Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-20-2019, 04:24 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सोनल कमरे में आ गयी …सुनील कंप्यूटर से बुकिंग के प्रिनटाउट निकाल रहा था…सारी पेमेंट उसने सुमन के डेबिट कार्ड से करी थी.


बिस्तर पे दोनो सुनील की एक एक तरफ लेट गयी ……

सोनल…ये मिनी और रमण को क्यूँ ले जा रहे हो…

सुनील…क्या हो गया मेरी जंगल शेरनी को ….अच्छा लगता है क्या …हम सब घूमने जाएँ और उन्हें यहाँ अकेला छोड़ दें.

सुमन…हां गुड़िया ये ठीक कह रहे हैं…ऐसे अच्छा नही लगेगा…

सोनल…पर उनके होते हुए हम खुल के कैसे मस्ती करेंगे….

सुनील….तुझे पूरी मस्ती करवा दूँगा …क्यूँ दिमाग़ खराब कर रही है अपना…वैसे भी मुझे उन दोनो को रास्ते पे लाना है…ठीक रास्ते पे दोनो की जिंदगी को डालना है….

सुमन…क्या मतलब….

तब सुनील दोनो को बताता है उस रात मिनी ने क्या क्या बोला था ….

जैसे जैसे वो सुन रही थी वैसे वैसे उसँके कान खड़े हो रहे थे.

सब सुनने के बाद ……ओह ये मिनी तो वासना की पुतली बन चुकी है …इसे तुम कैसे रास्ते पे लाओगे …

सुनील….जब उसे एक सच्चा साथी मिल जाएगा …वो रास्ते पे आ जाएगी …बस रमण एक बार सही रास्ता पकड़ ले….इसीलिए दोनो को साथ ले जा रहा हूँ…यहाँ से दूर ताकि नयी जगह पे दिमाग़ में जो घुटन भरी पड़ी है …वो खाली हो सके और दोनो एक नये सिरे से अपनी जिंदगी शुरू कर सकें.

सोनल…लगता तो नही…कुछ होगा…देखते हैं आपका प्रयास कितना सफल होता है….

सुमन….चलो अब सो जाते हैं….सुबह जल्दी भी उठना है.

अगले दिन दोपहर तक सब गोआ के होटेल पहुँच गये…सुनील ने एक बहुत अलग थलग होटेल बुक किया था जिसका एक छोटा प्राइवेट बीच था और होटेल एक रिज़ॉर्ट की तरहा फैला हुआ था …एक कमरा रूबी और कविता के लिए था एक रमण और मिनी के लिए और अपने लिए एक सूट हट बुक की थी ….दोनो के कमरों से थोड़ी दूरी पर और बीच के एक दम पास.

अपने कमरे में पहुँच दोनो लड़कियाँ बिल्कुल बच्चों की तरहा बेड पे उछलने लगी …उनकी खुशी का कोई ठिकाना नही था ….

कविता ….मज़ा आ गया …..यययययययययाआआआआअहूऊऊऊऊऊऊ

रूबी …….वववववववओूऊऊऊऊऊऊव्वववववववववववववववववव

रूबी …देखा भाई ने कितना अच्छा होटेल बुक किया है…

कविता ….मेरे लिए किया है……और वो नाचने लगी ….

रूबी …आई है तेरे लिए ….तेरी तो ज़बान ही नही खुलती भाई के सामने …अगर मैं ना बोलती तो ….कुछ नही होता…

कविता …गोआ का आइडिया तो मेरा ही था.

रूबी …..उूुुउउ उूुउउ अपनी ज़ुबान से चिडाने लगी …

कविता भी ….उूुुउउ उूुुउउ वो भी अपनी ज़ुबान से उसे चिडाने लगी ….

रूबी …चल भाई के पास चलते हैं….

कविता …..चुप …थोड़ा आराम तो करने दे भाई को…. कितने दिनो बाद भाई को भाभी के साथ कुछ अकेले टाइम मिलेगा…..

रूबी तो वहीं जम गयी …क्या कविता को सब कुछ मालूम है ….लेकिन ये तो सोनल को दीदी बुलाती है और सुमन को माँ …..

कविता ….क्या हुआ …ऐसे क्यूँ देख रही है ..जैसे भूत देख लिया ….

रूबी ….आं आं क कुछ नही

कविता …आए क्या बात है जल्दी बोल…जो तेरी हालत है …..ज़रूर कोई बात है….

रूबी …..तू तू जानती है ….सोनल हमारी भाभी है ….

कविता …हां…क्यूँ इसमे ऐसी कॉन सी बात है …भाई और भाभी ही तो लेने आए थे मुझे …वो तो भाभी कहती है कि उन्हें दीदी बुलाऊ इसीलिए दीदी बोलती हूँ …क्यूँ क्या बात है इसमे …

रूबी समझ गयी इसे पूरी बात नही मालूम …उसने चैन की सांस ली …..अच्छा ये बात है …तभी मुझे थोड़ी हैरानी हुई जब तूने एकदम भाभी बोला.

कविता …चल थोड़ी देर आराम करते हैं ….शाम को भाई से मिलेंगे और आगे का प्रोग्राम डिसकस करेंगे.

रूबी ….ह्म्‍म्म

और दोनो बिस्तर पे लेट गयी …

अपने सूट में सुनील बैठा सोच रहा था …किस तरहा वो रमण और मिनी को सही रास्ते पे लाए सुमन तो सो गयी थी अंदर बेड रूम में….तभी सोनल जो बाथरूम में फ्रेश होने गयी थी वो बाहर निकली …..उसने एक बहुत छोटी शॉर्ट पहनी हुई थी और टॉप भी बस यूँ कहो कि ब्रा से थोड़ी बड़ी और स्ट्रेप्लेस्स थी जिसकी वजह से कंधे नंगे थे और उसका पेट नुमाइयाँ हो रहा था ...निकार इतनी छोटी थी के बस मुश्किल से उसकी जाँघ की शुरुआत पे ही ख़तम हो रही थी.


