RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
सुबह करीब 6 बजे, रिकी अपने कमरे की खिड़की के पास जा खड़ा हुआ और हल्का सा परदा हटा के कुदरत के नज़ारे को देखने लगा... उसकी आँखों के सामने सबसे खूबसूरत नज़ारा अगर कभी आया था तो वो यह था, नीले समुंदर का पानी जो काफ़ी शांत था, उगता हुआ सूरज बादलों के बीच से निकल रहा था, पक्षी अपने घर से निकल के जैसे अपने काम की तरफ भाग रहे थे, उनके चहेकने की आवाज़ रिकी के कानो में किसी संगीत की तरह पड़ रही थी.. रिकी ने अपनी नंगी छाती को टवल से ढका और सिगरेट का पॅकेट उठा के समंदर की तरफ जाने का सोचा.. जैसे ही वो दरवाज़े की तरफ जाने के लिए पलटा, सामने बेड पे उसे शीना सोती हुई दिखी, नींद में उसके बालों की एक लट उसकी आँखों पे आ गयी थी, सूरज की किर्णो की वजह से उसके काले बाल सुनहेरे दिख रहे थे, उसका मासूम चेहरा चमकने लगा था, नींद में भी उसके चेहरे से मुस्कान गायब नहीं हुई थी.. इतनी मासूमियत थी शीना के चेहरे पे के रिकी फिर पिछली रात की यादों में डूबने लगा.. रिकी धीरे से आगे बढ़ा और उसकी आँखों पे गिरती हुई लट को उसने धीरे से दूर किया और शीना के चेहरे को निहारने लगा.. रिकी ने धीरे से अपने होंठ उसके चेहरे के नज़दीक लाए और फिर उसके चेहरे को देखने लगा.. देखते देखते हल्का सा मुस्कुरा दिया और अपने होंठ उसके गालों से दूर करके उसकी आँखों के पास ले गया और हल्के से उसे चूम दिया... जैसे ही रिकी ने शीना को चूमा, शीना के चेहरे पे मुस्कान बढ़ गयी और धीरे से उसने अपनी आँखें खोली और रिकी का चेहरा अपने सामने पाया
"सुबह सुबह सबसे पहले आपको देखा, मानो खुदा से अब कुछ और माँगने के लिए बचा ही नहीं है मेरे पास..." शीना ने अपनी मीठी आवाज़ में कहा जिसका जवाब रिकी ने सिर्फ़ मुस्कुरा के दिया
"आइ लव यू आ लॉट रिकी..." शीना ने फिर धीमी सी आवाज़ में रिकी के कानो के पास आके कहा और रिकी के गालों पे चूम दिया.. यह पहली बार था जब शीना ने ज़िंदगी में रिकी को उसके नाम से पुकारा था
"जाय्न मी आउटसाइड.." रिकी ने घुटनो पे बैठते हुए ही शीना से कहा
"विल डू दट इन सम टाइम.. टू लेज़ी नाउ.." शीना ने एक अंगड़ाई लेके कहा, जिसके जवाब में फिर रिकी ने उसे चूमा और बाहर जाने के लिए निकल गया
बाहर आते ही रिकी समंदर के पास बने रेक्लीनेर चेर पे जा बैठा और अपनी आँखें समंदर की तरफ लगा दी.. समंदर में अब कुछ हरकत चालू हो गयी थी, लहरें धीरे धीरे कर उछलने लगी थी और तेज़ होने लगी थी, नीले पानी को देख कोई बता नहीं सकता था के यह नीला रंग आसमान का है या पानी ही नीला है.. एक तक अपनी आँखें समादर पे लगाए रिकी कुछ गहरी सोच में डूबा हुआ था..रिकी ऐसी हालत में था कि कोई भी उसके पास आके खड़ा हो जाता तो भी वो उसे महसूस नहीं कर पता, बॉक्सर्स में लंबा लेटे लेटे आँखों पे स्पोर्ट ग्लासस पहेन के रिकी बस वहाँ की हवा को अपने बदन पे महसूस कर रहा था.. उसे ऐसी सोचे सोचे कितनी देर हुई शायद इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता था कि इतनी तेज़ हवा में भी उसके माथे पे पसीना आने लगा था, चेहरे पे शिकन पड़ने लगी थी.. शायद उसका सब्र टूट ही रहा था कि तभी उसका ध्यान पास पड़े फोन पे गया जो शायद काफ़ी देर से बज रहा था...
"ह्म्म्म..." रिकी ने फोन उठा के बस इतना ही कहा और पास रखे ग्लास के उठा के उसे गोल गोल घुमाता शीशे में से पीछे देखने लगा..
