RE: Bhabhi ki Chudai कमीना देवर
इतनी गंभीरता से उन लोगों को बात करते देख कर एक बार तो सनी सहम गया और दरवाजे के पास ही खड़े हो कर सोचने लगा कहीं भाभी ने रात वाली बात आखीरकार इन लोगों को बता तो नहीं दी होगी। ऎसा विचार मन में आते ही उसके रोंगटे खड़े हो गये और उसकी गांड़ फटने लगी।
आखिर मरता क्या ना करता ? वो धीरे धीरे उनकी तरफ़ बढने लगा। पाप करना जितना आसान होता है और मजेदार होता है उतना ही कठिन उसका बोध होता है। और उसका परिणाम उतना ही भयावह। दरवाजे से मात्र दस कदम दूर चलने में तुषारको ऎसा लगा मानो वो दस बार मर कर जनम ले चुका है।
जैसे तैसे वो उनके पास जा कर खड़ा हो गया। तभी दिया की नज़र सबसे पहले उस पर पड़ी और वो बोल उठी लो आ गये जनाब,सभी ने एक साथ पिछे मुड़ कर देखा और सबकी नज़र सनी पर टिक गई। एक क्षण के लिये कमरे में सन्नाटा छा गया। सनी नज़रें झुकाये खड़ा था किसी अपराधी की तरह। उसक दिल धड़क रहा था।
माँ ने तनिक क्रोध भरी अवाज में कहा "क्यों रे बेशर्म, नालायक"
माँ के इतना कहते ही सनी का मन किया की उसका पाँव पकड़ कर फ़ूट-फ़ूट रोने लगे और माफ़ी मांग ले। उसकाचेहरा देखने लायक था और उस पर हवाईयां उड़ रही थी। वो बदहवास हो उनकी तरफ़ देख रहा था। उसकी बदहवासीको "दिया" ने और बढा दिया उसने कहा " हां माँ लगाओ हम सब की तरफ़ से और संजय भैया की तरफ़ से भी".
"संजय" का नाम सुनते ही वो पूरी तरह से ढ़ीला पड़ गया और समझ गया कि भाभी ने आखिर उसकी पोल खोल ही ड़ाली है , गूंगी गुड़िया के मुंह में ज़बान आ गई है और अब उसकी शामत आने वाली है। उसका मान सम्मान , रुतबा सब खतम हो गया। उसने सोचा अब क्या किया जा सकता है? आखिर उसने काम ही ऎसा किया था। वो मन ही मन खुद को कोसने लगा और सोचने लगा कि ऎसे जीने से तो मर जाना बेह्तर है। उसने तय कर लिया कि चाहे इनको जो बोलना हो सो बोल ले वो कुछ नहीं बोलेगा और आज अपने पैरों से चल कर आखिरी बार अपने कमरे में जायगा।
अपमानित हो कर जीने से तो मर जाना बेह्तर है। उसने तय कर लिया था उपर जा कर फ़ांसी लगा कर अपनी जान दे देगा। कमरे में फ़िर कुछ क्षण के लिये चुप्पी चा गई। आखिर उसके पिताजी ने चुप्पी तोड़्ते हुए कहा तुम दोनों माँ बेटी को कोई धंधा नही है ? बेकार में इसे धमका रही हो साफ़ साफ़ बतओ ना इसे . पिताजी घुड़की सुन कर दोनों मां बेटी खिलखिला कर हंस पड़ी।
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