RE: Bhabhi ki Chudai कमीना देवर
लंड़ के झटके के साथ अंदर जाने के साथ ही नेहा के मूह से एक जोर की आह्ह्ह्ह्ह निकल जाती है . उसकी आंखे बंद थी लेकिन मुंह खुला हुआ था और वो बार बार अपनी जीभ अपने होठों पर फ़ेर रही थी . कामवासना के अतिरेक के कारण उसका सर कभी दाएं तो कभी बायें घूम रहा था। पूर्णत: उन्मुक्त और नंगी नेहा ने अपने जिस्म को पूरी तरह से ढ़ीला करके सनी को समर्पित कर दिया था और सनी के लंड़ के लिये अपनी चूत में प्रवेश को और भी असान बना दिया था। वो सनी के लंड़ को को अपनी चूत की गहराईयों तक महसूस करना चाहती थी। नंगी नेहा नागीन की तरह कमरे के कालीन में बलखा रही थी और उसके ऐसे बलखाने से वो और भी मादक लग रही थी और सनी को और तेजी से अपनी चूत में प्रहार करने के लिये उकसा रही थी।
सनी ने नेहा के जिस्म पर ऐसा अधिकार जमा लिया था कि उसे पाने और भोगने के लिये उसे नेहा की सहमति की भी जरुरत नहीं रह गई थी . आठ महीनों से अपनी कामवासना को लगातार दबाने और अपने मनोभावों को दबाने के कारण जो कुंठा उसके भीतर पैदा हो गई थी उसमें वो ये भी भूल चुकी थी वो एक जवान स्त्री है। शादी का मतलब उसके लिये केवल दो वक्त का खाना बनाना और अपने सास ससुर की सेवा करना भर रह गया था . पति से दूर संभोग विहीन स्त्री के लिये शादी एक बोझ बन गई थी और उसकी भावनाएं मुरझा गई थी और वो भी खुद को अपनी सास की तरह बूढी औरत समझने लगी थी और उसी तरह व्यवहार करने लगी थी। लेकिन सनी ने जबरन ही सही लेकिन जब उसे मजबूर करके नंगी किया और उसकी बूर को चोदा तब उसे अपने जवान होने का अहसास हुआ और उसे ये भी अहसास हुआ कि उसके जवान शरीर की भी कुछ जरुरत ऐसी हैं जिसे केवल एक मर्द ही पूरा कर सकता है।
नेहा की हालत ऐसी हो गई थी कि सनी का लंड़ पाने के लिये एक ही चीज की जरुरत थी और वो थी एकांत . दुनिया की नजरों से दूर किसी बंद कमरे में वो किसी भी रुप में सनी का लंड़ अपनी चूत में लेने के लिये तैयार थी।और इसके लिये न तो उसे किसी मखमली बिस्तर की जरुरत और ना ही पलंग की और इसीलिये सनी ने जब उसे कमरे के कालीन में चोदने के लिये सुलाया तो वो बिना किसी विरोध के उसी जगह चुदने के लिये तैयार हो गई।
रोटी का मतलब किसी भूखे इंसान से पूछो तो वो बतायेगा उसका मतलब या फ़िर उससे पूछो जो पाने के लिये जी तोड़ मेहनत करते हैं . किसी 5 स्टार होटल में अपने कुत्ते के साथ जाने वाला इंसान कभी भी रोटी का महत्व नहीं समझ सकता।
नेहा भूखी तो कई महिनों से थी लेकिन जैसे ज्यादा उपवास करने से भूख का अहसास खतम हो जाता है और इंसान का शरीर उस भूख के साथ समझौता कर लेता है,वैसे ही नेहा को भी कामवासना का अहसास खतम हो चुका था। वो खुद को बूढी समझने लगी थी लेकिन सनी ने उसकी बुर चोद कर उसे जवान होने का अहसास करा दिया था।
नेहा और सनी की अन्तरात्माएं तो पहले ही मौन धारण कर चुकी थी, सो पाप का अहसास जैसी कोई बात दोनों के मन में दूर दूर तक नहीं थी। और सनी तो वैसे भी ये मान कर चल रहा था कि अपनी भाभी को चोदना उसका धरम है, सो वो अपनी भाभी को चोदने का पुनित धार्मिक कार्य पूरे मनोयोग से कर रहा था।
नेहा भी सनी से एक बार चुदने के बाद काफ़ी हल्का महसूस कर रही थी,अपने शरीर में उसे एक अजीब बेचैनी जो महसूस होते रहती थी जिसे वो समझ नहीं पाती थी,उसकी वो बेचैनी और वो आकुलता शांत हो गई थी। एक बार की चुदाई ने ही उसके मन और मस्तिष्क को प्रसन्न कर दिया और sex उसके लिये एक दवा का काम कर रहा था क्योंकि इसने महिनों से चले आ रहे नेहा के अवसाद को खत्म कर दिया था। वो पुर्ननवीन हो गई थी और अपने जवान होने के अहसास ने उसे प्रसन्नचित्त कर दिया था।
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