Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
07-16-2019, 11:51 AM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
मैने सोचा कि ये तो पंगा हो गया,,,भले ही उसने मुझा रोका नही लेकिन फिर भी वो रोने तो लगी थी मेरी
इस हरकत से ,,,मैं कुछ नही करना चाहता था लेकिन वो मेरे इतने पास थी कि मेरे से खुद पर क़ाबू नही
हुआ,,और ग़लती उसकी है मेरी नही मैने कितनी बार बोला मेरे पास मत आया करो लेकिन वो है कि सुनती ही नही,,,
पर अब तो वो मेरी आँख की वजह से मेरे पास आई थी ताकि मेरा दर्द ठीक कर सके लेकिन मैं ऐसा कमीना
इंसान जो अपना दर्द कम करने वाली सोनिया को ही हर्ट कर दिया था,,वो रोने लगी थी,,सिर्फ़ मेरी वजह से,,,


मुझे पता था वो यहाँ से नही जाएगी इसलिए मैं कविता को फोन करने को सोची ताकि कविता यहाँ आ
जाएगी और उसके होते हुए मैं सोनिया के पास भी नही जाउन्गा और शायद कविता के आने पर मेरा ज़्यादा ध्यान
कविता पर रहेगा ,,,,,और वैसे भी मेरा बड़ा दिल कर रहा था अब कविता से मिलने को,,,सोनिया ने एक आग जो
लगा दी थी पूरे जिस्म मे जिसको कविता ही भुजा सकती थी,,,,,लेकिन कविता ने तो सॉफ सॉफ मना कर दिया था
आने से,,उसने बोला कि सूरज भाई घर पर नही है वो नही आ सकती ,,,,मैने बोला कि मैं उसके घर आ जाता
हूँ तो उसने इस बात से भी मना कर दिया,,,,,,

क्यूकी उसके घर जाके मैं कामिनी भाभी के साथ तो कुछ नही कर सकता था और कविता ने सीधी तरह से बोल
दिया था कि उसकी तबीयत ठीक नही है,,,तो भला मैं उसके घर जाके क्या करता,,,,


मैं करीब 25-30 मिनट ऐसे ही सोचता रहा ,,कभी सोनिया के बारे मे तो कभी कविता का बारे मे,,

फिर सोचा कि क्यूँ ना करण के घर चला जाए,,,,वहाँ से शिखा को या अलका आंटी को लेके बुटीक पर चला
जाउन्गा मस्ती करने के लिए,,,और अगर ना भी मस्ती कर सका तो कम से कम घर से बाहर तो चला जाउन्गा,,और
रात होने से पहले घर वापिस नही आउन्गा,,,और रात को आके खुद को मोम-डॅड के रूम मे बंद कर लूँगा ताकि
रात को सोनिया के साथ कुछ ग़लत हरकत नही कर सकूँ,,,

अभी 3 बजे थे और रात होने मे कम से कम 4-5 अवर्स थे,,,मुझे 4-5 अवर्स कहीं बाहर टाइम पास करना
ही होगा,,,इसलिए रेडी होने के लिए मैं उपर जाने लगा क्यूकी मेरे कपड़े उपर पड़े हुए थे,,,,सोनिया के रूम
मे,,,,,मुझे वहाँ जाने मे डर तो लग रहा था लेकिन वहाँ जाना भी ज़रूरी था क्यूकी मैं इन कपड़ो मे तो
घर से बाहर नही जा सकता था,,,,खैर ''मैं हिम्मत करके उपर की तरफ चलने लगा,,,,,

25-30 मिनट नीचे बैठा रहा और सोचता रहा कि अब क्या किया जाए,,,,

सोनिया ने मेरी आँख का दर्द कम करने की कोशिश की लेकिन मैने उसका ही दर्द बढ़ा दिया था ,,उसको हर्ट किया
था रुला दिया था,,,अब मुझे कैसे भी करके रात तक उस से दूर रहना था क्यूकी वो कविता के घर जाने को
तैयार नही थी,,,,और ना ही अब कविता यहाँ आने को तैयार थी,,,,सब पंगा हो गया था वो भी मेरी वहज से,,,

