Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 03:47 PM,
#16
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
कहके स्नेहा वहाँ से उठी और अपने रूम जाने के लिए निकल गयी. शीना ने उसे रोका भी नहीं, क्यूँ कि उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि स्नेहा आज क्यूँ ऐसी बातें कर रही थी.. शीना ने थोड़ा ज़्यादा सोचा तो उसे स्नेहा की कहीं कोई भी ग़लती नहीं दिखती, जब से स्नेहा इस घर में आई थी तब से सुहासनी उसके साथ ठीक से बर्ताव नहीं करती,
और यह देख शीना ने भी उससे दूरी बढ़ाई, लेकिन आज शीना को लग रहा था कि उसकी माँ ने ग़लती की है स्नेहा के साथ ऐसा व्यवहार करके.. शीना को अपनी ग़लती दिखी इसमे,

और उसकी सोच कुछ हद तक ग़लत नहीं थी.. एक साइड यह था के स्नेहा ने कभी शीना या किसी और घर वालों के साथ कभी ग़लत बात भी नहीं की, बस उसकी बातें कुछ शीना को थोड़ी अजीब लगती.. लेकिन अभी शीना यह सोच रही थी कि भाभी ननद में शायद यह सब बातें नॉर्मल ही होती होगी, आख़िर दोनो घर पे ही रहती तो खाली समय में यह सब नॉर्मल ही लगता...




उधर स्नेहा अपने रूम में गयी और जाके सब से पहले अपनी आँखें सॉफ की जो ग्लिसरिन की वजह से थोड़ी सी जल रही थी...



"उफ्फ.... यह ड्रामा ना, बहुत बोर करता है कभी कभी..." स्नेहा ने अपना चेहरा सॉफ करते हुए कहा... स्नेहा यह सोच ही रही थी के उसका फेंका हुआ पासा काम करेगा या नहीं के इतने में शीना ने दरवाज़ा नॉक किया



"भाभी, दो मिनिट दरवाज़ा ओपन करो प्लीज़.."




शीना की आवाज़ सुन स्नेहा को यकीन नहीं हुआ कि इतना जल्दी उसका प्लान असर करेगा, इसलिए उसने जल्दी से खुद के बाल बिखेर दिया थोड़े और उसके चेहरे पे पानी की बूंदे तो थी ही, उसने जल्दी से दरवाज़ा खोला और जैसे ही शीना अंदर आई



"शीना बैठो तुम, मैं अभी आई...." कहके स्नेहा फिर वॉशरूम गयी ताकि शीना को लगे कि वो रो रही थी और अपना चेहरा छुपा रही है उससे.. स्नेहा ने अपना टाइम लगाया अंदर और फिर बाहर आई



"हां शीना , बताओ क्या काम था.." स्नेहा ने थोड़ी खुश्क आवाज़ में कहा



"भाभी काम के बिना नहीं आ सकती क्या... आंड भाभी, ऐसा कुछ नहीं है जो आप सोच रही हैं, यूआर माइ बेस्ट फ्रेंड भाभी, आप से नहीं तो किससे शेर करूँगी अपनी बातें..

चलिए आपसे प्रॉमिस, आगे से कभी भी आपको अकेला फील नहीं होने दूँगी मैं.. किसी को बुरा लगे तो लगे" शीना ने अपनी माँ की तरफ इशारा करके कहा और स्नेहा भी समझ गई उसे



"शीना ऐसा नहीं कहते, मम्मी हैं वो हमारी, और उनको कुछ हो तो..." स्नेहा ने यह कहा ही कि शीना ने फिर टोक दिया



"भाभी, प्लीज़ अब डिसिशन लिया है मैने डोंट कन्फ्यूज़ मी.. अब जल्दी चलिए, आज शॉपिंग पे चलते हैं और फिर लंच भी साथ करेंगे.." शीने ने जैसे ऑर्डर दिया




