RE: Bahu ki Chudai बहुरानी की प्रेम कहानी
बहू की साढ़े पांच फीट की गदराई नंगी जवानी मेरे सामने बिछी थी; उसने अपनी चूत की फांकें अपने दोनों हाथों की उंगलियों से खूब चौड़ी खोल रखीं थीं; उसके मम्में किसी सपोर्ट के बगैर तन के खड़े थे और निप्पल फूल कर छोटे बेर के जैसे हो रहे थे. उसके बाल खुल के बिखर गये थे और उसका सुन्दर गुलाबी मुख काले बालों के बीच जैसे पूनम का चन्द्रमा हो, उसकी भरी भरी पुष्ट जंघाओं के जोड़ पर मध्य में उसकी फूली हुई चूत जिसे वो दोनों हाथों से खोले हुए मेरी ओर लाज भरी आंखों से मन्द मन्द मुस्कान सहित देख रही थी.
मैं कुछ देर उनके इस अत्यंत कामुक रति-रूप का रसास्वादन करता रहा. मेरी आंखें बहूरानी की ऐसी रूपराशि के दर्शन कर शीतल हो गयीं, तृप्त हो गयीं. स्वर्ग में भी क्या ऐसा ही सुख और आनन्द मेनका, रम्भा, उर्वशी जैसी अप्सराएं रतिकाल में देती होंगी?
“क्या देख रहे हो पापा जी, पचासों बार तो देख चुके हो मुझे और इस चूत को पहले भी. आपकी इकलौती बहू आपके सामने पूरी नंगी होकर, अपनी चूत अपने हाथों से पसार कर बेशर्मी से लेटी है; अब आ भी जाओ और चोद और डालो अपनी अदिति डार्लिंग को … प्यास बुझा दो मेरी मेरे राजा!” बहूरानी तड़पती सी बोली. उसकी आंखें वासना और चुदास से सुर्ख गुलाबी हो चलीं थीं.
मैंने लंड को बहूरानी की चूत के मुहाने पर टिकाया और उनकी आंखों में झाँकने लगा.“अब और मत देर लगाओ पापा. मैंने आपकी बात मान ली न … देखो आठ बजने वाले हैं. कोई भी कभी भी आ सकता है!”बहूरानी जल्दबाजी से बोली.उसकी बात भी ठीक थी.
“अभी लो मेरी जान … मेरी प्यारी प्यारी गुड़िया. तेरे ही लिए तो खड़ा है ये!” मैं बोला और अपना फनफनाता लंड अपनी कुलवधू की चूत के मुहाने पर रख कर घिसने लगा. जिससे उनके लघु भगोष्ट स्वतः ही खुल गये और स्वर्ग का द्वार दिखने लगा.“पापा जीऽऽस्स्स्स स्स्स्स बस अब घुसेड़ भी दो ना, चोदो जल्दी ई …ऽऽ से मुझे!”“हां … ये लो बहू अपने ससुर का लंड अपनी चूत में … संभालो इसे!” मैंने कहा और अपने दांत भींच कर, पूरी ताकत से लंड को उनकी बुर में धकेल दिया. मेरा लंड उसकी चूत की मांसपेशियों के बंधन ढीले करता हुआ पूरी गहराई तक घुस गया और मेरी झांटें बहूरानी की झांटों से जा मिलीं.
“हाय रामजी, मर गयी रे … पापा… धीरे … आराम से क्यों नहीं घुसाते आप … आह… मम्मीं … ओ माँ ऽऽ.. मर गयी … बचा लो आज तो!” बहूरानी तड़प कर बोली और मुझे परे धकेलने लगी. पर मैंने उनकी दोनों कलाइयां कस के पकड़ीं और अपने लंड को जरा सा पीछे खींच के फिर से पूरे दम से बहू की चूत में पहना दिया.
इस बार उन्होंने अपना मंगलसूत्र अपने दांतों के बीच दबा लिया और बेड की चादर अपनी मुट्ठियों में कस के पकड़ ली और दांत भींच लिए. इस तरह बहू की चूत में अपने लंड को अच्छे से फिट करके मैं उसी के ऊपर लेट के सुस्ताने लगा.“अब कैसा लग रहा है बहू?” मैंने कुछ देर बाद बहूरानी के बालों में प्यार से हाथ फेरते हुए पूछा.