सोनिया हर्ट हुई मेरी वजह से,,,,कविता की तबीयत ठीक नही थी वो भी मेरी वजह से,,,,,,

अब मैं किसी को हर्ट नही करना चाहता था,,,इसलिए रात तक कहीं बाहर टाइम पास करना चाहता था,,और वैसे
भी जाने अंजाने ही सही मैने सोनिया को हर्ट किया था और जाने अंजाने ही सही उसके करीब होके मैं कुछ गर्म
हो गया था मुझे ये गर्मी निकालनी थी कहीं ना कहीं,,,,और सबसे अच्छा रास्ता था अलका आंटी और शिखा को अपने
साथ बुटीक पर लेके जाना,,,उन्ही के साथ मस्ती कर सकता था मैं,,और इस तरह मैं कुछ देर घर से बाहर
और सोनिया से दूर रह सकता था,,,,,क्यूकी जितना टाइम मैं घर पर रहूँगा उतना टाइम यही डर रहेगा कि कहीं
मैं सोनिया को हर्ट नही कर दूं,,,

मैं सीढ़ियों से उपर चला गया,,,सोनिया को भी उपर आए 25-30 मिनट हो गये थे,,,मेरे कपड़े उसी रूम मे
थे जहाँ सोनिया थी और मुझे उस रूम मे जाने से बहुत डर लग रहा था लेकिन जाना भी ज़रूरी था,,,मुझे पता
था मैं उसका सामना नही कर सकता ,,फिर भी हिम्मत करके मैं उसके रूम मे चला ही गया,,,मैने हिम्मत
करके बड़ी धीरे से दरवाजा खोला और अंदर देखने लगा,,मैने देखा सोनिया अपने बेड पर नही थी ,,मैने
दरवाजा थोड़ा और खोला और रूम मे देखने लगा मैं इतना डरा हुआ था कि मैं खुद न्ही गया अंदर बस
अपने सर को दरवाजे से अंदर किया था और दरवाजा भी इतना ही खोला था जिस से मेरा सर अंदर चला जाए और मैं
अंदर देख सकूँ,,,,


मैने सर को दरवाजे से अंदर किया और रूम मे हर तरफ देखने लगा,सोनिया कहीं नही थी,,,शायद वो बाथरूम
मे होगी या शायद बुक लेके भुआ वाले ड्रॉयिंग रूम मे स्टडी करने चली गई होगी,,,मैं जल्दी से रूम
मे घुस गया और अपने कपड़े निकालने लगा और कपड़े निकालते हुए मैने देखा कि बाथरूम का दरवाजा खुला
हुआ था इसका मतलब सोनिया बाथरूम मे नही थी,,मैने रूम को अंदर से लॉक किया और जल्दी अपने कपड़े निकाले
और बेड पर रखे फिर अपने कपड़े उतार दिए और बाथरूम मे घुस गया नहाने के लिए लेकिन इस बाथरूम की
तो टॅब खराब थी पानी बहुत कम निकलता था,,,इसलिए मैने कपड़े वहीं रहने दिए और शोभा के रूम मे चला
गया क्यूकी उसके रूम का बाथरूम और तब ठीक से काम करती थी,,,मैं जल्दी से नहा धो कर तैयार हो गया और
घर से निकल गया,,,,जब मेन गेट खोलकर बाइक को बाहर निकाल रहा था तभी मैने देखा कि सोनिया भुआ वाले
ड्रॉयिंग रूम की खिड़की पर बैठी हुई थी जिसकी खिड़की घर के फ्रंट गर्दन की तरफ खुलती थी,,,,मैने एक बार
उसकी तरफ देखा तो वो कुछ उदास लग रही थी,,,मैं भी उसको देखकर उदास हो गया लेकिन मैने ज़्यादा ध्यान
नही दिया उसकी तरफ क्यूकी मैं जितना देखता उतना ही उदास होता और उसको भी उदास कर देता,,,,मैने बाइक निकाली
और वहाँ से चला गया,,,

