RE: Bahu ki Chudai बहुरानी की प्रेम कहानी
अभी तक इस सेक्सी कहानी में आपने पढ़ा कि मैं अपनी पुत्रवधू यानि बहू के साथ फर्स्ट क्लास ए सी के प्राईवेट केबिन में अकेला था. मेरी बहू पूरी नंगी हो चुकी थी.अब आगे:
मैं नीचे फर्श पर ही बैठ गया और मैंने बहूरानी के दोनों पैर उठा कर अपने कन्धों पर रख लिये और उसकी कमर में दोनों हाथ डाल कर उसे अपनी ओर खींच लिया जिससे उसकी चूत मेरे मुंह के ठीक सामने आ गयी… बिल्कुल करीब; उसकी एकदम सफाचट चिकनी क्लीन शेव्ड चूत मेरे सामने थी. उसकी गुलाबी जांघें V शेप में मेरे सामने खुलीं थीं और जांघों के जोड़ पर वो खूब उभराहुआ गद्देदार तिकोना चबूतरा देख कर मेरे खून में उबाल आने लगा. बहूरानी की चूत की लम्बी सी दरार उस टाइम बंद थी.
मैंने उसकी चूत की दरार के निचले हिस्से पर अपनी जीभ रखी और ऊपर तक चाट लिया और इसी तरह फिर से किया. इस बार उसकी चूत के होंठ स्वतः ही खुल गये और मैंने उसकी भगनासा को जीभ से हौले से छुआ. चूत के दाने पर मेरी जीभ लगते ही बहूरानी के मुंह से एक आनन्ददायक सिसकारी निकल गयी और वो बर्थ पर अधलेटी सी हो गयी और अपनी पीठ पीछे टिका ली, फिर उसने अपनी टाँगें मेरी गर्दन में लिपटा कर मेरा मुंह अपनी चूत पर दबा दिया और मेरे बाल सहलाने लगी.
बहूरानी की चूत से वही चिरपरिचित गंध आ रही थी जैसे दालचीनी, गरम मसाला और कपूर सब इकट्ठे एक कंटेनर में रखने से आती है. अब मेरी जीभ उसकी चूत को लपलप करके चाटने लगी और जितनी गहराई तक भीतर जा सकती थी जाकर चूत में तहलका मचाने लगी. उसकी चूत का नमकीन रस मेरे मुंह में घुलने लगा.
मुझे पता था कि बहूरानी जी को मम्में दबवाते हुये अपनी चूत चटवाना बेहद पसन्द है तो मैंने उसके दोनों स्तन मुट्ठियों में भर लिए और उन्हें मसलते हुए उसकी जांघें चाटने लगा. कुछ देर उसकी केले के तने जैसी चिकनी जांघें चाटने काटने के बाद मैंने उसकी चूत के चबूतरे पर अपनी जीभ से हमला बोल दिया और हौले हौले दांतों से कुतर कुतर के चूत के ऊपर चाटने लगा.
जल्दी ही बहूरानी अच्छे से मस्ता गयीं और अपनी चूत उठा उठा के मेरे मुंह में देने लगीं.
“आह… पापा जी… यू लिक सो नाईस. आई एम फुल्ली वेट नाउ… लिक मी डाउन एंड डीप!” बहूरानी अत्यंत कामुक स्वर में बोली और मेरे बाल पकड़ कर मेरा चेहरा अपनी चूत पर जोर से दबा लिया और मेरे सिर के ऊपर से एक पैर लपेट कर मेरे मुंह को अपनी चूत पर लॉक कर दिया.
“या बेबी… योर साल्टी पुसी टेस्ट्स सो लवली!” मैंने कहा और बहूरानी की समूची बुर को अपने मुंह में भर लिया और इसे झिंझोड़ने लगा
“हाय राम, कितना मज़ा दे रहे हो आज तो आप पापा जी!” बहूरानी बोलीं और उसने अपने पैरों को मेरे सिर के ऊपर से हटा लिया और उन्हें दायें बायें फैला दिया जिससे उसकी चूत मेरे सामने ज़ूम हो कर और विशाल रूप में आ गई और जैसे ही मैंने उसे फिर से चाटना शुरू किया बहूरानी जी की कमर अनियंत्रित होकर उछलने लगी जैसे कोई खिलौने वाली गुड़िया हो.
“फक मी हार्ड नाउ पापा!”“या अदिति बेटा, ऍम गोइंग टू ड्रिल योर चूत नाउ!” मैंने बोला और फर्श पर से उठ कर बहूरानी पर झुक गया और अपने लंड से उसकी रिसती हुई चूत को रगड़ने लगा.“ओफ्फो… पापा जी; अब घुसा भी दो ना!” बहूरानी जी सिसिया कर बोलीं और अपनी कमर उठा उठा कर चूत को मेरे लंड से लड़ाने लगी.
