Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 04:15 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"अरे पर आप इतने भावुक क्यूँ हो गये आख़िर.." शीना ने रिकी को डाँट लगा के कहा जिसका जवाब रिकी नहीं दे पा रहा था



"यह रिज़ॉर्ट आपका ड्रीम है, फिर भी भाभी के नाम कर दिया.. और लिख लो, मैं कहती हूँ कि जैसे ही यह कंप्लीट होगा वो आ जाएगी कि यह मेरा है, तुम लोग गेट आउट करो..उसके लिए तो हम मज़दूर ही बन गये हैं ना.." शीना ने फिर रुक के पानी का ग्लास पिया और ख़तम करके फिर बोलने लगी



"ऐसे देखो मत, मज़दूर ही हुए ना, हम सब काम कर रहे हैं, देख रहे हैं कि सब अच्छा बने, सब आइडिया हमारा, सब मेहनत हमारी, और आके बैठ जाएगी वो.. फिर उस दिन क्या करोगे आप जब वो आके मालिक की कुर्सी पे बैठेगी.." शीना ज़्यादा झल्ला रही थी यह सोच सोच के कि अब स्नेहा के नाम हो चुका है वो रिज़ॉर्ट.. वैसे तो शीना को रिकी ने बताया था यह पहले भी, लेकिन शीना ने उस वक़्त रिकी को कुछ नहीं कहा, वो नहीं चाहती थी उसकी वजह से रिकी का मूड अपसेट हो और महाबालेश्वर जैसे रास्ते पे उसका दिमाग़ चलने लगे.. इसके लिए शीना ने जैसे सोचा था कि रिकी के वापस आते ही उसकी क्लास लेगी, और अब वो वोही कर रही थी.. रिकी शीना से कुछ नहीं कह पा रहा था और ज्योति भी उनके साथ खड़ी उनकी बातें सुन रही थी.. सीन ऐसा लग रहा था मानो स्कूल के प्रिन्सिपल ने एक शैतान बच्चे को और क्लास के मॉनिटर को बुलाया है और बस डाँट रहा है डाँट रहा है...



"अब कुछ बोलो भी, ऐसे चुप क्यूँ खड़े हैं आप..." शीना ने अपने चेहरे से बालों को हटा के कहा



"क्या कहूँ यार, सेम बात कल भी कही थी, फिर आज भी कह रही हो.. डिसाइड कर लो कितनी बार डांटना है सेम बात पे.." रिकी की यह बात सुन ज्योति की हँसी छूट गयी



"अब तुम क्यूँ हँस रही हो..." शीना ने ज्योति को घूर के देखा जिससे ज्योति खामोश हो गयी लेकिन अंदर ही अंदर रिकी को देख हँसे जा रही थी



"शीना, प्लीज़ रिलॅक्स.. यह लो, तुम्हारे लिए जूस लाई हूँ.." ज्योति ने आगे बढ़ते हुए शीना को ग्लास दिया



शीना ने एक पल रिकी को घूर्ना जारी रखा, लेकिन फिर ज्योति के हाथ से ग्लास लेने लगी..



"अरे अरे.. ऐसे नही स्वीटहार्ट, मैं अपने हाथ से पिलाउन्गी मेरी डियर सिस को.." ज्योति शीना के बगल में बैठ गयी और मुस्कुरा के अपने हाथों से जूस उसे पिलाने की कोशिश करने लगी



शीना को यह देख थोड़ा अजीब लगा के अचानक ज्योति इतना प्यार क्यूँ करने लगी, और फिर एक नज़र रिकी को देख के जैसे आँखों ही आँखों में कुछ पूछने लगी



"डॉन'ट स्टेर अट मी.. हम जब महाबालेश्वर से लौट रहे थे तो ज्योति ने ही खुद बताया तुम दोनो के डिफरेन्स के बारे में.." रिकी ने खड़े खड़े शीना को जवाब दिया



