Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 04:55 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"मैं 50 का होने वाला हूँ लड़के, 21 साल की उमर में कोई समंदर के किनारे बैठ डूबते सूरज को नहीं देखता.."




"मतलब आप..."




"हां, मैं तुझे तभी से देख रहा हूँ, दरगाह में भी तू खोया खोया था, फिर जाके अकेले बैठना, फिर किस्मत देख, तूने मेरी गाड़ी ठोकी और अब मेरे साथ है.. इसलिए बोल रहा हूँ लड़के, क्या बात है बता.. अजनबी हूँ, इसलिए बता, किसी को कुछ नहीं पता चलने दूँगा.. वो इंग्लीश में कहूँ तो, आइ आम आ गुड कॉन्फिडेंट.." बाबा ने फिर हँस के कहा




बाबा की बात ख़तम होते ही मैं सोचने लगा के इसको क्या बताऊ, और इसको क्यूँ बताऊ, वैसे बताने में कोई मुश्किल नहीं थी, लेकिन जान ना पहचान, अगर मैं अजनबी को सब बता दूं और कल कुछ मेरी इन्फर्मेशन का मिसयूज़ करे तो, पर दिल की दूसरी आवाज़ थी, कि भाई ने इतना अच्छे से बात करी है अब तक, रंग ढंग देख तो बिल्कुल ऐसा नहीं लग रहा , तीन मोबाइल हैं, बीएमडब्ल्यू 7 सीरीस, इतना सोना, इसे पैसों की कोई कमी नहीं होगी फिर यह क्यूँ मेरी कोई इन्फो मिसयूज़ करेगा




"लड़की का चक्कर..." बाबा की तेज़ आवाज़ से मैं अपने ख़यालों से बाहर आया और उसे देखने लगा




"जी.." मैने असचर्या में आके पूछा




"लड़की का चक्कर है ..या दोस्त से झगड़ा, या माँ बाप ने कुछ कहा ... कुछ भी हो, तू बता तो दे कम से कम, विश्वास रख, नुकसान नहीं होने दूँगा तुझ को.. मैं भी तेरे जैसा ही था , इसलिए तुझे पूछ रहा हूँ.." बाबा ने मेरे हाथों को अपने हाथों में पकड़ के पूछा




"यह मेरे जैसा.. मतलब मैं भी 50 साल में इतनी चैन, मोबाइल्स और बीएमडब्ल्यू 7 सीरीस लेके घूमूंगा.." मैने खुद से कहा और चेहरे पे हल्की मुस्कुराहट आ गयी




"बोल भी दे भाई, यह किसी से इतनी बात नहीं करते.." जिस आदमी ने हमारा ऑर्डर लिया था वो प्लेट्स उठाते वक़्त बोल गया




"ख़ान साब... मेरी प्राब्लम यह है कि...." मैने बाबा को बताना शुरू किया, घर से लेके दोस्तों तक , दोस्तों से लेके गर्ल फ्रेंड तक, गर्ल फ्रेंड से लेके मेरे बर्तडे के दिन हुई बातों के बारे में.. बताते बताते वक़्त कहाँ निकलता गया मुझे पता ही नहीं चला, और मैने भी जो बातें उसे बताई, उनकी डीटेल्स भी उसे बताने लगा.. एक से दो, दो से तीन और तीन से चार घंटे बीते, लेकिन बाबा ध्यान से मेरी बातों को सुनता रहा और बीच में बिल्कुल नहीं टोका




"तो प्राब्लम जानते हो आप.. प्राब्लम यह है.."




"चलो, क्लोसिंग टाइम है.." एक वेटर ने आके हमे कहा जिसे सुन मेरी आवाज़ बंद हुई और मैने घड़ी देखी तो वक़्त देख के हैरान हो गया




"बहनचोद.. कुछ देर बाद आ जाता, " बाबा ने उस वेटर से कहा और गुस्से से देखने लगा




"शिट.. आइ आम सो सॉरी, मुझे वक़्त का तक़ाज़ा ही नहीं रहा, आपको मेरी वजह से लेट हुआ.." मैने घड़ी देखी तो 12 बज रहे थे.. मैने जल्दी से वॉलेट निकाला और कुछ पैसे उसमे रख बाहर चलने लगा.. बाबा भी मेरे साथ बाहर आया और खामोश ही रहा





