Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-20-2019, 09:25 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
विजय समझ चुका था कि राजेश का प्यार कविता के लिए दिल से है...ये लस्ट नही जो बस एक बार देख के हो जाती है....इसलिए उसने राजेश को देल्ही भेज दिया था...एक हफ्ते के लिए ताकि शायद राजेश और कविता की कहीं मुलाकात हो जाए और दोनो में कुछ बात चीत हो जाए....विजय को नही मालूम था ..कि राजेश ने क्या वादा कर रखा है .....और राजेश धीरे धीरे अपना सारा सोशियल सर्कल ख़तम करता जा रहा था...दिन में ऑफीस शाम को दारू ...बस यही उसका रुटीन बन गया था.....

विमल भी उसके साथ देल्ही चला आया था ....अपना देल्ही ऑफीस देखने का बहाना ले कर ...लेकिन वो कुछ कर नही पा रहा था ........आज जो पार्टी में हुआ ...वो जान गया था कि राजेश कविता के बिना जी नही पाएगा ....अब उसे ही कुछ करना था.....

सुबह हो गयी थी ...राजेश धुत सोया पड़ा था और विमल चुप चाप घर से निकल गया.........सुनील के घर की तरफ....


विमल जब सुनील के घर पहुँचा तो सभी कॉलेज जाने के लिए निकल रहे थे...विमल को देख कविता ठिठक गयी....

सुनील...अरे विमल कैसे आना हुआ....

विमल...मैं लगता है ग़लत टाइम पे आ गया हूँ...बाद में मिलता हूँ...

सुनील.....शाम को आ जाना.......

विमल.....नही भाई शाम को तो मुश्किल है...उसे अकेले छोड़ दिया शाम को तो पता नही कहीं किसी नाली में ना गिरा पड़ा मिले....रोज शाम को पीने लग गया है......

विमल की नज़रें कविता पे टिकी हुई थी जैसे कह रही हों..भाभी संभाल लो उसे वरना मर जाएगा....

सुनील...ओह चल फिर एक काम कर दोपहर को में फ्री होउंगा...कॉलेज ही आ जाना ...वहीं बात कर लेंगे........

सुनील विमल को कॉलेज की डीटेल्स देता है....विमल वापस चला जाता है और सुनील वगेरह कॉलेज चले जाते हैं....

दोपहर में विमल सही टाइम पे कॉलेज पहुँच गया...सुनील उसे गेट पे ही मिल गया और अपने साथ कॅंटीन ले गया....

सुनील...हां विमल अब बोलो ...क्या बात है...

विमल....सुनील भाई ये हुआ क्या है ...राजेश कुछ बताता ही नही ...दिन भर काम करता है शाम को पीने बैठ जाता है ...सभी दोस्त यारों से खुद को अलग कर लिया है .....हुआ क्या है भाभी और उसके बीच ....

सुनील...जब वो तुम्हें कुछ नही बता रहा तो मुझ से तुम कैसे एक्सपेक्ट कर सकते हो...बस इतना कहूँगा ...इस रास्ते पे दोनो को चलना है ...अब ये रास्ता उन्हें करीब लाता है या दूर ले जाता है ..ये तो वक़्त ही बताएगा....

विमल......क्या मैं एक बार भाभी से बात ......

सुनील...नही ...उसे अकेले छोड़ दो ..बड़ी मुश्किल से संभली है...उसे वक़्त दो...जो होगा ठीक ही होगा....और हां मैं आ कर राजेश से बात करूँगा.....

फिर दोनो कुछ देर इधर उधर की बातें करते हैं और फिर विमल चला जाता है......

सुनील ....राजेश के लिए परेशान हो जाता है और शाम को ही उस से मिलने का फ़ैसला कर लेता है....

यहाँ पीछे घर पे सिमरन आ जाती है सुमन से मिलने........दोनो सहेलियाँ गले मिलती हैं फिर सुमन सिमरन को अपने बेडरूम में ले गयी ........

मिनी थोड़ी देर बाद दोनो के लिए कॉफी और बिस्कट ले आई फिर अपने कमरे में चली गयी....

सिमरन....अब बता क्या किस्सा है .....तूने शादी कब करी

सुमन....सब बच्चों का किया धरा है...मालदीव गये थे घूमने वहीं कोई पसंद आ गया...बच्चों ने भी ज़ोर दिया कि अभी उम्र ही कितनी है शादी कर लो....तो कर ली शादी...बस इनके कोर्स पूरे हो जाएँ फिर मालदीव चले जाएँगे......

सिमरन....और तेरे पति ....

सुमन...अब एक डॉक्टर को तो डॉक्टर ही पसंद आएगा ना...वो भी डॉक्टर हैं .......बस अब इंतेज़ार है दो साल का फिर हम सब यहाँ से चले जाएँगे....

