर तन्कर सतर हो गया, मानो इशारा कर रहो हो कि वो रही चूत…!

कमरे से बाहर आती चाची की नज़र जैसे ही मेरे उपर पड़ी, वो एकदम खुश हो गयी, और चहकते हुए बोली – ओहूओ… अंश के बापू आज इधर का रास्ता कैसे भूल गये..?

चाची का पेटिकोट और ब्लाउस दोनो ही कुछ ज़्यादा पुराने से लग रहे थे, सो एक तो वो छोटे पड़ गये थे, दूसरे उनका कपड़ा इतना हल्का हो गया था, कि उनमें से चाची का कसा हुआ गेंहूआ रंग सॉफ झलक रहा था…

काले काले निपल को ब्लाउस का कपड़ा छुपाने में असमर्थ था, फिर जैसे ही मेरी नीचे नज़र पड़ी, पेटिकोट के नाडे के बाधने की जगह पर वो कुछ ज़्यादा ही फटा हुआ था,

सोने पे सुहागा, वो फटा हुआ हिस्सा ठीक चूत के सामने था, जिसमें से उनकी झांतों के बाल अपने मुँह चमका रहे थे…!

मेने पास जाकर उस फटे हुए झरोखे में अपना हाथ डालकर चाची की झांतों को पकड़ कर हल्के से खींचते हुए कहा – मे कुछ दिन रास्ता क्या भूल गया, आपने तो पूरा जंगल ही खड़ा कर लिया यहाँ…!

आअहह…ज़ोर्से मत खीँचो लल्ला…ससिईइ…हाए…किसके लिए सॉफ करूँ…? मादक सिसकी लेकर बोली चाची…तुम तो आते ही नही अब…

मेने अपने उस हाथ की एक उंगली चाची की चूत के अंदर करदी, दूसरे हाथ से चाची की ब्लाउस के महीन कपड़े से चमकती निपल की एक घुंडी को पकड़ कर मरोड़ दिया…

सस्सिईईईईईईई…..आआहह….खड़े खड़े ही पानी निकाल दोगे तुम तो मेरा, बिस्तर तक तो चलो… यहाँ कोई देख लेगा…!

मेने चाची को पलटा दिया, उनकी गाड़ की शेप कसे हुए पेटिकोट से मस्त दिखाई दे रही थी, गान्ड के दोनो पाटों ने बीच की दरार को कस्के दबा रखा था…,

तरबूज जैसी गान्ड के दोनो पाटों को ज़ोर्से मसल्ते हुए मेने अपने दोनो हाथ उनकी बगलों से निकाल कर उनकी मस्त गदर चुचियों पर कस दिए और अपने सोटे का उभार चाची की गान्ड की दरार में दबाकर चिपकते हुए कहा….!

बस चुदाई तक का ही वास्ता रखती हो चाची, ये भी नही पूछा कि लल्ला क्या लोगे.., कुकच्छ खाओगे पीओगे…?

आअहह… बोलो ना मेरे रजाअ.. क्या लोगे, चाय या दूध.. ज़रा छोड़ो तो सही तभी तो बनाउन्गी…

मे – क्या…?

वो – चाय..!

मे – आज तो मे कुछ और ही पीने आया हूँ मेरी जान,

वो – हाईए…और क्या पीओगे रजाअ…!

मे – बताता हूँ, ये कहकर मेने उन्हें अपनी तरफ घुमाया, और नीचे बैठकर मेने उनके फटे हुए लहंगे को और ज़्यादा फाड़कर एक झरोखा बना दिया….!

हाए लल्लाआअ… ये क्या किया तुमने, मेरा लहंगा फाड़ दिया…

मे – मुझे जो पीना है, वो चासनी तो यहीं है ना, ये कहकर मेने अपना मुँह चाची की मोटी मोटी केले के तने जैसी चिकनी जाँघो के बीच फँसा दिया…!

चाची की चूत का रस टपक कर झान्टो के बालों पर एक दो बूँद जमा हो गया था, उनकी जांघों को चूत के पास चाट कर मेने अपनी जीभ उनकी चूत में घुसेड दी…

आअहह…भरते हुए चाची की टाँगें चौड़ी हो गयी, मे उनकी चासनी को चपर-चपर कुत्ते की तरह चाटने लगा…!

