RE: Bhabhi ki Chudai कमीना देवर
सनी उसको अपने रुम के अंदर तक जाते देखता है . दरसल वो उसकी गांड़ो को घूर रहा था। नेहा की गांड़ सनी की सबसे बड़ी कमजोरी थी।
जैसे ही वो अपन्रे रुम में चली जाती है, वो तुरंत तेजी से चलते हुए छ्त पर चला जाता है और फ़िर कूलर के छेद से अंदर देखने लगता हैं। अंदर नेहा हमेशा की तरह नंगी हो कर अपने कपड़े बदलती है जिसे देख सनी बदहवास हो जाता है। नेहा के कपड़े बदलने के बाद छत पर बैठने का कोई मतलब नही था सो सनी अपने कमरे में जाता है और अपनी भाभी के नंगे जिस्म को याद करते हुए मुठ्ठ मार कर सो जाता है।
रात को सोने में देर हो जाने के कारण नेहा सुबह जल्दी नहीं उठ पाती , जब सो कर उठने पर उसकी नजर घड़ी पर पड़्ती है तो वो हड़्बड़ा जाती है। सुबह के आठ बज चुके थे . वो एक झटके में पलंग से नीचे कूदती है जल्दी से अपना मुंह धोती है कपड़े बदल कर और थोड़ा बाल बना कर तुरंत नीचे की तरफ़ भागती है।
नीचे का नजारा उसकी आशा के अनुरुप ही था। मां रसोई में बड़्बडाते हुए काम कर रही थी और उसके ससुर और ननद नाश्ते के लिये हलाकान हो रहे थे। दरसल नेहा की सास की काम करने की आदत छूट चुकी थी किचन में वो यदा कदा ही आती थी,और आती भी तो केवल नेहा को ये बताने के लिये कि उसे आज क्या पकाना है। सो उसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि कौन सा सामान कहां रखा हुआ है और यही वजह थी को नेहा पर झुंझला रही थी।
नेहा को देखते ही वो फ़ट पड़ी और तनिक तेज आवाज में बोली : आ गई इतनी जल्दी अरी थोड़ा और सो लेती अभी बखत ही कितना हुआ है? सीधा खा पी कर उतरती . नेहा जानती थी मां के गुस्से की वजह दरअसल उसे किचन में सामान नहीं मिलने क्कि वजह से वो झुंझला रही थी और बाहर उसके ससुर जी उनका मजाक उड़ा रहे थे।
नेहा ने किचन में जाते ही मोर्चा संभाल लिया . उसने मां से कहा दर असल कल रात को बातें करते हुए काफ़ी देर हो गई थी इसी वजह से आज उठनें में काफ़ी देर हो गई मम्मीजी . मैं तो सीधे नीचे ही आ गई पहले आप लोगों को नाश्ता वगैरे बना कर दे दूं फ़िर जा कर नहा लूंगी। उसकी बात सुन मम्मी चीखते हुए कहती है क्या कहा तुमने तुम बाद में नहा कर आओगी यानी तुम अभी बिना नहाये नीचे आ गई हो? और वो भी किचन में !
उसने नेहा को डांटते हुए कहा : चल निकल यहां से , निकल किचन के बाहर और जा कर नहा कर आ, तुझे पता है न तेरे पापा को यदि पता चल जायेगा तो वो आसमान सर पर उठा लेंगे। उन्होंने जानबूझ कर ये बातें जोर से कही ताकी उसके ससुर भी ये बातें सुन ले। ताकी थोडी डांट उनसे भी नेहा को पड़ जाय लेकिन उसका दांव उल्टा पड़ गया, उन्होंने वहीं से बैठे हुए कहा : वाह देखो बेचारी नेहा को उसे हमारी कितनी चिंता है बिना नहाये ही ही आ गई। तुम रहने दो बेटा नेहा तुम आराम से जा कर नहाकर नीचे उतरो कोई जल्दी नहीं है। आज तो तुम्हारी मम्मी के हाथ का नाश्ता ही करेंगे।
उनकी ये बातें सुन कर पहले से जली भुनी बैठी उसकी मां और चिढ़ गई और जोर जोर से चिल्लाने लगी , और चढाओ सर पे सबको यदि मैंने किया होता तो चिल्ला चिल्ला कर सर पर आसमान उठा लिया होता और धर्म के ठेकेदार बन कर दुनिया भर ताने मार दिये होते और इसे कहते हो कोई बात नहीं। उसके पापाजी ये बातें सुन कर जोर जोर से हंसने लगे हॊ हॊ हो
और कहने लगे अरे क्या हो गया एक दिन यदि तुम बना कर खिला दोगी तो? यदि नहीं बनाना तो साफ़ साफ़ बोल दो हम बाहर जा कर कुछ खा लेंगे छोटि सी बात का बतंगड मत बनाओ।
|