RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
ये बात दो मिनट में ही सच साबित हो गयी.., उनके देखते ही देखते गाड़ी लोगों से फुल हो गयी.., सीटो की तो बात ही छोड़ो, लोग सीटो के बीच की खाली जगह में भी आकर खड़े होने लगे…!
मॅजिक लोगों से खचाखच भर गया, यहाँ तक कि एक पैर रखने की जगह नही बची, तभी उसमें एक लड़की घुसी.., लोगों ने उसे ज़बरदस्ती से अंदर ठूंस दिया..,
धीरे-धीरे एक-एक पैर जमाती हुई वो युसुफ और संजू जहाँ बैठे थे वहाँ तक पहुँच गयी.., इधर उधर मंडी घुमाने तक की गुंजाइश नही थी…!
चूँकि भीड़ के कारण अंदर अंधेरा सा हो गया था, कुछ भी साफ-साफ दिखाई नही दे रहा था.., वो लड़की झुकी हुई अपने लिए टिकने लायक जगह तलाश कर रही थी कि किसी तरह वो अपने चूतड़ टिका सके…!
तभी उसकी नज़र युसुफ पर पड़ी.., मानो उसे कोई कारुन का खजाना मिल गया हो.., चहकते हुए बोली – अरे भाई जान आप.., गाओं जा रहे हो..?
युसुफ उसकी तरफ गौर से देखने लगा.., वो फिर बोली – अरे पहचाना नही.., मे नन्ही.., आपकी बेहन रेहाना की दोस्त..,
युसुफ ने उसे पहचानते हुए कहा – ओह्ह्ह..तू नन्ही है.., मेरी तो पहचान में ही नही आई.., तू तो काफ़ी बड़ी हो गयी है.., गाओं जा रही है..?
नन्ही – हन भाई जान.., पर इस गाड़ी में लगता है पैर रखने की भी जगह नही बची.., फिर वो संजू की तरफ इशारा करके बोली – ये भाई भी आपके साथ हैं क्या..?
युसुफ ने जैसे ही हां में गर्दन हिलाई.., वो फ़ौरन बोल पड़ी – तो फिर दोनो मिलकर मेरे लिए थोड़ी जगह बनाओ ना.., झुके-झुके गाओं तक कमर ही दुखने लगेगी..मेरी…!
युसुफ ने संजू की तरफ देखा.., दोनो ने एक नाकाम कोशिश की दोनो के बीच जगह बनाने की लेकिन एक इंच जगह भी नही कर पाए…!
बहुत मुश्किल है नन्ही.., बोल अब कैसे करें..? युसुफ अपनी असमर्थता जताते हुए बोला…,
नन्ही – कोई बात नही.., कुछ देर की ही तो बात है.., जैसे बचपन में आप मुझे गोद में बिठा लेते थे, वैसे ही अब बैठ जाउन्गि..,
इतना कहकर उसने उसकी रज़ामंदी का भी इंतेजार नही किया और झट से अपनी गुद-गुदि 34-35” चौड़ी गान्ड रखकर उसकी गोद में बैठ गयी…!
उसके बैठते ही युसुफ की हवा सरक गयी.., उसे ये अंदाज़ा भी नही था कि ये लड़की इंटनी बिंदास निकलेगी कि भरी गाड़ी में उसकी गोद में ही आकर बैठ जाएगी..,
लेकिन नन्ही की भी अपनी मजबूरी थी.., एक घंटा से भी ज़्यादा का रास्ता वो यौं झुके-झुके नही काट सकती थी, उपर से सही से पैर जमाने की गुन्जायश भी नही थी…!
युसुफ की टाँगों को उसका वजन झेलना मुश्किल पड़ रहा था.., उसकी हालत का मज़ा लेते हुए संजू मन ही मन मुस्करा रहा था.., आख़िर में युसुफ को बोलना ही पड़ा…!
नन्ही तू तो बहुत भारी हो गयी है.., मेरी तो टाँगें अभी से दुखने लगी…!
नन्ही उसे उलाहना सा देते हुए बोली – भाई जान.. कैसे मर्द हो.., एक लड़की का वजन भी नही झेल सकते.., चलो फिर मे एक काम करती हूँ, अपना आधा वजन इस भाई पर रख लूँ..?
युसुफ – हां ये ठीक रहेगा.., चल तू अपने पैर संजू की तरफ करले.., और आधा वजन मेरी जांघों पर आजाएगा, आधा संजू की…!
संजू उनके बीच पाक रही खिचड़ी से कतई सहमत नज़र नही आया.., लेकिन कहता भी क्या.., उसके दोस्त के गाओं की लड़की के सामने वो मना भी नही कर पाया..,
जैसे तय हुआ अब नन्ही वैसे ही अपनी जांघों का आधा भार संजू की टाँगों पर रख कर एक तरह से उन दोनो की गोद में अढ़लेटी सी हो गयी…!
