RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"सो व्हाट, आप कुछ लेके आओ, आइ विल कुक हियर... एक काम करो, गेट सम रॉ चिकन, सम डो आंड सम फ्रेश वेजिटेबल फॉर सलाद... आज चिकन करी खिलाती हूँ आपको मेरे हाथ की.." शीना ने अपने बालों को बाँधते हुए कहा और रिकी के पास बैठ गयी
नहाने के बाद की खुश्बू से रिकी पागल हुआ जा रहा था, शीना जब उसके पास बैठी तो रिकी बस उसकी ज़ुल्फो और उसके बदन की खुश्बू में कहीं खोने सा लगा था..
"उम्म्म्म.....अहहहः.. युवर स्मेल सो नाइस.." रिकी ने अपने चेहरे को शीना के चेहरे के पास ले जाके कहा
"नो नो... अभी जाके खाना लाओ, फिर बाद में मुझे स्मेल करना ओके.." शीना ने रिकी को धक्का देते हुए कहा
"हाहहाअ, ओके, आइ विल बी बॅक इन आ जिफी..यू टेक केर ओके.." रिकी ने कहा और बाहर खड़े सेक्यूरिटी गार्ड को हिदायत दी कि शीना का ध्यान रखे वो अकेली है तो और खुद मार्केट की तरफ चल पड़ा..
"अब वो अकेली है... हमारे काम के लिए इससे बेहतर वक़्त नहीं हो सकता, जल्दी करो चलो.." उस शख्स ने किसी को फोन पे बड़े आराम से कहा और फोन कट कर दिया
"कितने दिन लगेंगे डॉक्टर इसे ठीक होने में.."
"उम्म्म, कुछ कह नहीं सकते, मे बी 2 दिन या उससे ज़्यादा..."
"उससे ज़्यादा कितना डॉक्टर, 3 दिन 4 दिन एक महीना आख़िर कितना.." रिकी ने चिल्ला के डॉक्टर से पूछा जो इस वक़्त शीना के कमरे में खड़ा था
"अपने गुस्से पे काबू रखें आप, और रही बात ठीक होने की, हां फ्रॅक्चर है लेकिन मामूली चोट नहीं है.. 2 दिन में अगर रिकवरी होती भी है तो भी इन्हे सपोर्ट के बिना चलने में काफ़ी वक़्त लग जाएगा, यह हिस्सा देख रहे हैं.. यह हिस्से पे हमारे पेर का एक बहुत ही नज़ूक सा मसल है जो काफ़ी क्रिटिकल होता है, जिसके सपोर्ट पे हम खड़े रह सकते हैं... जिसने भी इन्पे वार किया है वो इन्हे कोई बड़ा नुकसान नहीं पहुँचना चाहता था, बहुत ही ध्यान से और एक दम सावधानी से उसने शीना के इस हिस्से पे ही वार किया है... यह तो अच्छा हुआ आप टाइम पे इन्हे यहाँ ले आए, नहीं तो..." कहते कहते डॉक्टर रुक गया
"कोई बात नहीं डॉक्टर, अपने बेटे के बदले मैं आपसे माफी माँगता हूँ.." अमर ने डॉक्टर से कहा और दोनो बाहर चले आए.. शीना के कमरे में इस वक़्त काफ़ी चिंता भरा माहॉल था, सुहसनी रो रोके आधी हो चुकी थी तो वहीं ज्योति और राजवीर भी काफ़ी घबरा गये थे.. अमर और रिकी एक दूसरे को संभाले हुए थे, भले ही आँख से कुछ ना दिखाए, लेकिन दिल रिकी का भी रो रहा था.. उसका प्यार, उसकी ज़िंदगी, उसकी बहेन शीना, इस वक़्त उन सब के सामने बेहोश पड़ी थी... कोई किसी से बात नहीं कर रहा था, सब के मन में अलग अलग सवाल और अलग अलग भावनाए थी... रिकी शीना के पास ही बैठा था और बस उसे ही देखता जा रहा था, कमरे में आती हल्की रोशनी से शीना के मासूम चेहरे पे आज भी वैसी ही चमक थी जैसी रिकी ने उस सुबह बलि में देखी थी, लेकिन तब शीना काफ़ी खुश थी, और आज शीना बेहोश पड़ी है.. शीना के हाथ को अपना हाथ में लिए रिकी यूही बैठा रहा और बस उसे ही देखता रहता
"अरे भाई, चलो, अब चल के कुछ खाते हैं... डॉक्टर ने कहा है शीना जल्दी होश में आएगी, घबराने की कोई बात नहीं..." अमर ने कमरे के अंदर आते हुए कहा.. अमर की आवाज़ सुन सब अचानक डर से गये, ऐसी खामोशी में अमर की कड़क आवाज़ ने जैसे सब को अंदर से हिला दिया.. सब ने जब उसे देखा तो वो बिल्कुल नॉर्मल लग रहा था, राजवीर अच्छे से जानता था कि अमर खुद को संभाले हुए हैं लेकिन डर वो भी गये हैं ऐसे हमले से.. अमर की बात पे किसी ने कोई जवाब नहीं दिया और बस बाहर चलने लगे..
