Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
06-02-2019, 02:01 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
आश्चर्य के साथ बहुत देर तक मे उसे देखता ही रहा., वो अपने होठों को आपस में कसकर दबाते हुए मेरे पास बैठ गयी..ऐसा लगा मानो वो किसी दर्द को पीने की कोशिश कर रही हो…!

मेने उसका हाथ पकड़कर कहा – कहाँ चली गयी थी तू..? पता है मे कितना परेशान हो गया था तुझे यहाँ ना पाकर…!

चकोर – अरे परेशान होने की कोई बात नही है.., ये बता तुझे कोई काम धंधा मिला…?

संजू घोर निराशा में डूबे स्वर में बोला – नही कुछ नही मिला.., कोई हरामजादा सीधे मूह बात तक करने को तैयार नही है काम तो क्या देगा..!

चकोर – मे जानती हूँ यहाँ ऐसा ही होता है.., बिना जान पहचान यहाँ किसी को मज़दूरी भी नही करने देता कोई.., चल छोड़.. ले मे तेरे लिए खाना लाई हूँ, फिर उसने बॅग से खाने का एक पॅकेट निकाला…!

ये तुझे किसने दिया..? मेने उसे सवाल किया तो उसने मेरी बात को टालते हुए कहा – सब बता दूँगी पहले तू खाना खा.., मुझे भी भूख लगी है…!

अब चार दिन का भूखा आदमी और उसके सामने बिरयानी रख दी जाए तो वो बिना कुछ सोचे समझे उसपर टूट ही पड़ेगा, यही हाल मेरा हुआ…!

हालाँकि चकोर भी खाने में मेरा साथ दे रही थी.., लेकिन मे तो खाने पर भूखे कुत्ते की तरह टूट पड़ा था.., मुझे यौं खाते देख उसके खुश्क होठों पर एक फीकी सी मुस्कान आ गयी…!

खा-पीकर मेने उसे फिर वही सवाल किया तो बदले में उसने बॅग से एक जोड़ी कपड़े निकाल कर मेरे हाथ में पकड़ा दिए और मुस्कुरा कर बोली – पहले कहीं नहा धोकर ये कपड़े बदल ले, फिर कहीं अच्छी जगह बैठकर बातें करेंगे…!

मेने बिना कोई सवाल किए उससे कपड़े लिए और पास में ही एक सार्वजनिक शौचालय में जाकर अपने शरीर का मैल धोया, वो कपड़े पहने जो मेरे लगभग फिट ही आए..,

उसके बाद में जब चकोर के पास पहुँचा तो उसके पास एक मोटी सी थोड़ी साँवले रंग की एक महिला खड़ी मिली.., जिसके दाँत हमेशा पान खाते रहने से लाल-पीले हो रहे थे…!

मुझे देखते ही चकोर बोली – भैया ये शन्नो ताई हैं, इन्होने ही मुझे एक जगह काम दिला दिया है.., उसी के अड्वान्स से ये सब लिया है..,

फिर मेरा हाथ पकड़ कर बोली – यही नही पास ही में एक खोली भी किराए पर दिला दी है, जिसमें हम दोनो आराम से रह सकते हैं.., चल आजा…!

मे निठल्ला जवान आदमी, शर्म के मारे उस बेचारी से ये भी नही पुछ सका कि आख़िर इतनी जल्दी उसे क्या काम मिल गया और वो भी अड्वान्स के साथ..?

खैर रहने को छत पाकर, खाना खाकर में कुछ समय के लिए सब कुछ भूल गया.., कई दिनो बाद भरपेट खाना मिलने से बहुत गहरी नींद आई उस रात...!

दूसरे दिन मे फिर अपने लिए काम ढूँढ ने निकल पड़ा लेकिन सारे दिन भटकने के बाद नतीजा वही धक के तीन पात, शाम को चकोर फिर खाने का पॅकेट लेकर आई..

जिसे खापीकर हारा थका मे फिर गहरी नींद में सो गया…! इसी तरह दिन निकलते रहे मे भटकता रहा, चकोर खाने पीने का इंतज़ाम करती रही…!

मेरे दिमाग़ में ये कभी-कभी ये सोचकर बड़ी कोफ़्त होती जा रही थी कि देखो मे मुस्टंडा सा खाली बैठा हूँ, मेरी बेहन कमाने जाती है..,

एक दो बार मेने शन्नो ताई को भी बोला कि वो मेरे लिए भी कोई काम धंधा बताए.., लेकिन वो टाल-म-टोल करती रही, तरह तरह के बहाने बनाती रही…!

मे अब अपने आप को दुनिया का सबसे निठल्ला और मजबूर इंसान समझने लगा.., जिस भाई को अपनी छोटी बेहन के हाथ पीले करने की चिंता होनी चाहिए वही भाई अपनी बेहन के रहमो-करम पे जिंदा था..,

उसकी कमाई खा रहा था.., जो ना जाने कैसे-कैसे करके क्या क्या करके चार पैसे कमाती थी.., इसी कोफ़्त में आकर मेरी ठलुआ का नतीजा ये हुआ कि मे अपने जैसे ही दूसरे फालतू लोगों के साथ उठने बैठने लगा..,

नशे पत्ते करने लगा…!

नशे की लत ने मुझे अब ये भी सोचने से रोक दिया कि मुझे कुछ करना चाहिए.., दिन, महीने, साल इसी तरह गुजर गये.., एक दिन छकोर बीमार पड़ गयी..,

एक खैराती हॉस्पिटल में शन्नो ने ही उसे भरती करा दिया, काफ़ी इलाज हुआ लेकिन वो ठीक नही हुई.., एक दिन मेरे अंदर के भाई ने डॉक्टर से पुछ ही लिया कि आख़िर मेरी बेहन को बीमारी क्या है…!

डॉक्टर का जबाब सुनकर तो जैसे मेरे अंदर की इंसानियत भी जैसे मर गयी.., अपने नकारापन से मेने अपनी प्यारी बेहन को नरक की आग में झोंक दिया था…!

उसे एचआइबी का घातक रोग लग गया था.., यहाँ आकर जो पहला नीवाला मेने खाया था वो उसने अपना शरीर बेचकर मुझे दिया था…!

लेकिन नशे की लत ने मुझे इतना बेगैरत कर डाला था, मे कुछ करने लायक नही था सो उसी खैराती हॉस्पिटल में उसे मरने को छोड़ दिया…!

लेकिन उस दिन के बाद मेरी अंतरआत्मा ने मुझे चैन से जीने नही दिया, लाख सिर पटकने पर में चार पैसे जुटाने में नाकाम रहा.., मेरी नाकामियों का ख़ामियाजा मेरी बेहन उठा रही थी..,

चार पैसे जुटाने की धुन में मेने एक जगह चोरी करने की कोशिश की लेकिन हाए रे मेरी फूटी किस्मेत, पहली बार में ही धर लिया गया…!

6 महीने की सज़ा हुई, जिसे काट कर जब बाहर आया तो मेरी बेहन, मेरी

प्यारी बेहन मुझे छोड़कर जा चुकी थी.., जिसकी मौत का मे खुद ज़िम्मेदार था..,
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RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस - by sexstories - 06-02-2019, 02:01 PM
Nise story - by Ram kumar - 01-07-2020, 11:26 PM

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