RE: Bahu ki Chudai बहुरानी की प्रेम कहानी
बहूरानी भी तरह तरह की सेक्सी आवाजें निकालती हुई अपनी चूत मुझे परोसने लगी.
मेरी भोली भाली सौम्य सी लगने वाली बहू अदिति कितनी कामुक और चुदाई में सिद्धहस्त थी मुझे उस रात साक्षात अनुभव हुआ.अपनी चूत को सिकोड़ सिकोड़ के कैसे लंड लेना है उसे बहुत अच्छे से पता था, वो मज़ा लेना जानती थी और मज़ा देना भी जानती थी.
मेरा बेटा सच में भाग्यशाली था जो उसे ऐसी प्यारी बीवी मिली थी.
इसके पहले तो मैं सिर्फ यही जानता था की अदिति पढ़ाई में इंटेलिजेंट और खाना बनाने में ही कुशल है बस!
‘जानू, निहाल हो गई आज मैं… ऐसा मज़ा पहले क्यों नहीं दिया आपने? बस चार छः करारे करारे शॉट और लगा दो, मैं आने ही वाली हूँ.’ बहूरानी मेरा गाल चूमते हुए बोली.
मैं भी झड़ जाने को बेचैन था, मैंने कुछ आखिरी धक्के बहूरानी के मनमाफिक लगा कर उसे अपने सीने से लिपटा लिया और मेरे लंड से वीर्य की पिचकारियाँ निकल निकल के चूत में भरने लगीं.
मेरे झड़ते ही बहूरानी ने मुझे कस के पूरी ताकत से भींच लिया और अपनी टाँगें मेरी कमर में लॉक कर दीं. वो भी झड रही थी लगातार और उसका बदन धीरे धीरे कंप कंपा रहा था.
जब बहू की चूत से स्पंदन आने शुरू हुए तो उस जैसा अलौकिक सुख मुझे शायद ही कभी रानी की चूत ने दिया हो.
बहू रानी की चूत सिकुड़ सिकुड़ कर मेरे लंड को जकड़ती छोड़ती हुई सी वीर्य की एक एक बूँद निचोड़ रही थी.
बहुत देर तक हम दोनों इसी स्थिति में पड़े रहे, फिर बहूरानी ने अपनी टाँगें फैला दीं, मेरा लंड भी झड़ कर ढीला हो सिकुड़ गया फिर चूत ने उसे बाहर धकेल दिया.
उधर बहूरानी गहरी गहरी साँसें भरती हुई खुद को संभाल रही थी, वो मुझसे एक बार फिर से लिपटी और मुझे होंठों पर चूम लिया. मैंने उसके मुंह से अपने वीर्य की गंध महसूस की जो संभोग के उपरान्त कुछ ही स्त्रियों के मुंह से आती है.
ऐसा कहीं पढ़ा था मैंने पहले… उस रात यह खुद अनुभव किया.
जल्दी ही बहूरानी का बाहुपाश शिथिल होने लगा और वो जम्हाई लेने लगी.
रात के तीन पहर लगभग बीत चुके थे, शायद तीन तो बज ही गये होंगे!
‘जानू, मैं तो सोऊँगी अब… आप भी सो जाओ, सुबह जल्दी उठ कर मेहमानों की चाय बनवाना मेरे जिम्मे है न!’ वो बोली और जल्दी से उसने अपने पूरे कपड़े पहन लिए और मुझसे लिपट कर सोने लगी.
वासना का तूफ़ान निकल जाने के बाद मुझे आत्मग्लानि होने लगी कि ये सब कैसे क्या हो गया!
मन को सांत्वना इस बात की जरूर रही कि मैंने अपनी बहूरानी का नग्न शरीर नहीं देखा, उसके स्तन, योनि इत्यादि अंग जिन्हें स्त्रियां हमेशा जतन से छुपा के रखती हैं, उन पर मेरी नज़र नहीं पड़ी.
कोठरी के उस अँधेरे में काम वासना का एक तूफ़ान उठा और चुपचाप से गुजर गया.
बहूरानी मुझसे लिपटी हुई किसी अबोध बालिका की तरह मीठी नींद सोने लगी थी. कुछ ही देर में उसकी साँसों के उतार चढ़ाव से मुझे स्पष्ट अनुभव हुआ कि वह थक कर चूर हुई गहरी नींद में सो चुकी थी.
अब मैं क्या करूं?
यह यक्ष प्रश्न भी मुझे बार बार कचोट रहा था और मुझे अदिति पर आश्चर्य भी हो रहा था कि कोई स्त्री ऐसी कैसे हो सकती है कि चुद जाए और यह भी न पहचान सके कि चोदने वाला उसका पति ही है या कोई और!!
बहरहाल जो भी हो, जो होना था, वो चुका था.
अदिति के गहरी नींद में सो जाने के बाद मैंने उसे धीरे से अपने से छुड़ाया और अपने कपड़े पहन दबे पांव कोठरी से निकल कर नीचे चला गया.
पूरे घर में सन्नाटा पसरा हुआ था, हर कोई गहरी नींद में था. घड़ी में देखा तो साढ़े तीन हो चुके थे.
बाहर पंडाल लगा था, मैंने गद्दों के ढेर में से दो गद्दे निकाले और सोये मेहमानों के बगल में बिछा ओढ़ के सो गया.
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