"रिकी, चलो बेटा... शीना ठीक हो जाएगी, डॉन'ट वरी..." अमर ने रिकी से कहा जो अब तक शीना का हाथ पकड़े हुए बैठा था, लेकिन अमर की बात सुन उसने कोई जवाब नहीं दिया
"रिकी, बेटा, चलो अब... खाना ख़ाके वापस आ जाओ.." अमर ने फिर आगे बढ़ के कहा, लेकिन इस बार भी रिकी ने कोई जवाब नहीं दिया
"रिकी...." अमर ने रिकी के कंधे पे हाथ रख के कहा
"आइ हर्ड यू दा फर्स्ट टाइम डॅड.... " रिकी ने अमर को बिना देखे कहा और शीना का हाथ नहीं छोड़ा.. अमर समझ गया रिकी क्या कह रहा था, मौके की नज़ाकत को देख के भी उसने कोई बहेस नहीं की और वहाँ से निकल गया...
"आइ आम सो सॉरी शीना...मुझे तुम्हे बिल्कुल अकेला नहीं छोड़ना चाहिए था, प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो..." अमर के जाते ही रिकी के आँसू निकल पड़े और शीना का हाथ पकड़ के सामने पड़ी बेहोश शीना से कहने लगा...
"मैं तुम्हारी हिफ़ाज़त भी नहीं कर पाया शीना, प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो... शीना , प्लीज़ कुछ बोलो ना...." रिकी इस बार शीना के करीब गया और उसके चेहरे को देख के कहने लगा और कहते कहते उसका चेहरा झुक गया
"भाई, हाथ धीरे पकड़ते हैं ऐसी हालत में.." शीना ने आँख खोली और रिकी से कहा... शीना की आवाज़ सुन जब रिकी ने अपना चेहरा उपर किया तो सामने शीना का वही मुस्कुराता हुआ चेहरा था और उसके चेहरे पे वोही मासूम सी हँसी... उसे ऐसे देख रिकी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और वो उसके चेहरे को बेतहाशा चूमने लगा...
"थॅंक गॉड शीना, यूआर फाइन.. डॅड......" रिकी ने जैसे ही अमर को बुलाने की कोशिश की, शीना ने उसे चुप रहने का इशारा किया और उसे वापस अपने पास बैठने का इशारा किया
"मोम डॅड के सामने आपसे बात करनी होती तो पिछले 20 मिनट से बेहोश होने का ड्रामा क्यूँ करती मैं..." शीना ने फिर शरारत भरी मुस्कान से कहा.. रिकी कुछ समझता उससे पहले शीना फिर बोल पड़ी
"डॉन'ट वरी, मैं होश में तो पिछले 20 मिनट से आ गयी हूँ, लेकिन जब आप सब लोग रो रहे थे, मैने हल्के से आँख खोल के देखा तो सब डॉक्टर से ही पूछ ताछ कर रहे थे, इसलिए मैने फिर बेहोश पड़े रहने का ड्रामा किया.. हाहहाअ" शीना ने हँस के रिकी से कहा
"शीना यह सब हुआ कैसे पर.... आइ मीन, कल मेरे जाने के बाद क्या हुआ.." रिकी ने शीना की आँखों में देख के पूछा
"हुआ यूँ ना भाई कि मैं किचन में थी, आाआूओ...." शीना हल्के से कराह उठी
"अरेययय.... क्या कर रही हो, बेहोश होने की आक्टिंग थी, लेकिन तुम सही में चोटिल हो...क्यूँ उठने की कोशिश कर रही हो.." रिकी ने शीना का हाथ पकड़ के उसे थोड़ा सा उपर उठाया
"या आइ नो इट पेन्स यार... एनीवेस, थॅंक्स.... हां तो मैं यह कह रही थी कि..." शीना ने रिकी को बताना शुरू किया
पिछली शाम ....