"यस डॅड आइ नो.. यहाँ आर्किटेक्ट्स से मुलाक़ात है मेरी आज, घर आके बस अभी रिज़ॉर्ट के काम पे ही लगना है... हां जी और भैया के काम को भी संभालना है, यस आइ रिमेंबर..." रिकी ने ग्लास नीचे करके कहा
"शीना सो रही है डॅड.." रिकी ने इतना ही कहा कि पीछे से आके शीना ने उसके नेक पे प्यार से चूम लिया
"यस डॅड, बलि, इंडिया से 2.30 घंटे आगे है, यहाँ 9 बजे हैं, तो आपके वहाँ 6.30 ही है.. बट आप इतना सुबह सुबह जल्दी कैसे.." रिकी ने पीछे से शीना के हाथों को पकड़ा और गोल घूमके उसे अपने पास लाया और गोद में बिठा लिया
"ओके डॅड.. सी या.." कहके रिकी ने फोन कट किया और शीना को मज़बूती से अपनी बाहों में थाम लिया
"सुबह सुबह डॅड से झूठ, अच्छी बात नहीं है.." शीना ने आराम से रिकी की बाहों में टेका लिया और आँखें बंद करके रिकी के बदन को अपने बदन के साथ महसूस करने लगी
"अगर सच कहूँगा तो शायद हम ज़िंदा भी ना बचें, " रिकी ने अपने होंठ शीना की पीठ पे रखे और अपनी गरम गरम साँसें शीना की पीठ पे छोड़ने लगा जिसकी वजह से शीना कसमसा रही थी और बस "उम्म्म्मम....सीईईई" करती रह गयी...
"सुबह सुबह ही मूड बन गया है क्या.." शीना ने बड़ी मुश्किल से अपनी ज़बान से कहा, उसकी आँखें अभी भी बंद थी लेकिन हल्के हल्के वो अपने चूतड़ रिकी के लंड पे रगड़ रही थी, महसूस कर रही थी रिकी के लंड के उभार को...
"यह तो बस रात का ही नशा है.. जो अब तक नहीं उतरा.." रिकी ने भी अपनी गरम साँसों के साथ कहा और अपने होंठ धीरे धीरे शीना की पीठ पे फेरने लगा
"यह देखिए कितनी मिट्टी लग गयी है..." शीना ने रिकी से पिछली शाम कहा जब दोनो अपने रिज़ॉर्ट से निकले और सेर करते करते एक लोकल बीच पे पहुँचे, जहाँ कुछ लोग बीच वॉलीबॉल में लगे हुए थे.. इजाज़त लेके रिकी और शीना अलग अलग टीम्स में बँट गये और सब लोग फिर वॉलीबॉल खेलने लगे.. जैसे जैसे वक़्त बीता वैसे वैसे बदन पे पसीना और मिट्टी बढ़ने लगी. कुछ देर में ग़मे ख़तम करके सब लोग ग्रूप बना के फिर अपने अपने काम में लग गये, कोई बियर पीने गया तो कोई वहीं ग्रूप बना के समंदर के नज़ारे का मज़ा लेने लगा.. रिकी और शीना ने सब से अलविदा कहा और अपने रिज़ॉर्ट की तरफ बढ़ गये
"अरे कोई बात नहीं, रिज़ॉर्ट चल के शवर ले लेना, वैसे भी इतनी धूप में स्किन टन हो जाएगी, कोल्ड शवर विल हेल्प.." कहके रिकी और शीना पैदल ही रिज़ॉर्ट जाने लगे...
रिज़ॉर्ट पहुँच के दोनो रिकी के कमरे में पहुँचे और दोनो ने मिट्टी से सने कपड़े उतार फेंके, जहाँ रिकी अब बस एक वेस्ट और अंडरवेर में था, वहीं शीना भी अपनी पैंटी और उपर एक स्लिप जैसे पारदर्शी कपड़े में थी जो काफ़ी लूस था उपर से... दोनो ने जब एक दूसरे को ऐसे रूप में देखा तो धीरे धीरे कर एक दूसरे के पास आए और अपने बदन से बदन चिपका लिए
"आइ थॉट यहाँ तुम्हारा अपना कमरा भी है" रिकी ने शीना को अपने बदन में घेर के कहा
"वॉट'स दा प्राब्लम, पेमेंट मैने किया है, कहीं भी रहूं.. कहीं भी ना रहूं, मेरी मर्ज़ी.." शीना ने धीरे से खुद को रिकी से अलग किया और गान्ड मतकाती हुई बाथरूम में चली गयी, वो जानती थी कि रिकी ज़रूर पीछे ही आ रहा होगा इसलिए उसने अपनी गान्ड की थिरकन को थोड़ा बढ़ा दिया... बाथरूम पहुँच के शीना ने झट से शवर ऑन कर दिया और रिकी की तरफ पीठ कर के ठंडे पानी को अपने बदन पे महसूस करने लगी.. जैसे जैसे पानी की बूँदें शीना के चिकने बदन पे पड़ती, वैसे वैसे रिकी के लंड में जान आती जाती, रिकी को तड़पाने के लिए शीना ने पीछे हाथ ले जाके धीरे से एक बाजू से अपनी पैंटी को साइड किया और अपनी नंगी गान्ड के दर्शन रिकी को करवाने लगी.. थोड़ी सी मदहोशी बढ़ी और पैंटी की दूसरी साइड भी नीचे हुई... शीना धीरे धीरे अपने हाथों से अपने चुतड़ों के उपर के हिस्से को सहलाने लगी और धीरे धीरे मसल्ने लगी...
