Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 04:48 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"शीना.... शीना....." ज्योति ने शीना के कमरे में अंदर आके धीरे से आवाज़ लगाई, लेकिन शीना की तरफ से कुछ भी जवाब ना पाकर, ज्योति मूड के वापस जाने लगी..




"अब वापस क्यूँ जा रही है.." शीना का जवाब सुन ज्योति पीछे देख मुस्कुराइ और दरवाज़ा बंद कर दिया..




"तूने कोई जवाब नहीं दिया इसलिए, " ज्योति ने आगे आके कहा और शीना के कंबल में घुस गयी सोने के लिए




"अकेले क्यूँ नहीं सो रही, यहाँ क्यूँ आई.." शीना ने रूखी सी आवाज़ में ज्योति से पूछा




"अकेले नींद नहीं आ रही थी, इसलिए सोचा तेरे पास आ जाउ, बातें करते करते सो जाएँगे" ज्योति ने जवाब दिया




"ओह्ह्ह्ह... तो तू इस हालत में क्यूँ.." ज्योति ने फिर शीना से पूछा जब उसे एहसास हुआ कि शीना ने सिर्फ़ ब्रा पैंटी पहेन रखी थी




"ऐसे ही.. वैसे तुझे नींद क्यूँ नही आ रही, बड़ी अजीब बात है.. आज कल सब को नींद नहीं आ रही.." शीना ने फिर रूठी हुई आवाज़ में ज्योति से कहा




"सब से तेरा क्या मतलब है जानेमन.. कुछ छुपा रही है क्या मुझसे.." ज्योति ने फिर एक चहकी हुई आवाज़ में जवाब दिया




"नहीं, छुपाउंगी क्यूँ.. अभी थोड़ी देर पहले भाई आए थे, उन्हे भी नींद नहीं आ रही थी, तभी पूछा.." शीना को जवाब देके एहसास हुआ के वो क्या कह गयी




"अक्चाअ... तभी तू इस हाल में है हाँ.. " ज्योति ने खिलखिला के शीना की ओर देखा




"तब से इसी हाल में हूँ.. आगे ज़्यादा ना पूछना" शीना करवट बदल के दूसरी तरफ देखने लगी..




"ओह्ह्ह मेरी जानेमन, ऐसे नाराज़ क्यूँ होती है.. समझ गयी मैं तेरी बात को, बट कभी कभी ऐसा होता है.. यू नो, कभी कभी अंदर से ही वो फील नहीं आता, इसमे रूठने जैसा तो कुछ नहीं है शीना.." ज्योति उसे समझाने लगी और उसे अपनी तरफ पलटा दिया




"ज्योति.. आक्सिडेंट के बाद, मेरी बॉडी अच्छी नहीं है क्या, क्या मैं अब अट्रॅक्टिव नहीं दिखती जैसे आक्सिडेंट के पहले थी.." शीना ने फिर दुखी मन से सवाल पूछा




"नहीं डियर, ऐसा बिल्कुल नहीं है.. क्यूँ बार बार ऐसा सोच रही है..." ज्योति ने फिर उसके सर पे हाथ फेरते हुए कहा




"तो फिर क्यूँ भाई ने आधे में ही...." शीना कहते कहते चुप हो गयी




"आधे में ही... क्या, बोल पूरी बात" ज्योति ने आँखें दिखा के कहा




"भाई पहले रूम में आए और फिर ही किस्ड मी.. फिर व्हेन आइ आस्क्ड हिम.." शीना फिर कहते कहते चुप हो गयी और अपना चेहरा नीचे झुका लिया




"उम्म्म, बोल ना मेरी जानेमन.. पूरी बात सुना.." ज्योति ने उसके सर को उँचा कर कहा और आँख मार दी


"उम्म्म, बोल ना मेरी जानेमन.. पूरी बात सुना.." ज्योति ने शीना के सर को उँचा कर कहा और आँख मार दी




"क्या बोलूं.. कहा ना आधे में छोड़ के चले गये भाई.. मुझे अब तक समझ नहीं आ रहा ऐसा क्यूँ किया.." शीना ने चेहरा उदास करके जवाब दिया




"आधे में.. क्या, प्यासा छोड़ गये क्या तुझे तेरे ख़सम.. हिहिहीही.." ज्योति ने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा, लेकिन शीना ने उसकी बात पे बिल्कुल रिएक्ट नहीं किया और चेहरे को उदास ही रखा




"अच्छा, चल ठीक है नहीं मस्ती करती अब.. हॅपी..माफ़ कर दे अब.." ज्योति ने कान पकड़ के कहा




"अरे ठीक है यार, मैने कहाँ कुछ कहा तुझे इस बारे में.. मैं तो बस यह सोच रही हूँ, देख.. सीधा बोलती हूँ ओके.. मैने उनसे कहा आज, तो मेक लव टू मी और इतने दिन हो गये हम दोनो को फिज़िकली करीब आए हुए, तो ऐसे कैसे आधे में छोड़ सकता है कोई, आइ मीन या तो मैं अब उनको अट्रॅक्टिव नहीं लगती या तो.." शीना फिर आधे में रुकी और कुछ सोचने लगी




"हेल्लूओ... जो तू सोच रही है, वैसा कुछ नहीं है.. इतना ट्रस्ट तो है ना तुझे उनपे, फिर क्यूँ इतनी चिंता कर रही है.. हो सकता है ही ईज़ एमोशनली ड्रेंड आउट, कभी कभी आपके दिमाग़ में इतने एमोशन्स एक साथ आ जाते हैं या इतनी चीज़ें होती हैं आसपास, के आपका दिमाग़ किसी चीज़ पे अटका हुआ होता है तो आपकी बॉडी और दिमाग़ साथ नहीं रहते, आम शुवर रिकी भैया के साथ भी वोही है.." ज्योति ने शीना को अच्छे से समझाने की कोशिश की




"मतलब.. डीटेल में बता" शीना ने उत्सुकता से कहा




"जैसे कि, देख जैसे अभी वो चाचू के साथ विकी भैया का काम भी कर रहे हैं, आंड साथ ही रिज़ॉर्ट का काम भी देखते हैं, और उपर से वो अकेले हैं घर पे, डॅड और चाचू अपने अपने काम में रहते हैं तो उन्हे कहीं भी ज़रूरत पड़ती है तो रिकी भाई को बोलते हैं.. तो जब आदमी एक साथ इतनी चीज़े करेगा तो कभी तो स्ट्रेस्ड आउट होगा ना.. आइआम स्योर उनके साथ भी ऐसा ही है... वैसे मैं सिर्फ़ गेस कर रही हूँ, इफ़ यू वॉंट यू कॅन चेक वित हिम टुमॉरो.. ध्यान से पूछना , सीधा नहीं पूछना समझी.." ज्योति अभी शीना को समझा ही रही थी कि शीना के मोबाइल पे एसएमएस आया.. एसएमएस पढ़ के शीना के चेहरे पे स्माइल आई और उसने स्क्रीन ज्योति को दिखा दी
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RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा - by sexstories - 07-03-2019, 04:48 PM

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