Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-19-2019, 01:19 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सोनल जब कमरे में पहुँची तो सुनील ड्रिंक कर रहा था…उसकी आँखें शुन्य में कुछ तलाश कर रही थी.

सोनल उसके साथ चिपक के बैठ गयी ….क्यूँ इतना परेशान हो रहे हो…..दीदी समझा देगी उसको

सुनील …..वो अपनी उम्र से बहुत आगे निकल गयी है ….जिंदगी के झटकों ने उसका विश्वास डगमगा डाला है…….उसे सकुन ….चाहिए अपने लिए हो या अपनी माँ के लिए ….बस मुझ में दिखाई देता है…….बहुत ग़लत हुआ है दोनो के साथ इसका मतलब ये तो नही कि मैं दोनो को अपना लूँ..देखना कल सवी बोलेगी कि रूबी को अपना लूँ. पागल हो जाउन्गा इस महॉल में.

सोनल ……सुनील के चेहरे को अपनी तरफ घूमती है …….कुछ नही होगा जान ….बहुत लड़ लिए खुद से आप….और अपने होंठ सुनील के होंठों से चिपका देती है…….

सोनल ….सुनील के होंठ चूसने लग गयी और खुद ही उसका हाथ अपने मम्मे पे रख दिया……वो सुनील को दिमाग़ में चल रहे द्वंद से बहुत दूर ले जाना चाहती थी……एक पत्नी अपने धर्म का पालन कर रही थी…अपने शोहर को सकूं पहुँचाना चाहती थी……….कुछ देर तक सोनल सुनील के होंठ चूस्ति रही…फिर अचानक उसे याद आया कि दरवाजा उसने सिर्फ़ भिड़ा है अंदर से लॉक नही किया ……वो उठ के दरवाजा बंद करती है ……और ठुमकती हुई सुमन का वॉर्डरोब खोल उसमे से एक नाइटी निकल बाथरूम में घुस जाती है.

सुनील जब तक सोनल आती ड्रिंक में मस्त हो गया इस वक़्त वो अपने दिमाग़ को बिल्कुल खाली रखना चाहता था तंग आ गया था जो भी उसके साथ हो रहा था उस से…अब समझाने का वक़्त ख़तम हो चुका था…वो फ़ैसला कर चुका था ……या तो दोनो अलग रहें …या फिर वो करें …जो वो चाहता है..उनकी जिंदगी को ढंग से बसाने के लिए ….एनफ ईज़ एनफ.

एक नज़र उसने खिड़की पे डाली….ढंग से बंद है या नही …..दरवाजा खिड़की बंद होने से कमरे में गर्मी होने लगी थी….उसने ए/सी चालू कर दिया और इस वक़्त वो अपनी ड्रिंक एंजाय करने लगा……जब से हनिमून से वापस आया था कोई ना कोई भासुडि होती जा रही थी……उसे सूमी का इंतेज़ार था अपना फ़ैसला सुनाने के लिए …एक बार वो सूमी के कानो में डालना चाहता था कि वो क्या चाहता है …फिर सूमी जाने और उसकी बहन ….इस पचाड़े से खुद को अब बाहर निकलना चाहता था.

अपनी ब्रा का फ्रंट हुक लगाते हुए सोनल बाहर निकली तो सुनील बस उसे देखता ही रह गया.......जब बीवी अपनी पे आजाए तो मर्द चाहे कितनी भी टेन्षन से भरा बैठा हो ....वो सब भूल दूसरी दुनिया में पहुँच जाता है....ऐसा ही कुछ सुनील के साथ हुआ.....अपनी बीवी की सुंदरता में डूब गया .....और सोनल थी भी रति का रूप

हुस्न कभी तारीफ का मोहताज नही होता ...लाखों तरसते हैं उसकी एक झलक पाने को ...लेकिन जब शोहार ही आशिक़ बन जाता है तो लब गुरेज़ नही करते ये कहने को

मेरे हर खवाब की ताबीर तुम हो,
मेरी मोहब्बत की जागीर तुम हो,

बरसों तराशा है खुदा ने जिस संगे मर-मर को,
उस संगे मर-मर की हँसी तस्वीर तुम हो,

एक दीदार की खातिर लाखों परवाने है फिदा,
इस ज़माने में हुस्न-ए-अफ्रीन कि सरकार तुम हो,

दिल धड़कता है तो इस दिल की धड़कन तुम हो,
सांस आती है तो ज़िंदा रहने की वजह तुम हो,

हीरे की कीमत ज़ोहरी जाने, तेरे हुस्न की कदर हम,
इस कायानात में सबसे धनवान तुम हो,

कोई झोंका हवा का जब च्छू कर गुज़रे लगता है कि तुम हो,
कोई फूल खिल कर जब महकने लगता है कि तुम हो,

खुदा की परिस्थिति की तो हर दुआ में माँगा तुम को,
हर दुआ का बदला ज़न्नत तुम हो,

इसे दीवानगी कहो कि या दीवानापन,
मेरी तो हर नज़म में तुम हो गाज़ल में तुम हो.


