Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-19-2019, 01:19 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनील ब्रेकफास्ट टेबल पे ही सुमन से कॉलेज में हो रहे रेप के बारे में डिसकस कर रहा था..कि तभी डोर बेल बजी.

रूबी दरवाजा खोलने गयी और सामने रमण और मिनी खड़े थे…………न्न् टेननननणन्नाआआआअहहिईीईईईईईईईईईईईईईईईईईईई एक चीख के साथ रूबी लहराती हुई गिर पड़ी.

सबकी नज़रें दरवाजे पे गयी और ...जैसे बॉम्ब फट गया हो....सामने रमण किसी लड़की के साथ खड़ा था और उसे देख रूबी ....चीखती हुई गिर पड़ी थी.....

…सुनील लपका रूबी को उठाने के लिए…तब तक रमण ने उसे गोद में उठा लिया था और वहीं सोफे पे लिटा दिया……..रूबी का ऐसा रियेक्शन देख रमण अंदर ही अंदर हिल पड़ा था……मिनी भी भागती हुई रूबी के पास जा बैठी……

सुनील का पारा एक दम हाइ हो गया था…उसने रमण को कॉलर से पकड़ खींच लिया……

‘क्यूँ आया तू यहाँ’ सुनील की आवज़ में गुर्राहट थी जैसे कोई शेर झख्मि हो गया हो…सुमन भाग के रूबी के पास आई और उसके चेहरे पे पानी छिड़कने लगी.

सोनल की आँखों से नफ़रत के मिज़ाइल निकल रहे थे जैसे आँखों से ही रमण को जला के भस्म कर देगी….

वो नफ़रत से रमण पे थुक्ते हुए अंदर चली गयी.

इस से पहले सुनील का हाथ रमण पे उठता….मिनी बीच में आ गयी ….

‘रुक जाओ भैया …. ये नही आना चाहते थे…मैं ज़बरदस्ती इनको यहाँ ले कर आई हूँ’


सुनील ने अब तक मिनी पे तो ध्यान ही नही दिया था….उसका हाथ हवा में ही रुक गया….रमण तो बस अपराधी की तरहा सर झुकाए खड़ा था.

‘आ आ आप कॉन’

‘बदक़िस्मती कहो या खुशकिस्मती ….तुम्हारी भाभी हूँ …इनकी पत्नी…….’ मिनी के शब्दों में जैसे फूल छुपे हुए थे…..एक प्यार भरी और हसरत भरी नज़र से वो सुनील को देख रही थी………जैसे कोई भाभी अपने देवर को देखती है.

ना जाने क्या था उन आँखों में….सुनील पीछे हट गया और अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया….

इतने में रूबी को होश आ गया….और उसने रोना शुरू कर दिया ……’मैं नही जाउन्गि..कहीं नही जाउन्गि …….मर जाउन्गि..पर इस राक्छस के साथ कहीं नही जाउन्गि…….बोझ बन गयी हूँ तो मार डालो मुझे…..’

सुनील के दिल को गहरी चोट लगी तड़प के रूबी के पास गया….और उसे गले से लगा लिया…..’कॉन भेज रहा है तुझे पगली……तू मेरे दिल का टुकड़ा है..मेरी प्यार बहन है…बहन कभी भाई पे बोझ नही होती…फिर कभी ये बात अपनी ज़ुबान पे मत लाना’

मिनी ….रूबी के कदमों में जा के बैठ गयी …..’मैं तो बस अपने परिवार को मिलने आई थी…बहुत सुना है सबके बारे में इनसे…खास कर सुनील भैया के बारे में…रोक ना पाई खुद को…आख़िर मेरा भी तो कुछ हक़ है……इनके सब गुनाहों की मैं तुम से हाथ जोड़ के माफी मांगती हूँ….हालाँकि माफ़ करने लायक गुनाह तो इन्होंने नही किया..पर मेरी खातिर…अपनी इस भाभी की खातिर इन्हे माफ़ कर्दे’ कहते हुए मिनी रूबी की गोद में सर रख रो पड़ी.