मेरा दिल किया करण के घर जाने को लेकिन मैं करण के घर नही गया बस शिखा दीदी को फोन कर दिया और
बोल दिया भुआ के बुटीक पर आने को ,,मैं घर से जाते टाइम बुटीक की चाबी साथ लेके गया था,,मैं
खुद उपर जाके बैठ गया और शिखा दीदी और अलका आंटी का वेट करने लगा,,,,वो लोग भी कुछ देर मे वहाँ आ
गई ,,,उन्होने नीचे आके बेल बजाई तो मैं नीचे चला गया गेट खोलने क लिए,,

मैने नीचे जाके गेट खोला तो शिखा दीदी और अलका आंटी को देखकर खुश हो गया,,वो दोनो ने बहुत ही ज़्यादा
सेक्सी ड्रेस पहनी हुई थी,,,,शिखा ने एक स्किन कलर का टाइट फिटिंग सूट पहना हुआ था जो उसके बदन से एक दम
चिपका हुआ था वो सूट इतना ज़्यादा टाइट था कि जो भी देखता शिखा दीदी को उसको दीदी के जिस्म का सही सही नाप
मिल जाता ,,,,उसके बड़े बड़े बूब्स जो सूट के उपर से बाहर निकल रहे थे ,,उनका पेट जो एक दम सपाट था
और वो मोटी नही थी लेकिन हल्के भरे बदन की थी इसलिए उनका हल्का सा पेट बहुत ही ज़्यादा सेक्सी लग रहा था उस
टाइट फिटिंग सूट मे,,मैं उसकी तरफ देखता ही रह गया ,,,,मैने सोचा कि ये तो पंगा हो गया,,,भले ही उसने मुझा रोका नही लेकिन फिर भी वो रोने तो लगी थी मेरी
इस हरकत से ,,,मैं कुछ नही करना चाहता था लेकिन वो मेरे इतने पास थी कि मेरे से खुद पर क़ाबू नही
हुआ,,और ग़लती उसकी है मेरी नही मैने कितनी बार बोला मेरे पास मत आया करो लेकिन वो है कि सुनती ही नही,,,
पर अब तो वो मेरी आँख की वजह से मेरे पास आई थी ताकि मेरा दर्द ठीक कर सके लेकिन मैं ऐसा कमीना
इंसान जो अपना दर्द कम करने वाली सोनिया को ही हर्ट कर दिया था,,वो रोने लगी थी,,सिर्फ़ मेरी वजह से,,,


मुझे पता था वो यहाँ से नही जाएगी इसलिए मैं कविता को फोन करने को सोची ताकि कविता यहाँ आ
जाएगी और उसके होते हुए मैं सोनिया के पास भी नही जाउन्गा और शायद कविता के आने पर मेरा ज़्यादा ध्यान
कविता पर रहेगा ,,,,,और वैसे भी मेरा बड़ा दिल कर रहा था अब कविता से मिलने को,,,सोनिया ने एक आग जो
लगा दी थी पूरे जिस्म मे जिसको कविता ही भुजा सकती थी,,,,,लेकिन कविता ने तो सॉफ सॉफ मना कर दिया था
आने से,,उसने बोला कि सूरज भाई घर पर नही है वो नही आ सकती ,,,,मैने बोला कि मैं उसके घर आ जाता
हूँ तो उसने इस बात से भी मना कर दिया,,,,,,

क्यूकी उसके घर जाके मैं कामिनी भाभी के साथ तो कुछ नही कर सकता था और कविता ने सीधी तरह से बोल
दिया था कि उसकी तबीयत ठीक नही है,,,तो भला मैं उसके घर जाके क्या करता,,,,