"आआहहह....उम्म्म्ममम" शीना ने ज़ोर से सिसकी ली जिसे रिकी सुन सके और रिकी ने सुना भी... शीना अब तक जो पीठ करके खड़ी थी, वो धीरे धीरे पलटी और रिकी से सामना करके नहाने लगी... एक नज़र रिकी को देखा और आँखें बंद कर पानी की बूँदों का मज़ा लेने लगी... आगे से उसकी पैंटी थोड़ी नीची थी जिससे उसकी चूत की हल्की सी लकीर देखी जा सकती थी, आग में घी डालने के लिए शीना ने धीरे से अपने टॉप को नीचे से पकड़ा और उसे उपर उठा के अपने चुचों को हल्के हल्के से भिड़ा के मसल्ने लगी
यह नज़ारा देख रिकी का लंड अब उसके काबू में नहीं था, हल्के हल्के वो आगे बढ़ा और शीना के साथ पानी के नीचे खड़ा हो गया.. रिकी का आभास पाते ही शीना ने भी आँखें खोली और उसके गले लग के नहाने लगी... धीरे धीरे रिकी ने अपना हाथ नीचे सरकया और शीना की चूत की लकीर को अपने अंगूठे के नाख़ून से रगड़ने लगा
"आओओुउम्म्म्मम..य्अहह" शीना मदहोशी में बस इतना ही कह पाई, के उसने अपने चेहरे को उपर उठाया और रिकी की आँखों से आँखें मिला के उसे देखने लगी.. पानी की गिरती बूँदें दोनो के बदन की आग को ठंडा करने के बदले, उनमे एक अलग ही उर्जा पैदा कर रही थी, अचानक रिकी ने शीना को अपने करीब ला दिया और उसके होंठों से अपने होंठ जोड़ दिए
दोनो का यह दूसरा स्मूच, एक दूसरे के साथ और ज़िंदगी का भी... लेकिन आग पहले जितनी ही थी, पॅशन कम नहीं हुआ था.. जीभ से जीभ मिला के दोनो एक दूसरे के जिस्म में डूबे हुए थे, शीना ने एक हाथ नीचे ले जाके रिकी के लंड पे रखा और उसे पकड़ने लगी...
"नतिंग'स गॉना चेंज माइ लव फॉर यू.." रिकी की फोन की रिंग से दोनो को होश आया तो देखा बीच पे अब हल्की हल्की भीढ़ बढ़ने लगी थी
"व्हाट दा फक.." शीना ने रिकी के उपर से खड़े होते हुए कहा और पास में पड़े दूसरे चेर पे जाके बैठ गयी.. रिकी ने फोन कट किया और शीना की आँखों में देखने लगा
"शवर सीन.." जिसे सुन शीना ने बस अपनी आँखें झुका ली और फिर एक पल में अपनी नज़रें समंदर के तरफ घुमा दी.. इससे पहले रिकी कुछ और बोलता के तभी फिर उसका फोन बजने लगा
"उठा लो, कोई मर जाएगा अगर फोन नहीं उठाओगे तो.." शीना ने गुस्से में कहा और रिज़ॉर्ट के शॅक के पास नाश्ता लेने चली गयी
"जब एक बार फोन कट किया तो समझ जाना चाहिए के मैं कहीं बिज़ी हूँ ज्योति" रिकी ने फोन आन्सर करके कहा
"सॉरी भैया, बाइ.." कहके ज्योति फोन रख ही रही थी कि रिकी फिर बोला
"दट'स ओके.. अब बोलो, क्या हुआ, व्हाट'स अर्जेंट" रिकी ने शीना की तरफ देख के कहा जो अभी भी शॅक पे कुछ खाने के लिए ले रही थी
"जस्ट कॉल्ड यू, ऐसे ही बात करनी थी.. " ज्योति ने सहमी हुई आवाज़ में कहा जिससे रिकी को रीयलाइज़ हुआ कि ज्योति को बुरा लगा है
"सॉरी यार, एनीवेस, युवर प्रॉजेक्ट सब्मिटेड.. कब जाओगी सब्मिट करने" रिकी ने चेर से उठ के कहा जिससे उसकी दूरी शीना से और बढ़ गयी
"बस अभी पहुँची हूँ यूनिवर्सिटी.. कुछ देर में फरन्डस से मिलके निकल जाउन्गी.." ज्योति ने हँस के कहा
"ग्रेट.. हे, कुछ बुक्स टेक्स्ट करता हूँ तुमको, गेट मे दोज़ प्लीज़ फ्रॉम युवर यूनिवर्सिटी ओर एनी बुक्स स्टोर ओके..."
