RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"कमाल है अब यह कहाँ.." ज्योति ने इतना ही कहा कि फिर उसे वापस कॉल आया
"और हां, अड्रेस भी शायड पार्सल में ही होगा, तुमने देखा नहीं.." सामने से उसे जवाब मिला वो कहती उससे कुछ पहले... इतना सुन कर पर ज्योति ने ठीक तरीके से पार्सल में देखा तो कोने में एक छोटा सा काग़ज़ रखा हुआ था..
"रूको , है यहीं..." ज्योति ने काग़ज़ उठा के कहा और उसे खोल के अड्रेस देखने लगी
"राइटिंग तो सॉफ है ना स्वीटहार्ट.." सामने से फिर जवाब मिला ज्योति को
"प्रिंटेड है, बट यह अड्रेस तो..." ज्योति ने इतना ही कहा के फिर उसे टोक दिया गया
"सस्शह...... नही बताओ, जानता हूँ मैं...हाहहहाहा..." कहके फिर फोन कट हो गया
ज्योति ने कुछ देर अड्रेस वाला काग़ज़ हाथ में पकड़े रखा और सोचने लगी..
"यह अड्रेस सुना हुआ है शायद...." ज्योति ने खुद से कहा और फिर याद करने लगी इसके बारे में लेकिन उसे कुछ याद नहीं आया
"चलो, देखते हैं क्या है, बट .." ज्योति ने फिर खुद से कहा और अड्रेस की तरफ चल दी..
"हां बताओ, पहुँच गयी मैं इस अड्रेस पे.." ज्योति ने अपनी गाड़ी बाहर खड़ी करी और मेन गेट की तरफ बढ़ गयी
"ग्रेट.. अब ध्यान से सुनो.. जो मैं कह रहा हूँ.. तुम्हे दिए दो कामो में से यह पहला काम है, यह सफल नहीं होता तो दूसरा काम भी नहीं हो पाएगा.. कुछ समझ ना आए तो मुझे याद करना, मैं कॉल कर दूँगा..." सामने से उसे जवाब मिला और फिर उसे निर्देश मिलने लगे के उसे क्या करना था..
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"भाई, कितने दिन से वी हॅव नोट मेड आउट ना.." शीना ने पास बैठे रिकी से कहा जो कुछ बिज़्नेस मॅगज़ीन पढ़ रहा था
"हैं...." रिकी ने अचंभे में आके जवाब दिया
"नहीं समझ आया, हिन्दी में कहूँ... कितने दिन से हमन्ने सेक्स नहीं किया ना भाई" शीना ने सीधा चेहरा बना के कहा
"वो मैं समझ गया, अपनी हालत देखो, घर पे सब को चिंता है तुम्हारी, एक पेर यूँ हवा में लटक रहा है, एवववव.. स्मेल भी अच्छे से नही कर रही ..यूक्कक... और तुम्हे सेक्स की पड़ी है,..हाहहहा.." रिकी ने शीना का मज़ाक उड़ाते हुए कहा
"हाहहाहा... बहुत हँसी आई, पेर हवा में हुआ तो क्या, सेक्स में भी पेर हवा में ही उठाना पड़ता है ना" शीना ने आँख मारते हुए कहा
"शांति शांति.. कोई सुन ना ले, और फिर भाई भाई बोलने लगी.. " रिकी ने अपनी मॅगज़ीन को बंद करके कहा
"कोई नहीं सुनेगा, मोम डॅड और चाचू बाहर गये हैं, ज्योति है नहीं, भाभी का होना या ना होना सब सेम ही है..और नर्स अपने रूम में है, वो एक घंटे के बाद आएगी..इसलिए, वी आर अलोन बेबी.. फ़ायदा उठा लो मेरे अकेलेपन का..हीही.." शीना ने थोड़ा सा तकिये पे उपर होके कहा
"ह्म्म्म, लगता है दिमाग़ पे भी चोट आई है..." रिकी ने अपने दोनो हाथ बेड पे रख के कहा और चेहरा शीना के पास ले गया
"आंड यस, आइ डॉन'ट स्मेल बॅड... टेस्ट कर लो... टेस्ट कर के..." शीना एक दम सुखी आवाज़ में बोली..और उसके होंठ धीरे धीरे कर खुलने लगे, रिकी की नज़र शीना के चेहरे से उसकी आँखों से होती हुई सीधा उसके होंठों पे पड़ी, उसकी आँखों में बेशुमार प्यार था, होंठों पे प्यास... बिना कुछ कहे रिकी थोड़ा सा आगे झुका जिसे देख शीना की आँखें बंद और होंठ खुल गये.. दोनो की साँसें हल्की सी तेज़ होने लगी, दोनो की साँसें बिल्कुल गरम, रिकी ने एक हाथ में शीना का हाथ थाम के महसूस किया के शीना का बदन भी गरम हुआ पड़ा है, प्यार से उसने शीना के हाथों को अपने हाथों में जकड लिया और अपने होंठ शीना के होंठों पे रख दिया
"उम्म्म्मम.....उम्म्म्ममममाअहहाहहूंम्म्मममम...." दोनो की सिसकी निकली और एक दूसरे के चुंबन में डूब गये
"उम्म्म्म...अहहह..." शीना ने फिर सिसकी ली और अपने होंठ रिकी के होंठों से अलग कर दिए.. दोनो अलग तो हुए लेकिन एक दूसरे की आँखों में ही देखते रहे, दोनो के चेहरे लाल हो चुके थे, नशा दोनो देख सकते थे एक दूसरे की आँखों में..
