RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"एग्ज़ॅम वाज़ प्रेटी ईज़ी हाँ भैया, आइ मस्ट से.." ज्योति ने रिकी से कहा जब दोनो एग्ज़ॅम सेंटर के बाहर गाड़ी के पास मिले
"डॉन'ट नो यार, थोड़ा टफ था, होप्फुली मार्क्स मिल जायें अच्छे.." रिकी ने गाड़ी में बैठ के कहा, फिर से ज्योति रिकी का जवाब सुन के खामोश रही और अपने दिमाग़ में जैसे कुछ फीड कर रही हो
"चलो भाई, क्या हुआ" रिकी ने ज्योति से कहा जो गाड़ी के बाहर खड़ी आँखें बंद करे कुछ सोच रही थी. रिकी की आवाज़ सुन ज्योति ने अपनी आँखें खोली और उसके पास जाके बैठ गयी..
"मैं घर पे उतरता हूँ, तुम ड्राइवर के साथ ही महाबालेश्वर के लिए निकलो.. और हां पहुँच के कॉल करना, आज विलसन की टीम सिर्फ़ ज़मीन देखने आएगी और..." रिकी बोलता चला गया और ज्योति को निर्देश देता रहा, लेकिन ज्योति का दिमाग़ अभी भी कुछ सोचने में व्यस्त था, उसका ध्यान रिकी या उसकी बातों पे कम और उसकी हरकतों पे ज़्यादा था..
"ओके ना..." रिकी ने ज्योति को देख कहा जो अभी भी देख तो रिकी को रही थी लेकिन दिमाग़ वहाँ नहीं था
"ओके ज्योति.." रिकी ने चुटकी बजाते हुए कहा जिससे ज्योति होश में आई
"हाँ... हां हां, समझ गयी भैया, डॉन'ट वरी.." ज्योति ने जवाब दिया और फिर बाहर की तरफ देखने लगी
"ठीक है स्नेहा.. जैसे तुम मेरा काम कर दोगि, वैसे ही मैं भी अपनी जायदाद तुम्हारे नाम कर दूँगा, तुम्हे मंज़ूर है ?" राजवीर ने सामने बैठी स्नेहा से कहा, दोनो इस वक़्त ओबेरॉय के रूम में ही थे, लेकिन चुदाई के नशे से बाहर निकल चुके थे
"हहा, तुम्हे लगता है मैं तुमपे विश्वास करूँगी.. सबसे पहले तुम्हारी प्रॉपर्टी के सब पेपर्स मेरे नाम होंगे, उसके बाद ही तुम्हारा काम होगा, और हां, अगर तुम प्रॉपर्टी मेरे नाम नहीं करते हो तो मैं यह ज़रूर देखूँगी के तुम्हारा काम कभी भी ना हो.. फ़ैसला तुम्हे करना है के क्या करोगे, " स्नेहा ने अपने लिए सिगरेट जला के कहा
"और अगर मैं मना कर दूं तो.." राजवीर ने अपनी सीट पे अकड़ के जवाब दिया
"मुझे कोई फरक नहीं पड़ेगा, राइचंद'स की बहू हूँ, ज़िंदगी में तो पैसे हैं ही, तुम्हारी जयदाद तो सिर्फ़ बोनस है, अगर नहीं भी मिली तो क्या होगा, लेकिन अगर तुमने मना किया तो तुम सोच लो, तुम्हारा काम कौन करेगा...मेरे अलावा यह काम कोई कर भी नहीं सकता क्यूँ कि घर पे बाकी सब तो अंदर के ही हैं, एक मैं ही बाहर वाली हूँ जिसको इस चीज़ से कोई फरक नही पड़ेगा..." स्नेहा ने एक लंबा काश लेके जवाब दिया
"उम्म्म, कितनी बड़ी.."
