vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान)
06-24-2019, 12:00 PM,
#10
RE: vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान)
रुखसाना ने उसकी तरफ़ पानी का गिलास बढ़ाया तो सुनील ने शुक्रिया कह कर पानी का गिलास लेते हुए पानी पीना शुरू कर दिया। रुखसाना की नज़र फिर से सुनील की चौड़ी छाती पर अटक गयी। पसीने की कुछ बूँदें उसकी छाती से उसके पेट की तरफ़ बह रही थीं जिसे देख कर रुखसाना के होंठ थरथराने लगे। सुनील ने पानी खतम किया और रुखसाना की तरफ़ गिलास बढ़ाते हुए बोला, “थैंक यू भाभी जी... लेकिन आप ने क्यों तकलीफ़ उठायी... मैं खुद ही नीचे आ कर पानी ले लेता!” रुखसाना ने नोटिस क्या कि सुनील उसके काँप रहे होंठों को बड़ी ही हसरत भरी निगाहों से देख रहा था। सुनील उसे निहारते हुए बोला, “भाभी जी कहीं बाहर जा रही हैं क्या...?”

रुखसाना चौंकते हुए बोली, “नहीं तो क्यों!”

“नहीं बस वो आपको इतने अच्छे से तैयार हुआ देख कर मुझे ऐसा लगा... एक बात कहूँ भाभी जी... आप खूबसूरत तो हैं ही और आपके कपड़ों की चॉईस... मतलब आपका ड्रेसिंग सेंस भी बहुत अच्छा है... जैसे कि अब ये सैंडल आपकी खूबसूरती कईं गुना बढ़ा रहे हैं। सुनील से इस तरह अपनी तारीफ़ सुनकर रुखसाना के गाल शर्म से लाल हो गये। फ़रूक से तो कभी उसने अपनी तारीफ़ में दो अल्फ़ाज़ भी नहीं सुने थे। सिर झुका कर शरमाते हुए वो धीरे से बोली, :बस ऐसे ही सजने-संवरने का थोड़ा शौक है मुझे!” फिर वो गिलास लेकर जोर-जोर से धड़कते दिल के साथ नीचे आ गयी।

जब रुखसाना नीचे पहुँची तो सानिया खाना तैयार कर रही थी। सानिया को पहले कभी इतनी लगन और प्यार से खाना बनाते रुखसाना कभी नहीं देखा था। थोड़ी देर में ही खाना तैयार हो गया। रुखसाना ने सुनील के लिये खाना थाली में डाला और उसने सोचा क्यों ना आज सुनील को खाने के लिये नीचे ही बुला लूँ। उसने सानिया से कहा कि वो खाना टेबल पर लगा दे जब तक वो खुद ऊपर से सुनील को बुला कर लाती है। रुखसाना की बात सुन कर सानिया एक दम चहक से उठी।

सानिया: “अम्मी सुनील आज खाना नीचे खायेगा?”

रुखसाना: “हाँ! मैं बुला कर लाती हूँ..!”

रुखसाना ऊपर की तरफ़ गयी। ऊपर सन्नाटा पसरा हुआ था। बस ऊँची पेंसिल हील वाले सैंडलों में रुखसाना के कदमों की आवाज़ और सुनील के रूम से उसके गुनगुनाने की आवाज़ सुनायी दी रही थी। रुखसाना धीरे-धीरे कदमों के साथ सुनील के कमरे की तरफ़ बढ़ी और जैसे ही वो सुनील के कमरे के दरवाजे पर पहुँची तो अंदर का नज़ारा देख कर उसकी तो साँसें ही अटक गयीं। सुनील बेड के सामने एक दम नंगा खड़ा हुआ था। उसका जिस्म बॉडी लोशन की वजह से एक दम चमक रहा था और वो अपने लंड को बॉडी लोशन लगा कर मुठ मारने वाले अंदाज़ में हिला रहा था। सुनील का आठ इंच लंबा और मोटा अनकटा लंड देख कर रुखसाना की साँसें अटक गयी। उसके लंड का सुपाड़ा अपनी चमड़ी में से निकल कर किसी साँप की तरह फुंफकार रहा था।