"पर शीना " स्नेहा फिर नहीं बोल पाई



"पर वार नही भाभी, गेट रेडी, मैं लॅंड्स एंड में टेबल बुक करवा रही हूँ.. आज हमारी दोस्ती की शुरुआत है इसलिए बिल मैं भरँगी, " कहके शीना खुशी खुशी वहाँ से निकली रेडी होने के लिए. स्नेहा अब तक नही विश्वास कर पा रही थी कि इतना जल्दी शीना बेवकूफ़ बन जाएगी.. सब छोड़ के स्नेहा जल्दी से रेडी होने लगी, और इस बात का ध्यान रखा के ड्रेस नॉर्मल हो वो ताकि शीना को शक ना हो के आगे क्या होनेवाला है.. इसलिए उसने नॉर्मल जीन्स ओर टॉप पहना और शीना के साथ शॉपिंग के लिए निकल गयी.. वैसे शीना ने भी नॉर्मल ड्रेसिंग ही की थी, लेकिन स्नेहा जान बुझ के उसकी तारीफ़ करती रही ताकि शीना से आगे बात करने में आसानी हो...




"देखा, आज सब लड़के तुम को ही देख रहे हैं, बला की खूबसूरत लगती हो" स्नेहा ने शीना से कहा जब उनके पास से कुछ लड़के निकले



"अरे भाभिईीईई... अब बस भी, इतनी खूबसूरत नहीं हूँ.. आइए लंच लेते हैं पहले फिर शॉपिंग" कहके शीना ने लॅंड्स एंड की लिफ्ट का 18थ फ्लोर का बटन दबा दिया..

शीना या राइचंद परिवार में से जब भी कोई लॅंड्स एंड जाता तो वो प्राइवेट डाइनिंग बुक करता जिसका मतलब वहाँ खाना खाने वाले लोगों के अलावा कोई और नही होता.. शीना और स्नेहा को देख वहाँ खड़े स्टाफ मेंबर ने उन्हे उनके गार्डेन व्यू टेबल की तरफ गाइड कर दिया..



"अरे सच कह रही हूँ , तुमने कभी खुद को देखा है ठीक से.. उपर से लेके नीचे तक शीशे सा बदन है तुम्हारा... लड़के तो रोज़ रात को तुम्हारे नाम जप्ते होंगे" स्नेहा ने आँख मीच के कहा



"अरे भाभी, अब बस भी, आप क्या कम खूबसूरत हो..आइ एम शुवर काफ़ी लोग तो गेस ही नहीं कर पाते होंगे के आप मॅरीड हो या नहीं.." शीना भी अब उसकी बात को कॅष्यूयली लेने लगी थी



"चल झूठी.. ऐसा होता तो तुम्हारे भैया सब से पहले उन लोगों का खून कर देते..."



"हहहहहा, क्या भाभी, सही बोलती हूँ.. आप ने आज जीन्स ही पहनी है, नहीं तो स्कर्ट में तो लोग मुझे छोड़ के आपको ही देखेंगे, और बोलेंगे, क्या माल है..."



यूही बातें करते करते दोनो ने एक दूसरे को अच्छी तरह जाना, और स्नेहा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा था.. काफ़ी हँस हँस के एक दूसरे से बातें, मस्ती मज़ाक, शीना को कॉलेज के दिन याद आ गये जब वो अपने दोस्तों के साथ घंटों कॅंपस में बैठी रहती और इधर उधर की चर्चा करती रहती.. आज काफ़ी टाइम बाद शीना को रिकी के अलावा किसी से बात करके अच्छा लगा था.. इसलिए उसने सोचा अब ठीक है, अगर भाभी को ऐसी बातें ही पसंद हैं तो इसमे हर्ज ही क्या है आख़िर, कोई भी घर बैठे बैठे बोर हो उससे अच्छा बातें कर लो, नुकसान नहीं था इसमे कोई.. इसलिए लंच से लेके शॉपिंग तक शीना और स्नेहा ही बातें जारी रही.. जब भी कोई लड़का आस पास से गुज़रता तो दोनो में से कोई मौका नहीं छोड़ता एक दूसरे को चिढ़ाने का..




