RE: Bahu ki Chudai बहुरानी की प्रेम कहानी
अतः मैंने फिर से बहूरानी को अपने नीचे लिटा लिया और उसे पूरी स्पीड से चोदने लगा. जल्दी ही हम दोनों मंजिल पर पहुंचने लगे. बहूरानी मुझसे बेचैन होकर लिपटने लगी; और अपनी चूत देर देर तक ऊपर उठाये रखते हुए लंड का मज़ा लेने लगी. जल्दी ही हम दोनों एक साथ झड़ने लगे. बहूरानी ने अपने नाखून मेरी पीठ में गड़ा दिए और टाँगे मेरी कमर में लपेट कर कस दीं. मेरे लंड से रस की पिचकारियां छूट रहीं थीं तो उधर बहूरानी की चूत भी सुकड़-फैल कर मेरे लंड को निचोड़ रही थी.
थोड़ी देर बाद ही बहूरानी का भुज बंधन शिथिल पड़ गया साथ ही उसकी चूत सिकुड़ गई जिससे मेरा लंड फिसल के बाहर निकल आया.
“थैंक्स पापा जी, बहुत दिनों बाद आज मैं तृप्त हुई.” वो मुझे चूमते हुए बोली.
“क्यों, मेरा बेटा तुझे पूरा मज़ा नहीं देता क्या?”
“वो भी देते हैं; लेकिन आपके मूसल जैसे लंड की ठोकरें खाने में मेरी चूत को जो आनन्द और तृप्ति मिलती है वो अलग ही होती है, उसका कोई मुकाबला नहीं. आपका बेटा तो ऐसे संभल संभल कर करता है कि कहीं चूत को चोट न लग जाए, उसे पता ही नहीं कि चूत को जितना बेरहमी से ‘मारो’ वो उतनी ही खुश होती है.”
“हहाहा, बहूरानी वो धीरे धीरे सीख जाएगा. सेक्स के टाइम तुम उसे बताया करो कि तुम्हें किस तरह मज़ा आता है.”
“ठीक है पापा जी, अच्छा चलो अब सो जाओ. साढ़े तीन से ऊपर ही बजने वाले होंगे पूरी रात ही निकल गयी जागते जागते” बहू रानी बोली.
“अभी थोड़ी देर बाद सोयेंगे. आज अंधेरे में चुदाई हो गई, तेरी चूत के दीदार तो हुए ही नहीं अभी तक. बत्ती जला के अपनी चूत के दर्शन तो करा दे, जरा दिखा तो सही; बहुत दिन हो गए देखे हुए!” मैं बोला.
“पापा जी, कितनी बार तो देख चुके हो मेरी चूत को, चाट भी चुके हो. अब तो आपको ये दो दिन बाद बुधवार को ही मिलेगी.”
“ऐसा क्यों? कल और परसों क्यों नहीं दोगी?”
“पापा जी, अब सुबह होने वाली है. दिन निकलते ही सोमवार शुरू हो जाएगा. सोमवार को मेरा व्रत होता है और मंगल को आपका. अब तो बुधवार को ही दूंगी मैं!”
“चलो ठीक है. लेकिन अभी एक बार दिखा तो सही अपनी चूत!” मैंने जिद की.
बहूरानी उठी और लाइट जला दी, पूरे ड्राइंग रूम में तेज रोशनी फैल गयी. उस दिन महीनों बाद बहूरानी को पूरी नंगी देखा. कुछ भी तो नहीं बदली थी वो. वही रंग रूप, वही तने हुए मम्में, केले के तने जैसी चिकनी जांघे और उनके बीच काली झांटों में छुपी उसकी गुलाबी चूत.
मैंने बहूरानी को पकड़ कर सोफे पर बैठा लिया और उसका एक पैर अपनी गोद में रखा और दूसरा सोफे पर ऊपर फैला दिया जिससे उसकी चूत खुल के सामने आ गयी. मैंने झुक के देखा और चूम लिया चूत को… चूत में से मेरे वीर्य और उसके रज का मिश्रण धीरे धीरे चू रहा था जिसे बहूरानी ने पास रखी नैपकिन से पौंछ दिया.
“ये झांटें क्यों नहीं साफ़ करती तू?” मैंने पूछा.
“पापा जी, ये काम तो आपका बेटा करता है मेरे लिए हमेशा. अब आपको करना पड़ेगा. परसों आप नाई बन जाना मेरे लिए और शेव कर देना मेरी चूत. कर दोगे न पापा जी?” बहूरानी ने पूछा.
“हाँ, बेटा जरूर. तेरी सासू माँ की चूत भी तो मैं ही शेव करता हूँ; तेरी भी कर दूंगा. चूत की झांटें बनाने में तो मुझे ख़ास मज़ा आता है.” मैं हंस कर बोला.
“ठीक है अब जाने दो, मुझे फर्श साफ़ कर दूं. देखो कितना गीला हो रहा है”
“तुम्हारी चूत ने ही तो गीला किया है इसे.” मैंने हंसी की.
“अच्छा … आपका लंड तो बड़ा सीधा है न. उसमें से तो कुछ निकला ही न होगा, है ना?”
बहूरानी ऐसे बोलती हुई किचन में गयी और पौंछा लाकर फर्श साफ़ करने लगी. मैं नंगा ही दीवान पर लेट गया और सोने लगा.
“पापा जी, ऐसे मत सोओ कुछ पहन लो. अभी सात बजे काम वाली मेड आ जायेगी, अच्छा नहीं लगेगा.”
“ठीक है बेटा!” मैंने कहा और चड्ढी पहन कर टी शर्ट और लोअर पहन लिया.
फिर कब नींद आ गयी पता ही न चला.
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