क्या सुपाड़ा था उसके लंड का... एक दम लाल टमाटर के तरह इतना मोटा सुपाड़ा... उफ़्फ़ हाय रुखसाना की चूत तो जैसे उसी पल मूत देती। रुखसाना बुत्त सी बनी सुनील के अनकटे लंड को हवा में झटके खाते हुए देखने लगी... इस बात से अंजान कि वो एक पराये जवान लड़के के सामने उसके कमरे में खड़ी है... वो लड़का जो इस वक़्त एक दम नंगा खड़ा है। तभी सुनील एक दम उसकी तरफ़ पलटा और उसके हाथ से लोशन के बोतल नीचे गिर गयी। एक पल के लिये वो भी सकते में आ गया। फिर जैसे ही उसे होश आया तो उसने बेड पर पड़ा तौलिया उठा कर जल्दी से कमर पर लपेट लिया और बोला, “सॉरी वो मैं... मैं डोर बंद करना भूल गया था...!” अभी तक रुखसाना यूँ बुत्त बन कर खड़ी थी। सुनील की आवाज़ सुन कर वो इस दुनिया में वापस लौटी। “हाय अल्लाह!” उसके मुँह से निकला और वो तेजी से बाहर की तरफ़ भागी और वापस नीचे आ गयी।

रुखसाना नीचे आकर कुर्सी पर बैठ गयी और तेजी से साँसें लेने लगी। जो कुछ उसने थोड़ी देर पहले देखा था... उसे यकीन नहीं हो रहा था। जिस तरह से वो अपने लंड को हिला रहा था... उसे देख कर तो रुखसाना के रोंगटे ही खड़े हो गये थे... उसकी चुत में हलचल मच गयी थी और गीलापन भर गया था। तभी सानिया अंदर आयी और उसके साथ वाली कुर्सी पर बैठते हुए बोली, “अम्मी सुनील नहीं आया क्या?”

रुखसाना: “नहीं! वो कह रहा है कि वो ऊपर ही खाना खायेगा!”

सानिया: “ठीक है अम्मी... मैं खाना डाल देती हूँ... आप खाना दे आओ...!”

रुखसाना: “सानिया तुम खुद ही देकर आ जाओ... मेरी तबियत ठीक नहीं है...!” सुनील के सामने जाने की रुखसाना की हिम्मत नहीं हुई। उसे यकीन था कि अब तक सुनील ने भी कपड़े पहन लिये होंगे... इसलिये उसने सानिया से खाना ले जाने को कह दिया।

सानिया बिना कुछ कहे खाना थाली में डाल कर ऊपर चली गयी और सुनील को खाना देकर वापस आ गयी और रुखसाना से बोली, “अम्मी सुनील पूछ रहा था कि आप खाना देने ऊपर नहीं आयीं... आप ठीक तो है ना...?” रुखसाना ने एक बार सानिया की तरफ़ देखा और फिर बोली, “बस थोड़ी थकान सी लग रही है... मैं सोने जा रही हूँ तू भी खाना खा कर किचन का काम निपटा कर सो जाना!” सानिया को हिदायत दे कर रुखसाना अपने बेडरूम में जा कर दरवाजा बंद करके बेड पर लेट गयी। उसके दिल-ओ-दिमाग पे सुनील का लौड़ा छाया हुआ था और वो इस कदर मदहोश सी थी कि उसने कपड़े बदलना तो दूर बल्कि सैंडल तक नहीं उतारे थे। ऐसे ही सुनील के लंड का तसव्वुर करते हुए बेड पर लेट कर अपनी टाँगों के बीच तकिया दबा लिया हल्के-हल्के उस पर अपनी चूत रगड़ने लगी। फिर अपना हाथ सलवार में डाल कर चूत सहलाते हुए उंगलियों से अपनी चूत चोदने लगी। आमतौर पे फिर जब वो हफ़्ते में एक-दो दफ़ा खुद-लज़्ज़ती करती थी तो इतने में उसे तस्क़ीन हासिल हो जाती थी लेकिन आज तो उसकी चूत को करार मिल ही नहीं रहा था।
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