रूबी अब तक थोड़ा संभाल चुकी थी…….’देखिए जिस इंसान के साथ आप आई हैं…उससे मेरा कोई रिश्ता नही …मैं इस गलिज़ इंसान की शकल भी कभी जिंदगी में नही देखना चाहती…….प्लीज़ बिना वजह आपको कोई माफी माँगने की ज़रूरत नही ….’ ये कह रूबी उठ के अंदर भाग गयी.

कमरे में अब सुनील, सुमन, रमण और मिनी ही रह गये थे……रूबी का इस तरहा ठुकराना मिनी समझ सकती थी…आख़िर वो भी तो एक औरत ही थी .

रूबी के जाने के बाद मिनी सुमन के कदमो में बैठ गयी…….’माँ ये बदल गये हैं…इसका सबूत ये है की मैने इन्हे अपना जीवन साथी चुन लिया……क्या एक बार मेरे लिए इन्हें माफ़ नही करेंगी…….इस घर की बहू होने का हक़ मुझे नही देंगी ……’

सुमन रमण की ग़लती की सज़ा मिनी को नही देना चाहती थी…आख़िर एक माँ जो थी ….उसने मिनी को उठा के गले लगा लिया …..और माँ के प्यार के आगे मिनी बिलख पड़ी…उसे सुमन में अपनी माँ नज़र आ रही थी.

‘रमण ने वो ग़लती करी है …जो कभी माफ़ नही की जा सकती……पर इसमे तेरा क्या कसूर ……तू तब हमारे परिवार का हिस्सा थी ही नही …..जब ये आदमी से राक्षस बन गया था…….इतनी बेहयाई तो आज तक मैने किसी में नही देखी जिस तरहा का लेटर इसने भेजा था……’

‘वो लेटर मैने भिजवाया था माँ ……जिस ग़लत रास्ते पे ये चले थे….उसे सुधारने का एक ही तरीका था….रूबी को आज़ाद करना….ताकि वो अपनी जिंदगी में आगे बढ़ सके….नफ़रत तो वो इनसे करने लगी थी…मैं उस नफ़रत को उसकी आखरी सीमा तक ले जाना चाहती थी….मैं जानती हूँ….रूबी को बहुत कष्ट हुआ होगा..पर और कोई रास्ता मुझे नज़र नही आया था….’ मिनी सर झुका के बैठ गयी….

‘एक औरत हो कर तूने ये कदम उठाया….जानती है इसका अंजाम…..आज शायद रूबी हमारे बीच में नही होती ….नींद की गोलियाँ खा ली थी उसने…मरने चली थी वो…अगर वक़्त रहते सोनल ने उसे देख ना लिया होता…क्यूंकी कुछ दिनो के लिए हम बाहर गये हुए थे …जिस आए उसी दिन रूबी ने नींद की गोलियाँ खा ली थी.’

मिनी हिल के रह गयी …उस लेटर का ये अंजाम तो उसने कभी ख्वाब में भी नही सोचा था. रमण घुटनों के बल बैठ गया और रोने लगा……उसकी वजह से उसकी बहन ने क्या क्या नही सहा.

रमण को यूँ रोता देख….सुनील का दिल भी पसिज गया और उसने रमण को उठा लिया…..
‘सुबह का भूला शाम को घर लॉट आए तो उसे भूला नही कहते…किया तो तुमने गुनाह है …पर अब कुछ समय तक रूबी के सामने मत आना….संभलने दो उसे …..एक बार वो दिल से तुम्हें माफ़ कर दे तब ही उसके सामने आना….ऐसे उसके घाव हरे करते रहोगे तो वो कभी सम्भल नही पाएगी’

मिनी ….. भैया जब आपको ठीक लगे…..तो एक बार रूबी और माँ को घर ज़रूर लाना…..डॅड भी कोमा में हैं.
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