RE: Bhabhi ki Chudai कमीना देवर
नेहा लज्जित थी और रो रही थी,उसे चुप कराने वाला वहां कोई नहीं था,हर गलत काम के समय कचोटने वाला उसका अन्तर्मन भी मौन था।दर असल वो अपनी ही अन्तरात्मा के सामने बेनकाब होने से लज्जित थी और फ़फ़क कर रो रही थी। उसके अन्तर्मन ने उसके राम,सीता,कुंती और नीता की शादी वाले तमाम तर्कों को नकार दिया था और ये साबित कर दिया था कि जिस्मानी तौर पर सनी के हाथों से नंगी होने से पहले ही वो चारित्रिक रुप से अपने ही अन्तर्मन के सामने उसी समय नंगी हो चुकी थी जब सनी ने उसका गाऊन उठा कर उसकी चूत में मुंह लगा कर उसे चूसना शुरु किया था। किसी पुरुष के साथ संसर्ग की अपनी दमित इच्छा को अपने देवर से पूरी होते पा कर वो यूं ही निढ़ाल पड़ी रही और नींद का बहाना उसकी ढ़ाल का काम रहा था।
अब उसे इस बात की बेहद ग्लानी हो रही थी कि जब सनी उसकी चूत को चूस रहा था तो कैसे रोमांचित हो रही थी और रोमांच में उसने कैसे अपने होठों को अपने दातों से काट लिया था। कहीं सनी को उसके जागने का अभास ना हो जाय इस ड़र से वो संयत हो गई और आंख बंद किये पड़ी रही।फ़फ़कते हुए वो सोच रही थी कि कैसे जब सनी ने उसकी चूत को चूसना बंद किया तो वो कितनी बुरी तरह से तड़्फ़ी थी और उसका मन किया था कि वो उठ कर उसके सर को फ़िर से उसकी जांघो के बीच में फ़ंसा कर उसकी चूत को चूसवाना चालू रखे।उसे अच्छी तरह से याद था कि जब वो हड़्बड़ा कर उठा और उसने देखा कि मेंरे खर्राटे की अवाज को बंद पाकर वो कैसे भय से पीला पड़ गया था तो उसने किस चतुराई से अपनी नाक से सीऽऽऽऽऽसीऽऽऽऽऽ कि अवाज निकाल कर उसे अपने सोते होने का अहसास करवाया था और अपने जिस्म से खेलते रहने के लिए उकसाया था।
उसकी अन्तरात्मा ने साक्षी भाव से उसके तमाम मनोभावों देखा था और उसकी दमित कामवासना को मह्सूस किया था।उसने एक हंस की तरह दूध से पानी को अलग कर दिया था। और अपनी ही अन्तरात्मा का सामना करने का साहस नेहा में नहीं था, खुद के ही सामने बेनकाब होने और अपनी कमजोरी पर नियंत्रण न रख पाने के कारण वो बेहद लज्जित थी और अपनी अन्तरात्मा के तीखे सवालों का जवाब न दे पाने के कारण वो फ़फ़क फ़फ़क कर रो रही थी
|