"ओके, आइ विल बी बॅक इन आ जिफी..यू टेक केर ओके.." रिकी ने कहा और बाहर खड़े सेक्यूरिटी गार्ड को हिदायत दी के शीना का ध्यान रखे वो अकेली है तो और खुद मार्केट की तरफ चल पड़ा..
"पूरा दिन मज़ाक, कौन कह सकता है रिकी भाई को देख के, कि यह बंदा कितना सीरीयस था पहले... और अभी..." शीना ने खुद से कहा और हल्के से मुस्कुरा दी... लिविंग रूम में ही शीना ने अपने बाल बनाए और किचन की तरफ चल दी.. किचन में जाके शीना कुछ चीज़ें इकट्ठा करने लगी जो उसे खाना बनाने के लिए चाहिए थी..
"ह्म्म्म", अब गॅस तो है नहीं, एक काम करती हूँ, बाहर खड़े गार्ड को बोलती हूँ , कुछ बंदोबस्त करेगा..." शीना ने खुद से कहा और बाहर जाने के लिए पीछे मूड गयी.. पीछे मुड़ते ही उसे एक बहुत बड़ा झटका लगा...
"क्क्क....क.....क्काअ.....कौन हो तूमम्म्म..." शीना ने सामने खड़े आदमी से कहा जो उसके सामने काले कपड़े पहने हुए खड़ा था, और उसका चेहरा एक नकाब से ढका हुआ था.
"कओन हहूओ तूमम्म..." शीना की हलक से इससे ज़्यादा आवाज़ ही नहीं निकल रही थी, वो चिल्लाना चाहती थी लेकिन डर के मारे उसकी आवाज़ अंदर की अंदर ही घुट रही थी.. बिना कुछ कहे वो आदमी धीरे धीरे आगे शीना की तरफ बढ़ा, जैसे जैसे वो आदमी आगे बढ़ता वैसे वैसे शीना भी अपने कदम पीछे लेती, अभी कुछ कदम पीछे हुई थी कि शीना किचन प्लॅटफॉर्म पे टकरा गयी, पीछे जाने के लिए जगह नहीं थी अभी... उस आदमी को आगे आता हुआ देख शीना की हालत खराब हो रही थी,
"देखो, बताओ कौन हो तुम.. वरना...." शीना ने उसे धमकाने की कोशिश की, लेकिन नाकाम... वो आदमी बिना कुछ कहे बस आगे ही आ रहा था, शीना और उस आदमी में अब चन्द कदमों का फासला बचा था, उस आदमी ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और धीरे धीरे शीना के गले तक ले जाने लगा, शीना ने फुर्ती दिखाई और वहाँ से खिसक के उसके हाथ के नीचे से भाग गयी और सामने पड़े नाइफ सेट पे उसकी नज़र गयी.. जल्दी से उसने नाइफ सेट की तरफ दौड़ लगाई और एक एक कर 4 चाकू अपने हाथ में ले लिए, इस बार चाकू लेके शीना उस आदमी की तरफ बढ़ी और एक हमला उसके चेहरे पे करने की कोशिश की लेकिन कोई फ़ायदा नहीं.. वो आदमी उसके लिए काफ़ी लंबा और मज़बूत था, उसने शीना के हाथ को पकड़ा और कलाई मोड़ के उसके हाथ से चाकू गिरा दिया...
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