Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-18-2019, 12:51 PM,
#74
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
दिन में एक बार ब्यूटी पार्लर से दो लड़कियाँ आई जिनके बारे में सुनील को पता नही चला - अपनी किताबों में खो गया था वो -- था ही ऐसा एक बार किताबें उठा ली तो सारी दुनिया भूल जाता था.

सुमन ने लंच और डिन्नर अकेले ही किया और सुनील के सामने बिल्कुल ना आई . शाम करीबन 6 बजे एक फ्लोरिस्ट आया जो सुमन के कमरे को सज़ा के चला गया. रात के 9 बज गये जाने सुमन क्या कर रही थी कमरे में बंद रह कर और सुनील थक के सो गया था.

सवा 9 के करीब सुनील को मिस कॉल आई पर उसे होश कहाँ था - कुछ देर बाद रिंग बजने लगी सुमन घबरा गयी कि सुनील मिस कॉल पे क्यूँ नही आया.

जब रिंग बजी तो सुनील उठा - नज़र घड़ी की तरफ गयी --- उफ़फ्फ़ इतना टाइम हो गया --- मोबाइल की तरफ देखा तो सुमन कॉल कर रही थी--- उसने कॉल रिसीव नही करी और बाथ रूम में घुस्स गया ..... सारा दिन बहुत तडपाया... अब थोड़ा खुद भी तड़पो... अपने आप से बोलता हुआ फ्रेश हुआ..... मोबाइल बार बार बजता रहा.

सुनील रेडी हो चुका था उसने कॉल पिक कर ली.

'ह्म्म बोलो'

'कहाँ हो .... आए क्यूँ नही... मिस कॉल भी दी थी .... और कब से फोन कर रही हूँ ... जवाब क्यूँ नही दे रहे थे....' आवाज़ में दर्द था.

'यार पड़ते पड़ते सो गया था..... तुम्हारी कॉल ने ही उठाया.... सोचा सारा दिन तुमने तडपाया है अब थोड़ा तो तुम्हें भी तड़पना चाहिए इस लिए कॉल नही ली थी ... आ रहा हूँ...'

'अब आने की ज़रूरत नही.... वहीं सो जाओ... मैं भी सोने जा रही हूँ' आवाज़ रुआंसी हो गयी थी.

'सॉरी ... सॉरी ' बोलता बोलता सुनील भागा कहीं सच में दरवाजा बंद कर वो सो ना जाए.

कमरे में घुसते ही सुनील के मुँह से सीटियाँ निकलने लगी. पूरा कमरा फूलों से सज़ा था - कॅंडल लाइट की रोशनी में बिस्तर पे बैठी सुबक्ती सुमन गजब ढा रही थी. हाथों पैरों में मेंहदी - गुलाबी रंग की सितारों वाली चोली और लहंगा - - घुँगट करे सर अपने घुटनों में छुपाए - गुलाब की पत्तियों से सजे बिस्तर के बीचों बीच बैठी सुमन बिल्कुल नयी नवेली दुल्हन लग रही थी.

अकेले उसने कितनी मेहनत करी होगी - इस रात का आगमन करने के लिए सब दिख रहा था.

सुनील उसके सामने जा के बैठ गया ' सॉरी यार मज़ाक कर रहा था'

सुमन कुछ ना बोली - बस सिसकती रही.

बहुत बुरा लगा था उसे - जब सुनील ने तड़पने वाली बात करी - क्या वो खुद नही तड़प रही थी सुबह से - कैसे उसने खुद पे काबू रखा था - ये वो ही जानती थी.

'अपने रुख़ पर निगाह पड़ने दो -
खूबसूरत गुनाह करने दो
रुख़ से परदा हटाओ जानेहाया
आज दिल को तबाह करने दो'

इन लफ़्ज़ों ने सुमन को मजबूर कर दिया अपना सर उठाने को ----- काँपते हाथों से सुनील ने घुँगट हटाया और सुमन के चमकते सुंदर चेहरे की छटा में खो गया.

माथे पे लाल बिंदिया जो सिर्प का रूप लिए हुए थी, झील से भी गहरी आँखें जो काजल से सजी हुई थी, लाल सुर्ख काँपते हुए होंठ जो लाल लिपस्टिक से लदे अपनी शोभा और बढ़ा रहे थे, दमकता हुआ सिंदूर जो टीके के पीछे से भी अपनी रोशनाई का अहसास दे रहा था, कानो में लटकते सुंदर काँटे सुमन को किसी चमकते सितारे से भी ज़यादा चमक दे रहे थे.

मेहंदी भरे हाथों से अपना चेहरा ढक लिया सुमन ने ---- सुनील के इस तरहा देखने से उसे बहुत शर्म आई - खनकती हुई चूड़ियों ने कमरे में संगीत की लहर का समा बाँध दिया.

एक खुसबु कमरे में फैली हुई थी और दूसरी सुमन के बदन से आ रही थी - दोनो के संगम ने सुनील को मदहोश कर डाला.


चूड़ियों की खनकती आवाज़ और सुमन का अपने चेहरे को ढकना सुनील को वापस यथार्थ में ले आया – उसके चेहरे पे मुस्कुराहट आ गयी ‘ हाई मार सुट्या कुड़ी ने – क्यूँ बरसाया ये कहर हम पे - जी लेने देते थोड़ी देर अपने चेहरे पे बसे हुस्न की छटा के साए तले’

हाथों में छुपा सुमन का चेहरा शर्म से लाल पड़ता गया – सुनील का ये रूप – उसके जिस्म में खलबली मचा गया.

सुनील ने अपनी जेब से एक सफेद मोतियों का हार निकाला जिसमे पाँच लाडियाँ थी और एक मन्गल्सुत्र निकाला – पता नही कब खरीदा था उसने ये .

‘लो जानेमन अपनी मुँह दिखाई’ सुमन के हाथों को हटाते हुए सुनील बोला ---- सुमन ने अपनी आँखें बंद कर रखी थी. होंठों पे हल्की सी मुस्कान तैर रही थी.

‘अरे आँखें तो खोलो’

सुमन ने ना में गर्देन हिला दी.

‘यार ये तो ज़ुल्म हो रहा है --- ओ उपरवाले मेरी बीवी को थोड़ी अकल दे – इतनी भी हया किस काम की --- जो मियाँ की जान ही लेले’

सुमन की आँखें खुल गयी ऐसे जैसे शराब की बॉटल का ढक्कन धीरे धीरे खोला गया हो – उन आँखों में नशा ही नशा था लाल लाल डोरे तैरने लगे थे जो उसकी हालत बयान कर रहे थे.

सुनील के हाथों में हार और मन्गल्सुत्र देख उसकी खुशी का ठिकाना ना रहा – उसे बिल्कुल भी उम्मीद नही थी कि सुनील उसे मुँह दिखाई देगा – कब खरीदा उसने ये सब – मन ही मन वो हैरान भी हो रही थी.

सुनील ने उसके दोनो हाथ पकड़े हुए थे और दोनो चीज़ें सुमन की गोद में रखी हुई थी. मखमली हाथों की चुअन सुनील के अरमान भड़का रही थी – वो धीरे धीरे सुमन के हाथों को मसल रहा था.
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