सिमरन.....ह्म्‍म्म्म अच्छा तुझ से एक बात करनी थी...

सुमन...हां हां बोल ना

सिमरन....मैं चाहती थी कि हमारी दोस्ती रिश्तेदारी में बदल जाए

सुमन...मतलब....

सिमरन....मैं चाहती हूँ..रूबी हमारे घर की बहू....

सुमन......मुझे बहुत खुशी होगी...पर अभी इन बातों का समय नही है...पहले रूबी अपना कोर्स पूरा कर ले .......और अभी तो वो शादी के नाम से ही बिदकती है....

सिमरन...ओह....चल याद रखना मेरी बात.

सुमन...हां क्यूँ नही ....बस जब सही वक़्त आएगा तब रूबी से बात करूँगी......


सिमरन...अच्छा चलती हूँ...अब तू आना घर कभी..

सुमन....हां जल्दी ही आउन्गि......

फिर सिमरन अपने घर चली गयी....

हफ्ते बाद राजेश भी वापस मुंबई चला गया और इस दोरान उसने एक बार भी कविता से मिलने की कोशिश नही करी .....

घर में कोई भी राजेश का जिक्र नही करता था......वक़्त धीरे धीरे गुजरने लगा ......सुमन ने अपनी सभी सहेलियों को बता दिया कि वो शादी कर चुकी है और बच्चों के कोर्स पूरा होने के बाद मालदीव चली जाएगी.....अब वो खुल के सुहागन के रूप में रहने लगी ...उसकी खुशी में सुनील खुश था........सभी अपनी पढ़ाई पे ध्यान देने लगे और ......आख़िर जिंदगी का एक साल निकल ही गया ....अब सुनील /रूबी और कविता का कोर्स पूरा होने में एक साल बाकी रह गया था और सोनल की एमडी में भी एक साल रह गया था...

बात आई छुट्टियों की और इनकी पहली एनिवर्सरी की ...

रूबी/कविता और मिनी पीछे ही रहना चाहते थे पर सुनील नही माना...वो किसी भी कीमत पे कविता और रूबी को अकेले नही छोड़ सकता था.......इसलिए उसने सब के घूमने का प्रोग्राम बनाया और सोनल अपनी पहली अनिवर्सरी वहीं मनाना चाहती थी...जहाँ उसकी सुहागरात हुई थी ...और सुमन के लिए भी ठीक था क्यूंकी उसने मालदीव का ही ढिंढोरा पीटा था....

तो सब लोग 10 दिन के लिए मालदीव के लिए निकल पड़े...

होनी अपनी चाल चलती रहती है और इंसान अपनी.....जो अक्सर होनी से मात खा जाता है.......किसने सोचा था...कि जिस होटेल में ये लोग रुकेंगे ...उसी होटेल में एक दिन पहले विजय आरती को लेकर घूमने आ गया था ....और राजेश जिसने बड़ी ना नुकुर की थी ...उसे विजय की बात माननी पड़ी और वो भी उसी दिन पहुँचा ....यानी जब सुनील वगेरह चेक्किन कर रहे थे उसके आधे घंटे बाद राजेश ने भी चेक इन किया था.

होप्पिंग फ्लाइट की वजह से सब थक चुके थे इस लिए अपने अपने कमरों में सोने चले गये.....सुनील ने अपने लिए सुइट बुक करवाया था ...जिसमे दो बेड रूम्स थे....

रूबी, कविता और मिनी एक ही रूम में थे ...जिसमे 3 बेड लगे हुए थे..........मिनी तो चेंज कर फट सो गयी...पर रूबी और कविता की आँखों से नींद गायब थी ....मालदीव जैसी जगह पे वॉटर स्पोर्ट्स के बारे में बहुत सुना था और दोनो बहुत एग्ज़ाइटेड थी ...इसलिए कपड़े बदल दोनो घूमने निकल पड़ी होटेल में.........और घूमते घूमते वो एक रेस्टोरेंट में जा कर बैठ गयी जहाँ एक बार भी था...बार के काउंटर पर ही राजेश बैठा ...अपनी ड्रिंक ले रहा था .........और दूर फैले समुद्र को देख रहा था.........

कविता और रूबी ने अपने लिए मॉकटेल मंगवा ली थी.......अभी इनकी नज़र राजेश पे नही पड़ी थी........

हाथ में जाम लिए वो खड़ा हो गया और रेस्टोरेंट ...जो ओपन एर था उसके किनारे पे खड़ा हो ....समुद्र की उछलती लहरों को देखते हुए गुनगुनाने लगा ....आवाज़ इतनी थी कि रेस्टोरेंट में गूँज रही थी और सभी लोग जो बैठे थे वो इस गाने का मज़ा लेने लगे ......