"यस शीना, अब तक जो भी मैने किया या कहा, आइ आम सॉरी फॉर दट.. और सीधी बात बोलूं तो तुमने जो तुम्हारे और भैया के बारे में कहा, मुझे सच में उसके बारे में कुछ नहीं सोचना चाहिए, आप लोग कंफर्टबल हैं इस रीलेशन में तो कोई तीसरा क्यूँ पंगा लेगा.. और रही बात मेरे इंटर्फियरेन्स की तो आइ आम सॉरी फॉर दट, बट यकीन करो मैं कुछ जासूसी नहीं कर रही थी, आइ वाज़ जस्ट पस्सेसिव फॉर यू गाइस.. हर साल मैं यहाँ आती हूँ और हम जो साथ में वक़्त बिताते हैं उसके बारे में जब भी सोचती हूँ तो ऐसा लगता है कि इस साल क्या हो गया ऐसा जो हम दोनो के मतभेद होने लगे..इस सवाल के जवाब की गहराई में जब उतरी तो मैने खुद को ही दोषी पाया.. हम बहनें हैं, पर उसका मतलब यह नहीं कि मैं तुम्हारे हर काम में दखल दूं, तुम्हारी हर हरकत पे निगरानी रखूं.. तुम्हारे इस हमले के लिए जितना दुख तुम्हे और भैया को है, उससे कहीं ज़्यादा दुख मुझे भी है, पर एक खुशी है कि इसी बहाने में फिर तुम्हे अपना दोस्त बना लूँगी, तुम्हारा ख़याल रखने की पूरी कोशिश करूँगी, हो सकता है इससे शायद तुम्हे मेरी बातों पे यकीन हो और जो भी हमारे बीच मतभेद हुए हैं वो शायद सुलझ जायें.. मतभेद होना चाहिए, लेकिन मनभेद नहीं..." ज्योति ने शीना की आँखों में देख के यह बात कही, और अगले ही पल उसकी आँखें नीचे झुक गयी.. यह ज्योति आक्टिंग नहीं कर रही थी, वो सही में शीना से फिर पहले जैसा नॉर्मल रिश्ता चाहती थी, हां उसने ज़रूर कुछ चीज़े हद से ज़्यादा कर ली थी जो शीना को पसंद नहीं आई, लेकिन दिल से वो कभी भी शीना को नुकसान नहीं पहुँचाना चाहती थी.. सिर्फ़ शीना को, ज्योति कोई नुकसान नहीं पहुँचाना चाहती थी...



"अब पिला भी दे जूस, आगे तो कर ग्लास..." शीना ने हँस के ज्योति से कहा जिसे सुन ज्योति की आँखें चमक उठी और बिना देरी किए ज्योति अपने हाथों से शीना को जूस पिलाने लगी और उसके सर पे हाथ फेरने लगी..



"थॅंक यू शीना.." ज्योति ने नम आँखों से शीना को कहा जिसके रियेक्शन में शीना ने अपने हाथ की एक उंगली को ज्योति की नम आँखों पे रखा और उसके आँसू को हल्का सा अपनी ज़ुबान पे रखा



"एक... कितना गंदा टेस्ट है इसका, आगे से यह मुझे मेरे सामने नहीं चाहिए समझी.." शीना ने हँस के ज्योति से कहा और दोनो बहने गले मिल गयी..



"ग्रेट गाइस..." रिकी यह कहके शीना के बगल में बैठा ही था कि शीना ने फिर उसे टोका



"आपको किसने कहा बैठने को... मैं अभी भी नाराज़ हूँ कि रिज़ॉर्ट आपने भाभी के नाम कर दिया.. मेहनत हमारी और फल खाएगी वो, यह कहाँ का इंसाफ़ है यार.." इस बार शीना ने रिकी और ज्योति से आइ कॉंटॅक्ट बना के कहा.. दोनो कोई जवाब देते इससे पहले तीसरी आवाज़ ने उसकी बात का जवाब दिया



"डॉन'ट वरी अबाउट दट ननद जी.." स्नेहा ने दरवाज़े पे खड़े रहके कहा और फिर कमरे के अंदर आ गयी



"चिंता नहीं करो शीना, तुम्हारी यह शिकायत मैं दूर करूँगी.. और रही बात रिज़ॉर्ट की, तो मुझे नहीं चाहिए ऐसी चीज़ जिसकी वजह से मेरे बारे में पीछे ऐसी बातें हो.." स्नेहा के चेहरे पे गुस्सा सॉफ दिख रहा था लेकिन वो दबा के बैठी थी



"नहीं भाभी, इसका ऐसा मतलब नहीं है..." रिकी ने बीच में बात को संभालते हुए कहा



"तो क्या मतलब है तुम्हारा शीना जो तुमने कहा उससे..." स्नेहा ने शीना को देख फिर सवाल किया



"मुझसे क्यूँ पूछ रही हो.. मेरी बात का सब मतलब यह जानते हैं, तो आप इनसे ही पूछो... बोलो भाई, क्या मतलब था मेरा, बताओ भाभी को, मैं भी सुनू..." शीना ने अपनी आँख रिकी पे जमाते हुए कहा...



"उः भाभी.. शीना का मतलब था, कि अगर आप भी रिज़ॉर्ट आके देखें कि काम कैसा चल रहा है और आपको कुछ भी इनपुट्स देने हो तो आप प्लीज़ आ सकते हैं.." इस बार रिकी कुछ कहता उससे पहले ज्योति ने स्नेहा को जवाब दिया



"वैसे आप क्यूँ आई थी इधर.." शीना ने स्नेहा से पूछा जो ज्योति की बात का जवाब देने जा रही थी



"मैं तुम लोगों की बातें नहीं सुन रही थी, डिन्नर रेडी है.. नीचे आ जाइए देवर जी और ज्योति तुम भी.. और हां ज्योति, मेरे जाते से ही पूछ लेना शीना से कि जो तुमने कहा अगर मैं वो करूँगी तो उसमे उसको प्राब्लम तो नहीं, या उसमे भी कोई मिस्टेक निकालेगी" स्नेहा ने ज्योति से कहा और कमरे से बाहर जाने लगी



"उः... भाभी, दो मिनिट प्लीज़ रुकिये.." ज्योति ने स्नेहा को वापस बुलाया और रिज़ॉर्ट के बारे में उसे बताने लगी.. अब क्योंकि रिज़ॉर्ट उसके नाम था तो स्नेहा ने भी थोड़ी रूचि दिखाई उसकी बातों में और बीच बीच में अपनी राय देने लगी...



