RE: Bhabhi ki Chudai कमीना देवर
उसने नेहा ड़राने के उद्देश्य से ही जानबूझ कर मां और "दिया" वाली झूठी कहानी सुना दी। दरअसल वो अप्रत्यक्ष रुप से ये समझाने की कोशीश कर रहा था कि इस बात का पता यदि घर में किसी को भी चल जाय तो सनी के साथ उसकी भी इज्जत चली जायेगी। और शायद नेहा पर इस बात का असर भी पड़ा था।
नेहा ने उसकी बातों को लग्भग अन्सुना सा करते हुए अपने सर पर बंधा टावेल खोल लिया और झट से अपने बदन पर लपेट लिया . पहाड़ की चोटीयों की तरह तने हुए उसके विशाल स्तन और उसकी बड़ी बड़ी गांड़ो को छुपाने में वो नन्हा टावेल समर्थ नहीं था बल्कि उसकी मादकता को और भी बढा रहा था लेकिन फ़िर भी नंगी होने से तो ये अच्छा ही था।
अब नेहा ने पिछले कई महीनों से चले आ रहे सनी के इस खेल के खिलाफ़ बोलने का साहस जुटाया और तनिक धीमी अवाज में उससे कहा "ये क्या तरिका है आपका? पिछले कई महिनों से मैं आपको नजर अंदाज करती आ रही हूं शायद इसी लिये आपको मेंरे बारे में काफ़ी गलत फ़हमी हैं। मैं आपके बड़े भाई की ब्याहता बीवी हूं कोई इस घर की रखैल नहीं कि जिसके साथ जिसे जो मर्जी आये वो करता रहे। अगर तुम्हारे अंदर जरा सी तहजीब होती, शर्म होती तो तुम मेंरे कमरे में आते ही बाहर आ सकते थे, क्या इतना इंतजार करना जरुरी था? जाहिर है तुम्हारी नीयत में खोट है। अगर मैं ये सब बातें तुम्हारे भाई को बता दूं तो क्या इज्जत रहेगी तुम्हारी उनके सामने और इस घर में?
जवान लड़्कियों को नंगा देखने का बहुत शौख है न तुम्हें, क्या इस घर में मैं ही अकेली जवान लड़की हूं ? तुम्हारी बहन भी तो खासी जवान है कभी उसके बाथरुम में भी जाकर देखा करो उसकी जवानी को। उसने आगे कहा " अब चुपचाप जिस तरह दबे पांव यहां आये थे उसी तरह दबे पांव निकल जाओ और दोबारा ऐसी गलती मत करना वर्ना तुम काफ़ी तकलिफ़ में पड जाओगे।
सनी इस प्रकार की तमाम बातों के लिये पहले से तैयार था, ओर नेहा की जवानी से खेलने के लिये तो वो अपने घर में भी बदनाम होने के लिये तैयार बैठा था। सो उसे नेहा के इस तरह बड़्बड़ाने से कोई फ़र्क पड़ता नहीं दिखा। बल्कि सनी ने एक बात साफ़ नोटिस किया की वो नारजगी जरुर दिखा रही है और भाषा भी भले ही तल्ख हो लेकिन उसकी आवाज काफ़ी धीमी है।
मतलब साफ़ था उसे भी अपनी बदनामी का ड़र था।उसने इस बात का पूरा का प्रयास किया था कि उसकी अवाज इस रुम से बाहर ना जाने पाये।
अब सनी ने बोलना चालू किया वो बिल्कुल भी भयभीत नहीं था बल्कि वो तनिक जोर से ही बोलने लगा . दर असल वो ये देखना चाहता था कि उसकी तेज अवाज जब बाहर तक जाती है तो उसका नेहा पर क्या असर होता है? क्या वो वाकई आज बगावत के मूड़ में है या खाली गीदड़ भभकी दे रही है।
उसने बोलना चालू किया "नेहा ये सच है कि तुम इस घर की ब्याहता हो लेकिन जिसकी तुम पत्नि हो उसे तुम्हारी कितनी चिंता है कभी उसने तुम्हें अपने पास बुलाया कभी वो तुमसे मिलनेके लिये आया? अरे नौकरी सभी करते हैं लेकिन कोई अपनी इतनी सुंदर बीबी को भी भूल सकता है क्या? नेहा उसे तुम्हारी जरा भी परवाह नहीं है उसे तुमसे ज्यादा अपनी नौकरी और तरक्की की पड़ी है और वो इसके लिये किसी भी हद तक जा सकता है। वो तुमसे जीवन भर ऐसे ही व्यहार करता रहेगा जीवनभर . उसने जानबूझ कर सनी के खिलाफ़ उसके कान भरना चालू रखा।
उसने आगे बोलना जारी रखा "और जहां तक तमीज, तहजीब और शर्म की बात है न तो नेहा मैं तुमसे ये बात साफ़ कह देना चाहता हूं कि प्यार और जंग मे सब जायज है। नेहा मैं तो अपना दिल कब से तुमसे हार चुका हूं , मैं तो बस मौके का इंतजार कर रहा था और देखो आज मुझे मौका मिल गया। और दूसरी जवान लड़्कियो की बात जो तुमने की न तो मैं केवल इतना चाहता हूं कि मुझे केवल तुम में रुचि है और किसी में नहीं मेंरा दिल तुम पर आया है किसी और पर नहीं। मैं केवल तुमसे प्यार करता हूं किसी और से नहीं . जब से तुम इस घर में आई हो तभी से मैं तुम्हें अपनी बाहों मे लेकर तुम्हारे होठों का रस पीना चाहता हूं।सनी जानबूझ ऐसी बात कर रहा था ताकि उसकी प्रतिक्रिया जान सके।
उसने आगे बोलना जारी रखा " केवल तुम्हारे प्यार की खातिर ही मैंने नीता से रिश्ते की बात स्वीकार कर ली है वरना मुझे उसमें कोई रुचि नहीं हैं। नेहा जिन रिश्ते में प्यार नहीं ऐसे बनावटी रिश्ते
का क्या लाभ? शायद ये बात तुमसे ज्यादा कोई नहीं समझ सकता। वो जान बूझ कर उसके मन में "संजय" के प्रति नफ़रत के बीज बो रहा था।
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