RE: Bhabhi ki Chudai कमीना देवर
कुछ देर तक इसी तरह मंथन करने और लगातार रोने के कारण वो मानसिक रुप से बुरी तरह से थक गई तो वो पलंग के पास से उठी नंगी ही सिसकते हुए बाथरुम में चली गई। वहां उसने शावर चालू किया और नहाने लगी और अपने जिस्म से सनी के वीर्य को साफ़ किया।नहाते समय वो यही सोच रही थी कि अब वो इस खेल को बंद करेगी और अब वो सनी को और अधिक स्पेस नहीं देगी।
चार दिनों के बाद संजय तो आ ही रहा है वो उससे बात करेगी और उस पर दबाव बानायेगी कि वो उसे अपने साथ ले जाय।नहाने के बाद उसने अपना बदन पोंछा और बाहर निकल कर आल्मारी से एक दूसरा
गाऊन निकाल कर पहना और पलंग पर जा कर सो गई।
अगले दिन सुबह जब सनी सो कर उठा तो उसे रात वाली घटना याद आने लगी और किसी फ़िल्म की तरह सारे दृष्य उसके सामने आने लगे। नींद में बेखबर अपनी भाभी के जिस्म से उसने जो हवस का खेल खेला था उससे उसका मन खिन्न हो गया, वो अपना चेहरा ही आईने मे देखने का साहस नहीं कर पा रहा था लेकिन किसी तरह वो उठा और फ़्रेश हो कर नीचे पहूंच गया। नीचे मां नहाने के बाद पूजा की तैयारी में व्यस्त थी उसे इतनी सुबह तैयार पा कर वो आश्चर्य से उससे बोली अरे बेटा इतनी सुबह तैयार हो गये कहीं जाना है क्या?जवाब में उसने कहा हां मां आज कालेज जल्दी जाना है,तुम जल्दी से चाय नाश्ता दे दो।
मां ने कहा मैं क्यों बेटा नेहा है न किचन में वो भी आज जल्दी उठ गई है। दरअसल कल रात की घटना के कारण वो ठीक से सो नही पाई थी और सुबह जल्दी उठ गई थी।तुषार ने चौंक कर कहा भाभी इतनी जल्दी उठ गई . मां ने कुछ नहीं कहा और केवल मुस्कुरा दिया और वहीं से उसने जोर से अवाज दे कर कहा नेहा सनी के लिये चाय नाश्ता दे दो आज वो भी जल्दी उठ गया है उसे जल्दी कालेज जाना है।ऎसा बोल कर मां ने पेपर उसकी टेबल पर रखा और पूजा करने चली गई।
मां के जाते ही सनी असहज मह्सूस करने लगा उसमें आज नेहा का सामना करने का साहस नही था।वो बड़ी ग्लानी मह्सूस कर रहा था। उधर नेहा का भी यही हाल था लेकिन क्या करे मज्बूरी थी जाना तो था ही सो उसने जल्दी से चाय नाश्ता तैयार कर मन भर के ड़ग भरते हुए उसके टेबल की तरफ़ जाने लगी। भाभी को अपनी तरफ़ आते देख वो पेपर पढने का नाटक करने लगा,उधर भाभी भी जल्दी से चाय नाश्ता उसकी टेबल पर रख कर जल्दी से किचन की तरफ़ जाने लगी,दोनों ने न एक दूसरे की तरफ़ देखा और न ही कोई बात की।
वो इतनी तेजी से किचन की तरफ़ जा रही थी कि उसकी दोनों बड़ी बड़ी गांड बुरी तरह से उछल रही थी।लेकिन जिन गांड़ो का सनी पिछले आठ माह से दिवाना था आज उसने उसकी तरफ़ पहली बार देखा तक नहीं। उसने
अपना नाश्ता खत्म किया और कालेज चला गया।उस पूरा दिन वो घर नहीं आया रात को घर आया और थोड़ा बहुत खा कर अपने कमरे में जा कर सो गया।
दूसरे दिन भी यही हुआ वो सुबह जल्दी ही कलेज चला गया और फ़िर रात को देर से घर आया।लेकिन देर से घर आने के बावजूद उसने घर में सभी को जागते हुए पाया,घर के सारे सदस्य ड्राईंग रुम में ही बैठे थे और उसी का इंतजार कर रहे थे।
उसने देखा कि मां और पिताजी आपस में धीरे धीरे कुछ बात कर रहे है और नेहा उनके सोफ़े के पीछे खड़ी थी। दिया भी बगल वाले सोफ़े में बैठ कर उनकी बातों को सून रही थी।सब के इस प्रकार से
बैठ कर चर्चा करने का मतलब साफ़ था कि वे किसी गंभीर मसले पर बात कर रहे थे। सनी के माथे पर बल पड़े वो सोचने लगा कि कहीं भाभी ने तो रात वाली बात नहीं बता दी है इन लोगों को। दर असल सनी को अपनीभाभी के पिछले दो दिनों के उसके साथ व्यवहार से उस पर शक हो रहा कि कहीं उस रात वो जग तो नहीं रही थी।ज्यों ज्यों वो उस बारे में सोचता उसका शक यकीन में बदलता जा रहा था कि उस रात भाभी पक्का जाग चुकी थी.
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