Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-20-2019, 09:40 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
रूबी की आँखों में बसे दर्द और उदासी को देख सोनल खुद को ना रोक पाई ...उसे रात की वो बात याद आई जब रूबी ने उस से कुछ माँगा था और वो घबरा गयी थी....

रूबी के चेहरे पे हाथ फेरते हुए सोनल ने अपने होंठ आगे बढ़ा उसके होंठो को चूम लिया .......जाने क्यूँ रूबी को सोनल के होंठों का अहसास अपने होंठों पे पास कुछ सकुन मिला और उसके होंठ खुल गये ...जैसे कह रहे हों...आज तो मुझे सुनील की होंठों की मिठास चखा दो...

रूबी के सोनल के होंठ को धीरे धीरे चूसना शुरू कर दिया और सोनल भी उसके होंठ को चूसने लगी........दोनो इतना धीरे एक दूसरे के होंठ चूस रही थी कि यूँ लग रहा था जैसे चाट रही हों...

होंठों के ज़रिए रूबी की रूह...सोनल की रूह तक एक पैगाम पहुँचने की कोशिश कर रही थी...ताकि बाद में जब सुनील और सोनल की रूह करीब हों तो सुनील को रूबी की रूह का पैगाम मिल जाए..होंठों का ये मिलन वासना से परे था...एक रूह दूसरी रूह को पहचान रही थी..अपने दर्द का अहसास दिला रही थी...जिस्म तो बस एक माध्यम था उस दर्द के अहसास को जठानेका...

सोनल की रूह भी उस दर्द को महसूस कर बहुत धीरे से रूबी के होंठों का रस पन कर रही ताकि उसे दर्द ना हो....और अंदर बसे दर्द पे कुछ प्यार का मरहम लग जाए...

शायद सुमन प्रेग्नेंट हो गयी थी ..क्यूंकी सोनल जिस तरहा रूबी को प्यार कर रही थी..उससे यूँ लग रहा था जैसे उसकी रूह तक ये पैगाम पहुँच गया है कि उसे माँ बुलानेवाला जल्दी आनेवाला है ...और ये पैगाम सोनल के अंदर छुपे मातृत्व को बाहर निकाल रहा था....सोनल के लिए रूबी इस वक़्त एक बच्ची बन गयी थी..जिसे सोनल एक माँ की तरहा प्यार कर उसके दर्द को सोख रही थी...आख़िर भाभी माँ समान ही तो होती है...

सोनल ने धीरे धीरे रूबी के गालों पे छोटे छोटे बोसे अंकित करने शुरू कर दिए..जैसे कह रही हो..तेरी रूह का पैगाम तेरे मोहसिन तक पहुँच जाएगा...आगे उस उपरवाले की मर्ज़ी....

रूबी को यूँ महसूस हो रहा था जैसे धीरे धीरे उसकी तड़प कम हो रही हो...एक आश्वासन उसे मिल रहा था...तेरी रूह का दर्द बस अब कुछ दिन का मेहमान है...

रूबी के गालों को चूमने के बाद सोनल ने फिर अपने होंठ रूबी के होंठों से सटा दिए और रूबी सोनल से लिपटती चली गयी ...जैसे एक कली एक फूल के साए में खुद को महफूज़ समझती है....धीरे धीरे रूबी की आँखें बंद हो गयी और वो सपनो की दुनिया में चली गयी...

सोनल की रूह को इतना सकुन मिला कि उसकी भी आँखें बंद हो गयी..

वहाँ सुनील की बाँहों में सुमन..को अपने अंदर एक बदलाव महसूस होने लगा था.....हालाँकि इस बात की पुष्टि होने में अभी देर थी कि वो सच में प्रेग्नेंट हो गयी है...पर उसकी रूह ये महसूस कर रही थी...कि एक तीसरी रूह का आगमन हो चुका है.......और इस बदलाव को सुनील ने भी महसूस किया था...उसे पापा कह कर बुलानेवाला ..जल्द ही दुनिया में आनेवाला है..

बिस्तर पे लेटे दोनो सोने की कोशिश कर रहे थे क्यूंकी जिस्मों के मिलन के बाद दोनो थक चुके थे..पर कुछ ऐसा था जो उन्हें सोने नही दे रहा था...वो था एक पैगाम...जो सोनल की रूह से आ रहा था..पर उस पैगाम को दोनो अभी समझ नही पा रहे थे..