मैं करीब 25-30 मिनट ऐसे ही सोचता रहा ,,कभी सोनिया के बारे मे तो कभी कविता का बारे मे,,

फिर सोचा कि क्यूँ ना करण के घर चला जाए,,,,वहाँ से शिखा को या अलका आंटी को लेके बुटीक पर चला
जाउन्गा मस्ती करने के लिए,,,और अगर ना भी मस्ती कर सका तो कम से कम घर से बाहर तो चला जाउन्गा,,और
रात होने से पहले घर वापिस नही आउन्गा,,,और रात को आके खुद को मोम-डॅड के रूम मे बंद कर लूँगा ताकि
रात को सोनिया के साथ कुछ ग़लत हरकत नही कर सकूँ,,,

अभी 3 बजे थे और रात होने मे कम से कम 4-5 अवर्स थे,,,मुझे 4-5 अवर्स कहीं बाहर टाइम पास करना
ही होगा,,,इसलिए रेडी होने के लिए मैं उपर जाने लगा क्यूकी मेरे कपड़े उपर पड़े हुए थे,,,,सोनिया के रूम
मे,,,,,मुझे वहाँ जाने मे डर तो लग रहा था लेकिन वहाँ जाना भी ज़रूरी था क्यूकी मैं इन कपड़ो मे तो
घर से बाहर नही जा सकता था,,,,खैर ''मैं हिम्मत करके उपर की तरफ चलने लगा,,,,,

25-30 मिनट नीचे बैठा रहा और सोचता रहा कि अब क्या किया जाए,,,,

सोनिया ने मेरी आँख का दर्द कम करने की कोशिश की लेकिन मैने उसका ही दर्द बढ़ा दिया था ,,उसको हर्ट किया
था रुला दिया था,,,अब मुझे कैसे भी करके रात तक उस से दूर रहना था क्यूकी वो कविता के घर जाने को
तैयार नही थी,,,,और ना ही अब कविता यहाँ आने को तैयार थी,,,,सब पंगा हो गया था वो भी मेरी वहज से,,,

सोनिया हर्ट हुई मेरी वजह से,,,,कविता की तबीयत ठीक नही थी वो भी मेरी वजह से,,,,,,

अब मैं किसी को हर्ट नही करना चाहता था,,,इसलिए रात तक कहीं बाहर टाइम पास करना चाहता था,,और वैसे
भी जाने अंजाने ही सही मैने सोनिया को हर्ट किया था और जाने अंजाने ही सही उसके करीब होके मैं कुछ गर्म
हो गया था मुझे ये गर्मी निकालनी थी कहीं ना कहीं,,,,और सबसे अच्छा रास्ता था अलका आंटी और शिखा को अपने
साथ बुटीक पर लेके जाना,,,उन्ही के साथ मस्ती कर सकता था मैं,,और इस तरह मैं कुछ देर घर से बाहर
और सोनिया से दूर रह सकता था,,,,,क्यूकी जितना टाइम मैं घर पर रहूँगा उतना टाइम यही डर रहेगा कि कहीं
मैं सोनिया को हर्ट नही कर दूं,,,

मैं सीढ़ियों से उपर चला गया,,,सोनिया को भी उपर आए 25-30 मिनट हो गये थे,,,मेरे कपड़े उसी रूम मे
थे जहाँ सोनिया थी और मुझे उस रूम मे जाने से बहुत डर लग रहा था लेकिन जाना भी ज़रूरी था,,,मुझे पता
था मैं उसका सामना नही कर सकता ,,फिर भी हिम्मत करके मैं उसके रूम मे चला ही गया,,,मैने हिम्मत
करके बड़ी धीरे से दरवाजा खोला और अंदर देखने लगा,,मैने देखा सोनिया अपने बेड पर नही थी ,,मैने
दरवाजा थोड़ा और खोला और रूम मे देखने लगा मैं इतना डरा हुआ था कि मैं खुद न्ही गया अंदर बस
अपने सर को दरवाजे से अंदर किया था और दरवाजा भी इतना ही खोला था जिस से मेरा सर अंदर चला जाए और मैं
अंदर देख सकूँ,,,,