चाची ने अपनी एक जाँघ मेरे कंधे पर रख ली, और अपनी गान्ड मटका-मटका कर मस्ती में आँखें बंद करके अपनी चूत चटवाने लगी…

सस्स्सिईईई…आअहह….उउउफफफ्फ़…लल्ला…और घुसाओ अंदर.. हाए…रे मारीइ….माआअ…. उंगली डालूओ….दो एक संग…हहाअ… और अंदर कारूव…उउफ़फ्फ़…गायईयीई…

उूउउऊऊहह….उउफ़फ्फ़…करते हुए चाची मेरा सिर अपनी चूत के मुँह पर ज़ोर्से दबाकर झड़ने लगी,

मेने अपनी जीभ से चाट कर उनके अमृत कलश से निकली हुई एक-एक बूँद को अपने पेट में पहुँचा दिया.. और चटकारे लेकर चाची से बोला –

बहुत मीठी हो चाची, मज़ा आ गया, उन्होने झपट कर मेरे कंधे पकड़ कर मुझे खड़ा किया और मेरे होठों पर टूट पड़ी…!

बहुत जालिम हो लल्ला.. चाची नशीली अदा से मेरे गले में बाहें डालकर बोली – औरत को अपनी उंगलियों पर नचाना अच्छे से आता है तुम्हें…!

मेने उनके ब्लाउस के बटन खोलते हुए कहा – आपको अच्छा नही लगता मेरा ये सब करना…?

मेरे ट्राउज़र में हाथ डालकर लंड को अपनी मुट्ठी में लेने की कोशिश करती चाची बोली – अच्छा नही लगता होता तो टाँगें क्यों खोलती…!

अब तो चलो भीतर, यहाँ उपर से किसी ने देख लिया तो ग़ज़ब हो जाएगा…!

मे - उपर तो हमारा ही घर है ना चाची, फिर कोन देखेगा…?

चाची - निशा या मोहिनी बहू ने देख लिया तो…? मान जाओ लल्ला अच्छा नही लगता… चलो अंदर चलते हैं…

मेने चाची को अपनी गोद में उठा लिया और उनके कमरे में लेकर जाने लगा…

चाची – हाए लल्ला, बहुत भारी हूँ, उतार दो मुझे…!

मेने गान्ड में उंगली करते हुए कहा – मुझे तो भारी नही लग रही हो…!

वो – तुम जवान मर्द हो इसलिए, तुम्हारे चाचा तो मेरी टाँग भी नही उठा पाते..

मेने चाची को बेड पर पटका, और वाकी के कपड़े नोच डाले, फिर अपना पाजामा नीचे करके अपना खूँटा उनके मुँह के सामने लहरा दिया…!

मेरे सोट जैसे लंड को अपनी आँखों के सामने झूमते हुए देख कर चाची की आँखों में चमक उभर आई, और उसे चूमते हुए बोली –

ये पहले से कुछ और ज़्यादा तगड़ा हो गया है लल्ला…!

मे - हां चाची अब ज़रा इसकी सर्विस तो करो, उन्होने उसे अपने मुँह में भरने की कोशिश की, मुश्किल से चौथाई लंड मुँह में लेकर वो उसे चचोरने गली…!

दो मिनट के बाद मेने उसे बाहर खींच लिया, और चाची की मोटी मोटी चुचियों के उपर चटकाया, लंड से उनके कड़क हो चुके निप्प्लो को रगड़ा…

फिर उनकी खाई के बीच फंसकर उन्हें अपनी चुचियों को उसके इर्द-गिर्द दबाने को बोला और टिट फक्किंग करने लगा…!