"येस, टेक्स्ट मी दा डीटेल्स..." ज्योति ने जवाब में कहा और दोनो कुछ दूसरी बातें करने लगे
"हेलो, फोन के साथ ही घूम लो बलि.. मैं तो यहाँ आवें ही आई हूँ ना" शीना ने चेर के पास आके चिल्ला के कहा, शीना की यह आवाज़ इतनी ज़ोर से थी कि फोन से ज्योति को भी सुनाई दी, उसे स्नेहा ने तो बताया था कि शीना वहीं है, लेकिन उसकी आवाज़ सुन के यकीन हो गया कि स्नेहा ग़लत नहीं थी
"हे, वास्न'त दट शीना'स वाय्स.." ज्योति ने तपाक से कहा
"अरे नही नही, देअर आर मेनी इंडियन्स हियर... एनीवेस, स्पीक टू यू लेटर, आर्किटेक्ट से मिलने के लिए लेट हो रहा हूँ.. बाय" कहके रिकी ने फोन कट किया और शीना के पास बढ़ने लगा
"तुम पकड़ी गयी हो.. या यूँ कहें, कि हम पकड़े गये हैं" रिकी ने चेर पे बैठ के शीना से कहा और बियर की बॉटल उठा ली जो शीना अपने साथ लाई थी
"मतलब, अब मैने क्या किया" शीना उसके पास बैठी और अपने लिए सिगरेट जला ली
"ज्योति का फोन था.. आंड बिफोर यू रिक्ट, उसने मुझे जस्ट ऐसे ही हाल चाल पूछने के लिए फोन किया था, आपकी कही हुई आखरी लाइन उसके कानो में पहुँची है और उसे पता चल गया है वो आवाज़ तुम्हारी ही है.." रिकी ने बियर की बॉटल अपने होंठों पे लगाते हुए कहा
"डू आइ केर, आंड एनीवेस, उसका फोन उठाया ही क्यूँ आपने..." शीना ने जैसे धमकी दी रिकी को, रिकी ने जिसका कोई जवाब नहीं दिया
"तो हेल विद हर, अगर उसका फोन उठाया भी आपने तो समझ लेना क्या कर सकती हूँ मैं.." शीना ने इस बार पूरे गुस्से में रिकी से कहा और चेर पे लेट के अपनी बियर पीने लगी..
"भारतीय नारी धमकी देके वहाँ से निकल जाती है, और आदमी पीछे उसे मानने जाता है... कम ऑन, आइ आम वेटिंग" रिकी ने मज़ाक में हँसते हुए शीना से कहा
"आम इन नो मूड फॉर ऑल दिस शिट... आंड अभी उसका कोई कॉल नहीं आन्सर होगा मीन्स नहीं होगा... चियर्स.." शीना ने एक दम शांत लहाज़ में रिकी से कहा और दोनो खामोशी से बियर पीने लगे..
यूनिवर्सिटी में खड़े खड़े ज्योति अपने दोस्तों से बातें कर रही थी और काफ़ी खुश थी.. जितनी देर वो वहीं खड़ी रही वो एक अलग माहॉल, एक अलग मूड में थी, यह असली ज्योति थी जो अब मुंबई आके कहीं खो गयी थी, या यूँ कहा जाए कि मुंबई आके अपनी मर्ज़ी से बदल चुकी थी... दोस्तों से मस्ती, कॅंटीन में नाश्ता, फिर सीढ़ियों पे बैठ के मज़ाक करना, ज्योति को सब कुछ याद आने लगा... अभी कुछ दिन ही हुए थे उसे मुंबई गये लेकिन वो जैसे सालों से यहाँ से दूर थी, उसे ऐसा महसूस होने लगा..
