Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 04:03 PM,
#68
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
राजवीर और ज्योति राजस्थान से गोआ के लिए निकल गये, क्यूँ कि वो लोग पब्लिक प्लेस पे थे इसलिए ज्योति ने प्रॉपर ड्रेसिंग ही की थी जैसे हमेशा करती थी.. नॉर्मल लूस टॉप और नीचे कार्गो पॅंट... शारीरिक तोर से तो दोनो एक साथ थे, लेकिन मानसिक तोर से दोनो एक दूसरे से काफ़ी दूर थे.. दोनो खामोश थे, जैसे एक दूसरे को पहचानते ही ना हो... ज्योति अपने ख़यालों में थी, सोच रही थी कि क्या करे क्या नहीं, या जो उसने सोचा है वो कैसे करेगी.. अगर राजवीर नहीं माना तो, या अगर उसे बुरा लग गया तो कहीं उसे घर के बाहर ना निकाल दे, आख़िर है तो वो अनाथ ही... लेकिन अगर मान गया तो फिर ज़िंदगी जैसे बस मज़े से कटेगी.. लेकिन फिर अगले ही पल ख़याल आया कि अभी भी ज़िंदगी में मज़े तो हैं ही, फिर यह सब क्यूँ कर रही हूँ मैं.. ज्योति जब भी राजवीर के साथ होने वाले रिश्ते के बारे में सोचती तो शुरू चाहे जहाँ से करे, लेकिन ख़तम इसी सवाल पे होती... आख़िर वो कर क्यूँ रही है ऐसा.. वहीं राजवीर को अंदाज़ा आ गया था कि ज्योति क्या कर रही है, पिछले कुछ दिनो के बर्ताव से राजवीर ने भाँप लिया था के था कि जिस दिशा में ज्योति जा रही है वो ग़लत है.. मुझे ज्योति को रोकना होगा, मैं ऐसा हरगिज़ नहीं कर सकता, आख़िर बेटी है वो मेरी, सही ग़लत परखना उसे मुझे ही सीखाना होगा..अगर मैं ही उसे ग़लत दिशा की ओर ले जाउन्गा तो फिर कहीं ज़िंदगी में रास्ता भटक ना जाए... लेकिन बार बार सुहसनी की वो एक लाइन उसके दिमाग़ में गूंजने लगी... "मज़े ले लो, आख़िर कौनसा अपना खून है तुम्हारा"... "मज़े ले लो...." "मज़े ले लो...." "मज़े ले लो...".......



"नहीं नहीं......" राजवीर ने खुद से चिल्ला के कहा जिससे उसके पास वाले उसकी तरफ ही देखने लगे...



"पापा, व्हाट हॅपंड..." ज्योति ने राजवीर का कंधा पकड़ के कहा जिससे राजवीर होश में आया तो देखा के वो अभी भी बोरडिंग अनाउन्स्मेंट का वेट कर रहे हैं...



"नहीं.. नतिंग, बस कुछ पुराने ख़याल...." राजवीर ने नज़रें फेर के कहा



"पुराने ख़याल इतने डरावने हैं क्या जो पसीना छूट गया है आपका..." ज्योति ने रुमाल देते हुए कहा, राजवीर ने कुछ नहीं कहा और रुमाल से पसीना पोछने लगा... कुछ देर में बोरडिंग अनाउन्स्मेंट हुआ और दोनो फ्लाइट में जाने लगे... करीब 5 घंटे के लंबे सफ़र के बाद जब दोनो अपने होटेल पहुँचे तब राजवीर को एक झटका और लगा



"क्या बोल रही हैं आप, देखिए हम ने दो रूम्स बुक किए थे..' राजवीर ने ताज विवांता की रिसेप्षनिस्ट पे हल्का सा चिल्ला के कहा



"आइ आम सॉरी सर, देखिए आप लोगों के नाम से एक ही सूयीट बुक्ड है..." रिसेप्षनिस्ट ने फिर उसे कहा



"सूयीट... एक्सक्यूस मे, हम ने दो रूम्स किए थे... हाउ कॅन यू बुक वन सूयीट फॉर अस.." ज्योति ने आक्टिंग करते हुए कहा, बुकिंग उसने ही की थी और वो जानती थी उसे अपने प्लान को कामयाब करवाना है तो सब से पहले राजवीर के साथ ही रहना पड़ेगा, इससे बेहतर मौका नहीं हो सकता था वो..