मक्खन जैसी मुलायम चुचियों के बीच सटा-सॅट चलता लंड जब उपर जाता तो उसका सुपाडा उनके होठों तक पहुँच जाता जिसे चाची अपने मुँह में ले लेती…

टिट फक्किंग करने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था… लेकिन चाची की चूत को पानी पिलाना भी ज़रूरी था, वो इस समय पटल तोड़ बोर की तरह लगातार बहे जा रही थी…

मेने चाची की गान्ड के नीचे दो तकिये लगाए, और उनकी मांसल जांघों को चूमकर उपर किया, अब उनकी रस परी ठीक मेरे मूसल के सामने थी, सो एक दो बार उसके रस से उसको चिकनाया और सॅट्ट से एक धक्का मार दिया…

शर्सरा कर आधे से ज़्यादा वो उनकी रसीली चूत में समा गया, चाची के मुँह से एक मादक कराह निकल गयी….आआहह….रजाअ… बहुत मोटा है… आरामम.. ससीए…डाल्लूओ….

चाची की चुचियों को मसल्ते हुए मेने बचे हुए को भी अंदर कर दिया, और हल्के हल्के धक्के देने लगा…

चाची मेरे सोट को ज़्यादा देर तक नही झेल सकी, थोड़ी ही देर में उनकी चूत ने अपना नल खोल दिया…!

फिर मेने उन्हें घोड़ी बनाया और पीछे से लंड डालकर चोदने लगा…!

मोटा खूँटे जैसा लंड लेते ही चाची नील गाय की तरह रम्भाने देने लगी.., अपना सिर उपर करके पीछे मुड़ते हुए कराह कर बोली –

कितने निर्दयी हो लल्लाअ…, कम से कम अपनी माँ जैसी चाची की चूत का तो ख्याल करो.., एक दम से डाल देते हो..,,,हाईए रामम.. कितना मोटा हो गया है निगोडा..

मेने चाची की पीठ सहलाते हुए अपने होठ उनके लज़ीज़ होठों से सटा दिए…!

वो अपना दर्द भूल कर गान्ड उचकाते हुए चुदाई का मज़ा लूटने लगी…!

चाची की जमकर चुदाई करके, उन्हें पूरी तरह से तृप्त कर दिया, उनके लहंगे से अपना लंड पोंच्छ कर कपड़े पहने और एक किस उनके मोटे-मोटे माल पुआ जैसे गालों पर देकर अपने घर की तरफ चल दिया…..!

घर में कदम रखते ही निशा से सामना हो गया, वो देखते ही मेरे उपर राशन पानी लेकर चढ़ दौड़ी…

किसी भाटीयारीन की तरह अपना हाथ नाचते हुए अकड़कर बोली- हम दोनो को गरम करके कहाँ खिसक लिए थे जनाब…हां..?

मेने खिसियानी हसी हँसते हुए कहा – हहहे… मे थोड़ा चाची के घर तक गया था, बहुत दिनो से मिल नही पाया था ना इसलिए…! तुम बताओ, खाना बना कि नही..?

निशा अपनी कमर पर दोनो हाथ रख कर बोली – खाना…कैसा खाना ? हम दोनो इतनी गरम हो गयी, कि एक दूसरे को शांत करने में लग गयी… अभी दीदी नहाने गयी हैं उसके बाद मे जाउन्गी, तब कहीं बनेगा…!

लंच लेट होने के कारण दोपहर का थ्रीसम का प्रोग्राम पोस्टपोन करना पड़ा, भाभी ने रात को हमारे कमरे में आने का वादा कर दिया…

खाने के बाद मे दो घंटे की नींद लेकर शाम के समय खेतों की तरफ निकल गया. ट्यूबिवेल पर मुझे कोई नही मिला, तो बगीचे में टहलता हुआ बड़ी चाची की तरफ निकल गया…!

उन्होने अपने खेतों पर एक कच्ची ईंटों का एक घर बना लिया था, जिसमें काफ़ी जगह थी जिससे एमर्जेन्सी में अनाज वग़ैरह भी रखा जा सके मौसम बिगड़ने पर…

मे जैसे ही झोंपड़ी जैसे मकान के नज़दीक पहुँचा, अंदर से मुझे आहें कराहें, सिसकियों की आवाज़ें सुनाई दी…
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RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस - by sexstories - 06-02-2019, 01:55 PM
Nise story - by Ram kumar - 01-07-2020, 11:26 PM

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