RE: Bhabhi ki Chudai कमीना देवर
बाहर से नेहा की सास उसे अवाज लगा रही थी " नेहा, ओ नेहा कितनी देर हो गई तुम्हें उपर आये अभी तक नहाया नहीं तुमने ? क्या कर रही हॊ?
अन्दर दोनों की फ़टी पड़ी थी और नेहा तो मारे ड़र के थरथराने लगी थी उसके मुंह से कुछ बोल ही नहीं फ़ूट रहा था। इधर सनी को काफ़ी समय बाद ये याद आया कि वो दरअसल उपर आया क्यों था।
नेहा मारे ड़र के सनी की तरफ़ देखती है, वो मानो नजरों से ही उसे कह रही हो कि बचाव इस मुसीबत से वर्ना दोनों की खास तौर से मेरी तो इज्जत गई। सनी उसे चुप रहने का इशारा करता है और कुछ क्षण सोचता है फ़िर तत्काल ही अपने सामने खड़ी नंगी नेहा को अपने दोनों हाथों से उठाता है और बाथरुम की तरफ़ उसे ले जाता है। उसने नेहा को ऐसे उठाया था कि उसकी पूरी गांड़ सनी के बांए हाथ में और उसका दाहिना स्तन सनी के दांये पंजो मे था।
वो उसे उसी तरह उठा कर बाथरुम में ले जाता है और वहीं खड़ी कर देता है और खुद बाल्टी को नल के नीचे रख कर उसे थोड़ा खोल देता है . अब पानी की अवाज कमरे के बाहर जाने लगती है जिससे उसकी सास को ऐसा लगता है कि वो अभी तक नहा रही है। वो बाहर से फ़िर चिल्ला कर कहती है " अभी तक नहाया नही क्या नेहा तुमने?
नेहा अभी तक घबराई हुई थी उसे कुछ सूझ नहीं रहा था , तभी सनी उसके कान में फ़ुसफ़ुसा कर कहता है "बोलो नहा रही हूं , तबियत ठीक नहीं लग रही थी इस्लिये उपर आ कर थोड़ा लेट गई थी"
नेहा ने घबराहट में सनी की बात को दोहरा दिया।
अब उसकी मम्मी फ़िर उसे कहती है " कोई बात नहीं बेटा रात को नींद ठीक से नही होने की वजह से ऐसा हुआ होगा। तुम चाहो तो और अराम कर कर के नीचे उतरना। अब नाश्ता बनाने की कोई
जरुरत नही है तुम्हारे पापा आज सबके लिये होटल से नाश्ता ले कर आये हैं। नीचे आ कर खा लेना। और सुनो मैं तुम्हे ये बताने के लिये उपर आयी हूं कि आज दोपहर लग्भग ११:३० बजे हम सभी
एक साथ बाजार जायेंगे और सनी की सगाई के लिये जो भी खरीदी करनी है कर लेंगे। फ़िर कल संजय और उसका बास भी आ जायेंगे तो समय नही मिलेगा . और उसके एक दिन बाद सगाई है न।
अब नेहा जरा संभल जाती है और अंदर से जवाब देती है " जी,मम्मी जी मैं नहा कर नीचे आती हूं और सबका खाना बना देती हूं , मुझे थोडी हरारत जैसा है लेकिन ठीक हो जायेगा।
मम्मी : अरे नहीं बेटा खाना वाना बनाने की कोई जरुरत नही है तुम्हारे पापा कह रहे थे कि आज दोपहर का खाना भी किसी होटल में ही खा लेंगे, समझी . तुम चाहो तो ११:३० तक अराम से तैयार हो कर
नीचे आ जाना .
नेहा: जी, मम्मी जी . (सनी उसके कान में कहता है उसको बोलो की तुम थोड़ा अराम कर के नीचे आओगी) लेकिन वो नहीं बोलती . सनी तनिक गुस्से में जरा जोर से फ़ुसफ़ुसा कर नेहा से बोलता है
"बोलती या मैं बोलूं" और वो मुंह खोल कर बोलने का नाटक करता है। नेहा तुरंत उसका मुंह दबा कर जोर से उसकी कही बात दोहरा देती है। उसकी सास कहती ठीक है बेटा तुम ११:३० तक आराम कर के
नीचे आ जाना , अच्छा मैं जा रही हूं नीचे तुम्हारे पापा नाश्ते के लिये अवाज लगा रहे हैं तुम अराम कर के समय से नीचे पहुंच जाना। ऐसा बोल कर वो वहां से चली जाती है। सनी और नेहा दोनों ने उसके
पैरों कमरे से दूर होती अवाज को सुनी और जब उसकी सीढीयों से उतरने की अवाज उसे आने लगी तो सनी समझ जाता है कि उसकी मां गई और उसका चेहरा खिल उठता है।
अब वो बाथरुम में ही नंगी खड़ी नेहा को ताबड़्तोड़ चूमना शुरु कर देता है। नेहा ने जिस तरह से उसकी मां से झूठ बोलने में सनी का साथ दिया था और उसकी कही बातों को दोहराया था उससे सनी को समझ आ गया कि इसे अपनी इज्जत बहुत प्यारी है और इसके लिये वो चुद जायेगी लेकिन अपने चुदने का संजय किसी को नहीं बतायेगी।
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