vasna story इंसान या भूखे भेड़िए
07-01-2019, 03:02 PM,
RE: vasna story इंसान या भूखे भेड़िए
सनडे की सुबह...


पूरा परिवार तैयार था शादी की बात करने जाने के लिए. एक पर्फेक्ट फॅमिली हॉलिडे की ओर. जहाँ एक ओर हर्षवर्धन, अमृता और सुकन्या मनु के जीवन का नया तमाशा देखने जा रही थी. वहीं रजत और श्रेया भी इनके साथ जा रहे थे.


रजत की खुशी इस मे थी कि वो मनु और काया को मरते देखना चाहता है, वहीं श्रेया इस इरादे से थी कि स्नेहा और मनु का रिस्ता टूट जाए. वहीं मनु के इस रिस्ते के लिए दो मायूस प्रेमी भी जाने वाले थे.


अखिल ने जो काया के साथ उसे जला कर अपने प्यार के एहस्सास करने का दाव खेला था, उसमे बेचारा खुद फस गया. प्लॅनिंग ये थी कि तड़पती काया की रूह को शांति उसके घर रात मे जा कर दी जाए. लेकिन उफ़फ्फ़ ये पोलीस की नौकरी केस के सील-सिले मे देर रात हो गयी.


और सुबह जब अखिल ने काया से कॉंटॅक्ट किया तो उसके मिज़ाज देख कर अखिल का मंन रोने-रोने जैसा करने लगा. आशिक़ी और दोस्ती का पुराना नाता. फॅमिली सेक़ुरिटी के नाम पर एस.पी साहब भी साथ जाने की तैयारी करने लगे, जिसका अप्लिकेशन उसने मनु से लिखवाया.


बड़ी सी बस और एक ही बस मे पूरी फॅमिली चल दिए मनु के रिस्ते की बात करने के लिए. रास्ते मे सारे लोग अपने-अपने प्लान मे लगे हुए थे, वहीं काया चुप-चाप पिछे बैठी थी. अखिल, काया को पिछे से देख-देख अपनी फूटी किस्मत पर रो रहा था...


सभी लोग बस मे आपस मे बात करते हुए जा रहे थे.. अखिल ने मौका देख कर काया के गले पर पिछे से अपनी उंगली फिरा दिया.... काया खा जाने वाली नज़रों से पिछे घूमी, अपनी एक उंगली अखिल के ओर दिखा दी. मानो कहना चाह रही हो.... "डॉन'ट डेर".


काया फिर से चुप-चाप सीधी बैठ गयी..... तभी काया के मोबाइल पे मसेज बीप हुआ..... "सूऊ सॉली, प्लीज़ एक बार बात कर लो, मैं सब समझाता हूँ... प्ल्ज़, प्ल्ज़, प्ल्ज़," .....

काया रिप्लाइड.... "गो टू हेल".... मनु ने दोबारा मेसेज किया.....

"प्लज़्ज़्ज़्ज़ एक बार बात तो सुन लो"


इस बार काया ने मेसेज का रिप्लाइ नही किया. वो गुस्से मे चुप-चाप सीधी बैठी थी. अखिल एक बार फिर काया के ठीक पिछे आया. गले के ठीक उपर अपने नाक लगा कर, तेज साँसे खींचा और अपने होंठ काया के गले से लगा कर उसे चूम लिया.


काया का बदन जैसे सिहर गया हो. मीठा सा अहसास उसके बदन मे जैसे तैर गया हो, और गर्दन अपने आप झुक गयी. लेकिन अगले ही पल, काया गुस्से मे तम-तमाई सीट पर चढ़ि, और अखिल का कॉलर पकड़ कर उसे घूर्ने लगी.....


अखिल, छोटा सा मुँह बनाए..... "सॉली"


काया के एक्सप्रेशन मे कोई चेंज नही, और वो कॉलर पकड़े अब भी घूर रही थी. अखिल फुसफुसाते हुए..... "सॉली ना, बहुत तड़प रहा था मैं भी. वो मिश्रा जी ने ऐसा कहा था करने के लिए... उसी का आइडिया था तुम्हे जलाऊ. सॉली काया... तुम्हे तडपा कर मैं भी बहुत तडपा हूँ.... आइ लव यू ना"


काया सुनती रही, सुनती रही. जैसे ही अखिल ने आइ लव यू कहा, काया उसकी शर्ट को खींची, और उसके होंठ को अपने होंठ मे दबा कर चूमने लगी. काया मदहोशी की सांस खींचती, अपनी आखें मुन्दे अपने प्यार के अहसास वाले किस मे खोती चली गयी....


वहीं अखिल की आखों के सामने पूरा मूलचंदानी परिवार बैठा हुआ था. फटी सी आखों से वो नज़रे घुमा कर सब को देख रहा था. अखिल की साँसे अटकी थी, और काया तो जैसे होंठ को चूमते हुए उसमे खो चुकी थी. वो ना तो होंठ छोड़ने का नाम ले रही थी, और ना ही कॉलर.


तभी अखिल को लगा हर्षवर्धन पिछे मूड रहा है. वो झट से अपने सीट पर बैठ गया, और काया अब भी होंठो को गोल किए आखें मुन्दे उसी पोज़िशन मे थी.


हर्षवर्धन.... काया पिछे क्यों मूडी हो.


काया, अपनी आखें खोलती हल्का मुस्कुराइ..... "डॅड, मैं एस.पी सर से उनके इंटरेस्टिंग केस के बारे मे पूछ रही हूँ".....


हर्षवर्धन फिर से अपने काम मे लग गया...... "तुम पागल हो क्या, मरवाओगी. यूँ सब के सामने कोई किस करता है क्या".


काया.... किसी से प्यार करो तो टूट कर, किसी से नफ़रत करो तो वो भी टूट कर. ये बीच वाला काम अपने से नही होता है एस.पी सर.


काया की बात सुन कर, अखिल अपनी बड़ी सी आखें किए काया को देखने लगा... "टूट कर प्यार... वॉववववव"


अखिल भी अब उठा, काया के गले पर पिछे से हाथ डाला. दोनो की नज़रें मिली, होंठ खुद-व-खुद पास आते चले गये. आखें बोझिल हो कर धीरे-धीरे बंद होती चली गयी. और लबों से लब टकरा गये. दोनो एक दूसरे मे डूब कर, एक दूसरे को चूमने लगे.


कोई फ़िक्र नही थी कि वो कहाँ थे, बस दोनो डूब कर एक दूसरे को चूम रहे थे. तभी अखिल के कनपटी पर एक तमाचा पड़ा. दोनो की किस टूटी, और अखिल टुकूर-टुकूर उपर देखने लगा.


काया ने जब अपने सामने मनु को देखी तो वो शर्मा कर विंडो साइड खिसक गयी और कंबल से अपना मुँह ढक लिया. वहीं मनु ने गुस्से भरी नज़रों से देखते उसे अपने साथ अपने सीट पर ले गया.


अखिल बेचारा मनु को क्लरिफिकेशन देना चाहता था, पर जब भी मनु की तरफ घूमता तो मनु उसे खा जाने वाली नज़रों से देखता और अखिल चुप-चाप फिर सीधा बैठ जाता.....

अखिल की हालत देख कर काया हँसने लगी.... "आज तो लगता है एस.पी सर गियो"


पूरा कारवाँ आख़िर कार पहुँचा मथुरा. स्नेहा उन सब को देख कर इतनी खुश थी कि मानो उसका दिल उच्छलने का कर रहा हो. वो अपने कमरे मे जा कर "यॅ.. यॅ" करती अपनी हाथ उच्छल रही थी.
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