मैने सर को दरवाजे से अंदर किया और रूम मे हर तरफ देखने लगा,सोनिया कहीं नही थी,,,शायद वो बाथरूम
मे होगी या शायद बुक लेके भुआ वाले ड्रॉयिंग रूम मे स्टडी करने चली गई होगी,,,मैं जल्दी से रूम
मे घुस गया और अपने कपड़े निकालने लगा और कपड़े निकालते हुए मैने देखा कि बाथरूम का दरवाजा खुला
हुआ था इसका मतलब सोनिया बाथरूम मे नही थी,,मैने रूम को अंदर से लॉक किया और जल्दी अपने कपड़े निकाले
और बेड पर रखे फिर अपने कपड़े उतार दिए और बाथरूम मे घुस गया नहाने के लिए लेकिन इस बाथरूम की
तो टॅब खराब थी पानी बहुत कम निकलता था,,,इसलिए मैने कपड़े वहीं रहने दिए और शोभा के रूम मे चला
गया क्यूकी उसके रूम का बाथरूम और तब ठीक से काम करती थी,,,मैं जल्दी से नहा धो कर तैयार हो गया और
घर से निकल गया,,,,जब मेन गेट खोलकर बाइक को बाहर निकाल रहा था तभी मैने देखा कि सोनिया भुआ वाले
ड्रॉयिंग रूम की खिड़की पर बैठी हुई थी जिसकी खिड़की घर के फ्रंट गर्दन की तरफ खुलती थी,,,,मैने एक बार
उसकी तरफ देखा तो वो कुछ उदास लग रही थी,,,मैं भी उसको देखकर उदास हो गया लेकिन मैने ज़्यादा ध्यान
नही दिया उसकी तरफ क्यूकी मैं जितना देखता उतना ही उदास होता और उसको भी उदास कर देता,,,,मैने बाइक निकाली
और वहाँ से चला गया,,,

मेरा दिल किया करण के घर जाने को लेकिन मैं करण के घर नही गया बस शिखा दीदी को फोन कर दिया और
बोल दिया भुआ के बुटीक पर आने को ,,मैं घर से जाते टाइम बुटीक की चाबी साथ लेके गया था,,मैं
खुद उपर जाके बैठ गया और शिखा दीदी और अलका आंटी का वेट करने लगा,,,,वो लोग भी कुछ देर मे वहाँ आ
गई ,,,उन्होने नीचे आके बेल बजाई तो मैं नीचे चला गया गेट खोलने क लिए,,

मैने नीचे जाके गेट खोला तो शिखा दीदी और अलका आंटी को देखकर खुश हो गया,,वो दोनो ने बहुत ही ज़्यादा
सेक्सी ड्रेस पहनी हुई थी,,,,शिखा ने एक स्किन कलर का टाइट फिटिंग सूट पहना हुआ था जो उसके बदन से एक दम
चिपका हुआ था वो सूट इतना ज़्यादा टाइट था कि जो भी देखता शिखा दीदी को उसको दीदी के जिस्म का सही सही नाप
मिल जाता ,,,,उसके बड़े बड़े बूब्स जो सूट के उपर से बाहर निकल रहे थे ,,उनका पेट जो एक दम सपाट था
और वो मोटी नही थी लेकिन हल्के भरे बदन की थी इसलिए उनका हल्का सा पेट बहुत ही ज़्यादा सेक्सी लग रहा था उस
टाइट फिटिंग सूट मे,,मैं उसकी तरफ देखता ही रह गया ,,,,
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RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही - by sexstories - 07-16-2019, 11:51 AM

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