Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 04:10 PM,
#95
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"उम्म्म्म, अया सक मी अहाहहाआहा यस चाचा जी अहहहहा....उम्म्म्म स्लूर्र्रप्प्प आहाहहाः...." स्नेहा सिसकती हुई बोलने लगी




सुबह से दोनो एक दूसरे के बदन की गर्मी को हवा दे रहे थे और अपने अपने बदन की गर्मी को काबू किए हुए थे, इसलिए इस वक़्त दोनो के अंदर एक लावा फुट पड़ा और दोनो से अब एक सेकेंड भी रुका नहीं गया, चूस चूस के दोनो एक दूसरे की जीभ को चाटने में लगे हुए थे



"अहहहहा , बहू रानी उफफफ्फ़ अहहहौमम्म्मम, इतना अच्छा किस कहाँ से सीखा अहहाहा उफफफफूम्म्म्ममम ओह्ह्ह एयेए यीहह.." राजवीर भी उसका साथ देने लगा



"उफ़फफूफम्म्म्मम यस चाचा सक अहहहा...सीखने की क्या ज़रुआाहहा रत्त्त है..... हम तो खानदानी रंडियों में से हैं अहहहा येस्स्स्स्स सक मी ना अहहहहा..." स्नेहा अपने नीचे गीलापन महसूस करने लगी थी, यह भी पहली बार था कि किसी मर्द के हाथ लगाए बिना वो नीचे से पहली बार गीली हुई थी




"उम्म्म स्लूर्र्रप्प अहहह... हमें तो पता ही नही था आहहहहा..धीरे काटो मेरी रानी आआाहम्‍म्म्मम...बहुत मीठी हो सस्सिईइ... खानदानी रंडी आहहहूऊओ...और कौन कौन है तेरे खानदान में रंडी अहहहहाअओई,,,..." राजवीर भी अपनी शर्ट उतारते हुए बोलने लगा



"फिलहाल तो मैं ही हूँ अहहहओमम्म्म हहहहीए..."स्नेहा ने अपनी जीभ को उसकी जीभ से अलग किया और उसके नंगे सीने पे हाथ फेरने लगी



"अहहहा मैं जानती थी कि आप असली मर्द हो....उम्म्म्ममम, क्या सीना है.... क्या तो आहहह... हिहिहीही.." स्नेहा उंगली फेरते हुए उसके पेट पे आई और धीरे धीरे कर उसके खड़े लंड पे जीन्स के उपर से हाथ रख दिया..



"अहहाहा,,, असली माल तो यहाँ है मेरे चोदु ससुर जी...आहमम्म..."स्नेहा ने अपने होंठों पे जीभ फेरते हुए कहा और राजवीर की जींस के बटन को खोलने लगी.. बटन खोलते ही राजीव के बॉक्सर्स में उसके लंड की साइज़ को भाँप लिया



"उम्म्म, जैसा भतीजा, वैसे ही चाचा... उफ़फ्फ़ हाअई.ए..."स्नेहा ने राजवीर की आँखों में देखते हुए कहा और देखते ही देखते उसके बॉक्सर्स को भी उसके शरीर से अलग कर दिया और राजवीर का लंड उसकी आँखों के सामने आ गया



"हाए, आहहाहा कितना प्यरा तगड़ा लंड है आपका चाचा जी.....उम्म्म्ममम" स्नेहा रंडीपने की हदो को पार करना चाहती थी.. उसने एक बार फिर अपनी आँख उठाई और राजवीर की आँखों में देखते ही देखते अपनी जीभ को राजवीर के लंड के टोपे पे रख दिया..



