RE: Bhabhi ki Chudai कमीना देवर
सो अपने मन के तर्कों को मानते हुए सनी ने अपने परिवार की इज्जत बचाने के लिये अपनी सगी भाभी को चोदने का फ़ैसला किया था। उसके मन ने उसे ऎसा तर्क दिया था कि उसकी आत्मग्लानी अब गायब हो चुकी थी और नेहा भाभी को चोदना अब उसे पाप नहीं बल्की अपना धर्म लग रहा था। उसे लगने लगा था कि परिवार की इज्जत बचाने के लिये उसे अपनी भाभी को चोदने का धर्म निभाना ही पड़ेगा।
सनी ने अपनी मां से कहा नहीं मां ऎसी कोई बात नही है दरासल मुझे बहुत भूख भी लगी और मैं बहुत थक भी गया हूं ,इसीलिये आपको ऎसा लगा। फ़िर उसने मां के हाथ पकड़ कर पूछा अब बता भी दो न मां . मां ने हंसते हुए नेहा की तरफ़ देखा और पूछा क्यों बहू बता दूं इसे या नहीं? नेहा ने जवाब में कुछ नहीं कहा केवल मुस्कुरा दिया। मां ने नेहा की तरफ़ बनावटी गुस्से से देखते हुए कहा "अरि रहने दे, तू तो बोलने से रही, तेरा तो कोई खून भी कर दे तो भी तू उसे कुछ नहीं कहेगी बस खड़ी खड़ी देखती रहेगी".
अब मां ने सनी की तरफ़ देख कर कहा "सुन बेटा बड़ी अच्छी खबर है, तेरी नीता के साथ बात पक्की हो गई है। और परसों संजय भी आ रहा है अपने बास के साथ बस उसके दो दिन के बाद तेरी नीता के साथ सगाई कर देंगे।"
सनी : सगाई ! इतनी जल्दी, और फ़िर संजय भैया तो सिर्फ़ एक दिन के लिये ही आ रहे हैं न?
उसके पापा ने बीच में टोकते हुए कहा " एक दिन के लिये नहीं बेटा पूरे चार दिनों के लिये आ रहे है वो दोनों।
सनी (तनिक चौंकते हुए ) : दोनों! कौन दोनों पापा ?
पापा : अरे बेटा संजय और उसका बास दोनों . वो मेंरा बहुत अच्छा दोस्त भी है और फ़िर वो मेरें बेटे का बास भी तो है। मुझे अपने बेटे की तरक्की भी तो करवानी है न। तुम सब ध्यान से सुन लो संजय के बास की खातिरदारी में कोई कसर बाकी नहीं रहनी चाहिये समझे।
सब ने एक दूसरे की तरफ़ देखा और सहमती में अपना सर हिला दिया। तभी पापा खड़े हुए और कहने लगे चलो भई अब आज की सभा समाप्त करो मुझे तो बहुत नींद आ रही है, ऎसा कहते हुए वो अपने कमरे की तरफ़ चले गये। उनको जाते देख सनी की मां भी उनके पिछे चली गई और "दिया" भी सबको गुड़ नाईट कहते हुए अपने कमरे में चली गई।
दो दिनों की लुका छिपी के बाद सनी और नेहा भी अब आज के महौल के बाद सामान्य हो चुके थे और दो दिनों के बाद दोनो ने एक दूसरे को देखा और मुस्कारा दिये।उसकी मुस्कुराहट में उसे सहमती और बेबसी दोनो नजर आ रही थी।
लेकिन शिकारी को उससे क्या ? वो तो अपने शिकार को बेबस देख कर और खुश होता है। सनी का लण्ड़ फ़िर से खड़ा होने लगा था।
|