Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-18-2019, 12:54 PM,
#86
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुमन ये ना समझ पाई कि उसे तो साथी मिल गया – जो उसके लिए नायाब था – उसकी जितनी तारीफ उसने सवी से करी थी वो सवी को दूसरे मुकाम तक ले गयी थी – जहाँ जलन अपनी जगह बना चुकी थी.

सुमन उसके पीछे चली गयी – सवी हॉल में बैठी चुप चाप आँसू बहा रही थी.

सुमन उसके पास जा के बैठ गयी – उसको खुद से सटाते हुए बोली ‘ क्या हुआ मेरी जान को’

‘कुछ नही दी’ सवी सूमी के गले लग रोने लग गयी.

आज सालों के बाद सवी ने सूमी को दी बोला था.

सुनील बाथरूम में खड़ा सवी के बारे में ही सोच रहा था – सूमी की जिस हालत ने उसे टूटने पे मजबूर किया था आज सवी की हालत उसे भी बुरी हो गयी थी.

उसे डर लगने लग गया – कहीं इतिहास खुद को दोहरा ना दे --- दोनो बहने स्वापिंग की आदि हैं --- कहीं फिर से …. ना … ये नही हो सकता… ना वो किसी की बाँहों में जा सकता था ना सूमी को किसी और की बाँहों में देख सकता था.

उसका चेहरा सख़्त हो गया – वो कुछ फ़ैसला कर चुका था

सुनील जब हाल में आया तो सूमी –सवी को चुप करने की कोशिश में लगी हुई थी.

‘ये तो होना ही था’ ये बोलता हुआ सुनील आराम से सोफे पे बैठ गया.

सूमी गुस्से से उसे देखने लगी .

‘ये अपना गुस्सा छोड़ वाइन की बॉटल ले के आ अभी साली साहिबा का दिमाग़ ठीक करता हूँ….. सवी इधर आ मेरे पास आ के बैठ – स्टॉप दिस स्टुपिडिटी'

सुबह का सुनील जो उसके मज़ाक को बर्दाश्त तक नही कर पा रहा था – कैसे रंग बदलता जा रहा था – सवी के दिमाग़ की धज्जियाँ उड़ गयी – सूमी तो उठ के चली गयी पर सवी आँखे फाडे सुनील को देख रही थी.

‘हां जो सुबह मेरे साथ हुआ था अब तेरे साथ हो रहा है – कट दा क्रॅप – कम हियर’ आवाज़ ऐसे थी जैसे बड़ा जीजा छोटी साली को बोलता है

सवी को कुछ समझ नही आया पल दो पल सोचती रही फिर उठ के सुनील के साथ आ के बैठ गयी – तब तक सूमी वाइन की बॉटल और ग्लासस ले के आ गयी थी.

सूमी ने सामने टेबल पे सामान रख दिया पर उसकी नज़र सवी पे टिकी हुई थी जो इस वक़्त सुनील के साथ चिपकी बैठी थी ……जलन की एक ऐसे लहर सूमी के अंदर कोंध गयी कि खुद को संभालना मुश्किल हो गया – क्या करे – क्या ना करे – आँखों से आँसू बहने लगे – जिसे वो रोकने की पूरी कोशिश कर रही थी --- और सुनील सब देख रहा था.

‘ ऐसे क्या टुकूर टुकूर अपनी बहन को देख रही हो …. अपने जीजा के साथ चिपक के बैठी है तुम्हारे सामने ‘

हालत सवी और सूमी दोनो की खराब हो गयी …. एक तरफ सुनील पे विश्वास और दूसरी तरफ उसकी हरकत.

‘ आज साक़ी कॉन बनेगा --- साली साहिबा – यार तुम ही बन जाओ – मज़ा आ जाएगा पीने का’ असल में सुनील सुबह का गुस्सा निकाल रहा था – जब सवी मज़ाक पे मज़ाक किए जा रही थी और सुमन चुप रही थी बस एक आध बार बीच में बोली वो भी इस तरहा के कोई माइने ही नही रखता था.

सूमी मुँह बनाते हुए दूर बैठ गयी .

‘बीवी तुम्हारी जगह वहाँ नही – यहाँ है’ सुनील कुछ गुस्से से बोला.

सुमन चुप चाप पर गुस्से की नज़र से देखते हुए सुनील के पास आ के बैठ गयी – अब एक तरफ सवी थी और दूसरी तरफ सूमी .

सवी तो बस बैठी रह गयी थी – उसे कुछ समझ नही आ रहा था कि हो क्या रहा है – आख़िर सुनील चाहता क्या है.

‘लानत है …. तुम्हारे हाथ क्यूँ कांप रहे हैं … कभी बॉटल नही खोली क्या ‘ सुनील गुस्से से बोला और सवी और सूमी बस एक दूसरे को देखती ही रही.

सुनील ने खुद बॉटल छीन ली और दोनो के बीच से उठ गया ‘ बड़ी बेकार साक़ी चुन ली आज’

सुनील ने खुद बॉटल खोली और तीन ग्लास डाल लिए अपना बड़ा रखा.

सवी - सुनील वाला उठाने लगी ‘ नो बेब्स …इट्स माइन’

तीनो के हाथ में ग्लास आ गये थे .

‘चियर्स न बॉटम्स अप’ सुनील बोला और पल में ग्लास खाली कर दिया .

‘ये क्या तरीका है पीने का’ – सुमन के अंदर बैठी माँ सामने आ गयी.

‘कूल बेबी अभी तो एक ही लिया है – फिनिश अप – आइ हॅव टू टॉक’

‘अब क्या बात करनी है इसने’ दोनो का माथा घूम गया और उसकी बात मानते हुए ग्लास खाली कर दिया, सुनील ने फिर से ग्लास भरे और अपना एक सेकेंड में खाली कर दिया .

आराम से पीना अब कोई जल्दी नही है – ये कह सुनील सामने पड़े पी नट्स चबाने लग गया.

गुस्से में दोनो बॉटम्स अप कर गयी और सुनील को देखने लगी जिसका चेहरा पल पल सीरीयस होता गया – ये वो सुनील नही था जो कुछ पल पहले दोनो को तडपा रहा था ……. उसके चेहरे की रंगत सवी तो नही समझ पाई थी पर सुमन उसे देख हिल गयी थी …. उसे एक तुफ्फान आता हुआ नज़र आ रहा था.

बीवी सामने आ गयी ‘जान ये क्या कर रहे हो – ऐसे कोई पीता है क्या – प्लीज़ बात क्या है – क्यूँ ऐसा कर रहे हो’
ह्म्म

‘ मैं चाहता हूँ – सवी की शादी कर दी जाए – कोई अच्छा आदमी ढूंड के – रूबी मेरी ज़िम्मेदारी है – मेरी ही रहेगी’

‘बॉम्ब फट गया कमरे में.

दोनो आँख और कान फाडे उसे देखने लगी.

‘ऐसे क्या देख रही हो दोनो – कुछ ग़लत बोला क्या’

सुमन रोने लगी…. और रोते हुए बोली ‘ क्या तू वही सुनील है’

‘ हां वही हूँ .. पर बदल चुका हूँ …….तुझे मैं मिल गया …..पर इसका क्या….रोज ये हमारे बारे में सोचेगी --- रोज और तडपेगी … इसकी शक्ल देख ली थी मैने… तुम आपस में डिसाइड कर लो’ सुनील बॉटल उठा सुमन के नही अपने कमरे में चला गया.
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