कुछ यूँ दिख रही थी सोनल

सोनल सुनील की गोद में आ कर बैठ गयी ….’जानू यहाँ घूमने आए हैं और आप क्या सोच में बैठे हुए हो …प्लीज़ छुट्टियाँ खराब मत करना’

सोनल को अपनी बाँहों में कसते हुए सुनील बोला …कुछ नही यार बस यही सोच रहा था रमण और मिनी को कैसे ….

सोनल…भाड़ में जाएँ दोनो …आपने कोई ठेका नही ले रखा सारी दुनिया को सही रास्ते पे लाने का …घूमना था उन्हें ..ले आए साथ …अब बस …

सुनील…मेरी शेरनी नाराज़ क्यूँ हो रही है …

सोनल…आप बात ही ऐसी करते हो …है देखो ना मौसम कितना हास्सें है …चलो बाहर बीच पे चलते हैं….

सुनील उसकी गर्देन पे अपने होंठ रगड़ने लगा ……उम्म्म्ममम उसके बालों की सुगंध अपने साँसों में सामने लगा ..

आह्ह्ह्ह सोनल सिसक पड़ी ….’क्या कर रहे हो … उफफफफफ्फ़’

सुनील ने उसके चेहरे को अपनी तरफ किया और अपने होंठ उसके होंठों से जोड़ दिए….सोनल की आँखें बंद हो गयी और वो इस चुंबन की मस्ती में खो गयी ….लिविंग रूम के सामने दरवाजा नुमा खिड़की खुली थी जिससे सुमन्दर से ठंडी हवा अंदर आ रही थी और दोनो को और भी मस्त कर रही थी.



तभी उनके रूम की बेल बज उठी और सोनल फट से उसकी गोद से उतार गयी ….

सोनल ने दरवाजा खोला तो सामने मिनी खड़ी थी ....वो भी कम पटाखा नही लग रही थी...शायद सुनील के कमरे में आग लगाने के इरादे से आई थी ...ये जानते हुए भी की सोनल उसे पसंद नही करेगी ...



शायद उसे इस बात से शह मिल गयी थी कि सुनील उनको भी साथ लाया था.

इससे पहले की सोनल के मुँह से कुछ जैल कटी निकलती …सुनील की नज़र मिनी पे पड़ चुकी थी …’आओ मिनी आओ ….रूम तो ठीक है ना…’

सोनल को मजबूरन मिनी को अंदर आने का रास्ता देना पड़ा …….मिनी बिल्कुल सुनील के सामने बैठ गयी …सोनल के होते हुए उसकी हिम्मत नही थी के वो सुनील के साथ उसी सोफे पे बैठती …

मिनी …हाँ बहुत अच्छा है ......थॅंक्स सुनील…हमको भी साथ लाने के लिए …

सुनील……मार तो नही खानी ना …तुम लोग परिवार का हिस्सा हो और मैं अपने परिवार को हमेशा साथ रखता हूँ …खैर ये बताओ वो व्हील चेर कमरे में पहुँची या नही …
मिनी …हां मिल गयी …रमण ने कहा कि तुम्हें थॅंक्स बोल के आउ तो इसीलिए अभी आ गयी …वैसे प्रोग्राम क्या है रमण पूछ रहा था….

सुनील…देखो मिनी …मेरा कोई प्रोग्राम वोग्राम नही है ..मैं बस चेंज के लिए आया हूँ …और रिलॅक्स करने …हां रूबी और कविता से डिसकस कर लेना …वो शायद सिटी देखना चाहेंगी ….मुझे बता देना मैं ऑर्गनाइज़ कर दूँगा…..(असल में सुनील मिनी को दूर ही रखना चाहता था इन छुट्टियों में ..सिवाय एक मीटिंग जो उसने सोच रखी थी रमण और मिनी के साथ करने की …….अगर वो हर जगह मिनी और रमण को ले कर घूमता …तो सोनल ने शर्तिया उसकी वाट लगा देनी थी ….ये छुट्टियाँ वो बस अपनी बीवियों के साथ ही बिताना चाहता था और एक दिन उसने रखा हुआ था रूबी…कविता को शॉपिंग और घुमाने के लिए ) चलो रेस्ट करो अब डिन्नर पे मिलते हैं…हन रूम सर्विस से कुछ भी मंगवाना होई तो मंगवा लेना …बिना झिझक के …ओके.

मिनी …ओके बाइ ….और वो चली गयी …..

सोनल ने उसके जाते ही दरवाजा धड़ से बंद किया …जैसे कोई आफ़त बाहर गयी हो…उसकी इस हरकत पे सुनील मुस्कुरा उठा….



सुनील उठ के सोनल के पास आ गया और उसे अपनी तरफ पलट लिया….सोनल के चेहरे पे फैला गुस्सा एक दम गायब हो गया …उसकी बाहें अपने आप सुनील की गर्देन पे लिपटती चली गयी और दोनो के बीच चुंबन शुरू हो गया.

दोनो के कदम धीरे धीरे सरकते हुए उन्हें सोफे के करीब ले गये और बिना किस तोड़े हुए वो सोफे पे बैठ गये.......सोनल को अब दीन दुनिया की परवाह नही थी .....उसे बस अपने सुनील की बाँहों में पिघलना था....
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RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी - by sexstories - 07-20-2019, 04:24 PM

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