RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"अभी भी तुम्हे ऐसा लगता है तो जाओ जाके बता दो सब को किसने किया, दे दो स्नेहा का नाम, इससे तुम्हारा पश्चाताप तो कम होगा, लेकिन भूलो मत, तुम यह सब पहले से जानती थी, स्नेहा अगर सब के सामने आई, तो फिर तुम भी नहीं बचोगी, मेरा क्या है, मैं तो तुम सब के पास होते हुए भी तुम सबसे दूर हूँ, और रही स्नेहा की बात, तो वो घर से निकाली जाएगी, और ज़्यादा कुछ नहीं.. लेकिन तुम क्या करोगी, कैसे सामना करोगी अपने बाप का, अपनी बहेन का, अपने भाई का... वो लोग तो तुम्हे ही गुनेहगार समझेंगे.. शौक से जाओ और सब को बता दो बस इफ़ दट मेक्स यू हॅपी.." सामने से उसे जवाब मिला और फिर एक डरावनी हँसी हँसने लगा.. उसकी बात सुन ज्योति भी खामोश हो गयी, बात तो सही थी, अब वो कुछ नहीं कर सकती थी, पर अंदर ही अंदर उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था यह सब...
"अब ज़्यादा सोचने की ज़रूरत नहीं है, तुम्हारे एग्ज़ॅम ख़तम होंगे तब तक यह फीलिंग भी ख़तम हो जाएगी, और बी प्रॅक्टिकल, तुम खुद सोचो, इसमे किसका क्या नुकसान हुआ है और क्या फ़ायदा हुआ है...मैं चाहता तो शीना को जान से भी मार सकता था, लेकिन मैने ऐसा नहीं किया.. और जो किया उसके अलावा क्या करता, तुम्हारे दिमाग़ में अगर कुछ हो इससे सही तो मुझे बताओ, और सामने फ़ायदा यह हुआ कि तुम्हे प्रॉजेक्ट मिल गया, जो तुम्हे बहुत प्यारा था, अब खुद ही इंसाफ़ के तराजू में दोनो चीज़े रख के देखो.. तुम्हारे फ़ायदे का पलड़ा भारी है... इंसाफ़ तो यही कहता है कि मैने सही किया, लेकिन अब तुम्हे अच्छा नहीं लगा.." अब इस आवाज़ में थोड़ी नर्मी दिखने लगी थी ज्योति को.. जब पूरी बात पे ज्योति ने दोबारा से विचार किया तो कहीं ना कहीं उसे यह बात सही लगी, शीना का फ्रॅक्चर और उसकी चोट थी तो गहरी लेकिन उसके अलावा वो बिल्कुल ठीक थी, हां वक़्त ज़्यादा लगेगा ठीक होने में, बट उससे ज़्यादा कुछ नहीं.. यह सोच के ज्योति के दिमाग़ में फिर ग्लानि की भावनाए जो उमड़ आई थी वो कम होती गयी
"ओके.. थॅंक यू" ज्योति ने जवाब में बस इतना ही कहा
"एनिटाइम...बाइ" फोन फिर कट हो गया
"यही सब तो मैं भी कह रही थी, लेकिन तुम तो समझती ही नहीं हो.. हां, अब मैं शीना के पास जाती हूँ, जूस लेके" स्नेहा ने अपने फोन वापस लेते हुए कहा
"नहीं, मतलब जूस मैं लाती हूँ, आप चलो साथ सिर्फ़.. आइ डॉन'ट ट्रस्ट यू, जूस में कुछ मिला भी सकती हो.." ज्योति ने स्नेहा को उंगली दिखाते हुए कहा और वहाँ से चली गयी..
शीना अपने कमरे में लेटी हुई थी लेकिन उसका दिमाग़ अभी भी ज्योति की कॉल पे था, दोनो बहनो के बीच रिश्ता बहुत कमज़ोर हो चुका था, लेकिन इतना भी नहीं कि दोनो एक दूसरे पे विश्वास ना करे, शीना को यकीन था कि ज्योति ऐसा कुछ करने का सोच भी नहीं सकती, लेकिन फिर बार बार उसके दिमाग़ में यह ख़याल आता कि अचानक उसने फोन करके ध्यान रखने को क्यूँ कहा.. यह सब सोच ही रही थी शीना कि उसके मोबाइल पे एक के बाद एक करके 3 ईमेल्स आ चुके थे... शीना ने झट से अपना मोबाइल देखा और एक एक कर सब फाइल्स डाउनलोड करके देखने लगी...