"ओके लॅडीस.. आप बातें कीजिए, मैं चलता हूँ.. शीना, आइ विल गेट युवर डिन्नर..." रिकी ने सब से कहा और बाहर चला गया.. शीना के कमरे से बाहर आके रिकी ने आस पास देखा तो कोई नहीं था, मौका पाते ही वो धीरे धीरे स्नेहा के कमरे की तरफ बढ़ा और दरवाज़े को धक्का दिया तो कमरा खुल गया..



"गुड इट'स नोट लॉक्ड..." रिकी ने खुद से कहा और अंदर जाके रूम को लॉक कर दिया...



कमरे की बतियां जली हुई थी इसलिए उसका काम आसान था, उसने फोन निकाला और नंबर घुमा दिया..



"ह्म्‍म्म बोलो.." सामने से एक ही रिंग में फोन आन्सर हो गया



"मैं आ गया हूँ यहाँ.." रिकी ने धीरे से कहा और रूम के हर कोने में नज़र दौड़ाने लगा



"ग्रेट.. अब स्नेहा का वॉर्डरोब खोलो.."



"ह्म्‍म्म..रूको, हां ओपन किया"



"अब इसमे ढुंढ़ों, हमारे काम की चीज़ होगी इसमे ही.."



"क्या बोल रहा है यार..हमारे काम की चीज़ वो यूँ खुले में थोड़ी रखेगी"



"अबे बेन... के भाई, मतलब थोड़ा हाथ पेर मार, कुछ मिलेगा, तू देख तो.."



"कुछ नहीं है यार.. बस कपड़े ही कपड़े हैं, सारी एक से एक , वेस्टर्न , आअहह उसकी ब्रा पैंटी भी है.. तेरे लिए ले लूँ क्या हाहहा.."



"अरे भाई, यह सब छोड़, देख ना प्लीज़, हाथ पेर मार.."



"कुछ नहीं है यार.."



"कहीं और ढूँढ फिर..जो हमें चाहिए, वो इसी कमरे में है"



"अच्छा.. रुक...." रिकी ने कह के वॉर्डरोब बंद ही किया कि उसकी आँखों ने कुछ देखा



"रुक रुक... यहाँ कुछ है..."



"देख देख, जल्दी क्या है.."



"ह्म्‍म्म.. तो यह कपड़ों के बीच छुपा बैठा है.. अब इसका पास कोड कौन देगा.."



"रुक मेरे को देखने दे..." कहके सामने वाले ने सामने रखा वॉलेट उठाया और उसमे कुछ ढूँढने लगा



"यार, सरकार अगर 1000 से बड़े नोट भी निकालेगी ना तो यह अमीरों को काम ही लगेगा, कोई अपने वॉलेट में 50000 लेके घूमता है क्या" सामने वाले ने वॉलेट में कुछ ढूँढते हुए कहा



"तूने कुछ खर्च नहीं किया क्या.." रिकी ने जवाब में कहा



"नहीं यार, यह सब मेरा पैसा ही है. तो सोच रहा हूँ इसको बचा बचा के चलूं , हाहहहा..."



"चल चल, ढूँढ कुछ मिला क्या, नहीं तो इसका पॅज़कोड कहाँ से लाएँगे"



"रुक, देखने दे ना.. वॉलेट भी कितना बड़ा है.... हां, यह रहा.." सामने वाले को एक फोल्ड किया हुआ पेपर मिला



"यार, इसमे तो काफ़ी सारे पासवर्ड्स हैं.. काम की चीज़ है यह, नेट बॅंकिंग, वाह.. स्विस बाँक्स के भी हैं.. अब तो हम यूरो में भी खेलेंगे... लेकिन जो चाहिए, उसका पॅज़कोड नहीं मिल रहा..उम्म्म, यह बॅंक, वो बॅंक, यह लॉकर, वो लॉकर, हां.. यह रहा..." सामने वाले ने फिर अपनी उंगली एक जगह रखते हुए कहा



"हां बता.." रिकी ने उत्सुकता दिखाते हुए कहा



"हां.1914581.."



"रुक... 1914581..." रिकी ने पॅज़कोड पंच किया और एरर..



"भाई ग़लत है.." रिकी ने सामने एरर देखते हुए कहा
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