"अरे तेरा फोन बजा रे, चेक कर.." ज्योति की एक फरन्ड ने कहा जब वो कहीं सोच में डूबी हुई थी.. अपने ख़यालों से बाहर आते ही फिर वो खुशी खुशी अपने दोस्तों से बातें करने लगी, और मोबाइल बाहर निकाल के देखा तो रिकी का एसएमएस था.. रिकी का नाम देखते ही फिर मुंबई के वातावरण में चली गयी जहाँ वो इतनी खुश नहीं थी लेकिन अब वो पीछे हट नहीं सकती थी, वहाँ रुकना उसकी ही मर्ज़ी थी.. खैर, जब उसने एसएमएस देखा तो रिकी ने उसे बुक्स के नाम दिए थे जो उसे चाहिए थी... एसएमएस देख के ज्योति थोड़ी हैरान हुई, स्मस में 10-15 बुक्स के नाम थे, लेकिन उसकी परेशानी 10-15 बुक्स नहीं थी, कुछ और ही था.. कुछ देर स्मस देखती रही और कुछ सोचती रही, लेकिन फिर राजवीर का कॉल आ गया उसे
"ओह.. यस डॅड, आम ऑन मी वे.. हां हां... अभी 5 घंटे हैं डॅड, बस आ रही हूँ.." ज्योति ने अपनी घड़ी में टाइम देखते हुए कहा
"जल्दी आओ बेटा, नहीं तो फिर गोआ वाली फ्लाइट मिस हो जाएगी.. हां बबी" राजवीर ने फोन रखते हुए कहा
गोआ का नाम सुन एक पल के लिए ज्योति जैसे सन्न पड़ गयी, वो सब बीती बातें सोचने लगी.. कैसे वो मुंबई रुकी, कैसे राइचंद'स में ऐसे माहॉल में जाके धँस सी गयी, कैसे उसे पता चला कि वो राजवीर की बेटी है ही नहीं.. वो शीना और रिकी के बीच पनपता प्यार, उनसे उसकी जलन, शीना से उसकी जलन, उसकी नफ़रत.. स्नेहा की चाल में उसका शामिल होना और अभी गोआ जाके अपने बाप से एक ग़लत रिश्ते का आगाज़ करना..
"व्हाट हॅपंड स्वीटहार्ट...कहाँ खो गयी.." शीना की एक फरन्ड ने उसके कंधे को हिला के कहा जिससे ज्योति होश में आई
"यार सुन एक बात बता प्लीज़.." ज्योति ने उसे कंधे से पकड़ा और दोनो थोड़ी दूर जा पहुँची..
"टेल मी, तू अगर कुछ ऐसा काम करने जा रही है जो थोड़ा सा ग़लत है, लेकिन क्यूँ कि पहले तू निश्चय कर चुकी है करना ही है.. तो क्या तू उसे करेगी फाइनली.." ज्योति ने दबी सी आवाज़ में पूछा
"देख यार.. तू परेशान लग रही है इसलिए बात की गहराई नहीं पूछूंगी, लेकिन हां यह ज़रूर कहूँगी के दिल को खुश करने के लिए मैं वो काम नहीं करूँगी, क्यूँ कि दिल कह रहा है वो ग़लत है.. लेकिन साथ साथ दिमाग़ ने एक निश्चय कर लिया है तो उसका भी कुछ करना पड़ेगा, इसलिए मैं वो काम ज़रूर करूँगी और फिर आगे जाके दिल को मानना पड़ेगा कि जो हुआ वो ग़लत नहीं था..यह मेरा मानना है, आंड मैं तुझे भी सेम अड्वाइज़ दूँगी, अगर नहीं बोलूँगी तो फिर आगे जाके शायद कोई पछतावा हो कि क्यूँ नहीं किया, इसलिए मैं ग़लत या सही सोचे बिना वो करूँगी.. वैसे भी लाइफ ईज़ फक्किंग शॉर्ट यार, साला कल मर मरा गये तो फिर कोई अधूरी ख्वाहिश नहीं रहनी चाहिए ज़िंदगी में.." उसकी फरन्ड ने बड़े ही कॅष्यूयली कहा.. ज्योति ने उसके शब्दों को समझा और वहाँ से उठ के जाने लगी
"अबे, हेलो.. की होया.." उसकी फरन्ड ने उसका पीछे जाके कहा
"कुछ नही डार्लिंग... गोयिंग गोआ.. सियाऊ..." ज्योति उछलती उछलती अपनी गाड़ी की तरफ जाने लगी
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