RE: Bhabhi ki Chudai कमीना देवर
नेहा नंगी फ़ोन के पास आ कर खड़ी हो गई, मेंरी नजर उसकी चूत पर गई, आहहहह क्या रसीली चूत पाई थी मेंरी जान ने . पूरे जतन से रखती थी वो उसे, पूरी तरह से क्लीन शेव चूत थी उसकी . मुझे उसकी खुबसूरत चूत की दरार साफ़ दिखाई दे रही थी। उसकी चूत की दोनों फ़ांके उभार लिये हुए थी और उसके उपर का हिस्सा भी अपने उभार के के कारण दूर से ही साफ़ दिखई दे रहा था, उसे देखकर मैं अपने होठों पर जीभ घुमाने लगा और उसकी मादक चूत का स्वाद महसूस करने का प्रयास करने लगा। मेंरा बदन तो अब भट्टी की तरह तप चुका था, काम के आवेश में मैं अब तेजी से अपने लण्ड़ को हिलाने लगा। मेंरे अपने घर में ही मेंरे लण्ड़ के लिये इतना सुंदर खिलौना मौजूद था और फ़िर भी मै उससे खेल नहीं पा रहा था, मुझे अपने दुर्भाग्य पर बड़ा ही क्रोध आ रहा था।
उसने फ़ोन उठाया और बोला हेल्लो
सामने संजय था
संजय- हेल्लो, नेहा मैने फ़ोन तुम्हें ये बताने के लिये किया था कि मै रविवार को घर आऊंगा और फ़िर सोमवार को शाम को वापस चला जाऊंगा ट्रेनिंग के लिये। मैने तुम्हें परेशान तो नहीं किया न, तुम सो तो नही गई थी नेहा?
नेहा- नही, बस सोने ही वाली थी। चेंज कर रही थी .
संजय - अच्छा अच्छा, सारी तुम्हें डिस्टर्ब किया। बाय, लेकिन कल मां को जरूर बता देना। रखता हूं गुड़ नाईट।
और फ़िर उसने बिना नेहा की बात सुने ही फ़ोन रख दिया। वो कुछ क्षण फ़ोन को घूरते रही फ़िर उसने उसे जोर से पटक दिया और वापस पलंग की तरफ़ जाने लगी। उसकी गांड़ फ़िर से उछलने लगी अब मै भी अपने क्लाईमेक्स में पहुंच चुका था, उसने अपना गाऊन उठा लिया और पहनने लगी, मेंरा दिल किया कि मैं यही से चिल्ला कर कह दूं, जाने मन कपड़े मत पहनों तुम नंगी बहुत अच्छी लगती हो, मै तुझे सदा नंगी ही देखना चाहता हूं। लेकिन उसने अपना गाऊन पहन लिया। अब मेंरा मूड़ खराब हो गया। अगर मुझे कोई नेहा को आशिर्वाद देने को कहता तो मै उसे एक ही आशिर्वाद देता "सदा नंगी रहो".
गाऊन पहनने के बाद वो पलंग पर लेट गई और कोई किताब पढ़ने लगी पढ़ते समय वो अपने पैर इधर उध्रर हिला रही थी जिसके कारण उसका गाऊन घूटनॊं तक उपर उठ़ गया। उसकी चिकनी टांगो पर नजर गड़ाए मै मुठ्ठ मारने लगा और थोड़ी ही देर में मेंरे लण्ड़ ने उल्टी कर दी और पोकने लगा। मैने बड़ी राहत महसूस की। मैने अपना पेन्ट पहना और छत की सीढ़ीयों से सावधानी से निचे उतरा क्योंकि उसके मात्र दो कदमों की दूरी पर नेहा के कमरे का दरवाजा था।
मैने देखा उसके कमरे के दरवाजे से प्रकाश की एक पतली रेखा बाहर आ रही थी। याने वो अंदर से बंद नही था। मै आहिस्ता आहिस्ता चलते हुए उसके दरवाजे के पास पहुंचा और उसके दरवाजे की दरार से अन्दर झांकने की कोशीश करने लगा। दरार से उसका पलंग दिखाई दे रहा था,चूकि दरवाजा हल्का सा खुला था इसलिये मुझे उसकी कमर तक का हिस्सा ही दिख रहा था। मैने देखा उसने अपनी दाहिना पांव सीधा रखा है और बांया मोड़ कर रखा है जिसके कारण उसका गाऊन उसकी जांघ तक चढ़ गया था और मुझे उसकी दाहिनी जांघ अंदर तक साफ़ दिखाई दे रही थी। कुछ क्षण उसे देखने के बाद मै तेजी से उसके दरवाजे से हटा और मुस्कुराते हुए अपने कमरे में चला गया।
कमरे में जाने के बाद मैने भी अपना ड्रेस बदला और लुंगी पहन ली तथा उपर केवल बनियान ही पहने रहा। भाभी के नंगे जिस्म की खुमारी अभी भी मेंरे दिमाग में थी। हांलाकि मैं झड़ चुका था लेकिन फ़िर भी काफ़ी देर तक नेहा भाभी के नंगे जिस्म को देखने के कारण मेंरे शरीर में पैदा गर्मी ने मुझे काफ़ी शीथिल बना दिया था, और मै काफ़ी थका मह्सूस कर रहा था, इसलिये मैं बाथ्ररुम गया और अच्छी तरह से अपने हाथ-पैर और चेहरा पानी से साफ़ किया और सर को थोड़ा पानी मारा, अब मै काफ़ी ताजगी मह्सूस कर रहा था, बाहर आ कर अपना बदन पोंछते हुए मै फ़िर नेहा के गदाराए नंगे बदन के बारे में सोचने लगा। पूरी तरह से फ़्रेश होने के बाद मै अपने पलंग मे जा कर सो गया और सोने का प्रयास करने लगा, नींद मेंरी आंखो से ओझल हो चुकी थी . बार बार भाभी का नंगा जिस्म मुझे नींद से दूर ले आता, मैने बेचैनी में अपना पहलू बदलते हुए एक मेग्जिन उठा कर पढ़्ने का प्रयास करने लगा। लेकिन मैं उसकी एक लाईन पढ़ पाने में असमर्थ था, भाभी के नंगे बदन ने मेंरे दिमाग को कुंद बना कर रख दिया था।
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