उसकी मुलायम रूई जैसी गद्दार गान्ड की गर्मी से युसुफ का लॉडा उसके पॅंट में अकड़ने लगा.., जिसका उभार नन्ही को अपने एक कूल्हे पर हो रहा था…!
उसने युसुफ की तरफ देखा.., दोनो की नज़र मिलते ही दोनो मुस्करा उठे.., नन्ही ने लाज्बस अपनी नज़र झुका ली..,
दूसरी तरफ उसकी एक जाँघ संजू के लौडे से सटी हुई थी.., नतीजा जाँघ के मांसल दबाब से उसका लॉडा भी करवट बदलने लगा..,
गान्ड और जाँघ पर अलग अलग दो लंड की चुभन के एहसास ने नन्ही की साँसों को गरमा दिया.., गाड़ी चलते ही हिचकॉलों ने और आग में घी डालने का काम कर दिया…!
अब युसुफ के हाथ भी हरकत करने लगे.., उसने अपना एक हाथ उसके चिकने पेट पर फिराना शुरू कर दिया.., नन्ही बिना नज़र मिलाए आनंद लूट रही थी..,
फिर जैसे ही युसुफ का हाथ उसकी मांसल हल्की सी गहरी नाभि पर पहुँचा, उसकी उंगलियाँ नाभि के आस-पास के क्षेत्र को सहलाने लगी..,
लेकिन जब उसने अपनी एक उंगली उसके नाभि कुंड में प्रवेश कराई…!
नन्ही की सहन शक्ति जबाब दे गयी.., गुद-गुदि के मारे उसका पेट थिरकने लगा.., हल्के से हँसते हुए उसने अपना हाथ उसके हाथ पर रख कर उसे रोकते हुए कहा –
क्या करते हो भाई जान, गुद गुदि हो रही है मुझे…!
युसुफ ने उसके कान में फुसफुसा कर कहा – तो तू ही बता मे अपना हाथ कहाँ रखूं..?
नन्ही ने एक बार अपनी वासना में लिपटी नज़र उसपर डाली और कहा – और जहाँ भी रखना हो रखो.., लेकिन यहाँ नही…!
उसकी नाभि प्रदेश से अपना हाथ सरका कर युसुफ ने उसकी चोली पर रखते हुए कहा – यहाँ रख लूँ…?
नन्ही का चेहरा शर्म और कामुकता से लाल हो गया.., उसने बस इतना ही कहा – मुझे नही पता…!
ये युसुफ के लिए खुला निमंत्रण था.., सो वो कुछ देर तक अपने हाथ से उसकी मांसल चुचियों को सहलाता रहा…!
इधर संजू ने जब उनकी काम क्रीड़ा देखी.., तो उसने भी पीछे रहना मुनासिब नही समझा.., और आहिस्ता से अपना एक हाथ उसके घाघरे में डाल दिया और उसकी बालों रहित चिकनी पिंडलियों को सहलाने लगा..!
अब नन्ही पर दोहरी मार पड़ रही थी.., मज़े में उसने अपनी आँखें मूंद ली.., और गूंगे के गुड की तरह दोनो के स्पर्श का मज़ा लूटने लगी…!
धीरे धीरे दोनो मर्दों की हरकतें बढ़ती ही जा रही थी.., उपर युसुफ ने उसकी चोली के बटन खोल डाले, उपर से नन्ही ने अपना आँचल डालकर ढक लिया.., और वो दोनो हाथों से उसके गोल-गोल चुचियों को मसल्ने लगा..!
उधर संजू का हाथ अपनी मंज़िल की ओर बढ़ रहा था.., कुछ देर उसकी पिंडलियों को सहलाने के बाद वो उसकी जाँघ तक पहुँच गया..,
नन्ही ने पहले तो अपनी टाँगें खोलकर हाथ को अंदर तक जाने का रास्ता दे दिया.., फिर जैसे ही उसका हाथ उसकी योनि पर पहुँचा..,
नन्ही ने अपनी मांसल जांघों को कस लिया.., साथ ही उसके मूह से दबी दबी सी मादक सिसकी निकल गयी…!
संजू ने दूसरे हाथ का इशारा देकर उसे टाँगें चौड़ी करने को कहा – नन्ही भी अब पूरा मज़ा लेने के मूड में थी.., सो उसने अपनी जांघें फिरसे खोल दी..,
संजू ने मौके का फ़ायदा उठा कर उसकी कच्छी को एक तरफ सरका दिया.., नन्ही की चूत बुरी तरह से गीली हो चुकी थी.., उसी गीलेपन के कारण संजू की एक उंगली उसकी चूत में अंदर तक सरक गयी…!
नन्ही ने बुरी तरह तड़प कर संजू के लंड को हाथ से मसल दिया.., बेचारी दो मर्दों की हरकतों को झेलने में असमर्थ होती जा रही थी…!
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