"छिनाल...आइ नो, कुछ नया बोलो.." स्नेहा ने उसको काट के बीच में कहा
"ठीक है स्नेहा, तुम्हारे हाथ में पेपर्स आएँगे कल, पर मेरा काम होने में ज़्यादा वक़्त नहीं लगना चाहिए.." राजवीर ने जैसे ऑर्डर दिया हो
"देखो राजवीर, बात बड़ी सिंपल है, तुम तुम्हारे भाई को मरवाना चाहते हो ताकि उसकी बीवी के साथ तुम ज़िंदगी गुज़ार सको, लेकिन फिर भी उसकी जायदाद तो रिकी और शीना को मिलेगी , तुम्हे या सुहसनी को कुछ नहीं मिलेगा, तो तुम क्या करोगे फिर सुहसनी के साथ" स्नेहा ने फिर सिगरेट के धुएँ को राजवीर के मूह पे छोड़ के कहा
"वो मैं देखूँगा, तुमसे जितना कहा जाए तुम उतना करो.." राजवीर ने उतनी ही बेरूख़ी से जवाब दिया
"वो तो मैं करूँगी ही, लेकिन विक्रम के नाम पे जो प्रॉपर्टी है वो मुझे मिलने वाली है उसके बाद.. विक्रम के नाम एक बंग्लॉ है वॉरली में जो काफ़ी टाइम से बंद पड़ा है, उसके अलावा कुछ गोल्ड, रियल एस्टेट, कुछ कार्स और थोड़ी सी कॅश है जो एचएसबीसी स्विट्ज़र्लॅंड में है.. जब तक वो मुझे नहीं मिलेगी, तब तक मैं उमेर को कुछ नहीं कर सकती" स्नेहा ने राजवीर को जवाब दिया, जिसे सुन राजवीर ने बस आँखों से कुछ पूछा
"जानती थी , उमेर ने जब प्रॉपर्टी विक्रम के नाम की तो उसमे यह कंडीशन डाली के विक्रम या अमर में से पहले अगर किसी को कुछ हो जाता है तो प्रॉपर्टी दूसरे के नाम होगी, जैसे अमर को कुछ हुआ तो विक्रम के नाम आंड वाइस वेर्स.. लेकिन वाइस वेर्स में जब विक्रम दुनिया में नहीं रहता तो उसकी प्रॉपर्टी अमर को सिर्फ़ 18 मंत्स के लिए मिलेगी, उसके बाद पूरी प्रॉपर्टी विक्रम के डिपेंडेंट के नाम पे हो जाएगी, यानी के मैं, और अगर इन 18 मंत में अगर अमर को कुछ होता है तो वो प्रॉपर्टी पूरी की पूरी रिकी और शीना को आधी आधी मिल जाएगी.." स्नेहा ने राजवीर को वो बात बताई जो वो नहीं जानता था
"वॉरली वाला बंग्लॉ, विक्रम के नाम है ?" राजवीर ने चौंक के कहा और स्नेहा को देखने लगा
"125 करोड़ का बंग्लॉ है वो स्नेहा, बहुत पुराना है, जब हमारे पिता ज़िंदा थे, तब उस ज़मीन पे उन्होने वो घर बनवाया था.. गोल्ड , रियल एस्टेट की वॅल्यू तकरीबन या कम से कम 40 करोड़ होगी, कार्स विक्रम का शौक थी, 5 करोड़ वो भी गिन लो.. और अगर स्विस बॅंक में कॅश है तो 100 करोड़ के नीचे कुछ नहीं होगा.. अंदाज़न 250 करोड़ की मालकिन हो तुम..250 करोड़...." राजवीर ने आँखें बड़ी करके ज़ोर से उसे कहा
"ग़लत, 270 करोड़ एग्ज़ॅक्ट... मैने हिसाब लगा लिया है, और अब तुम यह चाहते हो कि 270 करोड़ मैं अमर को मार के रिकी और शीना को दान कर दूं.." स्नेहा ने बात का मज़ाक बनाते हुए कहा
"मुझसे कितना मिलने वाला है तुम जानती हो.." राजवीर ने सीना चौड़ा करके कहा
"जानती हूँ, आपकी विंटेज गाड़ियाँ 20 करोड़ की, स्कॉच आंड पेंटिंग्स 30-40 करोड़ जो ऑक्षन में ली हुई है, राजस्थान की कोठी 100 करोड़ शायद, और कॅश बॅंक में 200 करोड़, जिसका जॉइंट होल्डर भी विक्रम है, शायद अबीश स्विट्ज़र्लॅंड में.." स्नेहा ने अपने लिए दूसरी सिगरेट जलाते हुए कहा और उसका जवाब सुन राजवीर फिर चौंक गया
"चौंकने की नो नीड, बिस्तर पे आदमी अपना आपा हमेशा खो देता है, यह सब विक्रम ने मुझे बिस्तर पे ही बताया है.. इंडियन बाँक्स में वाइट का पैसा कितना है वो भी जानती हूँ, टोटल करूँ तो आप भी कम से कम 500 करोड़ की आसामी हो.." स्नेहा एक एक कर राजवीर को वो बातें बता रही थी जो राजवीर सोच भी नहीं सकता था