सुनील और सुमन वापस आ गये ....कविता इनके साथ आई ..हफ्ते बाद राजेश ने आना था.......

रात को कविता रूबी के साथ रही हमेशा की तरहा...और उसने रूबी की आँखों में उदासी देखी...पहले तो वो यही समझी की शादी टूट जाने की वजह से रूबी उदास है...पर जब उसने रूबी को सुनील की तस्वीर को अजीब सी नज़रों से देखते हुए पाया तो उसके दिमाग़ को खटका लगा....

कवि ......और सुना कैसा चल रहा है ..तू इतनी उदास क्यूँ है......

रूबी...कुछ नही यार बस ऐसे ही...तू सुना अपने किस्से हनिमून के..

कवि ...क्या घूमे फिरे और क्या...जगह तो तूने भी देखी ही है..

रूबी ...अच्छा जी बस घूमे फिरे ...जीजू ने कुछ नही किया...

कवि...क्यूँ जीजू ने क्या करना था..घूमाते रहे....मुझे..

रूबी ..हां हां बाँहों में भर के खूब घुमाया होगा......डीटेल में बता ना....

कवि ..चल हाउ बेशर्म...जब तेरी शादी होगी सब पता चल जाएगा...

रूबी...अच्छे ये तो बता कितनी बार किस किया होगा जीजू ने...

कवि...अब मैं कोई ये सब गिन रही थी क्या...

रूबी ..उम्म्म यानी बहुत बार किस किया..कहाँ कहाँ.....

कवि मारूँगी चुप कर ....तू ये बता भाई की फोटो को यूँ क्यूँ घूर रही थी...

रूबी ने सर झुका लिया आँखें नम हो गयी..कुछ नही बस ऐसे ही..सुनील बहुत अच्छा है ना..

कवि ने ये बात नोट कर ली कि रूबी भाई का नाम ले रही है..भाई नही बोल रही..

कवि...सच सच बता क्या माजरा है..मुझे तो कुछ और की बू आ रही है..

रूबी..कुछ नही ना ..क्यूँ मुझे तंग कर रही है..

कवि ...देख बहन अगर दिल की बात सॉफ सॉफ बोल देगी तो हो सकता है तेरी कुछ मदद कर सकूँ..बता ना...

रूबी...तू कुछ नही कर सकती...कोई कुछ नही कर सकता..मेरी किस्मत ही ऐसी है

कवि...तू भाई से प्यार करती है क्या...

रूबी की आँखों से आँसू टपक पड़े ...कवि को समझने के लिए इतना ही काफ़ी था......

कवि......जितना मैं भाई को समझी हूँ...वो इस रास्ते पे दो बार चल चुका है..मेरे ख़याल से उसमे अब और हिम्मत नही होगी इस रास्ते पे फिर से एक बार चलने की...वो टूट जाएगा......मत कर ऐसा ..ना खुद को तडपा और ना ही भाई का इम्तिहान ले.

रूबी...मैं किसी को कहाँ कुछ कह रही हूँ..मैं तो बस अपनी किस्मत को रो रही हूँ...

प्यार का दर्द कवि अच्छी तरहा समझती थी...उसकी अपनी शादी भी तो भाई से ही हुई ..माना कोख जाया नही था..पर था तो भाई...कितना तड़पति थी....जब सच्चाई पता चलने के बाद वो एक साल दूर रही..

रूबी को तो और भी ज़्यादा दर्द होगा..क्यूंकी उसका प्यार उसकी नज़रों के सामने रहता है..पर वो उससे कुछ कह नही सकती....अपने प्यार की शिद्दत का अहसास नही दिला सकती....ओ उपरवाले अब तू ही कुछ कर सकता है.......मदद कर मेरी बहन की बहुत दुख झेल चुकी है वो...दिला दे उसे उसका प्यार

कवि ...रो मत कोशिश करती हूँ..भाई तेरे प्यार की गहराई को पहचान सके...होगा तो वही जो होना होगा...

रूबी...नही नही तू भाई से कुछ नही कहेगी ...मेरी किस्मत में जो लिखा है वही होगा...लेखी का लिखा कॉन बदल सका है आज तक......मत कर खुद को परेशान...तुझे मेरी कसम..

