RE: Vasna Kahani दोस्त के परिवार ने किया बे�...
मेरी हथेली की रगड़ पा कर माँ के निप्पल कड़े हो गए. अचानक वो अपनी पीठ मेरी तरफ़ घूमा कर बोलीं- बेटा मेरा ब्लाऊज़ खोल दो और ठीक से सहलाओ.
मैंने काँपते हुए हाथों से माँ का ब्लाऊज़ खोल दिया और उन्होंने अपने बदन से उसे उतार कर नीचे डाल दिया.
मेरे दोनों हाथों को अपने नंगी चूचियों पर ले जाकर वो बोली- थोड़ा कस कर दबाओ ना! मैं भी काफ़ी उत्तेजित हो गया और, जोश में आकर उनकी रसीली चूची से जम कर खेलने लगा.
क्या बड़ी-बड़ी चूचियाँ थी! कड़ी कड़ी चूचियाँ और लम्बे लम्बे निप्पल्स. पहली बार मैं किसी औरत की चूची को छू रहा था.
माँ को भी मुझसे अपनी चूंची की मालिश करवाने में मज़ा आ रहा था.
मेरा लण्ड अब खड़ा होने लगा था और लुंगी से बाहर निकल आया. मेरा 9 इंच का लण्ड पूरे जोश में आ गया था.
माँ की चूंची मसलते मसलते हुए, मैं उनके बदन के बिल्कुल पास आ गया था और मेरा लण्ड उनकी जाँघों में रगड़ मारने लगा था.
अब उन्होंने कहा- बेटा तुम्हारा लण्ड तो लोहे के समान हो गया है और इसका स्पर्श से लगता है कि काफ़ी लम्बा और मोटा होगा. क्या मैं हाथ लगा कर देखूँ?
उन्होंने पूछा, और मेरे जवाब देने से पहले अपना हाथ मेरे लण्ड पर रख कर उसको टटोलने लगी.
अपनी मुठ्ठी मेरे लण्ड पर कस के बंद कर ली और बोली- बाप रे! ये तो बहुत कड़क है. वो मेरी तरफ़ घूमी और अपना हाथ मेरी लुंगी मे घुसा कर मेरे फ़ड़फ़ड़ाते हुए लण्ड को पकड़ लिया.
लण्ड को कस कर पकड़े हुए वो अपना हाथ लण्ड के जड़ तक ले गई, जिससे सुपाड़ा बाहर आ गया. सुपाड़े की साईज और आकार देख कर वो बहुत हैरान हो गईं.
बेटा कहाँ छुपा रखा था? ऐसा तो मैंने अपनी जिन्दगी में नहीं देखा है! उन्होंने पूछा.
मैंने कहा- यहीं तो था, तुम्हारे सामने लेकिन तुमने ध्यान ही नहीं दिया. यदि आप ट्रेन में गहरी नींद में नहीं होतीं तो शायद आप देख लेतीं क्योंकि ट्रेन में रात को मेरा सुपाड़ा आप की चूत को रगड़ रहा था.
माँ बोली- मुझे क्या पता था कि, तुम्हारा इतना बड़ा लौड़ा होगा! ये मैं सोच भी नहीं सकती थी.
मुझे उनकी बिन्दास बोली पर आश्चर्य! हुआ जब उन्होंने, ‘लौड़ा’ कहा और साथ ही में बड़ा मज़ा अया.
वो मेरे लण्ड को अपने हाथ में लेकर खींच रही थीं और कस कर दबा रही थीं, फिर माँ ने अपना पेटीकोट अपनी कमर के ऊपर उठा लिया और मेरे तने हुए लण्ड को अपनी जाँघों के बीच ले कर रगड़ने लगी.
वो मेरी तरफ़ करवट ले कर लेट गईं ताकि मेरे लण्ड को ठीक तरह से पकड़ सके. उनकी चूची मेरे मुँह के बिल्कुल पास थी और मैं उन्हें कस कस कर दबा रहा था.
अचानक! उन्होंने अपनी एक चूची मेरे मुँह मे ठेलते हुए कहा- चूसो इनको मुँह मे लेकर!
मैंने बाईं चूची अपने मुँह मे भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा. थोड़ी देर के लिए मैंने उनकी चूची को मुँह से निकाला और बोला- मैं तुम्हारा ब्लाऊज़ मे कसी चूची को देखता था और हैरान होता था.
इनको छूने की बहुत इच्छा होती थी और दिल करता था कि इन्हें मुँह मे लेकर चूसूँ और इनका रस पी लूँ. पर डरता था पता नहीं तुम क्या सोचो और कहीं मुझसे नाराज़ ना हो जाओ!
तुम नहीं जानती कि, तुमने मुझे और मेरे लण्ड को कल रात से कितना परेशान किया है?
अच्छा तो आज अपनी तमन्ना पूरी कर लो, जी भर कर दबाओ, चूसो और मज़े लो! मैं तो आज पूरी की पूरी तुम्हारी हूँ जैसा चाहे वैसा ही करो, माँ ने कहा.
फिर क्या था, माँ की हरी झंडी पकड़ मैं टूट पड़ा माँ की चूची पर!
मेरी जीभ उनके कड़े निप्पल को महसूस कर रही थी. मैंने अपनी जीभ माँ के उठे हुए कड़े निप्पल पर घूमाया. मैंने दोनों चूंचियो को कस के पकड़े हुए था और बारी बारी से उन्हें चूस रहा था.
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