"आआहहह बहुउऊुुुुउउ..." राजवीर ने एक लंबी सिसकारी छोड़ी


"हिहीही...बोलिए ना ससुर जी, आपकी सेवा ही तो कर रही हूँ...." स्नेहा ने जीभ फेरते हुए कहा, और अजवीर की तड़प को अपनी आँखों से देखने लगी



"उहह येस्स्स्सह्ह्ह्ह फकक्क्क्क....ओह्ह्ह्ह एआहह.." राजवीर मज़े लेते हुए बोला और एक हाथ उसकले माथे पे रख के अपने लंड को उसकी हलक के नीचे उतारने की कोशिश करने लगा,

स्नेहा भी काफ़ी गरम हो चुकी थी इसलिए बिना किसी ज़िद्द के राजवीर के लंड को अपनी हलक के नीचे उतार दिया और उसे बड़े प्यार से चूसने लगी



"उम्म्मममुंम्म्माहहहाहा स्लूरप्प्पाहाहहा.... यस पापा, अहहहा, फक युवर डॉटर अहहाहा.....पापा चोदिये अपनी बहू को अहहहौमम्म्मम..स्लूरप्प्प अहहाहा..... अहहाहा स्लूरप्रप्प्प

अहहहाहा.." स्नेहा राजवीर के लंड को चुस्ती और दूसरे हाथ से उसके टट्टों को सहलाने लगी.... जैसे जैसे स्नेहा अपनी तेज़ी बढ़ाती, वैसे वैसे राजवीर भी अपने पेर आगे पीछे करता और स्नेहा के मूह को चोदने लगता...



"अहहाहा बहू रानी अहहहाइईइ..ऐसे ही सेवा कर अपने ससुर की उईईयाहहहह...खुश कर दूँगा मेरी रानी तुझे अहहहा......" राजवीर ने आख़िर वो कह दिया जिसके लिए स्नेहा यहाँ आई थी, इसलिए बड़े चाव से लंड को चुस्ती और चाटती रही



"हाए बाबू जी अहहाहा, इतने दिन तो हम से दूर थे, अब बहू पे प्यार आ रहा है अहहाहा... जाइए हम नहीं चूस्ते आपके लंड को...हिहिहीही" स्नेहा ने एक रंडी हँसी छोड़ी और राजवीर के लंड को मूह से निकाल के सोफे की तरफ भागी और हवा में अपनी गान्ड हिलाने लगी...





राजवीर अब बिल्कुल भी मूड खराब करना नहीं चाहता था अपना, इसलिए वो भी उसके पीछे गया और उसकी नंगी गान्ड को देख के कस्के एक थप्पड़ जड़ दिया




"ओह हो अहाहहा बाबू जी, अभी तो अपनी बहू को खुश करना चाहते थे, अभी मार रहे हैं अहहहा.." स्नेहा ने तड़प से कहा



"बोल ना मेरी बहू रानी क्या चाहिए तुझे..तेरी गान्ड हमे भी दे दे ना..." कहके राजवीर ने अपनी जीभ से उसकी गान्ड को चाटना शुरू किया और दूसरा हाथ पीछे से उसकी चूत में डाल के उसे उंगली से चोदने लगा, और एक अंगूठा उसकी गान्ड के छेद में घुसा दिया



"अहहाहा पापा...उईईइ नूऊ, खुश कीजिए ना पापा, आप को जैसे ठीक लगी...अहहाहा, हां और ज़ोर से अहहहहा.." स्नेहा ने यह कहके अपनी गान्ड को पीछे धकेला, जिससे राजवीर समझा और अपनी जीभ स्नेहा की गान्ड में घुसा के उसे चाटने लगा और उसके अंदर थूक थूक के उसे गीला करने लगा





"अहहाहईए पापा..... कैसे खुश करेंगे बताइए नाअ हाहहह.....हां और ज़ोर से चोदिये ना पापा जीभ से अहहहा... मेरे ससुर आहहहा आज बहू चोद बन गये आअहहु..."