कवि..मेरी बहन तड़पति रहे और मैं बैठ के देखती रहूं..ये तो हो नही सकता...सोचने दे मुझे ..कोई ना कोई रास्ता तो ज़रूर निकलेगा....प्यार का दर्द कभी जाया नही जाता...एक दिन वो अपना रंग ज़रूर दिखाता है......तुझे तेरा प्यार एक दिन ज़रूर मिलेगा...

काफ़ी देर तक दोनो बातें करती रही ...फिर राजेश का फोन आ गया...अब रूबी के सामने कैसे बात करती ...उसके चेहरे की लाली को देख रूबी समझ गयी और कमरे से बाहर चली गयी ....किचन में कॉफी बनाने...नीद पता नही आती है या नही...

छुट्टियों में बहुत टाइम निकल गया था और रूबी की शादी के किस्से ने भी वक़्त लिया था..इसलिए सुनील आते ही पढ़ने में लग गया था …अपने कमरे में….शायद वो रात भर आज पढ़ता ही…सुमन और सोनल …सुमन के कमरे में थी…

सोनल…मैं उनको कॉफी दे कर आती हूँ…

सुमन बिस्तर पे लेटी रही…उसके दिमाग़ में बस आनेवाला बच्चा ही घूमता रहता था…जाने क्या क्या सोचती रहती थी उसके बारे में.

सोनल जब कमरे से बाहर निकली उसी वक़्त रूबी भी कमरे से बाहर निकली थी …रूबी किचन में पहले पहुँच गयी थी …और कॉफी रखने जा रही थी कि पीछे से सोनल बोली…कॉफी बना रही है तो एक कप और बना दे…

रूबी ..बिना मुड़े …ओके…और गॅस पे पानी उबलने रख देती है..

कॉफी तयार होते ही …सोनल एक कप ले सुनील के कमरे में चली गयी और रूबी हॉल में जा कर बैठ गयी…

सुनील को कॉफी दे कर सोनल भी रूबी के पास आ कर बैठ गयी …

सोनल..क्या हुआ नींद नही आ रही है क्या..

रूबी ..नही बस ऐसे ही कवि को जीजू का फोन आया था तो मैं बाहर निकल आई..

सोनल रूबी के सर पे प्यार से हाथ फेरती हुई बोली…मन को शांत रख और पढ़ाई पे ध्यान दे …सब ठीक हो जाएगा …

अब सोनल ठीक हो जाने से क्या कहना चाहती थी…ये रूबी को समझ नही आया वो सवालिया नज़रों से सोनल को देखने लगी…..

सोनल उसके करीब आई और उसके चेहरे को अपने हाथों में ले कल रात की तरहा उसके होंठ चूसने लगी….रूबी सोनल के साथ लिपट गयी…कुछ ड्रेर बाद सोनल ने उसको छोड़ा…जा सो जा अब…उसका फोन अब तक तो ख़तम हो चुका होगा…

यहाँ सोनल रूबी के होंठ चूस रही थी ..उधर सूमी और सुनील दोनो को बेचैनी होने लगी…

सुनील ने सर को झटका और कॉफी पीते हुए पढ़ने में मशगूल हो गया….सोनल सुमन के पास जा कर लेट गयी..

रूबी जब कमरे में पहुँची तो कवि का फोन ख़तम हो चुका था…रूबी चुप चाप उसके बराबर में लेट गयी ..और सोनल की चुंबन में सुनील के होंठों को महसूस करने लगी..

वहाँ कमरे में सोनल सुमन से चिपक गयी और उसके पेट पे हाथ फेरने लगी…

दीदी ..कब सुना रही हो अच्छी खबर …

सुमन…लगता तो यही है कि जल्दी ही अच्छी खबर मिलेगी ..मुझे महसूस होता है कि मैं मा बननेवाली हूँ..पर जब तक अगले पीरियड मिस नही होते और टेस्ट पॉज़िटिव नही आता ..तब तक गॅरेंटी के साथ तो कह नही सकते…

सोनल…मेरा दिल कहता है आप प्रेग्नेंट हो चुकी हो…सोनल अपने होंठ सुमन के होंठों पे रख देती है…सुमन को एक दम रूबी के होंठों का अहसास मिल जाता है…वो सवालिया नज़रों से सोनल को देखती है..
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