लेकिन मैं उसे अभी और गर्म करना चाहता था इसलिए मैंने अपनी कमर पीछे की तरफ कर ली और उसके मम्में दबोच के चूसने लगा. मेरे ऐसे करते ही बहूरानी अपनी चूत और ताकत से ऊपर तक उठा उठा के मेरे लंड से भिड़ाने की कोशिश करने लगी. लेकिन मैं उसे ऐसा करने दूं तब ना; और मैं और ऊपर को हो गया. मेरे यूं उससे दूर हटते ही बहूरानी जी को जैसे हिस्टीरिया कर दौरा पड़ा हो, उसका सिर बर्थ पर दायें बायें होने लगा… उसके मम्में सख्त हो गये और निप्पल फूल कर भूरे अंगूर की तरह नज़र आने लगे.अभी तक इस सेक्सी कहानी में आपने पढ़ा कि मैं अपनी पुत्रवधू यानि बहू के साथ फर्स्ट क्लास ए सी के प्राईवेट केबिन में अकेला था. मेरी बहू पूरी नंगी हो चुकी थी.अब आगे:
मैं नीचे फर्श पर ही बैठ गया और मैंने बहूरानी के दोनों पैर उठा कर अपने कन्धों पर रख लिये और उसकी कमर में दोनों हाथ डाल कर उसे अपनी ओर खींच लिया जिससे उसकी चूत मेरे मुंह के ठीक सामने आ गयी… बिल्कुल करीब; उसकी एकदम सफाचट चिकनी क्लीन शेव्ड चूत मेरे सामने थी. उसकी गुलाबी जांघें V शेप में मेरे सामने खुलीं थीं और जांघों के जोड़ पर वो खूब उभराहुआ गद्देदार तिकोना चबूतरा देख कर मेरे खून में उबाल आने लगा. बहूरानी की चूत की लम्बी सी दरार उस टाइम बंद थी.
मैंने उसकी चूत की दरार के निचले हिस्से पर अपनी जीभ रखी और ऊपर तक चाट लिया और इसी तरह फिर से किया. इस बार उसकी चूत के होंठ स्वतः ही खुल गये और मैंने उसकी भगनासा को जीभ से हौले से छुआ. चूत के दाने पर मेरी जीभ लगते ही बहूरानी के मुंह से एक आनन्ददायक सिसकारी निकल गयी और वो बर्थ पर अधलेटी सी हो गयी और अपनी पीठ पीछे टिका ली, फिर उसने अपनी टाँगें मेरी गर्दन में लिपटा कर मेरा मुंह अपनी चूत पर दबा दिया और मेरे बाल सहलाने लगी.
बहूरानी की चूत से वही चिरपरिचित गंध आ रही थी जैसे दालचीनी, गरम मसाला और कपूर सब इकट्ठे एक कंटेनर में रखने से आती है. अब मेरी जीभ उसकी चूत को लपलप करके चाटने लगी और जितनी गहराई तक भीतर जा सकती थी जाकर चूत में तहलका मचाने लगी. उसकी चूत का नमकीन रस मेरे मुंह में घुलने लगा.
मुझे पता था कि बहूरानी जी को मम्में दबवाते हुये अपनी चूत चटवाना बेहद पसन्द है तो मैंने उसके दोनों स्तन मुट्ठियों में भर लिए और उन्हें मसलते हुए उसकी जांघें चाटने लगा. कुछ देर उसकी केले के तने जैसी चिकनी जांघें चाटने काटने के बाद मैंने उसकी चूत के चबूतरे पर अपनी जीभ से हमला बोल दिया और हौले हौले दांतों से कुतर कुतर के चूत के ऊपर चाटने लगा.
जल्दी ही बहूरानी अच्छे से मस्ता गयीं और अपनी चूत उठा उठा के मेरे मुंह में देने लगीं.
“आह… पापा जी… यू लिक सो नाईस. आई एम फुल्ली वेट नाउ… लिक मी डाउन एंड डीप!” बहूरानी अत्यंत कामुक स्वर में बोली और मेरे बाल पकड़ कर मेरा चेहरा अपनी चूत पर जोर से दबा लिया और मेरे सिर के ऊपर से एक पैर लपेट कर मेरे मुंह को अपनी चूत पर लॉक कर दिया.
“या बेबी… योर साल्टी पुसी टेस्ट्स सो लवली!” मैंने कहा और बहूरानी की समूची बुर को अपने मुंह में भर लिया और इसे झिंझोड़ने लगा
“हाय राम, कितना मज़ा दे रहे हो आज तो आप पापा जी!” बहूरानी बोलीं और उसने अपने पैरों को मेरे सिर के ऊपर से हटा लिया और उन्हें दायें बायें फैला दिया जिससे उसकी चूत मेरे सामने ज़ूम हो कर और विशाल रूप में आ गई और जैसे ही मैंने उसे फिर से चाटना शुरू किया बहूरानी जी की कमर अनियंत्रित होकर उछलने लगी जैसे कोई खिलौने वाली गुड़िया हो.
“फक मी हार्ड नाउ पापा!”“या अदिति बेटा, ऍम गोइंग टू ड्रिल योर चूत नाउ!” मैंने बोला और फर्श पर से उठ कर बहूरानी पर झुक गया और अपने लंड से उसकी रिसती हुई चूत को रगड़ने लगा.“ओफ्फो… पापा जी; अब घुसा भी दो ना!” बहूरानी जी सिसिया कर बोलीं और अपनी कमर उठा उठा कर चूत को मेरे लंड से लड़ाने लगी.
लेकिन मैं उसे अभी और गर्म करना चाहता था इसलिए मैंने अपनी कमर पीछे की तरफ कर ली और उसके मम्में दबोच के चूसने लगा. मेरे ऐसे करते ही बहूरानी अपनी चूत और ताकत से ऊपर तक उठा उठा के मेरे लंड से भिड़ाने की कोशिश करने लगी. लेकिन मैं उसे ऐसा करने दूं तब ना; और मैं और ऊपर को हो गया. मेरे यूं उससे दूर हटते ही बहूरानी जी को जैसे हिस्टीरिया कर दौरा पड़ा हो, उसका सिर बर्थ पर दायें बायें होने लगा… उसके मम्में सख्त हो गये और निप्पल फूल कर भूरे अंगूर की तरह नज़र आने लगे.
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