"देखा भाभी, आपके पीछे जो लड़का खड़ा है, बस आप पे ही नज़रें जमाए हुए है.." शीना ने बिलिंग लाइन में खड़े हुए धीरे से स्नेहा के कानो में कहा.. स्नेहा ने इस बात का जवाब नहीं दिया, पर वो यह सोचने लगी कि अब शीना को अपने काम के लिए मजबूर करना कोई बड़ी बात नहीं होगी, बहुत आसानी से उसे कामयाबी हासिल होगी..




उधर रिकी ने जब विक्रम को महाबालेश्वर वाली घटना बताई, तो विक्रम को भी कुछ अजीब सा दिखा, वो रिकी से ज़्यादा तेज़ सोचता था, इसलिए उसने जब यह सुना तब रिकी से कहा



"रिकी, कोई आदमी ही यह हरकत करेगा, अगर तुम्हे लगता है के कोई अचानक गायब हो गया तो उसमे कोई बड़ी बात नहीं है.. लेकिन तुम उस वजह से नहीं जा रहे हो क्या ?"




"नहीं भाई, बट अब वहाँ दिल नहीं लगता, अकेला सा लगता है.. और इधर रहूँगा तो आप लोगों के पास रहूँगा, इसलिए नहीं जाना मुझे"




रिकी की यह बात सुन विक्रम समझ गया कि रिकी झूठ बोल रहा है वजह कुछ और थी, जो लड़का पिछले 3 साल से अकेला रह रहा है उस अचानक ऐसी फीलिंग कैसे आ सकती है,

इसलिए उसने रिकी से बात नहीं की और उसे बिना कुछ कहे वहाँ से निकल गया... विक्रम के जाते ही रिकी ने भी चैन की साँस ली के अछा हुआ उसकी ज़बान पे शीना वाली बात नहीं आई.. रिकी को उस महाबालेश्वर वाली घटना से ज़्यादा शीना की बात प्यारी थी.. इसलिए जब शीना ने कहा उसे लंडन नहीं जाने को तब से उसने यह दिल में बिठा लिया कि वो बस नहीं जाना चाहता... रिकी, बस इधर शीना की वजह से रुका था... उपर से वो खुद को यह दिखाता कि वो कन्फ्यूज़ है कि क्यूँ नहीं जा रहा लंडन, लेकिन दिल में वो जानता था के शीना की वजह से वो नहीं गया.. यहाँ रह कर वो शीना के साथ वक़्त गुज़ारना चाहता था.. यह कैसी फीलिंग थी वो नहीं जानता था, बट अब उसके दिल में यह फीलिंग आई तो क्या कर सकता है कोई..




"स्नेहा, मैं बाहर जा रहा हूँ आज रात को , कुछ काम है.. खाने पे मेरा वेट नहीं करना, और पापा से भी बोल देना.... " विक्रम ने स्नेहा को फोन करके कहा और गाड़ी लेकेहाइवे की तरफ बढ़ गया.. उधर स्नेहा और शीना जब शॉपिंग करके वापस आए तो शीना सीधा रिकी के पास चली गयी और उसके पास बैठ के अपनी शॉपिंग के ही कपड़े दिखाने लगी और साथ ही रिकी के लिए भी वो कपड़े लाई थी, वो भी दिखाने लगी.. शीना को याद था कि स्नेहा के साथ रिकी कंफर्टबल फील नही करता तभी वो वहाँ अकेली गयी थी और दोनो भाई बहेन साथ में बैठ के बातें करने लगे.. कुछ ही देर हुई थी, कि शीना के मोबाइल पे एसएमएस आया




"तुम्हारे भैया आज रात को नहीं है, क्या तुम सोना पसंद करोगी मेरे साथ आज की रात.." स्नेहा ने शीना से कहा

बिना कुछ सोचे, या बिना कुछ समझे शीना ने तुरंत जवाब दिया




"ओके.. डन,"
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RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा - by sexstories - 07-03-2019, 03:47 PM

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