स्नेहा चिल्ला चिल्ला के चुदने के मज़े लेने लगी



"बोल ना मेरी आहहाः राणिीई अहाहा..स्लूर्रप्प्प्प स्लूर्रप्प्प अहहहहाआ...क्या चाहिए तुझे अहाहहाअ...मेरी रखैल है तू अब से अहहहाहा .." राजवीर बीच बीच में गान्ड चाट के बोलता





"रखैल कहाँ मूह खोलती है पापा अहाहा... आप लगाइए ना कीमत अहहहा..."स्नेहा उछल उछल के अपनी गान्ड चटवा रही थी



"जो तू बोल रानी अहहहा.... घर चल के चेक बुक ले लेना, 1 करोड़, 5 करोड़, 10 करोड़ जितना भरना है भर ले..अहाहा, राजस्थान की कोठी ले ले तेरे नाम से अहाहाआ, ऐसी रखैल के लिए तो मैं मर भी जाउ तो गम नहीं अहाहहा...." राजवीर ने उसकी गान्ड को काफ़ी गीला किया और अपने लंड को उसकी गान्ड के छेद पे सेट किया और एक ही झटके में अंदर डाल दिया



"हाअए पाअपाप्पाआ.... आररर गाइ उफफफफफ्फ़...धीरे चोदिये न आहहहाआ...आप की ही हूँ मैं पापा अहहहाआ...." स्नेहा ने चिल्ला के कहा पर राजवीर पे उसका कोई असर नहीं हुआ

और वो ज़ोर ज़ोर से धक्के देने लगा... जैसे जैसे धक्के बढ़ते गये, वैसे वैसे दर्द के साथ मज़ा घुलने लगा और स्नेहा भी हवा में गान्ड उठा उठा के चुदवाने लगी









"अहाहा पापा.. आहहा फक मी, यस फक युवर डॉटर इन लॉ पापा... अहाहा, यस पापा... आज बहू चोद बन गये ना पापा आहाहहा..." स्नेहा उछल उछल के मज़े लेने लगी



"अहाहाआ हां मेरी बेटी अहाहहाअ... बहू चोद बन गया आहाहहा आज से..... क्या गान्ड है तेरी मेरी बेटी अहहहा.."राजवीर चोदते चोदते बोलने लगा



"बेटी नहीं पापा आहाहहाअ.. बहू हूँ अहाहा, आप की बेटी तो घर पे है ना अहहाअ,, दो रंडिया आपकी उईईइ अहहाहा.... शीना और ज्योति.. हैं ना पापा...अहहा यस फक मी ना

पापा..... ओह्ह माइ ग्ग्गूड्डद.... और ज़ोर से कीजिए ना पापा आहहाआ..." स्नेहा ने आग में पूरा का पूरा घी उडेल दिया.. शीना और ज्योति का नाम सुन के राजवीर की तेज़ी और बढ़ गयी और किसी मशीन की तरह चोदने लगा स्नेहा की गान्ड को..




"अहहाहा हाए पापा, अपनी बेटियों का नाम सुन के बड़े तेज़ हो गये अहाहहाअ..... रुकिये ना पापा... अहहा, अपनी बेटी की चूत मारिए ना अहाहाआ.." स्नेहा ने कहा और राजवीर तुरंत रुक गया.. राजवीर के रुकते ही स्नेहा ने अपनी गान्ड को उसके लंड की गिरफ़्त से आज़ाद किया और राजवीर को सोफे पे लेटा दिया और अपनी चूत को उसके लंड पे रख के उसपे धीरे धीरे कर उछलने लगी










"आहहाहा हां पापा अहाहा, अब बताइए, कौनसी बेटी की आहाहहहा चूत है यह अहाहा...." स्नेहा धीरे धीरे उछल रही थी और राजवीर उसकी कमर को सहला रहा था..




