RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"अपना हाथ आगे बढ़ाओ," कहके स्नेहा ने अपने क्लच से एक डाइमंड सटडेड ब्रेस्लेट निकाला और उसकी कलाई में बाँधने लगी
"नहीं भाभी, यह नहीं चाहिए मुझे, दिस ईज़.." ज्योति ने इतना ही कहा कि स्नेहा ने उसे खामोश रहने को कहा
"लुक्स गुड ऑन यू, मेरी तरफ से गिफ्ट समझ लो यार, जिस दोस्त को में अपनी ननद में ढूँढ रही थी वो तो कभी मिली ही नहीं, अब आइ होप तुम मेरी दोस्त रहोगी.." स्नेहा ने ज्योति से कहा
"भाभी, एमोशनल मत हो...हमे सिर्फ़ एक दूसरे की ज़रूरत है, जैसे आप शीना को इस्तेमाल करना चाहती थी, वैसे ही मुझसे सेम उम्मीद कर रही हैं, आंड उसके बदले मेरी मदद कर रहे हो आप... इसमे दोस्ती मुझे कहीं नहीं दिख रही.." ज्योति ने अपनी बात ऐसी टोन में कही कि ना ही स्नेहा को बुरा लगा और ना ही ज्योति रूड लगी, यह उसका तरीका था जो उसे शीना से अलग करता था.. जो दिमाग़ शायद शीना की वजह से ब्लॉक हो गया था, अब उसका ध्यान स्नेहा रखेगी
"ठीक कह रही हो ज्योति, पर इन सब के अंत में...तुम हमारे साथ ही रहोगी, इसलिए दोस्त बनना ज़रूरी है..." स्नेहा ने फिर हंस के कहा
"मतलब, भाभी मैं कुछ समझी नहीं... कुछ छुपा रहे हो क्या आप मुझ से.." ज्योति ने सीरीयस होके एक नज़र स्नेहा को देखा
"नहीं, मुझे जो सब पता है मैने तुम्हे बताया, यह सब क्यूँ हो रहा है, मैं वो नहीं जानती, बस अपने पैसे से मतलब रखती हूँ, हर महीने 20 लाख आ जाते हैं मेरे पास, उपर से इतने बड़े घर में रहो तो वो सब ठाट अलग, ऐसी डील कौन मना करेगा.." स्नेहा ने अपने लिए एक पेग और ऑर्डर करते हुए कहा
"यू आर ए बिच भाभी..."
"आइ नो.... बट इट'स ऑल अबाउट मनी स्वीटहार्ट.. अट लीस्ट फॉर मी इट ईज़..." स्नेहा ने ज्योति से आँख मार के कहा और दोनो फिर दारू पीने में लग गये.. कुछ देर में जब दोनो घर की तरफ निकले, तब रास्ते में ज्योति स्नेहा के बारे में ही सोचती रही और आख़िर कौन है जो राइचंद'स को तकलीफ़ देना चाहता है, फिलहाल ज्योति और स्नेहा यही जानते थे कि राइचंद'स को तकलीफ़ देनी है, लेकिन यह नहीं जानते थे, कि इससे आगे भी कुछ होगा और वो शायद बहुत खराब होगा...
"अगर भाभी या उनका बॉस , वो जो कोई भी हो , अगर वो मुझे रिज़ॉर्ट वाला प्रॉजेक्ट दिला सकते हैं तभी मैं मानूँगी कि इनमे दम है , और अगर इनमे दम है तो फिर इनके साथ होने का नुकसान नहीं है , मेरे फ़ायदे के लिए कभी भी काम आ सकते हैं.. आंड वैसे भी स्नेहा भाभी का बॉस तो मुझे डार्लिंग बोल रहा है अभी से , उसको फसाना कोई बड़ा काम नहीं होगा , और राइचंद'स को तकलीफ़ देना , ज़्यादा से ज़्यादा क्या होगा , मॅग्ज़िमम कोई मरेगा , जैसे विकी भैया मरे आक्सिडेंट में , तो उसकी तकलीफ़ भी कम हो गयी ना , वैसे ही शायद कुछ और एक दो लोग मरे , उससे ज़्यादा क्या होगा , मारना ही है तो शीना को मारना , मुझे बहुत खुशी होगी इस बात से... " ज्योति अंदर ही अंदर खुद से बातें कर रही थी..
