RE: Bahu ki Chudai बहुरानी की प्रेम कहानी
“हां हां वही पापा … नाम कोई भी ले लो इसका. अब जल्दी से मिलवा दो इसे मेरी पिंकी से … टाइम कम है!”“अदिति मेरी जान, लंड को लंड ही कहो न और तुम्हारी पिंकी नहीं चूत कहते हैं इसे!”“धत्त, मैं नहीं कहती ऐसे गंदे शब्द!” बहू ने नखरे दिखाए.“प्लीज मान जा न मेरी गुड़िया रानी!” मैंने बहू के होंठ चूमते हुए कहा.“ऊं हूं” वो मुस्कुराते हुए गुनगुनाई.
“अच्छा ठीक है मत बोलो. मैं भी देखता हूं कैसी नहीं बोलती. अब तुम्हें ये लंड तभी मिलेगा जब तुम लंड लंड चिल्लाओगी और कहोगी कि पापा जी मेरी चूत मारो अपने लंड से!” मैंने बहू को चैलेन्ज दिया.“हां हां ठीक है देख लेंगे हम भी. मैं तो कभी न बोलूं ऐसी बात!” बहू भी पूरे आत्मविश्वास से बोली.
तो मैंने बहू के मम्में फिर से पकड़ के उन्हें कस के दबाना शुरू किया और उनका पेट चूमता हुआ नाभि में जीभ घुमाने लगा. फिर मैं बैठ गया और बहू के तलवे चाटने लगा और पांव की उंगलियाँ अंगूठा सब चूसने लगा.बहू बेचैनी से अपना सिर दायें बाएं घुमाने लगी. कुछ देर यूं ही पांव चूमने के बाद मैंने उसकी पिंडलियां चूम डालीं और घाघरे को थोड़ा सा घुटनों के ऊपर कर, उनके दोनों चूचुक चिकोटी में भर कर उनकी चिकनी जांघें चाटने लगा.
बस यही मेरी बहूरानी का वीक पॉइंट है.चूचुक दबाते हुए उसकी जांघें चाटते ही बहू की कामाग्नि भड़क उठती है और उनकी चूत में रस की बाढ़ सी आ जाती है; यह राज मैंने उसे कई कई बार चोद कर जाना. अतः मैं उसकी दोनों नंगी जांघें किसी चटोरे की तरह लप लप करते हुए चाटने लगा.
जल्दी ही बहूरानी अधीर हो उठी और अपने पांव एक दूसरे पर लपेटने की कोशिश करने लगी, लेकिन मैं जब उन्हें ऐसा करने दूं तब न!“मत सताइए पापा जी, तरस खाइए मुझ पर!” बहूरानी ने जैसे आर्तनाद किया.“तो फिर बोलो जो मैंने कहा था?”“न नहीं … बिल्कुल नहीं बोल सकती वो शब्द मैं!” वो कमजोर सी आवाज में बोली.
फिर मैंने उसका घाघरा सामने से उठा कर उसके पेट पर पलट दिया.ये क्या … बहू ने पैंटी तो पहनी ही नहीं थी तो उसकी रसीली नंगी चूत मेरे सामने थी. उसकी चूत नंगी करते ही बहूरानी का चेहरा लाज से लाल पड़ गया और उसने अपना मुंह अपनी हथेलियों से छिपा लिया. हां अपनी चूत छिपाने की उन्होंने कोई कोशिश नहीं की.
मैंने बहू की चूत को मुग्ध भाव से निहारा; बहूरानी की चूत के दर्शन मुझे सदा से ही अत्यंत प्रिय रहे हैं. मैंने भाव विभोर होकर उसकी चूत को चूम लिया और धीरे से चूत के पट खोल कर इसकी भगनासा और भगान्कुर को झुक कर चूम लिया और जीभ से छेड़ने लगा. बहूरानी की बुर की वो विशिष्ट गंध मेरे भीतर समा गयी और उनके मुंह से एक गहरी निःश्वास निकल गयी.
तीन चार दिन पहले जब हम लोग बैंगलोर से साथ चले थे तो बहू की चूत एकदम चकाचक सफाचट क्लीन शेव्ड थी पर आज चूत के चहुँ ओर नाखून के बराबर झांटें उग आयीं थीं. हल्की हल्की झांटों वाली चूत का भी एक विशिष्ट सौन्दर्य होता है जैसे हमारे सिर के केश हमारे चेहरे को सुन्दरता प्रदान करते हैं, ठीक वैसे ही छोटी छोटी झांटों वाली चूत भी मुझे अत्यंत मनोरम लगती है देखने और चोदने में.
अब मैंने पूरे जोश के साथ चूत को अच्छे से बाहर से चाटा, फिर इसकी फांकें खोल कर भीतर से चाटना शुरू किया साथ साथ अनारदाने को दांतों से हल्के हल्के चूसने और कुतरने लगा तो बहूरानी के जिस्म में जैसे भूकम्प आ गया, उसका पूरा बदन थरथरा उठा, उसने अपना एक पैर मोड़ कर मेरा सर अपनी चूत में कस के दबा दिया और मेरे सिर के बाल अपनी मुट्ठियों में भर लिए; चूतरस का नमकीन स्वाद मेरे मुंह में घुलने लगा. मैंने ऐसे ही कोई एक मिनट तक उसे चाटा होगा कि उसकी कमर किसी खिलौने की तरह अपने आप उछलने लगी जैसे उसे कोई दौरा पड़ा हो और उसके मुंह से अत्यंत कामुक और उत्तेजना पूर्ण कराहें निकलने लगी- पापाऽऽ जी ईऽऽ जल्दी जल्दी चाटो!
बस तभी मैं उनके ऊपर से हट गया.“नहींऽऽपापा जी …” बहूरानी के मुंह से निकला और वो मुझे फिर से अपने ऊपर लिपटाने लगी.लेकिन मैं उठ कर खड़ा हो गया और अपने सारे कपड़े उतार के फेंक दिये; मेरा लंड आजाद होकर बहू के सामने अपना सिर उठा के तन गया. बहूरानी झट से उठीं और मेरा लंड पकड़ कर अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगी, इसकी चमड़ी पीछे कर फूला हुआ सुपारा निकाल कर जीभ से चाटने लगी और फिर उसे गप्प से मुंह में भर लिया और चाकलेट की तरह चूसने लगी.
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“पापा जी… अब जल्दी से कर दो प्लीज!” बहूरानी ने लंड मुंह से बाहर निकाल कर अपनी नजर ऊपर उठा कर कहा.
“क्या कर दूं मेरी गुड़िया रानी … बोलो?” मैंने उसका चेहरा अपने हाथों में लेते हुए कहा और अपना लंड फिर से उसके मुंह में दे दिया और दो तीन धक्के लगा दिए.“ओफ्फो … पापाजी … आप भी न, चलो मैं हारी और आप जीते. अच्छा अब आपका लंड मेरी चूत में घुसा दो और चोद डालो अपनी बहू रानी को. अब तो खुश न?” बहूरानी लंड मुंह से बाहर निकाल कर अत्यंत कामुक स्वर में बोलीं और पीछे हाथ लेजाकर अपनी चोली की डोरियों की गांठ खोल कर चोली उतार फेंकी और घाघरा भी निकाल दिया और मादरजात नंगी होकर मेरे सामने बिछ गयी, अपने दोनों पैर ऊपर की ओर मोड़ लिए और अपनी चूत की फांकें अपने हाथों से पूरी तरह से खोल दी.
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