"अहहाहा बोलिए ना पापा, अहहाहा मैं शीना हूँ या ज्योति अहहहा...बेटी चोद बनिये ना पापा..अयीई अहाहा, " स्नेहा ने एक हाथ नीचे ले जाके उसके टटटे को मसल दिया





"कोई भी बेटी बन जा मेरी बहू अहाहा, दोनो ही रंडिया हैन्न अहाहा....." राजवीर ने कहा और अगले ही पल उसकी दिल की बात ज़बान पे आ गयी





"अहाहहा मेरी शीना बेटी अहहाहा...पापा के लंड को लो ना अपनी चूत में अहाहहा.."





"शीना को ज़ोर से चोदिये ना पापा अहहहाहा ह्म्म्म और ज़ोर से प्लीज़ पापा अहहहा...." स्नेहा ने बस इतना ही कहा के राजवीर ने नीचे से धक्के लगाना शुरू किया और उसकी चूत की कुटाई करने लगा




पूरे कमरे में सिर्फ़ चुदाई ही चुदाई की आवाज़ें आ रही थी, लंड से चूत के टकराने की, स्नेहा की सिसकियाँ, बाप बेटी के नाम, शीना ज्योति सब एक पल के लिए राजवीर से चुदवा ही रही थी... "थ्हप्प्प्प थप्प्प्प्प.. अहहहाहा पापा फक मी आआहहः... यस बेटी पापा से चुदवाओ ना अहहहहा..." ऐसी सब आवाज़ों से माहॉल काफ़ी गरम हो उठा, स्नेहा के बाल
बिखर चुके थे, किसी रंडी से कम नहीं लग रही थी वो..




"अहहाहा पापा.... ज्योति की चुदाई कब करेंगे पापा...हाहाहा बताइए ना मेरे भडवे बेटीचोद पापा..." स्नेहा ने बस इतना ही कहा के राजवीर के लंड ने एक हुंकार भरी , जिसे राजवीर ने भी महसूस किया और चूत से लंड निकाल के, स्नेहा को नीचे बिठाया और उसके मूह पे अपना गरम माल छोड़ने लगा






"अहहहाहाः ज्योति अहहहाहा आइएम कमिंग अहहहहहाहा.." राजवीर ने ज़ोर से हुंकार भर के कहा और उसका लंड अपना सारा माल उगलने लगा, नीचे बैठी स्नेहा ने भी रंडी पन कम नहीं किया, मूह खोल के उसके सारे माल को चूसने लगी और तेज़ी से फिर से उसके लंड को खाली करने लगी...





"अहाहहा.... ओह्ह्ह्ह...... फ़फफुऊऊऊउक्ककककक....." राजवीर लंबी साँसें छोड़ता हुआ बेड पे जा लेटा और स्नेहा भी उसकी बाहों में जा सिमटी... दोनो की साँसें बहुत तेज़ चल रही थी, इसलिए बिना कुछ बोले कुछ देर यूही लेटे रहे...





"आप तो अपनी बेटी के नाम से ही निढाल हो गये राजवीर....हूउहह अहहाहा ऊऊ.." स्नेहा ने लंबी साँसें लेते हुए कहा





"आहाहाहा... साली अयाया है ही असी चीज़्ज़....उफ़फ्फ़.फ..कड़क अहहहाआ.." राजवीर ने कुछ ढकने की कोशिश नहीं की, स्नेहा को पता चले तो चले , यह सोच उसने जवाब दिया





"अहहः.... अब बताइए, मुझे क्या देंगे आप खुश करने के लिए..." स्नेहा ने मुद्दे की बात पे आके कहा




"क्या चाहिए, बोल ना मेरी रंडी बहू अहाहा.." राजवीर ने उसे अपने पास खींचा और फिर उसके होंठों को चूसने लगा





"ज्योति तो आपकी सग़ी बेटी नहीं है...आपकी जायदाद कीजिए मेरे नाम, मैं भी मानूं कि आप अपनी ज़बान के मर्द हैं..." स्नेहा ने ऐसी बात कही जिसे सुन राजवीर के होश ही उड़ गये...
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