"आम एक्सट्रीम्ली सॉरी मॅम, आप की बुकिंग्स के बाद भी हम ने कन्फर्मेशन मेसेज भेजे थे, आपने रिप्लाइ भी किए हैं.." रिसेप्षनिस्ट अब थक चुकी थी



"देखिए, मेल्स कितने आते हैं अब सब को डीटेल में पढ़ने नही बैठ सकते ना,... नेवर्दलेस, आप बुकिंग कॅन्सल कीजिए सूयीट की और हमे दो एग्ज़िक्युटिव रूम्स दे दीजिए.." ज्योति ने बात को निपटाने का सोचा



"सॉरी मॅम.. ऑल दा रूम्स आर बुक्ड, ऑल वी हॅव नाउ ईज़ डिफरेंट स्यूयीट्स... इफ़ यू वॉंट आइ कॅन शिफ्ट यू देअर.."



"प्लीज़ कॅन्सल दा बुकिंग, हम यहाँ नहीं रह रहे." ज्योति ने जवाब में कहा और आगे बढ़ने लगी इस उम्मीद में कि राजवीर रोकेगा... हुआ भी वैसे ही



"रुकिये.. अब हम कहाँ जाएँगे, और ताज के स्टॅंडर्ड से नीचे नहीं रहता मैं, यू नो माइ स्टेटस ओके... एनीवेस, आप हमे रूम दिखायें..." राजवीर ने पहले ज्योति से और फिर रिसेप्षनिस्ट से कहा



"हियर'स युवर की सर... ही विल टेक यू टू युवर रूम..." रिसेप्षनिस्ट ने बेल बॉय को इशारा करते हुए कहा और जैसे ही तीनो वहाँ से बढ़ने लगे ही थे कि रिसेप्षनिस्ट की आवाज़ से फिर रुक गये



"हॅव आ प्लेज़ेंट स्टे अट विवांता मिस्टर आंड मिसेज़ राइचंद...." "मिस्टर आंड मिसेज़ राइचंद..." जैसे ही यह राजवीर के कान में पड़ा वो तुरंत पलटा और रिसेप्षनिस्ट को कहा



"यू बेटर नो युवर गेस्ट्स.. आइ आम हर फादर ऑलराइट...." राजवीर पहले ही गुस्से में था कि अब इस वाक्य ने फिर उसके गुस्से की आग को हवा दे दी. ज्योति खामोशी से आगे बढ़ती रही राजवीर के साथ लेकिन अंदर से वो काफ़ी खुश थी कि पहला कदम वैसा ही हुआ जैसे उसने सोचा था... तीनो कुछ ही वक़्त में अपने सूयीट में पहुँचे, एंटर होते ही राजवीर की आँखों में चमक सी आ गयी... सूयीट की एंट्री में ही बड़ा सा हॉल जिसमे तीन अलग अलग प्रकार के सोफा, चेर्स और कालीन बिछे रखे थे, सामने एक बड़ा सा बेडरूम और एक किंग साइज़ बेड, जिसपे कम से कम 4 लोग आराम से सो सकते.. बेडरूम की बाल्कनी से पीछे के बीच का नज़ारा था और बाल्कनी में ही एक छोटा प्राइवेट पूल बना हुआ था... बेडरूम का बाथरूम अलग, पर मैं बाथरूम उतना ही बड़ा जितना बड़ा उनका बेडरूम था, बाथटब जक्यूज़ी की सुविधा के साथ... राजवीर ने जैसे ही सब चेक किया उसको गर्व हुआ कि चलो कुछ दिन यहाँ के भी लग्षुरी में रहेंगे, कहाँ वो एग्ज़िक्युटिव रूम लेने का सोच रहा था..



"ओके पापा. तो आप बेड पे सो जाना और मैं इधर हॉल में ही.. वैसे भी लेट नाइट टीवी देखूँगी तो जल्दी नींद आ जाएगी.." ज्योति और राजवीर दोनो आमने सामने पड़े सोफा पे बैठ गये



"वो सब बाद में.. पहले खाना खा लेते हैं, फिर आगे प्लान क्या है बताओ..." राजवीर ने इंटरकम उठाते हुए कहा और दोनो के लिए खाने का ऑर्डर दे दिया



"पापा, अभी शाम के 5 ही हुए हैं.. तो मेरे हिसाब से पहले वॉटर स्पोर्ट्स कर लेते हैं, फिर बीच पे घूमने चलेंगे.." ज्योति ने एक पल भी गवारा करने का नहीं सोचा



"ठीक है... जब तक खाना आता है तब तक फ्रेश होते हैं.." राजवीर ने कहा और दोनो फ्रेश होने चले गये... राजवीर जल्दी से फ्रेश हो गया पर ज्योति अब तक नहीं आई थी और तभी उनका खाना भी आ गया...