सोनल तो बावली हो गयी ये सुन …….उसका प्यार जो जिंदगी के अंधेरे में डूबा रहा था …उजाले में फिर से लॉट आया ……इतनी खुशी उसे इन लफ़्ज़ों को सुन ना हुई थी …जितनी उसे अपने सुनील को फिर से आशिकाना मिजाज़ में आते हुए देख कर हुई थी ……..
‘वाउ !!!!
मेरी जान यूँ ना करो तारीफ इस कनीज़ की
…कि कहीं इस बोझ तले मर ना जाएँ हम
……ये आपका का प्यार है जो समझता है हमे इस काबिल
…वरना हम तो सेहरा में भटकती हुई बस एक धूल है’

सोनल भागती हुई सुनील के गले लग गयी ……..उफफफफ्फ़ ये सकुन ….कितनी मुश्किल से मिला था उसे उसका प्यार पल भर को तो आँखें डबडबाने लगी थी ….फिर याद आया अपना फ़र्ज़ …..अपने शोहर को उसको उसकी टेन्षन से दूर करना था उसे …….(क्या कभी कोई बीवी ऐसा करती है …….ये एक सवाल है मेरा इस कहानी के मॅरीड रीडर्स से) ‘ जानू जब से तुम मेरी जिंदगी में आए हो बस बहार ही बहार है ….ये दुश्वरियाँ तो जिंदगी का हिस्सा होती हैं जानू …इन्हें दिल पे मत लगाया करो……आज की रात भूल जाओ सब …….और अपनी इस बीवी को अपने प्यार की नैमत से नवाज दो…..भर दो उसकी झोली अपने प्यार की बरसात से …….और कुछ मत सोचो…….बस आप और मैं और ये रात ….बना दो इस एक याद गार रात ……लव मी डार्लिंग ….टेक मी….आइ’म डाइयिंग फॉर इट’

‘सोनल …….मेरी जान ……तुम दोनो हो तो मैं हूँ …वरना मेरा कोई वजूद नही …..मैने कभी ख्वाब में भी नही सोचा था….मुझे सबसे ज़यादा प्यार करने वाली ….मेरी हर सांस की देखभाल करनेवाली और कोई नही ….तुम दोनो हो …..और तुम ……वो हो जो मुझे हर पल नयी उर्जा देती हो ….और सूमी …..तो मेरे वजूद की बुनियाद है ….वो मेरी धमनियों में वास करती है’

‘मैने आपसे कभी कोई शिकायत करी जी …मुझे दासी भी बना के रखोगे तो कबूल है’

‘ना तुम कभी दासी बन सकती हो ना कभी सूमी….तुम दोनो का राज है मेरे दिल पे जिसका मैं बटवारा नही कर सकता …..वो तुम दोनो के ही अधिकार में है …वो तुम दोनो की वजह से ही धड़कता है…..ना मैं तुम्हारे बिना जी सकता हूँ और ना ही सूमी के बिना’

‘आप भी क्या बातें ले के बैठ गये ….देखिए ना ये बदन टूट रहा है …इसे थोड़ा सहला तो दीजिए’ एक कातिलाना अंगड़ाई लेते हुए सोनल बोली …….’आइए ना …..छुईए ना मुझे ….अपनी सांसो को मेरी सांसो से घुलने दीजिए…….मेरे रोम रोम पे अपने प्यार की बरसात कर दीजिए …..कम हनी ….किस मे ‘ और सोनल ने अपने लरजते हुए होंठ सुनील के होंठों से मिला उन्हें दावत दे डाली ….कम सक अस ….महसूस करो हमे ….चूस लो हमारा सारा शहद…ये सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारे लिए है …..ये जन्मे ही तुम्हारे लिए थे….आओ देखो कितनी मीठास है इनमे.'

सुनील …सोनल की के होंठों की मीठास में खो गया ……उम्म्म्म सोनल अपने होंठ छुड़ाती एक साँस भरती और फिर अपने लबों को चूसने के लिए अपने रहनुमा को सोन्प देती …….
सोनल ….सोनल…सोनल …….सुनील उसका नाम लेता रहा और उसके होंठ चूस्ता रहा….नारी के ये दो लब अपने आप में कयामत को समेटे हुए होते हैं …..इनकी मीठास के आगे शहद भी फीका लगने लगता है …..और सुनील की क्या बिसात थी जो इन लबों की दुनिया में खो ना जाता. आँखें दोनो की बंद हो चुकी थी….जिस्म दोनो के कांप रहे थे…मचल रहे थे एक दूसरे में सामने के लिए…….सुनील ने सोनल की ब्रा का हुक खोल दिया……और उसके मदमाते उरोज़ आज़ाद हो गये ……
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