RE: Bhabhi ki Chudai कमीना देवर
संजय की माँ यदि चाहती तो नेहा को अपने साथ अपने कमरे में सुला सकती थी लेकिन ६० साल की उम्र में भी वो अपने पति के साथ ही रहना चाहती थी। लेकिन उसे इस बात का तनिक भी विचार नहीं आया कि यदि वो ६० साल की उम्र में भी अपने पति से अलग नहीं हो सकती और उसके बिना नहीं रहना चाहती तो फ़िर २३ साल की जवान लड़्की अपने पति के बिना कैसे रह पायेगी?उसके मन पर क्या बीत रही होगी? परिवार के बुजिर्गों की इसी घनघोर लापरवाही और मूर्खता के कारण ना जाने ऐसे कितने ही चारित्रिक अपराध हुए होंगे और आगे भी होते रहेंगे जिनके बारे में ना तो कोई जानता है और ना ही कभी कोई जान पायेगा।
मर्द तो स्वभाव से ही पहलगामी होते हैं, उन्हें पृक्रति ने ही ऐसा बनाया है चंचल और उतावला,किसी जवान लड़की की तरफ़ आकर्षित होना और उससे सहवास का प्रयास करना या उसके सपने देखना ही उसका स्वभाव होता है। अगर औरतों के शर्मिलें स्वभाव की तरह ही यदि मर्द भी शर्मिले होते तो शायद ये संसार का चक्र कभी का रुक गया होता। क्योंकि ना तो तब औरतें अपनी शर्म के कारण कुछ कह पाती और ना ही मर्द पहल करते तब तो हो चुकी होती संसार की रचना। लेकिन ऐसा है नहीं,पृक्रति ने पुरुष को बनाया ही उतावला अधीर और बेशर्म और ये बात एक पुरुष होने के नाते संजय के पिता को समझनी चाहिये थी कि दो जवान जिस्मों को पास पास रखने के घातक परिणाम आ सकते हैं। लेकिन शायद खुद के बूढे हो जाने के कारण उनकी शारीरिक जरुरत समाप्त हो चुकी थी और वे यह भूल गये की दो जवान स्त्री पुरुष का एक दूसरे प्रति एक आकर्षण होता है और एक दूसरे की जरुरत भी और उनकी इसी भूल ने सनी और नेहा के ना(जायज) रिश्ते को जन्म दे दिया।
१५-२० मीनट के बाद नेहा के शरीर में थोड़ी हरकत होती है शायद चुदाई की उसकी थकान अब कम होने लगी थी,वो थोड़ा खड़ी होने का प्रयास करती है लेकिन सनी का दांयां पैर उसकी जांघो पर पड़ा हुआ था और उसका एक हाथ उसके स्तन पर . शायद उसे झपकि लग चुकी थी ।उसने पहले सनी के हाथ को अपने स्तन से हटाया और फ़िर उठ कर बैठ गई,फ़िर उसने उसकी जांघों को अपने उपर से हटाया और पलंग से उठ खड़ी हुई।
नेहा पूरी तरह से नंगी थी और बला की खूबसूरत लग रही थी . बाहर की तरफ़ निकली हुई उसकी गोल गोल भारों वाली उसकी गांड और बड़े बड़े विशाल स्तन उसे बेहद कामुक बना रहे थे। वो वैसे ही नंगी चलती हुई बाथरुम की तरफ़ जाने लगी लेकिन कमरे भीतर रखे ड़्रेसिंग टेबल के सामने से गुजरते हुए उसमें अपनी छाया देख कर वो रुक जाती है।
वो उस्के थोड़ा और करीब जाती है और अपने नंगे जिस्म को निहारने लगती है। अपने नंगे जिस्म को देखते हुए कभी तो वो शर्मा जाती और कभी गौरव और अहंकार से उसका मन भर जाता कि मेंरे इसी जिस्म को पाने के लिये सनी इतना ललायित रहता है। उसे इस बात के लिये खुद पर बेहद घमंड़ हो रहा था कि सनी मेंरे इस जिस्म के लिये पागल है। लेकिन ये अहंकार तो दुनिया की हर स्त्री को होता है कि पुरुष उसके जिस्म का दिवाना है और उसके पिछे पागल है।
अपने जिस्म पर घमंड़ करना हर स्त्री का स्वभाव होता है,और उसे भोगना हर पुरुष का। वो इस बात से शायद अन्जान होती है कि पुरुष का अंतिम लक्ष्य तो उसके जिस्म में बसी उसकी चूत होती है फ़िर शरीर चाहे किसी नेहा का हो या किसी सुनीता,अनिता या अंजली का हो।
कुछ देर तक इसी तरह अपने जिस्म को आईने में निहारने के बाद वो मंद मंद मुस्कुराते हुए एक निगाह पलंग पर पड़े नंगे सोये पड़े सनी पर ड़ालती है और बाथरुम में चली जाती है
बाथरुम में पहुंच कर नेहा ने शावर चालू किया और अपने शरीर की सफ़ाई करने लगी . दोनों जिस्मों के गुत्थम गुत्था होने से पैदा होने वाला पसीना और सनी के वीर्य ने उसके शरीर को चिपचिपा बना दिया था और चुदाई के दौरान हुई कसरत ने उसको काफ़ी थका दिया था। लेकिन पानी के बौछार के शरीर में लगने से उसे काफ़ी राहत महसूस हो रही थी और ताजगी का अह्सास उसके शरीर में नवीन उर्जा का संचार करने लगा।
लगभग १० मीनट तक नहाने के बाद नेहा पूरी तरह ताजगी महसूस करने लगी और अब उसने शावर बंद किया अपने बदन को पोंछने के बाद वो बिना तौलिया लपेटे नंगी ही वापस कमरे में आ गई . अब उसे सनी से शर्म जैसी कोई बात नहीं थी .
इधर सनी भी लगभग ३० मीनट की नींद पूरी करने के बाद जाग चुका था और काफ़ी तरोतजा मह्सूस कर रहा था . उसने अपनी आंखे खोली और पलंग पर ही पड़ा रहा।
पलंग पर लेटे हुए ही उसने एक नजर नेहा पर ड़ाली लेकिन वो बिस्तर पर नहीं थी , उसे बिस्तर पर ना पा कर उस्की निगाहें नेहा को खोजने लगी। नहाने के कारण नेहा के बदन में एक अलग ही चमक दिखाई दे रही थी और उसका गोरा बदन नंगा होने के वजह से और भी मादक लग रहा था ।रश्मी नहा कर कमरे में नग्न खड़ी थी उसका एक पैर स्टूल पर था और दूसरा पैर जमीन था और वो अब अपने पैरों को पोछ रही थी .
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