"ज्योति, जल्दी करो, कितनी देर..." राजवीर चिल्लाया और टीवी देखने लगा...




"पापा.. चलें, वॉटर स्पोर्ट्स पे.." ज्योति ने बाथरूम से बाहर आके कहा...ज्योति की आवाज़ सुन राजवीर ने जैसे ही टीवी से आँखें बाहर निकली, उसकी ज़बान जैसे ज़मीन पे गिर पड़ी, आँखें बाहर आ गयी ऐसा नज़ारा देख के. उसके सामने ज्योति येल्लो कलर की टू पीस बिकिनी पहने हुई थी, उसके बाल हल्के गीले थे, बदन पर पानी की बूँदें अभी भी थी, शायद ज्योति ने खुद को जान बुझ के अच्छे से पोछा नहीं था, ज्योति के मखमली बदन से पानी की बूँदें टाप टॅप करके नीचे गिर रही थी, राजवीर ने जब उसके चेहरे को देखा तो पानी की बूँदें उसके बालों से गिर के धीरे धीरे उसके चेहरे से होते हुए सीधा उसके चुचों की गलियों में जा रही थी जिससे उसके चुचे और चमकने लगते.. धीरे धीरे कर ज्योति आगे आई जैसे रॅंप वॉक कर रही हो.... राजवीर की नज़र उसके चुचे से हटके धीरे धीरे नीचे आने लगी, उसका सुडोल पेट, गहरी नाभि देख के राजवीर जैसे मरने ही वाला था कि थोड़ी नज़र नीचे गयी और ज्योति की चूत दिखी... फिलहाल तो वो चूत धकि हुई थी, लेकिन राजवीर इमॅजिन करने लगा कि वो भी खुली होती तो शायद उसे अभी ही हार्ट अटॅक आ जाता



"चलें पापा..." ज्योति ने हल्का सा झुक के कहा , राजवीर पे जैसे कहर टूट पड़ा... उसकी बिकिनी पहले ही उसके चुचों को कुछ कम ढके हुई थी कि अभी यूँ अचानक झुकने से राजवीर के ठीक सामने उसके चुचे बाहर को गिरने लगे...



"हहह..हन्न.. हां चलो, पर यह.. यीहह पहेन के चलॉगी..." राजवीर ने बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला और हकलाते हुए कहा



"जी नहीं, इसके उपर का सूट है मेरे पास, यह मैने स्पेशली वॉटर स्पोर्ट्स के लिए खरीदा है..." ज्योति ने दो कदम पीछे लिए और राजवीर के सामने गोल घुमके अंग प्रदर्शन करने लगी, ज्योति के पलटने से राजवीर की नज़र सीधा उसके चुतड़ों पे गयी, उसकी बिकिनी की पेंटी उसके चुतड़ों की लकीर को ढके हुई थी, बाकी सब दिख रहा था... राजवीर तो जैसे बस खो ही गया इतने खूबसूरत चुतड़ों को देख के



"कैसा है पापा.." ज्योति ने कहा जिससे राजवीर होश में आया और बस हां कहके खाने पे लग गया.. ज्योति को यकीन था के राजवीर को फसाना इतना आसान नहीं होगा इसलिए वो हर एक कदम फूँक फूँक के रख रही थी.. ज्योति वहीं उसके सामने बैठ गयी बिकिनी में और खाना खाने लगी... ज्योति धीरे धीरे खा रही थी जान बुझ के, वो जानती थी कि अभी बीच पे कोई स्पोर्ट्स नहीं होगा इसलिए वक़्त की परवाह नहीं थी, वो चाहती थी कि जितनी देर वो लोग यहाँ इस कमरे में रहें उतना वक़्त बस उसे अंग प्रदर्शन ही करना पड़ेगा, वो बिल्कुल भी ढील नहीं देना चाहती थी राजवीर को.. इसलिए तो ज्योति एक एक नीवाला ऐसे खाती जैसे स्लो मोशन चल रहा था, राजवीर कभी खाना ख़ाता तो कभी अपनी नज़रें उँची करके उसके चुचों को देखता...



"मैं तो बहुत थक गयी थी सफ़र से पापा..." ज्योति ने आलस भरी आवाज़ में कहा और हाथ उपर करके एक अंगड़ाई ली जिससे उसके चुचे तन गये, यह देख राजवीर की सिट्टी गुल हो गयी... उसने जल्दी से अपनी नज़रें नीची की और जल्दी जल्दी खाना ख़तम कर दिया...
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RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा - by sexstories - 07-03-2019, 04:03 PM

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