RE: Bhabhi ki Chudai कमीना देवर
अब सनी नेहा को पीछे की तरफ़ घुमा देता है और उसकी गांड़ सनी की तरफ़ हो जाती है , सनी उत्तेजना के मारे पागल हो रहा था . पिछले कई महीनों से जिस हसीना को चोदने के लिये वो तरह तरह
की योजना बना रहा था उसकी वही गदराई हसीना आज उसके सामने पूरी तरह से नतमस्तक खड़ी थी सनी उसके तमाम अंगो से खिलवाड़ कर रहा था और अब उसे रोकने वाला कोई नहीं था। नेहा पूरी
तरह से उसके कब्जे में थी। सनी नीचे बैठ जाता है और उसकी गांड़ो को चूमने लगता है , नेहा की नरम नरम उत्तेजक गांड़ को चूमने से सनी उत्तेजना की नई उचांईयो में पहुंच जाता है। नेहा की गांड़ो को उसने पिछले दिनो कई बार छुआ था और उसके स्पर्श का आनंद लिया था लेकिन उसकी मादकता का अहसास उसे आज पहली बार हो रहा था।
वो नेहा की गांड को चूमते जा रहा था और बीच बीच में उत्तेजना के कारण उसे अपने दांतो से काट भी लेता था। अब सनी ने उसकी गांड को चूमना छोड़ कर पूरी तरह से अपना मुंह नीचे फ़र्श तक ले जाता है और उसको नीचे चूमना शुरु करता है पहले नंगी खड़ी नेहा की ऐड़ी फ़िर टखने उसके बाद उसकी पीड़्ली फ़िर जांघ ,कमर और पीठ और आखिरी में उसकी गर्दन वो अब पूरी तरह से नंगी खड़ी नेहा के पिछे खड़ा हो जाता है और उसे पिछे से दबोच लेता है अब उसक लंड़ उसकी गाम्ड़ से चिपक जाता है और वो अपने दोनों हाथ आगे की तरफ़ ले जा कर उसके दोनो विशाल स्तनों को पकड़ लेता है।
अपना मुंह उसके गालों से लगा कर वो उसके गालों को चूमने लगता है। अब वो उसको कहता है " रानी अभी पता है तुमको कितने बजे है? " नेहा कोई उत्तर नहीं देती है तो सनी कहता है " साढे़ आठ बजे है अभी और तुमको ११:३० तक नीचे जाना है यानी अभी हमारे पास तीन घंटे है, नेहा मेंरी जान इन तीन घंटो में मै कम से कम दो बार तेरी चूत में अपना ड़ालुंगा। ऐसा बोलते हुए वो अपना एक हाथ उसकी चूत के उपर ले आता है और उसको मसलने लगता है दूसरे हाथ से वो उसका स्तन बुरी तरह से मसल रहा था और अपना लंड़ उसने बड़ी जोर से उसकी गांड़ मे दबा कर रखा हुआ था।
नेहा को इस तरह अपने बदन को मसले जाने से उत्तेजना होने लगी थी लेकिन सनी आखिर उसका पति तो था नहीं और वो जो भी कर रहा था वो बलात ही कर रहा था इसलिये नेहा की आंखो में आंसू भी भरे हुए थे। वो कभी रो पड़्ती थी और कभी उसके मुंह से सिसकियां निकल पड़ती थी आह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह बस करो सनी मुझे जाने दो।
सेक्स के दौरान स्त्री के आंसू,सिसकियां और इंकार से शायद ही किसी पुरुष का मन पिघला हो बल्कि ये तो पुरुष की उत्तेजना को और भी बढाने का काम करते है। और नेहा की सिस्कियां और आंसू भी सनी की वासना की भूख को और भी बढा रहे थे। और वो पागलों की तरह से उसके पूरे बदन को बेदर्दी से मसलने लगता है।
अब वो नेहा को ढीला छोड़ देता है और बाथरुम से बाहर आ जाता है , बाहर आ कर वो नेहा को भी उसका हाथ पकड़ कर बाहर खींच लेता है। नग्न नेहा बाथरुम से बाहर आती है और सनी फ़िर से उसे अपने सीने से लगा लेता है और उसके बदन को मसलना चालू कर देता है। कुछ देर तक उसे इसी तरह से मसलने के बाद वो उसे अलग करता है, उसका चेहरा शर्म से झुका हुआ था और आंखे बंद थी . सनी उसकी ठोड़ी पकड़ कर उसका चेहरा उपर उठाता है और उसके होठों को चूम लेता है। अब सनी के लिये बर्दाश्त करना काफ़ी कठीन हो जाता है और वो अपने कपड़े उतारने लगता है। पहले शर्ट फ़िर बनियान फ़िर अपनी पेन्ट को वो उतार के फ़ेंक देता .
सनी के इस तरह कपड़े उतारने से नेहा की धड़्कन तेज हो जाती है और वो समझ जाती है कि अब आगे क्या होने वाला है।अब वो आंखे बंद किये आने वाले तूफ़ान का इंतजार करने लगती है।
सनी ने अब अपना अंतिम वस्त्र भी उतार कर फ़ेंक दिया और अब वो भी नेहा के सामने उसी की तरह नंगा हो जाता है। सनी का लंड़ उत्तेजना के मारे झटके मार रहा था। नेहा में इतना साहस नहीं था कि वो उसके नंगे बदन को देख सके इसलिये वो आंखे बंद किये खड़ी थी। नंगे खडे सनी ने नेहा को फ़िर से अपने पास खिंचा और उसके बदन से चिपक गया। नेहा ने पहली बार उसके बदन की गर्मी को मह्सूस किया। पहली बार दोनो पूरी तरह से नग्न हो कर आलिंगनबद्द थे। नेहा ने साफ़ मह्सूस किया कि सनी इस वक्त काम के नशे में इस कदर डूबा हुआ है कि उसका पूरा बदन किसी भट्टी की तरह गरम हो चुका है।
कुछ देर तक नेहा को अपने नंगे बदन से चिपका कर रखने और उसकी नंगी काया की गर्मी का सुख लेने के बाद वो उससे अलग होता है और उसे खीच कर पलंग के पास लाता है और एक हल्का सा धक्का दे कर उसे पलंग पर बैठा देता है, नेहा के दोनों पैर पलंग पर लटक रहे थे और वो पलंग पर बठी थी। उसके पास खड़े सनी ने अब उसका एक हाथ उठाया और उसकी हथेली पर अपना लंड़ रख दिया और उसकी मुठ्ठी को बंद कर दिया। सनी का लंड़ अब नेहा के मुठ्ठी में था और वो उसके हाथों को पकड़ अपनी मुठ्ठ मरवाने लगा।नेहा के लिये एक नितांत नवीन अनुभव था उसने पहली बार किसी मर्द का लंड़ अपने हाथों मे पकड़ा था, उसने मह्सूस किया कि सनी का लंड़ फ़ौलाद की तरह कड़क और किसी भट्टी में तपाये लोहे की तरह गरम है। हालंकि शादी के बाद संजय ने उसे चार,पांच बार चोदा था लेकिन उसने कभी भी नेहा को अपना लंड़ नहीं पकड़ाया था।उसे तो उसकी चूत के अंदर अपना लंड़ ड़ाल कर अपना माल उसमें टपकाने की जल्दी रहती थी
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