RE: Bahu ki Chudai बहुरानी की प्रेम कहानी
आपने पिछले भाग में पढ़ा कि मैं अपनी बहू की चुदाई के लिए बेचैन हो रहा था और आधी रात में नंगा ही उसके कमरे की ओर बढ़ा.
अब आगे:
मुझे एक अस्पष्ट सा साया अपनी ओर आते दिखा, उसका गोरा जिस्म उस अंधेरे में भी अपनी आभा बिखेर रहा था. आँखें गड़ा कर देखा तो… बहूरानी! हाँ अदिति ही तो थी.
मेरी बांहें खुद ब खुद उठ गईं उधर उसकी बांहें भी साथ साथ उठीं और हम दोनों एक दूजे के आगोश में समा गए. बहूरानी के तन पर कोई वस्त्र नहीं था, एकदम मादरजात नंगी, उसकी जुल्फें खुली हुई कन्धों पर बिखरीं थीं. उसके नंगे बदन की तपिश मुझे जैसे झुलसाने लगी और मेरे हाथ उसके नंगे जिस्म को सब जगह सहलाने लगे. मैंने उसके दोनों दूध मुट्ठियों में दबोच लिए.
इधर मेरा लंड उसकी चूत का आभास पा कर और भी तन गया और उसकी जाँघों से टकराने लगा.
“पापा जी, आई लव यू!” बहू रानी भावावेश में बोली और मेरा लंड पकड़ कर सहलाने लगी साथ में मेरी गर्दन में एक हाथ डाल कर मेरा सिर झुका के अपने होंठ मेरे होंठों से मिला कर चुम्बन करने लगी.
“आई लव यू टू अदिति बेटा!” मैंने कहा और उसका मस्तक चूम लिया और एक हाथ नीचे ले जा कर उसकी चूत सहलाने लगा.
बहूरानी की चूत बहुत गीली होकर रस बहा रही थी यहाँ तक कि उसकी झांटें भी भीग गईं थीं.
उस नीम अँधेरे ड्राइंग रूम में दो जिस्म आपस में लिपटे हुए यूं ही चूमा चाटी करते रहे.
अचानक बहूरानी ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया और उसे दबा कर अपनी चूत रगड़ने लगी. मैंने भी उसकी चूत मुट्ठी में भर के मसल दी. मेरे ऐसा करते ही बहूरानी नीचे घुटनों के बल बैठ गई और मेरा लंड अपने मुंह में भर लिया, लंड को कुछ देर चाटने चूसने के बाद वो नंगे फर्श पर ही लेट गई और मेरा हाथ पकड़ कर अपने ऊपर खींच लिया, फिर अपने दोनों पैर ऊपर उठा कर मेरी कमर में लपेट कर कस दिए और मेरे कंधे में जोर से काट लिया.
बहुत उत्तेजित थी वो!
वक़्त की नजाकत को समझते हुए मैंने उसका निचला होंठ अपने होंठों में दबा लिया और चूसने लगा. उधर बहूरानी ने एक हाथ नीचे ले जा कर मेरे लंड को पकड़ के सुपारा अपनी रिसती चूत के मुहाने पर रख के लंड को चूत का रास्ता दिखाया.
“अब आ जाओ पापा जी जल्दी से. समा जाओ अपनी अदिति की प्यासी चूत में!” बहूरानी अपनी बांहों से मुझे कसते हुए बोली.
“ये लो अदिति बेटा!” मैंने कहा और लंड को धकेल दिया उसकी चूत में… लंड उसकी चूत में फंसता हुआ कोई दो तीन अंगुल तक घुस के ठहर सा गया.
“धीरे से पापा जी, बहुत बड़ा और मोटा लंड है आपका. आज कई महीने बाद ले रही हूँ न!” बहूरानी कुछ विचलित स्वर में बोली और अपनी टाँगें उठा के अपने हाथों से पकड़ कर अच्छे से चौड़ी खोल दीं जिससे उसकी चूत और ऊपर उठ गई.
मैंने बहूरानी की बात को अनसुना करते हुए लंड को थोड़ा सा आगे पीछे किया और फिर अपने दांत भींच कर लंड को बाहर तक निकाल के जोरदार धक्का मार दिया. इस बार पूरा लंड जड़ तक घुस गया बहु की चूत में.
“हाय राम मार डाला रे, आपको तो जरा भी दया नहीं आती अपनी बहू पे. ऐसे बेरहमी से घुसा दिया जैसे कोई बदला निकाल रहे हो मेरी चूत से!” बहू रानी चिढ़ कर बोली.
“बदला नहीं अदिति बेटा, ये तो लंड का प्यार है तेरी चूत के लिए!” मैंने उसे चूमते हुए समझाया.
“रहने दो पापा जी, देख लिया आपका प्यार. धीरे धीरे आराम से घुसाते तो क्या शान घट जाती आपके लंड की? पराई चीज पे दया थोड़ी ही न आती है किसी को!”
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