"मन ही नहीं भरता मेरा क्या करूँ.." शीना ने धीरे से कहा और फिर अपने होंठों से रिकी के होंठों को हल्का सा सक किया और उससे अलग हो गयी
"वैसे भाई..." शीना ने मुस्कुराते हुए ही कहा
"भाई, वैसे आप एक बात बताओ.. बुरा नहीं लगाना हाँ.." शीना ने आँखें बड़ी करके कहा
"ह्म्म, बोलो... वैसे, यूआर समेलिंग उम्म्म्ममम..... फॅंटॅस्टिक.." रिकी ने लंबी साँस लेके कहा और फिर जीभ अपने उपरी होंठ पे घुमाई
"हाहाहा, किकी !! ... अच्छा मैं पूछ रही थी, किस तो लंडन की गोरियों को भी किया होगा ना आपने, तो वो ज़्यादा अच्छी हैं या मैं.." शीना ने रिकी को चिढ़ाना जारी रखा
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"नहीं... आइ कॅन'ट डू दिस... जो तुम कह रहे हो वो अगर पासिबल भी हुआ तो भी मैं नहीं करूँगी.." ज्योति ने फोन पे सामने वाले को चिल्ला के कहा
"पासिबल तो है स्वीटी... मैं जानता हूँ अच्छे से, और वो तुम भी जानती हो, लेकिन बात यह है कि तुम क्यूँ नहीं करोगी, तुमने तो कहा था तुम हमारे साथ हो... फिर अचानक क्यूँ पीछे हट रही हो.." सामने से उसे बहुत धीमी आवाज़ में जवाब मिला
"देखो, तुम क्यूँ कर रहे हो मैं नहीं जानती, लेकिन इससे मेरी फॅमिली..."
"स्श्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह..... तुम्हारी फॅमिली नहीं है, तुम अच्छे से जानती हो यह..और अगर तुम नहीं करोगी तो काम तो मेरा तब भी होगा, लेकिन मैं चाहता हूँ तुम करो.." फिर उसे समझाने की टोन लेनी पड़ी
"लेकिन मैं ही क्यूँ.." ज्योति ने सब भूल के सबसे अहेम सवाल उठाया जिसे सुन कुछ देर सामने वाले की आवाज़ भी नहीं आई
"कहो, अब क्यूँ खामोश हो... मैं ही क्यूँ, और यह काम तो स्नेहा भाभी भी कर सकती है ना, फिर भी तुम मुझसे ही क्यूँ यह करवाना चाहते हो..." ज्योति ने अपनी गाड़ी में बैठते ही उँची आवाज़ में कहा
"तुम्हारा अतीत क्या है ज्योति..." सामने से एक ठंडी आवाज़ में उसे जवाब मिला जिसे सुन ज्योति कुछ समझी नहीं
"अतीत.. मतलब.. क्या कहना चाहते हो तुम.." ज्योति की आवाज़ थोड़ी नीची हुई लेकिन बेचेनी बढ़ गयी
"तुम राइचंद'स की बेटी तो नहीं हो यह तो तुम जान चुकी होगी.. है ना.." सामने से भी आवाज़ उतनी ही नीची थी
"ह्म्म्म..." ज्योति सिर्फ़ इतना ही कह पाई
"मैं उसी अतीत की बात कर रहा हूँ.." सामने से फिर उसे जवाब मिला और फोन कट हो गया
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