RE: Bhabhi ki Chudai कमीना देवर
सनी की बातों से उसे बड़ी लज्जा आ रही थी उसने उसकी बातों को सुन कर बेचैनी से अपना पहलू बदलने का प्रयास किया और तिरछी नजर से सनी की तरफ़ देखा। उसकी नजर उससे मिल गई उसने देखा सनी बड़े कामुक अंदाज में उसके शरीर का मुआयना कर रहा है। सनी से नजर मिलते ही वो मुस्कुरा दिया और फ़िर से उसे चूमते हुए उससे पूछने लगा "ड़ालने दोगी न?" दर असल अब वो पूरी तरह से नेहा का मजा ले रहा था और केवल शारीरिक रुप से ही नहीं बल्की मान्सिक रुप से और अपनी बातों से भी वो उसको ये जता देना चाहता था कि तू पूरी तरह से मेंरे जाल मे फ़ंस चुकी है और मुझे तेरी खुशी और रजामंदि की कोई परवाह नहीं है। और ना ही मुझे किसी को पता चल जाने की कोई चिंता है। क्योंकि पता चल जाने पर भी नुकसान तो सबसे ज्यादा तेरा ही होना है।
कुछ देर तक इसी तरह से अपने पैरों पर पड़ी नेहा के नंगे बदन का मन भर के मुआयना करने और हल्की कामुक बातें करने के बाद अब सनी अत्यंत गरम हो चुका था और उसके सब्र का बांध टूट
चुका था उसके लिये खुद को रोक पाना संभव नहीं था। लंड़ उसका इतना कड़क हो चुका था कि अब वो दुखने लगा था जिसे बर्दाश्त करना अब सनी के बस में नहीं था। और फ़िर अपनी योजना के मुताबिक
वो संजय के आने के पहले नेहा की चूत में अपना लंड़ डाल कर उसकी सेक्स की भूख को जगा देना चाहता था,ताकि संजय के वापस जाने के बाद वो उसे अराम से जी-भर के चोद सके और उसके नंगे जिस्म से अपनी मर्जी के मुताबिक खिलवाड़ कर सके।वो उसके अंदर महिनों से दबी पड़ी कामवासना को जगा देना चाहता था। उसे पता था कि उसका बाकि काम उसका निकम्मा भाई उसके लिये आसान बना देगा।
अब उसने फ़िर से उसके नंगे जिस्म पर हाथ घुमाना चालू कर दिया और वो उसके विशाल स्तनों को मसलने लगा। कुछ देर तक उसके दोनों स्तनो को मसलने के बाद सनी बेकाबू होने लगा और उसने एक हाथ से उसके स्तन को मसलना जारी रखा और दूसरा हाथ उसकी चूत पर रख दिया और धीरे धीरे उसे मसलने लगा। नेहा लाख चाहे कि उसे सनी के साथ संबंध नही बनाना है लेकिन एक मर्द के इस तरह उसके नंगे बदन पर बार बार हाथ लगाने और उसके उत्तेजक अंगो को सहलाते रहने के कारण उसका शरीर धीरे धीरे गरम होने लगा। और उसे अपने अंग में अजिब सी सिहरन मह्सूस होने लगी। ना चाहते हुए भी उसे पुरुष के स्पर्श का आनंद तो मिल ही रहा था। और उसे ड़र था कि कहीं वो बहक ना जाय इसलिये वो छटपटा रही थी कि किसी तरह से वो उसके चंगुल से अजाद हो जाय तो खुद पर काबू कर ले लेकिन सनी की मजबूत पकड़ से निकलना उसके लिये संभव नहीं था।
ईश्वर ने स्त्री को रुप,यौवन आदि दे कर उसे बड़ा वरदान दिया है जिसके बल पर वो पुरुषों पर बहुत इतराती है लेकिन एक अन्याय भी कर दिया है उसके साथ कि उसे शक्ति नहीं प्रदान की अपने यौवन की रक्षा के लिये और पुरुषों की किस्मत में ना स्त्रीयों की तरह ना रुप ना यौवन लेकिन उसे शक्ति और अधीरता प्रदान कर दी। और वही पुरुष जब अधीर हो कर किसी स्त्री के यौवन को हासिल करने के लिये जब अपनी शक्ति का प्रयोग करता तो स्त्री के लिये अपने यौवन को बचा पाना संभव नहीं होता।शायद ये स्त्री को उसके रुप पर घमंड़ करने की सजा है। नेहा की हालत भी ऐसी ही थी उसके यौवन में और उसके गदराए बदन में वो ताकत तो थी कि वो सनी जैसे मर्दों को आकर्षित कर अपने पास बुला ले लेकिन उसे दूर करने की शक्ति उसमें नहीं थी। नतिजा सामने था जिस तरह चंदन के वृक्ष पर सांप लिपटे रहते हैं उसी तरह नेहा नंगे जिस्म पर सनी लिपट चुका था।
अब धीरे धीरे सनी ने उसकी चूत की दरार में अपनी उंगली ड़ाल दि और वो उसकी चूत के अंदर हिलाने लगा। नेहा बुरी तरफ़ तडफ़ उठी . सनी ने उसकी चूत में उंगली रगड़ने की गती जरा तेज कर दी . अब तो नेहा के लिये खुद पर काबू रखना काफ़ी मुश्किल हो रहा था।
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