Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-18-2019, 12:45 PM,
#54
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
रमण इस वक़्त घर नही था वरना या तो सुनील के हाथों मरता या फिर समर के ही हाथों.

सविता थोड़ा सम्भल चुकी थी – अब उसे सुनील की सब बातों पे भरोसा हो गया था. एक बाप कैसे एक माँ को बोल सकता है अपने ही बेटे के साथ सेक्स करने को – यही गंदा खून तो रमण में आया – जिसने अपनी बहन को नही छोड़ा. वो खुद में भी ग़लतियाँ ढूँडने की कोशिश करने लगी – कहाँ कमी रह गयी थी – उसकी परवरिश करने के तरीके में. सविता की आँखों से आँसू टपकने लगे : वो भर्राई हुई आवाज़ में बड़ी मुश्किल से बोली – बेटा – मुझे भी साथ ले चल – मैं यहाँ एक पल भी नही रुक सकती.

समर : सविता……

सविता : बस अब और नही – बहुत झेल लिया तुम जैसे गलिज़ इंसान को --- अब और नही – डाइवोर्स पेपर्स भेज दूँगी. सुनील मैं अभी आई - वो जा के अपनी पॅकिंग करने लगी . माँ बेटी दोनो एक दूसरे को देख रही थी - दोनो एक दूसरे से लिपट के रोने लगी ' क्यूँ नही बताया तूने मुझे - अपनी माँ पे ही भरोसा नही था' क्या बताती बेचारी रूबी वो जिसे प्यार समझ रही थी वो प्यार नही उसका शोसन था और ये बात उसे बहुत देर बाद पता चली थी. माँ बेटी आनन फानन अपनी पॅकिंग कर लेती हैं - सविता समर के दिए हुए किसी भी जेवर को हाथ नही लगाती यहाँ तक की जो पहने हुए थे वो भी उतार के फेंक देती है.

हाल में आके वो अपने गले से मन्गल्सुत्र उतार कर समर के मुँह पे फेंक देती है.

समर लूटा पिटा सा सा सोफे पे बैठा सोचने लग गया – ये कॉन सा तूफान उसकी जिंदगी में आ गया. अब उसमे हिम्मत नही थी सुनील से नज़रें मिलाने की.ना वो सविता को रोक पाया और ना ही रूबी को.

सुनील रात तक सविता और रूबी को ले अपने घर पहुँच गया.


सुनील ने बड़ी मुश्किल से एरपोर्ट पे सविता की बुकिंग उसी फ्लाइट में करवाई जिसमे उसने खुद की और रूबी की कर रखी थी.

रूबी को एक तरफ सुनील पे भरोसा था और दूसरी तरफ उसे अपनी जिंदगी अंधकार में जाती हुई लग रही थी. कितना भरोसा कितना प्यार करती थी वो रमण से – मिला क्या शोसन – वो भी एक भाई के हाथों – काश रमण – सुनील जैसा होता – ये सोच वो सिसक पड़ी – उसकी आँखों से आँसू टपक पड़े.

वेटिंग लाउंज में बैठे सुनील ने जब रूबी को आँसू बहते हुए देखा तो उसके करीब जा के उसके चेहरे को अपने हाथों में थाम – बस इतना ही बोला ‘मैं हूँ ना’ आज सुनील वाक़्य में सागर की जगह ले चुका था – ये कुछ दिनो में जो कुछ भी हुआ – वो उसे उसकी उम्र से बहुत आगे ले गया था – अब वो अपने परिवार का दर्द तो रिजोल्व कर सकता था – पर अपना दर्द उसे दिल के बंद कोने में रखना था – वो अपने परिवार में – जिसमे दो लोग और जुड़ चुके थे – उनको कभी भी ये अहसास नही होने देना चाहता था कि अंदर से वो खुद कितना टूट चुका है – वो दहाडे मार के रोना चाहता था – अपने डॅड सागर की गोद का सकुन – उनके प्यार को महसूस करना चाहता था – पर सब कुछ उस से छिन गया था.

सुनील के दो शब्द रूबी को यूँ लगे जैसे खुद उसके सागर अंकल ने उस से बोले हों – वो सुनील से लिपट के रोने लगी. सुनील अपनी इस बहन को चुप करने में लग गया – जिसकी जिंदगी एक अभिशाप बन चुकी थी – उसे फिर से अपनी इस बहन की जिंदगी को सावांरना था. कैसे होगा ये सब वो खुद से सवाल करने लगा ---उसने अपनी आँखें बंद कर ली ---- सागर का चेहरा उसकी आँखों में समा गया – एक आवाज़ उसके कानो में गूँजी – यू आर माइ ब्रेव सन – प्रूव इट बॉय – आइ ट्रस्ट यू फुल्ली.

सुनील के चेहरे पे जो दर्द के साए मंडराने लगे थे वो गायब हो गये – उसके डॅड आज भी उसके साथ थे – और क्या चाहिए था उसे.

सविता तो किसी और ही दुनिया में थी – आज तक जो भी हुआ वो सब एक फ्लश बॅक की तरहा उसके जेहन में घूम रहा था – सबसे बड़ा दुख उसे इस बात का हुआ था कि उसके अपने बेटे ने उसकी बेटी का जीवन तबाह कर डाला था ------ उसके भी आँसू टपकने लगे ----- रूबी को संभालने के बाद जब सुनील की नज़र सविता पे पड़ी तो वो उसके पास चला गया – उसकी गोद में अपना सर – रखते हुए बोला – बस माँ – तेरा ये बेटा है ना.

ये वो बेटा था जिसको उसने जन्मा नही था – ये बेटा उसके पति की अय्याशि का सबूत था - कितना फरक था रमण में और इसमे – काश वो सागर की ही बीवी होती – पर जो होना था वो हो गया – अब जो होना है वो हो के रहेगा – इतनी छोटी उम्र में इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी – कैसे संभालेगा ये --- नही अब मैं टूटुन्गि नही इसका पूरा साथ दूँगी – अपनी दीदी का साथ दूँगी - हम सब मिलके झेल लेंगे जो भी होगा---- काश मैने इसे जनम दिया होता --- दीदी तुम्हारी कोख धन्य है --- मुझमें ही कुछ खराबी थी .

अपने दर्द से बाहर निकल सविता सुनील के सर पे हाथ फेरने लगी . रात करीब 10 बजे ये लोग घर पहुँचे – सुमन ने जब दरवाजा खोला तो सामने सुनील के साथ सविता और रूबी को देखा.

सविता लपक के सुमन के गले लग गयी ----------दीदी ------------और दोनो बहने रोने लगी – सुनील और रूबी वहीं खड़े दरवाजे पे दो बहनो के मिलन को देख रहे थे.
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