"ख़ान साब.. थॅंक यू वेरी मच.. पर मुझे बहुत लेट हो रहा है, कल सुबह मॅच भी है, अगर लेट पहुँचा तो सब गालियाँ देंगे.. इट वाज़ नाइस मीटिंग यू.." मैने हाथ आगे बढ़ा के कहा जिसे देख बाबा मुस्कुराया और मेरे हाथ को कस के पकड़ा और अपनी गाड़ी की तरफ ले जाने लगा




"सर, देखिए प्लीज़, मुझे जाने दो.. हेलो.. ख़ान साब, बाबा ख़ान जी, सर..." मैं बस उसे बोलता रहा और मुझे अनसुना कर वो अपनी गाड़ी की तरफ आ गया





"सर.... प्लीज़.." मैं उसकी गाड़ी के पास रुका और उसे लिटरली भीख माँगते हुए कहा




"सन्नी, मेरे साथ खाना खाओगे.." बाबा ने हँस के पूछा और ज़बरदस्ती अपनी गाड़ी में बिठा के अपने घर ले जाने लगा




फ़ोर्ट से महिम तक का सफ़र मैने बहुत डर डर के निकाला, अचानक एक आदमी जिसकी गाड़ी मैने ठोकी थी, वो चाइ पिलाता है, मेरी बातें सुनता है और खाना भी खिलाता है..उससे डर नहीं तो और क्या लगेगा.. बन्चोद, तू ही चूतिया है, सब कुछ बता दिया उसे, गान्ड मरवा लो अब, यह तो होना ही था मेरे साथ, मैने अंदर फिर खुद से कहा और सोचने लगा यह क्या करने वाला है...




"आओ.." बाबा ने गाड़ी बंद कर जब कहा, तब मुझे ध्यान आया कि मैं इस वक़्त महिम चर्च के पास खड़ा हूँ.. बाहर निकल के बाबा के पीछे पीछे चलने लगा.. थोड़ी ही दूरी पे बाबा का घर था जहाँ बाहर काफ़ी लाइट्स लगी हुई थी और काफ़ी भीड़ थी..




"कोई अकेशन है क्या आज, " मैने बाबा से चलते चलते पूछा जिसका जवाब उसने कुछ नहीं दिया और बस मुस्कुराता मुस्कुराता आगे बढ़ने लगा




"ख़ान भाई को जनमदिन की ढेरों शुभकामनायें... हमारी दुआ है आप हमेशा महफूज़ और सलामत रहें भाई जान..." बाबा के घर के पास हम जैसे ही पहुँचे, भीड़ में से एक आदमी चिल्ला के बाहर निकला और बाबा के गले लगने लगा.. भीड़ में खड़े दूसरे लोग भी काफ़ी खुश हुए और सब बाबा को जनमदिन की बधाइयाँ देने लगे..




"तो आज क्या करेंगे भाई जान.. हुकुम करें.." फिर पहले वाले बंदे ने उससे पूछा




"फिलहाल तो मेरे नये दोस्त से बातें करनी हैं.." बाबा ने मेरी तरफ इशारा करके कहा जिससे सब लोग मुझे देखने लगे




"हाई... " मेरे गले से इतनी आवाज़ निकली जिसे मैं भी ठीक से नहीं सुन सका..




"ठीक है भाई जान.. आप चलें उपर, " उस आदमी ने सीडीयों की तरफ इशारा किया और बाबा मुझे अपने साथ उपर लेके आ गया




"तो अब बताओ सन्नी.. हम कहाँ थे.." बाबा ने मेरे आगे खाना लगाते हुए कहा




"आप कौन हो .. " मैने बाबा की आँखों में देख सवाल पूछा, यह पहली बार था जब बाबा से मिलके मेरी आवाज़ में विश्वास था




"मेरा मतलब, मैने आपकी गाड़ी को ठोका, मुझपे गुस्सा होने के बदले यह सब.. मैं कुछ समझ नहीं पा रहा.." मैने हैरान होके पूछा
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