"चलो घर आ गये.." स्नेहा की आवाज़ से ज्योति का ध्यान टूटा
"ह्म्म्म, चलिए भाभी, फिर बात करते हैं.." कहके ज्योति कमरे में जा रही थी कि तभी स्नेहा की आवाज़ से रुक गयी
"ज्योति, वैसे जब तक रिकी आए, तुम मज़े किसी और से भी ले सकती हो.." स्नेहा ने पार्किंग के आगे आते हुए कहा
"मतलब.." ज्योति ने अंजान बनते हुए कहा
"मतलब यह मेरी छम्मक छल्लो, इतने बीच वेअर लिए हैं तो कहाँ पहनोगी.." स्नेहा ने ज्योति के सामने आके कहा, ज्योति इसका जवाब नहीं दे पाई
"एक काम करो, पापा के साथ गोआ जाओ.. अपने पापा के साथ, बीचस वहाँ भी हैं, आंड.... हॅव फन स्वीटी.." स्नेहा ने ज्योति के कान में कहा और वहाँ से निकल गयी ज्योति को अकेला छोड़ के.. स्नेहा की बात पे ज्योति ने ध्यान दिया तो उसकी बात सही भी थी, लेकिन आख़िर स्नेहा को इतना कुछ पता कैसे है,
"खैर छोड़ो, मुझे क्या, आज पापा को पटाती हूँ.." ज्योति ने खुद से कहा और अपने रूम में चली गयी
"बोलिए भी... अब कितना सोचने का..." शीना ने रिकी से कहा जो उसके सामने बैठा हुआ था लेकिन उसे नहीं देख रहा था
"शीना... सामने देखो, क्या दिख रहा है.." रिकी ने अपनी नज़रें सामने रखते हुए ही कहा.. रिकी के कहने पे शीना ने अपनी नज़रें सामने की ओर देखने लगी....
"सामने तो समंदर, उसका ब्लू पानी, थोड़ी दूरी पे कुछ बोट्स , उपर आसमान जो नीला है और कुछ देर में डार्क होने वाला है, उसके अलावा हम दो.." शीना ने कुछ देर सामने देख के रिकी को हँस के जवाब दिया
"जानती हो शीना, समंदर की लहरें और समंदर के किनारे का क्या रिश्ता है..." रिकी ने जब अपनी नज़रें वहाँ से हटा के शीना की तरफ की तो शीना को उसकी आँखों में एक गंभीरता दिखी जिसे देख शीना समझ गयी रिकी कुछ सीरीयस बोलने वाला है...
"आप बताइए.." शीना ने बस इतना ही कहा और गंभीर होते हुए रिकी की आँखों में देखने लगी
"कुदरत ने समंदर की लहरों को और किनारे को एक दूसरे के लिए ही बनाया है, जहाँ समंदर की लहरें होती हैं वहीं किनारा भी होता है.. लेकिन अफ़सोस , दोनो कभी मिल नहीं पाते... जैसे जैसे लहरें किनारे तक पहुँचती हैं, बीच में पत्थर आते हैं और समंदर की लहरों को तोड़ देते हैं, जिससे इनका मिलन अधूरा रह जाता है, ज़िंदगी भर लहरें इसी कोशिश में रहती हैं के वो किनारे से हमेशा के लिए मिल जाए और ज़िंदगी भर किनारे भी इसी इंतेज़ार में रहते हैं के कब उनका मिलन होगा... लेकिन किस्मत देखो, ऐसा कभी नहीं होता.." रिकी ने एक बार फिर अपनी नज़रें सामने की तरफ कर के कहा और शीना के जवाब का इंतेज़ार करने लगा