“मार डालो आप तो मुझे ऐसे ही पेल के आज … न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी. सारी जान एक बार में ही निकाल लो आप तो!” वो रुआंसे स्वर में बोली.“अदिति बेटा, मेरा बांस तुम्हारी बांसुरी में हमेशा बजेगा जब तक दम में दम है; तू ऐसे क्यों बोलती है?” मैं उसे चूमते हुए पुचकारा.“रहने दो पापा, धीरे से नहीं घुसा सकते क्या? बस आपको तो जरूरी है एकदम से आक्रमण कर देना. चाहे कोई मरे या जिये आपकी बला से!”“ऐसे नहीं न कहते मेरी जान … अच्छा चलो मेरी सॉरी; आगे से बड़े प्यार से एंटर करूंगा. बस?” मैंने बहू को सांत्वना दी.“हम्म्म्म … ठीक है पापा जी. बट आगे से याद रखना अपनी ये वाली प्रॉमिस?”“ओके बेटा जी … पक्का याद रखूंगा” मैंने कहा.
आरएसएस के मेरे प्रिय पाठको और प्रशंसको, अभी देखा आपने कि मैंने अपनी बहूरानी की गीली रसीली चूत में अपना लंड एकदम से पेल दिया था तो बहूरानी जी कैसे कैसे एट्टीट्यूड दिखा रही थी, कितनी हाय तौबा मचा रही थी? जैसे आसमान टूट पड़ा हो उसपे; मुझे कसाई सिद्ध करने पर तुली थी. पर आप लोग अभी देखना बहू कैसे हंस हंस कर मजे मजे ले ले कर चुदतीहै इसी लंड से.
इन हसीनाओं की ये भोली अदाएं ही तो चुदाई का आनन्द दोगुना कर देतीं हैं; इनका ये रोना धोना, नखरे कर कर के चुदना, एक प्रकार का कॉम्प्लीमेंट, उत्साहवर्धक ही है हम चोदने वालों के लिये. सभी हसीनाओं की ये सांझी आदत होती है कि लंड को उनकी चूत के छेद से छुला भर दो और ये ‘धीरे से करना जी, ऊई माँ … हाय राम हाय राम … मार डाला … फट गयी …’ जपना शुरू कर देंगी… नहीं तो इनकी चूतों की कैपेसिटी कितनी और कैसी होती है वो तो हम सब जानते ही हैं. आप सबने ऐसी स्थिति को अनुभव तो किया ही होगा. मेरे अजीज पाठको और मेरी प्यारी पाठिकाओ मैंने सच कहा न?
चलिए अब स्टोरी आगे बढ़ाते हैं; आप सब भी अपने अपने हाथों से मेरे साथ साथ मजे लेना शुरू करो.
“ओके माय डार्लिंग बेबी … प्रॉमिस बाई यू!” मैंने बहू का गाल चूमते हुए उसे आश्वासन दिया और अपने लंड को अन्दर बाहर करने का हल्का सा प्रयास किया. उसकी चूत अब तक खूब रसीली हो उठी थी और लंड अब सटासट, निर्विघ्न चूत में अन्दर बाहर होने लगा था. फिर तो मैंने रेल चला दी. उधर बहू को भी चुदाई का जोश चढ़ने लगा और वो मुझसे लिपट लिपट के चूत देने लगी.
“पापा जी… नाउ ड्रिल मी डीप एंड फास्ट विद आल योर माईट!” बहूरानी भयंकर चुदासी होकर बोली और अपने नाखून मेरी पीठ में जोर से गड़ा दिए.
“या बेबी, हेअर आई कम मोर डीप इनटू यू!” मैंने कहा और उसके दोनों पैर और ऊपर उठा कर उसी के हाथों में पकड़ा दिए जिससे उसकी चूत खूब अच्छे से ऊँची होकर लंड के निशाने पर आ गयी. फिर मैंने पूरे दम से और बेरहमी से बहूरानी की चूत की चटनी बनाना शुरू की.
|