"लगता है काफ़ी रिसर्च की है हमारे खानदान पे तुमने"
"रिसर्च करके ही विक्रम को फसाया था, खैर वो बात छोड़िए.. इतनी मेहनत करके मुझे 500 करोड़ देंगे आप, और अगर मैं मेहनत ना करूँ, 15 मंत और मैं सिर्फ़ इस घर पे टिकी रहूं और अमर का ध्यान रखूं तो मुझे यूँ भी 270 करोड़ मिलने वाले हैं, उपर से अमर ने हमारे नाम की इनवेस्टमेंट्स की है, हर बच्चे के नाम म्यूचुयल फंड्स आंड लाइफ इन्षुरेन्स, कम से कम 50 करोड़ वो भी है मेरे लिए, 320 करोड़ यह हुए, और जब अमर मरेगा तो हर फॅमिली मेंबर के नाम कुछ देगा, विक्रम और मेरा हिस्सा भी होगा, अब अमर की पर्सनल प्रॉपर्टी में यह बंगला, 200 करोड़ की वॅल्यू, उसकी पर्सनल गाड़ियाँ 10 करोड़ की, लोनवाला वाला फार्म हाउस 5 करोड़, इंडियन बाँक्स में कॅश वाइट 400 करोड़, घर की तिजोरी में 40 करोड़, स्विस बाँक्स में 1000 करोड़, महाबालेश्वर का घर 40 करोड़, और अब जो नयी ज़मीन ली है, उसपे रिज़ॉर्ट बनेगा तो रफ्ली उसकी वॅल्यू भी 50 करोड़ होगी.. टोटल 1750 करोड़ एग्ज़ॅक्ट.. मेरे दो हिस्से 7 हिस्सो में से, 7 में तुम बाप बेटी भी आते हो, कन्सर्वेटिव हो रही हूँ तुम को गिन के... 1750 में से 500 करोड़ मेरे हुए.. तो यह 500 और 320 दूसरे, अमर को 18 मंत ज़िंदा रख के 820 करोड़ मेरे.. अगर उसे अभी मारती हूँ तो तुम्हारे सिर्फ़ 500 करोड़ मेरे.." स्नेहा ने एक साँस में यह जवाब दिया जिसे सुन राजवीर के दिमाग़ में एक बवंडर सा आ गया, लेकिन वो फिलहाल खुद को ठीक करते हुए बोला
"500 मेरे, और अमर के मरने के बाद भी 500 हैं, टोटल 1000.." राजवीर ने बस इतना ही कहा कि स्नेहा ने उसे फिर टोक दिया
"हाहहाा, तुम भाई हो उसके हिहीहीएहहही.. इतना भी नहीं जानते कि अमर की वसीयत में भी यह कंडीशन है, 1 जन्वरी 2016 के पहले उसे कुछ होता है तो सारी जायदाद ट्रस्ट के नाम चली जाएगी जिसका मालिक और कोई नहीं बल्कि तीनो भाई बहेन हैं, अब विक्रम तो है नहीं, मीन्स सिर्फ़ शीना और रिकी पूरी प्रॉपर्टी ले लेंगे..." स्नेहा ने एक और बॉम्ब फेंकते हुए कहा
"1 जन्वरी 2016 को तो भाई साब 58 के हो जाएँगे, उनका जनम दिन है.. और इतना सब वसीयत के बारे में तुम्हे कैसे पता.." राजवीर को अब भी विश्वास नहीं हो रहा था जो बात स्नेहा कह रही थी
"हां, अमर हमेशा विक्रम से कहते थे के 58 को वो अफीशियली रिटाइर हो जाएँगे और सब को अपनी ज़िम्मेदारी दे देंगे, तभी तो 1 जन्वरी 2016 की तारीख रखी है, और मुझे यह सब कैसे पता....वो सब छोड़ो, अब सुनो, जन्वरी 2016 तक.. खामोश रहो, उसके बाद उसकी जायदाद का हिस्सा जो तुम्हे और तुम्हारी बेटी को मिलेगा वो करीब 500 करोड़ का होगा, मतलब एक हाथ तुम मुझे 500 करोड़ दोगे और दूसरे हाथ उतने मिलेंगे, तो तुम्हारे लिए कोई नुकसान नहीं है, मेरे लिए 500 करोड़ एक, 320 करोड़ दूसरे, और तुम्हारे 500 करोड़, टोटल 1320 करोड़, जिसमे मेरा भी फ़ायदा ही है.. अब ऐसी सूरत में तुम अमर को अभी मार दोगे तो हमारे हाथ में कुछ भी नहीं आएगा.. इसलिए फिलहाल अपनी प्रेमिका से छुप छुप के ही मिलो, जन्वरी 2016 के बाद थाइलॅंड की टिकेट मैं दूँगी, जाके दोनो सॅंडविच मसाज करवा देना.." स्नेहा ने जैसे बैठे बैठे राजवीर की इज़्ज़त लूट ली थी, राजवीर ऐसी हालत में था उसकी बातें सुन..
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