RE: Vasna Kahani दोस्त के परिवार ने किया बे�...
हम दोनों की साँसें फूल रही थीं. आखिर मेरा ज्वालामुखी फूट पड़ा और मैं बुआ की पीठ से चिपक कर बुआ की चूत में झड़ गईं. हम दोनों उसी तरह से चिपके हुए पलंग पर लेट गए और थकान की वजह से सो गए.
उस रात मैंने बुआ की चूत कम से कम चार बार और चोदा.
सुबह करीब 10 बजे डॉली (दोस्त की बहन) ने मुझे उठा कर चाय दी और कहा राज भैया फ्रेश हो कर नाहा धो लो और मैं नाश्ता बनाती हूँ.
घर में केवल उसे देख कर कहा- माँ और बुआ जी कहाँ गए? वो बोली वो दोनों कब के खेत चले गए हैं.
यहाँ आवाज होगी, इसलिए माँ रात की नींद खेत में ही पूरी करेंगी और वो लोग शाम से पहले लौटने वाले नहीं हैं.
मैं फ्रेश होकर नाहा धो कर नाश्ता करने लगा. डॉली अपने काम में लग गई. मैं कमरे में आकर किताब पढ़ने लगा. मुझे कहीं बाहर जाना नहीं था इसलिए मैं केवल तौलिया और बनियान में था.
करीब एक घंटे बाद डॉली अपना काम निबटा कर कमरे में बिस्तर ठीक कर आई और मुझसे बोली भैया आप उधर कुर्सी पर बैठ जाओ मुझे बिस्तर ठीक करना है.
मैं उठ कर कुर्सी पर बैठ गया और वो बिस्तर ठीक करने लगी.
चादर पर पड़े मेरे लण्ड और बुआ और बुआ जी की चूत के पानी के धब्बे रात की कहानी सुना रहे थे. डॉली झुक कर निशान वाली जगह को सूंघ रही थी.
मेरी तो ऊपर की साँस ऊपर और नीचे की साँस नीचे रह गई!
थोड़ी देर बाद डॉली उठी गई और मेरी तरफ देखती हुई अदा से मुस्कुरा दी.
फिर इठलाते हुए मेरे पास आई और आँख मार कर बोली- लगता है रात बुआ जी के साथ जम कर खेल खेला है. मैं हिम्मत कर के बोला- क्या मतलब?
वो मुझसे सटती हुई बोली- इतने भोले मत बनो. जानबूझ कर अनजान बन रहे हो.
क्या मैं अच्छी नहीं लगती तुम्हें?
मैंने कुछ नहीं कहा और केवल मुस्कुरा दिया और मैंने गौर से देखा उसको.
मस्त लौंडिया थी! साँवली से रंग, छरहरा बदन! उठी हुई मस्त चूचियाँ!
उसने अपना पल्लू सामने से लेकर कमर में दबाया हुआ था, जिससे उसकी चूची और उभर कर सामने आ गई थी.
वो बात करते करते मुझसे एकदम सट गई, और उसकी तनी तनी चूची मेरी नंगी बाहों से छूने लगी.
यह सब देख कर मेरा लण्ड जोश में फड़फड़ा उठा. मैंने सोचा कि, इसे ज्यादा अच्छा मौका फिर नहीं मिलने वाला. साली खुद ही तो मेरे पास चुदवाने आई हुई है.
मैंने हिम्मत करके उसे कमर से पकड़ लिया और अपने पास खींच कर अपने से चिपका लिया और बोला- चल डॉली थोड़ा सा खेल तेरे साथ भी हो जाए!
वो एकदम से घबरा गई और अपने को छुड़ाने की नाकाम कोशिश करने लगी, पर मैं उसे कस कर पकडे हुए चूमने की कोशिश करने लगा.
वो मुझ से दूर हटने की कोशिश करती जा रही थी पर वो बेबस थी, पर साथ में चिपकी भी जा रही थी.
इसी दौरान मेरा तौलिया खुल गया और मेरा 9′ का फनफनाता हुआ लौड़ा आजाद हो गया.
मैंने कहा- देखो मजे लेने है! तो चलो बिस्तर पर और उसे अपने बाहों में उठा कर बिस्तर पर लेटा कर, अपना लण्ड उसकी गांड में दबाते हुए मैंने अपनी एक टांग उसकी टांग पर चढ़ा दिया और उसे दबोच लिया
दोनों हाथों से चूचियों को पकड़ कर मसलते हुए बोला- नखरे क्यों दिखाती है?
खुदा ने हुस्न दिया है और क्या मार ही डालोगी?
अरे हमे नहीं दोगी तो क्या आचार डालोगी, चल आजा और प्यार से अपनी मस्त जवानी का मजा लेते हैं.
कहते हुए उसके ब्लाउज को खींच कर खोल दिया. फिर एक हाथ को नीचे ले जाकर उसके पेटीकोट के अन्दर घुसा दिया, और उसकी चिकनी चिकनी जाँघों को सहलाने लगा, धीरे धीरे हाथ उसकी चूत पर ले गया.
पर वो तो दोनों जाँघों को कस कर दबाए हुए थी, और साथ में मस्ती से हाय हाय भी कर रही थी.
मैं उसकी चूत को ऊपर से कस कस कर मसलने लगा और उंगली को किसी तरह चूत के अन्दर डाल दिया.
उंगली अन्दर होते ही वो कस कर छटपटाते हुए, और बाहर निकालने के लिए कमर हिलाने लगी. उससे उसकी चूत चुदने जैसी होने लगी. इससे उसका पेटीकोट ऊपर उठ गया.
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