अभी तो हाथ में जाम है
तोबा कितना काम है
अभी तो हाथ में जाम है
तोबा कितना काम है
कभी मिली फ़ुर्सत तो भाई देखा जाएगा
दुनिया के बारे में हाँ
सोचा जाएगा
अभी तो हाथ में जाम है

जीने से पहेले कौन मरे
फ़िकरे सुबह की कौन करके
जीने से पहेले कौन मरे
फ़िकरे सुबह की कौन करके
गम की रात से कौन धरे
अभी सुहानी शाम है
ह्म्म अभी सुहानी शाम है
तोबा कितना काम है
कभी मिली फ़ुर्सत तो भाई
देखा जाएगा
अरेदूनिया के बारे में हाँ
सोचा जाएगा
अभी तो हाथ में जाम है

थका हुआ था मैं ज़रा
ज़रा सा सच मे झूठ भरा
थका हुआ था मैं ज़रा
ज़रा सा सच मे झूठ भरा
उठा के बोतल घूँट भरा
तो अब ज़रा आराम है
तोबा कितना काम है
कभी मिली फ़ुर्सत तो भाई देखा जाएगा
अरे दुनिया के बारे में हाँ
सोचा जाएगा
अभी तो हाथ में जाम है

किसी की ना परवाह करो
कभी ना यारो आह करो
किसी की ना परवाह करो
कभी ना यारो आह करो
करो अगर तो वाह करो
ये ही मेरा पैगाम है
हन ये ही मेरा पैगाम है
तोबा कितना काम है
कभी मिली फ़ुर्सत तो भाई देखा जाएगा
अरे दुनिया के बारे में हाँ
सोचा जाएगा
ह्म्म ह्म्म ह्म्म ह्म्म ह्म्म ह्म्म…

राजेश की आवाज़ पे कविता और रूबी की नज़रें उसकी तरफ मूड गयी ....बहुत बदल गया था वो...वो चेहरे पे उसके जो शरारती हँसी रहा करती थी ..उसकी जगह गम के साए लहरा रहे थे.....जिस तरहा वो गा रहा था...उस से यही लगता था कि दुनिया से उसने अपना नाता तोड़ लिया था........

गाना ख़तम हुआ लोगो ने तालियाँ बजाई...पर राजेश पे इसका कोई असर ना पड़ा ...काउंटर से एक ड्रिंक और बनवा के बाहर बीच पे चला गया.........कविता की नज़रें राजेश पे ही टिकी हुई थी ...दिल में बार बार हुक उठ रही थी ..उसके करीब जाने की उस से बात करने की..उसे पीने से रोकने की........पर हिम्मत नही जुटा पा रही थी......

रूबी ने उसे इशारा किया ....कि जाए राजेश के पास .....पर कविता आज चाहते हुए भी घबरा रही थी...उसका हाथ अपने गले में पड़े मंगल सुत्र पे चला गया....आँखों से आँसू टपक पड़े .....

रूबी उसके दिल का हाल समझ गयी और उठ के जाने लगी राजेश की तरफ ....पर कविता ने उसका हाथ पकड़ उसे रोकने की कोशिश करी .....

रूबी....कवि बस बहुत हो गया....मैं जानती हूँ तू उसे कभी नही भूल सकती ...बहुत प्यार करती है तू उसे....फिर ये नखरा क्यूँ.....जा संभाल उसे ...देख एक साल में उसने अपनी क्या हालत कर ली है....अगर तुझे वाकई में उसके साथ जिंदगी नही बितानी...तो क्यूँ नही उतारा तूने ये मंगलसूत्र आज तक.........क्यूँ रोज उसकी यादों के सहारे जीने की कोशिश करती है.....पगली वो आज भी तेरा इंतेज़ार कर रहा है........जा उसके पास......नही तो मैं जा कर उसे बुलाती हूँ.....

कविता बस धड़कते दिल से उसे देख रही थी...किस मुँह से वो राजेश के पास जाती जिसे बिना कुछ कहे वो छोड़ के चली आई थी........

रूबी ...ओह तू और तेरी शरम......चल मेरे साथ....रूबी कविता को खींचती हुई राजेश की तरफ चल पड़ी .............और कविता खींचती चली गयी...

राजेश के पास पहुँच...रूबी ने पुकारा...जीजा जी ....

कोई जवाब नही वो तो बस अपने ख़यालों की दुनिया में खोया हुआ दूर डूबते सूरज को देख रहा था....

रूबी ने राजेश के कंधे पे हाथ राका...जीजा जी कहाँ खोए हुए हो

अँ.आं राजेश पलटा तो सामने रूबी खड़ी मुस्का रही थी और कविता सर झुकाए आँसू टपका रही थी....

राजेश ने सवालिया नज़रों से रूबी को देखा...

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