"आप जानते हो, यह जानने के बावजूद भी कि इनका मिलन इनकी किस्मत में नहीं लिखा है, लेकिन फिर भी लहरें कभी अपनी कोशिश नहीं छोड़ती, वो हर वक़्त बस उस किस्मत को बदलने की फिराक में रहती है, के भले ही एक पल के लिए, लेकिन वो किनारे से मिलती है और फिर दूर हो जाती है.. वो इसी में खुश भी है, मैं समझ रही हूँ आप क्या कहना चाहते हो, मैं जानती हूँ कि हमारा रिश्ता पता नहीं कैसा होगा, मैं नहीं जानती कि हमारा रिश्ता कितने वक़्त का होगा, लेकिन मैं बस यह चाहती हूँ कि हम जब भी साथ हो, जितनी देर भी साथ रहें, बस एक दूसरे के लिए ही रहें.. मैं नहीं कह रही कि आप मुझे भगा के ले चलो और मुझ से शादी करके अपनी बीवी बना लो, क्यूँ कि ज़रूरी नहीं हर रिश्ते को नाम दिया जाए, कुछ रिश्तों की खूबसूरती बिना नाम के ही दिखती है.. आप मेरी लाइफ में पहले लड़के हो, और मैं यह भी नहीं कह रही के हमारा प्यार दुनिया का सबसे पवित्र होगा या ऐसा कुछ..मैं आज की प्रॅक्टिकल लड़की हूँ, आइ नो हाउ रिलेशन्षिप वर्क्स, मैं नहीं चाहती कि हमारा पहला सेक्स हो उसे हम सुहाग रात कहें.. मैं बस यह चाहती हूँ कि आप जब भी मेरे साथ हो, मेंटली आंड फिज़िकली बस मेरे लिए ही रहें, और किसी के लिए नहीं.. मैं जब भी मुसीबत में रहूं तो यह एक्सपेक्ट करती हूँ के आप मुझे उसमे से निकालें, अगर कभी आप परेशान होगे तो मैं चाहती हूँ कि आप के लिए सबसे आगे मेरा कंधा हो.. दिस ईज़ आ सिंपल रिलेशन्षिप.. मैं इसे नाम देके कॉंप्लिकेट नहीं करना चाहती.." शीना ने यह सब एक साँस में बोलके अपनी नज़रें रिकी से हटा के फिर समंदर को देखने लगी.... कुछ देर तक दोनो खामोश रहे, आवाज़ थी तो सिर्फ़ समंदर की लहरों की और आसमान में उड़ रहे कुछ पन्छियो की.. दोनो के दिल में कुछ था जो अब तक शांत नहीं हुआ था पर दोनो के दिल के कोने में एक
सुकून था, रिकी खुश था के शीना ने उसकी बात को समझा और समझदारी से जवाब दिया, वहीं शीना भी खुश थी के रिकी इतना कनसिडरेट है, वो सब सोच रहा है, हर एक छोटी चीज़ जो रिलेशन्षिप में मायने रखती है, शीना ने काफ़ी ऐसे ब्लॉग्स और फॉरम्स पढ़े थे जिनमे राजशर्मास्टॉरीज फोरम सबसे अच्छा था जहाँ ऐसे रिश्तों को काफ़ी अनरियलिस्टिकली डिस्क्राइब किया जाता था लेकिन शीना ने अपने दिल की बात कही जिसे रिकी समझ भी गया.. यह एक नि-स्वार्थ रिश्ते की शुरुआत थी
"और अभी बताओ, क्यूँ कहा मैं और ज्योति ईक्वल हैं.." शीना ने खामोशी तोड़ते हुए समंदर की तरफ देखते हुए ही पूछा
"बस यही बात थी, मैं अब तक खुद से लड़ रहा था कि बिना नाम के रिश्ते को तुम कबूल भी करोगी के नहीं, लेकिन अब तुम्हारी बात सुन के मुझे कुछ सवालों के जवाब मिल गये हैं.." रिकी ने शीना का हाथ थाम के कहा
"कुछ सवाल, बस ? मुझे लगा सब क्लियर हो गया होगा... आपका दिल बहुत भाग रहा है हाँ.." शीना ने रिकी के सीने पे अपना सर रख के कहा
"अब मेरा कहाँ है यह.." रिकी ने बस इतना ही कहा और शीना के सर को चूम लिया
"अब चलें, यहाँ अंधेरा हो रहा है..." शीना ने जवाब में रिकी का हाथ चूमकर पूछा
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