"आराम नहीं आता तुम्हे.." रिकी ने कमरे के अंदर आते हुए कहा
"ओफफो भाई, आओ दिखाती हूँ..." शीना ने बिना हैरानी के रिकी को जवाब दिया
"यह देखो, यह ज्योति और स्नेहा भाभी के कॉल डीटेल्ड बिल्स हैं.. इन सब में कोई सिमिलॅरिटी नहीं है.. ज्योति का सब ईज़ नॉर्मल, बट स्नेहा भाभी का बिल देखो यह, एवेरितिंग ईज़ गुड, एक्सेप्ट फॉर दिस नंबर.." शीना ने फोन के मार्कर से उस फाइल में एक नंबर हाइलाइट किया और रिकी को दिखाने लगी..
"सो व्हाट'स स्ट्रेंज इन दिस.." रिकी ने उसके हाथ से फोन लिया और देखने लगा
"देखो, मैने यह बिल लास्ट मंत से कंपेर किया, सब नंबर्स सेम हैं, बट यह नंबर सिर्फ़ यह मंत है.. और आप देख रहे हो, सिर्फ़ 3 सेकेंड बात हुई है, आइ मीन कोई 3 सेकेंड में क्या बात कर लेगा.. इन फॅक्ट यह नंबर पे दो कॉल्स हैं, देखो, एक ड्यूरेशन नहीं है, मीन्स सामने से कट किया गया फिर इमीडीयेट्ली दूसरी बार हुआ और उसपे 3 सेकेंड बात हुई.." शीना ने फिर अपनी उंगली उपर की ओर उसे दिखाने लगी
"ह्म्म्मट, सो यू मीन कि इस नंबर से हमें पता लग सकता है कि आख़िर हो क्या रहा है स्नेहा भाभी के दिमाग़ में" रिकी ने उसकी बात को आगे बढ़ा के कहा
"नोट ओन्ली दट, ज्योति का फोन करना हमें, और सेम टाइम पे यह हमला, दिस कॅन'ट बी कोयिन्सिडेन्स..." शीना ने इतना कहा कि फिर रिकी ने रोक दिया
"नो शीना, ज्योति यह नहीं कर सकती... आइ मीन.." रिकी ने कहा और फिर शीना ने उसे टोक दिया
"अरे हां बाबा, मैं जानती हूँ के ज्योति ऐसा नहीं कर सकती.. आइ आम सेयिंग कि कहीं वो भी तो स्नेहा भाभी के साथ तो मिली हुई नहीं है, लाइक यू नो, " शीना ने अपनी आँखें छोटी करते हुए रिकी से कहा
"ऐसी चीज़ में मैं किसी पे भी भरोसा नहीं कर सकता, पहले विक्रम भैया की मौत, फिर तुम्हारी बातें स्नेहा भाभी वाली, उपर से अब यह, ज्योति हो या कोई और , आइ कॅन'ट ट्रस्ट एनिवन हियर... तुम सही कह रही हो, मैं एक काम करता हूँ , पता करने की कोशिश करता हूँ कि यह नंबर किसका है.. पर उससे ज्योति की बात तो साबित नहीं होगी, उसके लिए वी नीड टू डू सम्तिंग एल्स..." रिकी ने शीना को देख के कहा
"आइ नीड टू डू सम्तिंग एल्स... नोट वी, आप दूर रहो उससे ओके.." शीना ने उसे गुस्से की नज़र से देखा और फिर अगले ही पल बोली
"क्या खाक दूर रहोगे, 6 महीने के लिए तो मैने ही उसको आपके पास भेज दिया.. ठीक है, डू व्हाट यू कॅन, पता कीजिए इफ़ देअर'स एनी कनेक्षन बिट्वीन हर आंड भाभी..." शीना ने इतना ही कहा था कि उसके कमरे में स्नेहा और ज्योति एक साथ अंदर आते दिखे...
"सी, आइ टोल्ड यू.. देअर ईज़ आ कनेक्षन.." शीना ने धीरे से रिकी से कहा
"शीना, जूस फॉर यू... आंड हाउ आर यू नाउ.." स्नेहा ने उसे जूस देते हुए कहा
"बस भाभी, आपने पूछ लिया, अब कल से फुटबॉल खेलने लगूंगी..." शीना ने जूस लेते हुए कहा और ज्योति को घूर्ने लगी...
"चलो, बाइ, मैं जाता हूँ, पढ़ना भी है.. हे ज्योति, कम वित मी.." रिकी ने शीना से कहा और फिर ज्योति के साथ बाहर निकल गया
"तो तू कहाँ थी इतनी देर, आइ मीन घर पे भी अपने यार को बुलाने लगी हो क्या अभी..." शीना ने जूस का सीप लेते हुए स्नेहा से कहा
"हाहहहहाअ, उफफफ्फ़.. तेरा यह घमंड, बिस्तर पे पड़ी है, चल नहीं सकती, लेकिन फिर भी अककड़ गयी नहीं.. " स्नेहा ने अपने हाथ बाँधे हुए उसे जवाब दिया
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